tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post6758677141635526799..comments2024-03-18T14:44:38.702+05:30Comments on ललितडॉटकॉम: बलात्कार: कैसी सभ्यता एवं कैसा गर्व?ब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-57311089724640719682013-01-08T12:45:09.664+05:302013-01-08T12:45:09.664+05:30ना सभ्यता रही ना गर्व... संस्कारों और संस्कृति के ...ना सभ्यता रही ना गर्व... संस्कारों और संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाने वाले हमारे देश का सर आज शर्म से झुक हुआ है. जरुरत है, अपने घरों से शुरुआत करने की, घर- परिवार मिलकर ही समाज और देश का निर्माण करते हैं. सहमत हूँ आपके विचारों से संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-69913598784386931682013-01-08T09:32:58.956+05:302013-01-08T09:32:58.956+05:30आज का रहन-सहन और सोच बहुत प्रदूषित हो चुका है.चरित...आज का रहन-सहन और सोच बहुत प्रदूषित हो चुका है.चरित्र और व्यक्तित्व की गरिमा का महत्व समझें ऐसे संस्कार विकसित किये जाने की आवश्यकता है. प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-40896542359958575842013-01-07T22:23:28.029+05:302013-01-07T22:23:28.029+05:30दर्द भरा समाचार..दर्द भरा समाचार..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-5507351272841241312013-01-07T18:06:34.645+05:302013-01-07T18:06:34.645+05:30वक्त के साथ साथ सोच में भी बदलाव हुए हैं और अपनी स...वक्त के साथ साथ सोच में भी बदलाव हुए हैं और अपनी संस्कृति में भी <br /> कपड़ो से लेकर आचरण तक में बदलाव हुआ है ये दूषित समाज,हम जैसे ही लोगों की देना है ...वर्तमान में ये पीड़ी तो बर्बाद हो ही चुकी है ...आगे वालो को संभाल कर हम साथ चल ले ..वो भी बहुत होगा Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-22124463069468686992013-01-07T16:43:31.722+05:302013-01-07T16:43:31.722+05:30आपके विश्लेषण से सहमत आपके विश्लेषण से सहमत Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-35235733537286542322013-01-07T14:48:17.901+05:302013-01-07T14:48:17.901+05:30बलात्कार के लिए कोई एक कारक जिम्मेदार नहीं है बहुत...बलात्कार के लिए कोई एक कारक जिम्मेदार नहीं है बहुत से कारण है जिनके बारे में सोचना होगा और परिवारों को अपने बच्चों को संस्कार देने होंगे लेकिन शराब पर तो तत्काल रोक लगनी चाहिए !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-63838169500968597942013-01-07T14:09:16.825+05:302013-01-07T14:09:16.825+05:30Charity begins at home. Yah sab ghar se hee shuru ...Charity begins at home. Yah sab ghar se hee shuru hona chahiye. Bap apana aacharan sudhare. Ma beton ko behan aur ma ka aadar karna sikhaye. Rishtedaron dwara galat wyawhar hone par beti kee baat suni jaye na ki use aaropi ke katghare men khada kiy jaye. Sarkar to sharab dhadlle se bechati hai. Balatkar ke drushy filmon me kuch adhik wistar se filmaye jate hain in sabka mastishk par galat prabhawAsha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-14568979459900350852013-01-07T12:51:18.920+05:302013-01-07T12:51:18.920+05:30Spam ?????Spam ?????पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-82835699985445453572013-01-07T11:25:58.371+05:302013-01-07T11:25:58.371+05:30मर्यादा रखना----बहुत कुछ सही है ...और यह भी की हम ...मर्यादा रखना----बहुत कुछ सही है ...और यह भी की हम सब उसका पालन करे --पर जब जैसा देश वैसा वेश हो तो कपड़ो की मर्यादा मेरी समझ के परे है---फिर भी कपड़ो के द्वारा ज्यादातर सेक्स परोसा जाता है यह बात सही है ...