tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post8069202790532722425..comments2024-03-18T14:44:38.702+05:30Comments on ललितडॉटकॉम: पितृ तृप्तिकरण परियोजना --- ललित शर्माब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-54906506204751364952012-10-01T18:48:47.681+05:302012-10-01T18:48:47.681+05:30sundar rochk aalekh...sundar rochk aalekh...kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-87113640461876499362012-10-01T16:41:19.291+05:302012-10-01T16:41:19.291+05:30क्या बढ़िया सटीक वर्णन किया है.क्या बढ़िया सटीक वर्णन किया है.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-50453123943782021852012-10-01T11:52:06.260+05:302012-10-01T11:52:06.260+05:30साल में एक बार पितरो के नाम पर ब्राह्मणों को खिलाय...साल में एक बार पितरो के नाम पर ब्राह्मणों को खिलाया जा सकता है. इसलिए सभी लोग ऐसा करते हैं . :):) <br /> रोज यहीं मेरे से खैनी मांग कर खाते गपियाते रहते हैं, आज काम पड़ा तो नक्शा ही बदल गया। ///<br /><br /> ये तो सबके साथ ही जरुर होता है जिस दिन काम रहता है उस दिन बाबा जी अपना भाव बढ़ा देते हैं .. ...Nandan kumarhttps://www.blogger.com/profile/07246606213733551482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-19703191515699635402011-09-21T20:30:03.004+05:302011-09-21T20:30:03.004+05:30बने गोठियाये हस भईया... दुनिया भर ल समेत लेथस अपन...बने गोठियाये हस भईया... दुनिया भर ल समेत लेथस अपन लेखन म अउ कोनो मेर संकरी टूटय घला निही... <br />सादर...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-40731245640884318922011-09-21T16:28:02.390+05:302011-09-21T16:28:02.390+05:30ललित जी नमस्कार। बहुत सुन्दर आलेख साथ ही हास्य का ...ललित जी नमस्कार। बहुत सुन्दर आलेख साथ ही हास्य का पुट भी है। बधाई रचना के लिये आपको ।Suman Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/07363575569674298981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-29092967320224360592011-09-21T14:31:10.215+05:302011-09-21T14:31:10.215+05:30वाह जी वाह, क्या खूब वर्णन किया आपने, आजकल ये आम स...वाह जी वाह, क्या खूब वर्णन किया आपने, आजकल ये आम समस्या है, सभी गृहणियों और गृहस्वामियों को इसी तरह की परिस्थितियों से दो चार होना पड़ता है.....आपके लेख ने खूब सही खाका खींचा....बधाई<br />ये बढ़िया रही --पंडित जी को भी पंडित ढूंढना पड़ा ।vidhyahttps://www.blogger.com/profile/04419215415611575274noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-39935763820323015792011-09-21T13:18:32.574+05:302011-09-21T13:18:32.574+05:30धन्य होंगे वे पंडित .. जिन्होने सामाजिक जीवन जीन...धन्य होंगे वे पंडित .. जिन्होने सामाजिक जीवन जीने के लिए ऐसे ऐसे कर्मकांड बनाए .. प्रकृति में मौजूद कण कण को कभी न कभी महत्व मिल जाया करता है .. बाकी <b>जीयत पिता से दंगम दंगा, मरे पिता को पहुंचाए गंगा</b> मेरे हिसाब से भी बेकार ही है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-44437938895476736832011-09-21T13:06:16.864+05:302011-09-21T13:06:16.864+05:30बहुत रोचक मगर सही खाका खींचा है।बहुत रोचक मगर सही खाका खींचा है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-34726875904916293002011-09-20T22:51:25.920+05:302011-09-20T22:51:25.920+05:30खूब ... हर पक्ष समेट लिया आपनेखूब ... हर पक्ष समेट लिया आपने डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-86002388271487483732011-09-20T21:39:34.067+05:302011-09-20T21:39:34.067+05:30बहुत दिलचस्प .... बहुत रोचक ...बहुत दिलचस्प .... बहुत रोचक ...Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-73759400673113653942011-09-20T20:40:20.995+05:302011-09-20T20:40:20.995+05:30बहुते सटीक लिखा.
