tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post2774057293648205791..comments2024-03-18T14:44:38.702+05:30Comments on ललितडॉटकॉम: मिट्टी का कूकर : छत्तीसगढ़ब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-91461522872096744752020-03-18T23:12:30.618+05:302020-03-18T23:12:30.618+05:30NiceNiceAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/06437151534363513201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-40806813777891912232018-12-05T17:42:37.533+05:302018-12-05T17:42:37.533+05:30हमारे अति सम्मानित बड़े भाई बेशक आपके लेख पुरातन भ...हमारे अति सम्मानित बड़े भाई बेशक आपके लेख पुरातन भारतीय कला कौशल को नजरअंदाज करने का दर्द बयान करते है।लेकिन साथ ही यह भी सोचना चाहिए पकने के बाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति सदा के लिए समाप्त हो जाती है।अगर मिट्टी को जलने से नही रोका गया तो क्या जली मिट्टी के साथ वगैर वृक्ष एवं हरियाली मानव का अस्तित्व समाप्त नही हो सकता है?गुरू माँ और माटी को सम्मान दिए वगैर विकसित भारत का निर्माण नही हो सकता है। जय Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/01790786547794153743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-80817109807711288042018-03-09T17:26:47.358+05:302018-03-09T17:26:47.358+05:30बहुत सुंदर लगा ।बहुत सुंदर लगा ।सुजीत पाण्डेय छोटूhttps://www.blogger.com/profile/13660797768185047703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-86348195983328602612018-02-05T07:33:39.379+05:302018-02-05T07:33:39.379+05:30बहुत ही सुन्दर बात कही आपनेबहुत ही सुन्दर बात कही आपनेAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09916381735887243590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-76498126825143398872018-01-12T13:34:32.443+05:302018-01-12T13:34:32.443+05:30बहुत अच्छी बात कही जी आपने
बहुत अच्छी बात कही जी आपने<br />बवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-16921023941311962492018-01-09T23:15:33.315+05:302018-01-09T23:15:33.315+05:30आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’ऐतिहासिकता को जीवं...आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2018/01/blog-post_9.html" rel="nofollow">’ऐतिहासिकता को जीवंत बनाते वृन्दावन लाल वर्मा : ब्लॉग बुलेटिन’</a> में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-67795391167695540242018-01-09T14:29:04.270+05:302018-01-09T14:29:04.270+05:30पारम्परिक शिल्पकारों के दर्द को महसूस करता बहुत अच...पारम्परिक शिल्पकारों के दर्द को महसूस करता बहुत अच्छी जानकारी भरा आलेख। सचमुच मिट्टी के तवे खूब बिकते हुए दिखाई दे रहे हैं। बिगड़ते स्वाथ्य और जीवन शैली फिर लौटेगी उसी माटी के पास। आस और विश्वास जगाते रहिए अपने विचारों से। शुभकामनाएं....संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.com