tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post116405827647517258..comments2024-03-18T14:44:38.702+05:30Comments on ललितडॉटकॉम: तेरहवीं सदी में नारी क्रांति : कलिंग यात्राब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-21110889446080744632017-09-11T21:24:05.250+05:302017-09-11T21:24:05.250+05:30वाह अति उत्तम
धन्यवादवाह अति उत्तम <br />धन्यवादkaushal pawaiyahttps://www.blogger.com/profile/10722436109716478417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-52819334943225990672015-04-21T15:44:23.851+05:302015-04-21T15:44:23.851+05:30जय हो...
अनुपम जानकारीजय हो...<br />अनुपम जानकारीमुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-16840951534897662592015-04-21T10:31:48.617+05:302015-04-21T10:31:48.617+05:30शानदार जानकारी शानदार जानकारी Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-53564810659438579872015-04-21T09:02:17.003+05:302015-04-21T09:02:17.003+05:30यानि की पुराने समय में लोग चप्पल धारण नहीं करते थ...यानि की पुराने समय में लोग चप्पल धारण नहीं करते थे तो क्या उनके पैरो में गर्मी की लू नहीं लगती थी ?या सिर्फ शिल्पकार ने किसी मूर्ति को चप्पल नहीं पहनाई । मेरे विचार से तो हम मन्दिरो में चप्पल इसलिए नहीं लेजाते की क्योकि चप्पल द्वारा गन्दगी अंदर न जा सके। इसीलिए हमारे गुरुद्वारों में बहार की तरफ पानी के होद होते है जिनसे गुजरते ही अपने आप पैरो की सफाई हो जाये।दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.com