दिन भर की सुंदरबन सफ़ारी के बाद हमारा स्टीमर जेट्टी से आ लगा, आज विशेष दिन भी था। कोलकाता से आए हमारे नए साथी नबारुन दत्ता एवं श्री दत्ता की वैवाहिक वर्षगांठ भी थी, इन्होंने हम सभी को इस खुशी के अवसर पर सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया था कुछ स्नेक्स एवं बेवरीज का इंतजाम भी अपनी तरफ़ से शक्ति के अनुसार किया था। हमारा भी फ़र्ज बनता था कि हम किसी की खुशी में सम्मिलित हों।
नबारून और श्री टाइटैनिक पोज |
रिसोर्ट में पहुंचकर पार्टी सजाई गई, थ्री चीयर्स के साथ शुभकामनाएं की बौछार सभी मित्रों ने दोनों पर की। कुछ गाने गए और कुछ नृत्य का मजा लिया गया। इस तरह पार्टी में रौकन आ गई। इसे ही कहते है कि मनुष्य किसी भी स्थान पर किसी भी परिस्थिति में रहे वह आनन्द का अवसर ढूंढ ही लेता है। हमारे प्रवीण सिंह ने इस अवसर को खूब इनज्वाय किया। इस तरह सभी ने मिलकर इस जोड़े की सालगिरह को अविस्मरणीय बना दिया।
झारखाली जेट्टी |
अगले दिन हमें लौटना था इसलिए रात्रि विश्राम हुआ, सुबह उठकर आस पास का जायजा लिया गया। हमारी गारी कोलकाता से दोपहर तक आनी थी, इसलिए दोपहर के भोजन के उपरांत हम कोलकाता के लिए चल पड़े। अब हमें पुन; चार घन्टे का सफ़र तय करके गोड़खाली एवं कैनिंग होते हुए कोलकाता पहुंचना था। वहाँ हमारे ग्रुप घुमक्कड़ी दिल से के सुपर एडमिन किशन बाहेती जी प्रतीक्षा कर रहे थे।
झारखाली की सुबह |
टैक्सी वाले हमको हावड़ा स्टेशन छोड़ दिया, हमारी ट्रेन रात को दस बजे थी, तब तक कोलकाता घूमने के लिए हमारे पास समय था। लेकिन सबसे बड़ी समस्या सामान रखकर खाली हाथ घूमने की थी। अनिल रावत किसी की शादी में सम्मिलित होने चले गए, मैं, राजु दास, ज्ञानेन्द्र पाण्डेय आदि किसन जी के साथ उबेर लेकर कोलकाता का चक्कर लगाने निकल पड़े। रास्ते में तय हुआ कि इतना अधिक समय नहीं है कि हम कुछ देख सकें।
स्ट्रीट फ़ूड का मजा किशन जी, राजू, ज्ञानेंद्र पाण्डेय |
मैने कहा कि आज कोलकाता के स्ट्रीट फ़ुड का आनंद लिया जाए, बस फ़िर क्या था, किशन जी हमको पार्क स्ट्रीट ले गए और वहाँ हमने झालमुड़ी से स्वाद लेना प्रारंभ किया, फ़िर पनीर रोल खाते हुए एक स्थान पर पकोड़ी और चीला खाने पहुंचे। यहाँ पहुंचने पर ज्ञानेन्द्र भाई ने अपना बैग ठेले वाले पास रख दिया और हम पकोड़ी खाने लगे। तभी मेरे घूमने से बैग उसकी गरम तेल की कहाड़ी से भिड़ गया और कड़ाही उलटने से सारा गरम तेल बैग पर गिर गया।
लस्सी सेवन - प्यार बांटते चलो |
इस दुर्घटना से मेरा दिमागी संतुलन क्षणिक बिगड़ गया, अगर वह गरम तेल किसी व्यक्ति पर गिर जाता तो बहुत बड़ी दुर्घटना घट सकती थी। बैग पर तेल गिरने से खाने का मन भी नहीं रहा। पहले बैग का तेल झाड़ा गया और एक बैग का निकाल कर उसे फ़ेका गया। यहाँ से चलकर लस्सी चाय पी और अंतिम में मटका कुल्फ़ी खाकर हम स्टेशन लौट आए। गाड़ी प्लेटफ़ार्म पर लग चुकी थी, जब गाड़ी चलने को हुई तो अनिल रावत भी दौड़ कर पहुंचे… गाड़ी चल पड़ी और हमारी सुंदरबन सफ़ारी सम्पन्न हो चुकी थी………