tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post7030111629679749942..comments2024-03-18T14:44:38.702+05:30Comments on ललितडॉटकॉम: गाँव,गरमी का मौसम,आम-इमली और लाठी-डंडेब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-25560422706048119722011-09-19T18:05:08.257+05:302011-09-19T18:05:08.257+05:30मजेदार संस्मरणमजेदार संस्मरणमास्टर जीhttps://www.blogger.com/profile/03462418033578143111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-6871720158375865472010-05-03T22:55:30.801+05:302010-05-03T22:55:30.801+05:30ललित भाई
इधर कुछ मित्रों से चर्चा हो रही थी वे छत...ललित भाई <br />इधर कुछ मित्रों से चर्चा हो रही थी वे छत्तीसगढ़ में एक ब्लागर मीट का आयोजन करने के पक्ष में हैं। क्या हो सकता है कैसे हो सकता है मैं इस विषय पर कल आपसे चर्चा करता हूं।राजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-81605619015116431902010-05-03T22:25:12.157+05:302010-05-03T22:25:12.157+05:30बड़ी अच्छा वृतांत है। जीवन की इन्ही मधुर स्मृतियों...बड़ी अच्छा वृतांत है। जीवन की इन्ही मधुर स्मृतियों में जी लेना ही शायद जिन्दगी है।बाकी आपकी सलाह नियमित रूप से मिल रही है.. सलाह के लिए धन्यवाद।<br />शेषराजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-6598876163643153202010-05-03T17:22:18.265+05:302010-05-03T17:22:18.265+05:30अरे ये सारे दिन तो अब जैसे अब भिखारी बना कर गुजर ग...अरे ये सारे दिन तो अब जैसे अब भिखारी बना कर गुजर गए ..<br />बड़े किस्से हैं .. अच्छा लिखा है आपने ..Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-43897447516289956212010-05-03T09:58:52.500+05:302010-05-03T09:58:52.500+05:30हम तो पहले से ही जानते हैं कि ऐसे ऐसे कई गुलगपाडे ...हम तो पहले से ही जानते हैं कि ऐसे ऐसे कई गुलगपाडे किये हुये होवोगे वर्ना ताऊ की भतिजागिरी करना सहज बात नही है.:)<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-66146691117477108662010-05-03T09:20:04.429+05:302010-05-03T09:20:04.429+05:30वाह ललित भाई! स्कूल के जमाने की याद दिला दी!!
&qu...वाह ललित भाई! स्कूल के जमाने की याद दिला दी!!<br /><br /><b>"इमली की खटाई की मिठास ऐसी होती है जिसका नाम सुन कर ही मुंह में पानी आ जाता है।"</b><br /><br />आपने इमली के 'लाटा' वाली बात तो बताई ही नहीं, गर्मी आई नहीं कि बचपने में हम तो हमारी मित्र-मण्डली के साथ लाटा कूटने में व्यस्त हो जाया करते थे। (पकी इमली को बीज निकाल कर नमक मिर्च के साथ कूट कर लाटा बनाया जाता है।)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-90231579216489664292010-05-03T08:33:52.595+05:302010-05-03T08:33:52.595+05:30रोचक संस्मरण ललित भाई। मजा आ गया। कुछ यादे ताजी कर...रोचक संस्मरण ललित भाई। मजा आ गया। कुछ यादे ताजी कर दी आपने।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन<br />09955373288<br />www.manoramsuman.blogspot.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-71236409538820487442010-05-03T07:00:58.736+05:302010-05-03T07:00:58.736+05:30समझ गये महाराज,
पात चीकने थे आपके शुरू से ही।(होन...समझ गये महाराज, <br />पात चीकने थे आपके शुरू से ही।(होनहार बिरवान) :)<br /><br />दिल्ली के लोगों की जानकारी की बात अक्षरश: ठीक है, और मुझे जहां इस बात पर शर्म आती थी, मैंने देखा है कि और लोग इस बात को अपनी बड़ाई मानते थे।<br />खुशकिस्मती से हमने दिल्ली में रहते हुये ही पेड़ से तोड़कर जामुन बहुत खाये हैं, लेकिन बहुत छोटे रहते हुये। फ़िर न तो पेड़ रहे और न जामुन।<br />बचपन के दिन भी क्या दिन थे।<brसंजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-90026236244607709872010-05-03T06:12:37.853+05:302010-05-03T06:12:37.853+05:30ललित जी
चोरी को गुड मिठो |
हम भी अपने खेत में मतीर...ललित जी<br />चोरी को गुड मिठो |<br />हम भी अपने खेत में मतीरे व ककड़ी होने के बावजूद रात में दूसरों के खेतों में मतीरे खाने चले जाते थे और चोरी के मतिरों में जो मजा आता था वो अपने खेत के पके मतिरों में भी नहीं आता था |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-12692934179244333312010-05-03T05:49:34.323+05:302010-05-03T05:49:34.323+05:30चोरी के आम ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं।चोरी के आम ज्यादा स्वादिष्ट होते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-42500752572781811852010-05-03T05:20:52.290+05:302010-05-03T05:20:52.290+05:30याने के बचपन से...सिद्धहस्त रहे महाराज!! :)
हा हा...याने के बचपन से...सिद्धहस्त रहे महाराज!! :)<br /><br />हा हा!! मजेदार किस्सा!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-413267501241977172010-05-03T05:05:47.725+05:302010-05-03T05:05:47.725+05:30मजेदार संस्मरण
तो आप ऐसे थेमजेदार संस्मरण<br />तो आप ऐसे थेM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com