रामराम.बहुते सटीक लिखा.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-24292024706558893242011-09-20T18:15:48.760+05:302011-09-20T18:15:48.760+05:30सबसे पहले तो ५००वी पोस्ट के लिए बहुत -बहुत बधाई......सबसे पहले तो ५००वी पोस्ट के लिए बहुत -बहुत बधाई...रोचक वर्णन...बहुत सी नई जानकारियां भी मिली और साथ में जबर्दस्त्त व्यंग...आभार इस रोचक पोस्ट के लिए....संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-9468804922585510302011-09-20T17:52:31.893+05:302011-09-20T17:52:31.893+05:30ये बढ़िया रही --पंडित जी को भी पंडित ढूंढना पड़ा ।...ये बढ़िया रही --पंडित जी को भी पंडित ढूंढना पड़ा ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-76530433968121019422011-09-20T17:31:59.356+05:302011-09-20T17:31:59.356+05:30पिटर से लेकर कौवों तक सभी की व्याख्या कर डाली.जबर्...पिटर से लेकर कौवों तक सभी की व्याख्या कर डाली.जबर्दस्त्त बन पड़ा है व्यंग.काश ये प्रथा गरीब बच्चों को खिलाने की होती.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-27980692811842371942011-09-20T14:53:49.150+05:302011-09-20T14:53:49.150+05:30पितरों को खुश करने के बहाने और लोग खुश हो लेते हैं...पितरों को खुश करने के बहाने और लोग खुश हो लेते हैं .....रेखाhttps://www.blogger.com/profile/14478066438617658073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-56695891968826065132011-09-20T12:45:44.189+05:302011-09-20T12:45:44.189+05:30हा हा हा हा करारा पितर मनाया आपने हमे ही बुला लेत...हा हा हा हा करारा पितर मनाया आपने हमे ही बुला लेते गुरूदक्षिणा और पितर दक्षिणा कट मट हो जाती और स्वादिष्ट खाना मिलता सो अलगArunesh c davehttps://www.blogger.com/profile/15937198978776148264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-75265954321748714812011-09-20T10:47:39.785+05:302011-09-20T10:47:39.785+05:30एकदम सार्थक लेखन. इस परियोजना के अंतर्गत पितर खुश ...एकदम सार्थक लेखन. इस परियोजना के अंतर्गत पितर खुश हों या न हो पर पुरोहित का खुश होना वाकई जरुरी हैP.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-22555232976713569512011-09-20T10:34:58.989+05:302011-09-20T10:34:58.989+05:30पितरों को स्मरण करने का अच्छा पर्व है लेकिन कर्म...पितरों को स्मरण करने का अच्छा पर्व है लेकिन कर्मकाण्ड में उलझते ही जा रहे हैं। ये कौवे भी समूह बनाकर झील किनारे बैठे रहते हैं, मैनें तो इन्हें वहीं देखा है इन दिनों। बहुत अच्छा लिखा है आनन्द आ गया।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-62907848486403001732011-09-20T09:58:01.087+05:302011-09-20T09:58:01.087+05:30भगवान का लाख -लाख शुक्र हैं की आपकी श्रीमती जी &#...भगवान का लाख -लाख शुक्र हैं की आपकी श्रीमती जी 'ब्लोगिग' में नहीं आई ..वरना आज तो आपको ही खीर -पुरी बनानी पड़ती ... और पितरो को महा खुश करना पड़ता ? मजा आ गया ? आखिर कोई तो माँ का लाल (कव्वा ) मिला ? तुम्हे ठीक करने वाला ?दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-65471627204953068292011-09-20T09:52:52.711+05:302011-09-20T09:52:52.711+05:30@आचार्य सतीश महाराज! पूर्वजों को तो हम साल भर याद ...@आचार्य सतीश महाराज! पूर्वजों को तो हम साल भर याद करते हैं, १५ दिन का तो कोई लोचा नहीं है.बस बात ये है की पूर्वजों के नाम से जीभ के चटखारे ले लिए जाएं, यही सही है.........:)ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-75160126549489139902011-09-20T09:41:28.942+05:302011-09-20T09:41:28.942+05:30जब हम छोटे थे तो एक चुटकला सुना था की एक बार एक जा...जब हम छोटे थे तो एक चुटकला सुना था की एक बार एक जाट और एक पंडित बद्रीनाथ तीर्थ दर्शन करने गए तो जब बहुत उचाई पर पहुँच गए वहाँ जाकर जाट देवता बोले पंडित जी जो कोई ऊपर तै गिर जै तो कै बचे ? पंडित बोल्या फेर कै बचे फेर तो गरुड ही बचे । हरयानवी मे बचने को पढनाभी कहते है । तो ललित जी गरुड बाचने की मन मे कैसे आ गयी। खैर ये तो रही बात हंसी की अब मुद्दे की बात पर आते है । <br /> क्या Alakh Yogihttps://www.blogger.com/profile/10945638803646925075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-77774618499467755372011-09-20T09:35:41.285+05:302011-09-20T09:35:41.285+05:30बहुत ही रोचक यतार्थ को चितरण करता वर्णन
यहा पधा...बहुत ही रोचक यतार्थ को चितरण करता वर्णन <br /><br />यहा पधारें <br />http://sbhamboo.blogspot.com/2010/09/blog-post_26.htmlSurendra Singh Bhamboohttps://www.blogger.com/profile/11382942026842555156noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-79944196584453825912011-09-20T09:28:59.632+05:302011-09-20T09:28:59.632+05:30होश उड़ा देने वाले कर्मकाण्ड के बीच पितरों का स्...होश उड़ा देने वाले कर्मकाण्ड के बीच पितरों का स्मरण...Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-52650219575289133342011-09-20T09:07:54.436+05:302011-09-20T09:07:54.436+05:30पूरा दृश्य मानों आँखों के सामने साक्षात चल रहा था....पूरा दृश्य मानों आँखों के सामने साक्षात चल रहा था...रोचक वर्णन...कई नई बातें भी पता चली...आभार इस रोचक पोस्ट के लिएराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-27727396971147583072011-09-20T08:58:36.944+05:302011-09-20T08:58:36.944+05:30मज़ा आ गया , पूरा दृश्य सचित्र घूम गया ..... इसीलि...मज़ा आ गया , पूरा दृश्य सचित्र घूम गया ..... इसीलिए संभवतः बच्चन जी कह गए - तर्पण अर्पण करना मुझको पढ़ पढ़ करके मधुशाला ....रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com