tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post3134309592750498657..comments2024-03-18T14:44:38.702+05:30Comments on ललितडॉटकॉम: सुअरमार गढ़ब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-60681586585963509802018-08-12T07:34:02.724+05:302018-08-12T07:34:02.724+05:30Purane jamane ki bate bata kar aapne hame kritart ...Purane jamane ki bate bata kar aapne hame kritart kardiya thanks 🙏Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05866921476596668176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-85579898129237193462017-10-17T09:47:14.719+05:302017-10-17T09:47:14.719+05:30Bahut hi badiya prayas mahoday k dvra atit k goura...Bahut hi badiya prayas mahoday k dvra atit k gourav ab kho gya haiNeeluhttps://www.blogger.com/profile/01715831157840001487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-66654293835437783852013-04-13T10:59:05.334+05:302013-04-13T10:59:05.334+05:30ऐसे जीर्ण अवस्था मे पड़े महलों को देखकर अनायास ही द...ऐसे जीर्ण अवस्था मे पड़े महलों को देखकर अनायास ही दिल भर आता है की कभी ये भी बहुत आबाद रहे होंगे यहाँ भी हर्षो उल्लास से वशीभूत जीवन फला फुला होगा। जानकारी के लिए बहुत आभार Rajputhttps://www.blogger.com/profile/08136572133212539916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-70617710923852717162013-04-10T18:29:31.103+05:302013-04-10T18:29:31.103+05:30सुअरमार गढ़ की बहुत बढ़िया ऐतिहासिक जानकारी प्रस्त...सुअरमार गढ़ की बहुत बढ़िया ऐतिहासिक जानकारी प्रस्तुति हेतु आभार,कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-6887605009296814862013-04-10T08:55:47.610+05:302013-04-10T08:55:47.610+05:30बढि़या जानकारी दी आपने.
ठा उदय प्रताप सिंह एवं ठाक...बढि़या जानकारी दी आपने.<br />ठा उदय प्रताप सिंह एवं ठाकुर थियेन्द्र प्रताप सिंह के पिता ठा नरेन्द्र प्रताप सिंह जी, तोप से ले कर तमंचों तक, पालतू जानवरों-कुत्तों, मोटर-कार और मौसम विज्ञान के (सिद्धांत और व्यवहार दोनों में) प्रकाण्ड पंडित थे.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-65491447881876148082013-04-07T09:57:01.459+05:302013-04-07T09:57:01.459+05:30नामकरण एक नहीं कई कहानी लिये होते हैं, कभी कभी नाम...नामकरण एक नहीं कई कहानी लिये होते हैं, कभी कभी नाम पहले का ही चला रहता है और पूरा इतिहास उस पर बन जाता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-87157331184825727042013-04-04T21:39:40.027+05:302013-04-04T21:39:40.027+05:30इस पुरातात्विक विरासत को सहेजना बहुत जरुरी है !
बह...इस पुरातात्विक विरासत को सहेजना बहुत जरुरी है !<br />बहुत बढ़िया ऐतिहासिक जानकारी देने के लिए आभार !!Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-82282777902798710872013-04-04T21:02:27.553+05:302013-04-04T21:02:27.553+05:30समय कितना बलवान होता है ..
कल के महल आज जीर्ण शीर्...समय कितना बलवान होता है ..<br />कल के महल आज जीर्ण शीर्ण हालत में ..<br />पूरे अंचल में सोनई रूपई के मात्र किस्से ही बचे हैं ..<br />जानकारी ढंढ ढूंढकर निकालने का आपका प्रयास सराहनीय है ..<br />हमेशा की तरह ज्ञानवर्द्धक लेख के लिए आपका बहुत बहुत आभार !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-41828701201504035752013-04-04T20:41:06.787+05:302013-04-04T20:41:06.787+05:30अद्भुत यायावरी मैं कैसे मान लूँ की जगह घूम कर आये ...अद्भुत यायावरी मैं कैसे मान लूँ की जगह घूम कर आये हैं हमें भी समय दीजिये घुमाइए तो बात बने और हम आपकी बात माने .Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-19759855139824450512013-04-04T16:10:05.722+05:302013-04-04T16:10:05.722+05:30
सोना /रूपा करे झिलमिल झिलमिल , गीत याद आ रहा है ....<br />सोना /रूपा करे झिलमिल झिलमिल , गीत याद आ रहा है . शायद यही से सम्बंधित हो !<br />रोचक जानकारी सुअरमार गढ़ की !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-12197513419450149042013-04-04T10:54:57.327+05:302013-04-04T10:54:57.327+05:30जीर्ण शीर्ण अवस्था बची पुरातात्विक धरोहर को जानकार...जीर्ण शीर्ण अवस्था बची पुरातात्विक धरोहर को जानकारी और चित्रों के माध्यम से सहेजने का अत्यंत सराहनीय प्रयास... ऐसी कितनी ही ऐतिहासिक धरोहरें हैं जो उचित सुरक्षा के आभाव में अपना अस्तित्व खोती जा रही हैं. विस्तारपूर्वक जानकारी देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार... संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-58799609975043686872013-04-04T09:24:10.365+05:302013-04-04T09:24:10.365+05:30 Interesting , Lalit ji, नाम तो सूअरमार गढ़ रखा ... Interesting , Lalit ji, नाम तो सूअरमार गढ़ रखा पर सारे सूंवर नहीं मार पाए :)पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-44895183842862095022013-04-04T08:53:44.635+05:302013-04-04T08:53:44.635+05:30sunder postsunder postsourabh sharmahttps://www.blogger.com/profile/11437187263808603551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-32409714624751318472013-04-04T03:17:31.867+05:302013-04-04T03:17:31.867+05:30पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैं
ज़मीं जहाँ भ...पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैं<br />ज़मीं जहाँ भी खुले घर निकलने लगते हैं<br />मैं खोलता हूँ सदफ़ मोतियों के चक्कर में<br />मगर यहाँ भी समन्दर निकलने लगते हैं<br />हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मंज़र<br />सितारे धूप पहनकर निकलने लगते हैं<br />बुरे दिनों से बचाना मुझे मेरे मौला<br />क़रीबी दोस्त भी बचकर निकलने लगते हैं<br />बुलन्दियों का तसव्वुर भी ख़ूब होता है<br />कभी कभी तो मेरे पर Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16300672038952343251noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-60537825749906709202013-04-04T03:07:39.246+05:302013-04-04T03:07:39.246+05:30रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है
चाँद पागल है...रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है<br />चाँद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है<br />मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नही काट सकता<br />कोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता है<br />कल वहाँ चाँद उगा करते थे हर आहट पर<br />अपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता है<br />ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक है मगर दिल अक्सर<br />नाम सुनता है तुम्हारा तो उछल पड़ता है<br />उसकी याद आई है साँसों ज़रा धीरे चलो<br />धड़कनो से भी Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16300672038952343251noreply@blogger.com