पर कई बार सभ्य सोसायटी की अर्धनग्न लडकियो का खामियजा नादान और भोली भाली लडकियां ही बनती है दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-41694682996773266262013-01-07T10:45:27.431+05:302013-01-07T10:45:27.431+05:30इसे रोकने के लिए मर्यादित आचरण की आवश्यकता है। स्व...इसे रोकने के लिए मर्यादित आचरण की आवश्यकता है। स्वच्छंद आचरण करने वालों पर घर से ही रोक लगानी होगी। उन्हे शिक्षित कर मर्यादापूर्वक आचरण करना सिखाना होगा। तभी समाज में कुछ बदलाव आ सकता है। <br />भय व निंदा का कुछ कुछ असर होता है साथ ही मर्यादाओँ के महत्व के प्रसार से अधिक फायदा होने की सम्भावना है, स्वच्छंदता के मनमौजी प्रचारक और स्वतंत्रता या पक्षपात को बहाना बनाकर इन स्वच्छंदताओँ को उकसाने वाले सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-17537309361012934202013-01-07T10:45:12.755+05:302013-01-07T10:45:12.755+05:30ललित जी, स्पष्ठ्वादिता में विश्वास रखता हूँ। कुछ ब...ललित जी, स्पष्ठ्वादिता में विश्वास रखता हूँ। कुछ बाते स्ट्रेटफॉरवर्ड वे में कहना चाहूँगा ; <br />1) देने को तो हम न जाने क्या-क्या संस्कृति की दुहाइया देते फिरते है, मगर लोग टुच्चे है (ज्यादातर ) मानसिकता निहायत टुच्ची है। मा-बाप जैसे संस्कार बच्चों के समक्ष पेश करेंगे, उनपर वे काफी हद तक परिलक्षित होंगे। <br />2) जब लोगो की मानसिकता निम्न दर्जे की है तो सरकार कहाँ से भली आयेगी? क्योंकि सरकार पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-35920411199267821412013-01-07T09:33:39.389+05:302013-01-07T09:33:39.389+05:30मन दुखी कर जाते हैं ये समाचार..मन दुखी कर जाते हैं ये समाचार..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-45071867614435254212013-01-07T08:57:45.396+05:302013-01-07T08:57:45.396+05:30ऐसे हादसों में मुख्य भूमिका हमारे समाज का दोहरा नि...ऐसे हादसों में मुख्य भूमिका हमारे समाज का दोहरा नियम है |जिसमे लड़के के लिए अलग नैतिक मूल्य और लड़कियों के लिए अलग निर्धारित कर रखे हैं समाज ने | यदि परिवार में नैतिक मूल्यों का पाठ अपने बेटों को सिखाया जाये तो ऐसी घटनाएँ जन्म ही न लें , माना , नारी परिधान में उतेज़क पहनावे पश्मिकरण की होड़ है ,परन्तु जहाँ २.साल और ४ साल की बच्चियों के साथ ,बुजुर्ग महिलाओं के साथ ऐसी हादसे होते उनका क्या परिधान डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) https://www.blogger.com/profile/00271115616378292676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-14633358347389955362013-01-07T08:25:37.445+05:302013-01-07T08:25:37.445+05:30कानूनों की कठोरता भ्रष्टाचार बढा सकती है। ऐसे अपरा...कानूनों की कठोरता भ्रष्टाचार बढा सकती है। ऐसे अपराधों को रोकने के लिये पारिवारिक संस्कारों की खास भूमिका है जिनका निरंतर पतन हो रहा है।डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-64712722461101964962013-01-07T07:30:19.615+05:302013-01-07T07:30:19.615+05:30दिनेशराय द्विवेदी - सामान का आशय वस्तु से नहीं लगा...दिनेशराय द्विवेदी - सामान का आशय वस्तु से नहीं लगाया जा रहा है। यहाँ इसे इज्जत के संदर्भ में लिया गया है और इज्जत की रक्षा करने की जिम्मेदारी माँ-बाप से लेकर सारे परिवार की बनती है।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-73387403490894178402013-01-07T07:23:32.535+05:302013-01-07T07:23:32.535+05:30यात्री वाहनों में लिखा रहता है कि "यात्री अपन...यात्री वाहनों में लिखा रहता है कि "यात्री अपने समान की सुरक्षा स्वयं करे।" मैं इसे सही मानता हूँ। जिसका सामान है उसे सुरक्षा स्वयं करनी चाहिए। दूसरा कोई व्यक्ति आपके सामान की सुरक्षा क्यों करेगा? उसे भी तो अपने सामान की सुरक्षा करनी है। माता-पिता और पालक को ही ध्यान रखना है कि उसका बच्चा कहीं गलत संगत में तो नहीं पड़ गया। वह कैसा आचरण कर रहा है। क्या पहन रहा है क्या खा-पी रहा है। कहाँ दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com