tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post2917501049961024800..comments2024-03-18T14:44:38.702+05:30Comments on ललितडॉटकॉम: पाली के शिव मंदिर की मिथुन मूर्तियाँ-------- ललित शर्माब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-86611146424725561442017-10-04T19:50:19.789+05:302017-10-04T19:50:19.789+05:30NICE information sir gNICE information sir gAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/17536068848039560926noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-78224807455923305852016-12-09T23:44:07.673+05:302016-12-09T23:44:07.673+05:30ज्योति जी, इस विषय में अन्य जानकारियाँ इस ब्लॉग़ पर...ज्योति जी, इस विषय में अन्य जानकारियाँ इस ब्लॉग़ पर हैं…… http://chhattisgarhturism.blogspot.in/2014/06/blog-post_29.htmlब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-4294265865551254812016-12-07T23:47:06.109+05:302016-12-07T23:47:06.109+05:30वो काल व्यक्ति के उन्मुक्त व स्वतंत्र विचारों का र...वो काल व्यक्ति के उन्मुक्त व स्वतंत्र विचारों का रहा होगा।दूसरा तथ्य ये भी हो सकता है की काम अर्थ मोक्ष ही जीवन का सही उपक्रम है।तो मंदिर में मोक्ष से पूर्व काम की प्राप्ति का गुप्त सन्देश इन मूर्तियों के माध्यम से दिया गया हो।<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/15630300229040847551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-67582416188296276412016-03-10T10:26:13.774+05:302016-03-10T10:26:13.774+05:30मुझे लगता है भारत के प्राचीन मंदिर प्रवृत्ति और नि...मुझे लगता है भारत के प्राचीन मंदिर प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों पक्षों की वास्तविकता का आभास कराते थे।मंदिर की परिकल्पना मानव शरीर के अनुरूप की गयी थी जिसके बाह्य भाग में भौतिक वासनाएं, कामनाएं हैं जबकि आंतरिक तल पर गर्भगृह में देवरूप आत्मा स्थित है। स्वयं को तभी जाना जा सकता है जब हम बाहरी भौतिक संसार की वास्तविकताओं को जान कर अपने अंतर में आत्मिक धरातल पर उतर जाएं।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/18085712386264550791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-88784896569318653602012-08-28T23:02:37.329+05:302012-08-28T23:02:37.329+05:30अद्भुत स्थान का सजीव चित्रण। अद्भुत स्थान का सजीव चित्रण। डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swamihttps://www.blogger.com/profile/15313541475874234966noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-78073578457900910192012-08-27T05:57:18.931+05:302012-08-27T05:57:18.931+05:30जब-जब समाज में निवृत्ति की प्रधानता होने लगी समाज...जब-जब समाज में निवृत्ति की प्रधानता होने लगी समाजिक जीवन की वास्तविकताओं से पलायन का माहौल बन गया तब ,प्रवृत्ति मार्ग की ओर आकर्षित करने के लिये,सामाजिकता और सांसारिकता के निर्वाह के लिये तत्कालीन विचारकों को यही उपाय समझ में आया .प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-34379122365365177272012-08-26T19:50:29.491+05:302012-08-26T19:50:29.491+05:30पुरातत्व से आपका रोमांस दिनों-दिन परवान चढ़ रहा है...पुरातत्व से आपका रोमांस दिनों-दिन परवान चढ़ रहा है राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-34583939883424293622012-08-26T11:42:07.243+05:302012-08-26T11:42:07.243+05:30आज भी हमारी शिल्प धरोहर सही सलामत है ...और आपके द्...आज भी हमारी शिल्प धरोहर सही सलामत है ...और आपके द्वारा हम ऐसी जगहों की तफरीह कर लेते है जहाँ जाने की हम सोच भी नहीं सकते ..बहुत ही गंभीर विषय है की उस समय ऐसी शिल्पकारी का बोल- बाला क्यों था ..? क्यों सभी जगह शिल्पों ने ऐसी मिथुन मूर्तियों का निर्माण करवाया ? जहाँ हम सभी व्यक्ति अपने बच्चो को साथ लेकर नहीं जा सकते...? क्यों उस युग में योन शिक्षा का माध्यम मंदिर थे ..? जब मैने खोजा तो मुझे मालुम दर्शन कौर धनोयhttps://www.blogger.com/profile/06042751859429906396noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-85422567209212328332012-08-26T11:25:37.816+05:302012-08-26T11:25:37.816+05:30सजीव वर्णनसजीव वर्णनvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-37065499222911016022012-08-26T08:39:22.310+05:302012-08-26T08:39:22.310+05:30मिथुन मूर्तियों और अभिलेख का सुन्दर वर्णन साथ ही आ...मिथुन मूर्तियों और अभिलेख का सुन्दर वर्णन साथ ही आपके यायावर जीवन को प्रणाम Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-49742509191910535122012-08-26T00:51:24.050+05:302012-08-26T00:51:24.050+05:30कभी छायाचित्रकार को भी याद कर लिया करो.कभी छायाचित्रकार को भी याद कर लिया करो.पंकज सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08436016400791842502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-77445194120983268662012-08-25T18:13:56.993+05:302012-08-25T18:13:56.993+05:30सटीक व सजीव वर्णन...सटीक व सजीव वर्णन...cgswarhttps://www.blogger.com/profile/10205871790688504261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-73347244409244073672012-08-25T15:32:46.651+05:302012-08-25T15:32:46.651+05:30अद्भुत शिल्प है इन प्राचीन मूर्तियों का, एक शिल्पक...अद्भुत शिल्प है इन प्राचीन मूर्तियों का, एक शिल्पकार ने शिल्पकार की कल्पना को अच्छी तरह समझा है.... सुन्दर आलेख के लिए आभार संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-24384291299753091782012-08-25T14:47:10.077+05:302012-08-25T14:47:10.077+05:30@ अभिलेख में कलचुरि शासक जाजल्लदेव द्वारा जीर्णोद...@ अभिलेख में कलचुरि शासक जाजल्लदेव द्वारा जीर्णोद्धार कराने का जिक्र है. <br /><br />अर्थात् यह मन्दिर 11 वीं शताब्दी से भी प्राचीन सिद्ध होता है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-68911097473032013102012-08-25T14:28:08.392+05:302012-08-25T14:28:08.392+05:30@इस मामले में मनुष्य / देव / दानव / गन्धर्व वगैरह ...@इस मामले में मनुष्य / देव / दानव / गन्धर्व वगैरह वगैरह को 'काम'रेड कह सकते हैं क्या ? :)<br /><br />क्या बोल दिया आपने....<br />वामपंथियों ने सुन लिया तो गज़ब हो जाएगा.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-60342960720478830572012-08-25T14:15:50.344+05:302012-08-25T14:15:50.344+05:30अभिलेख में कलचुरि शासक जाजल्लदेव द्वारा जीर्णोद्ध...अभिलेख में कलचुरि शासक जाजल्लदेव द्वारा जीर्णोद्धार कराने का जिक्र है. मिथुन मूर्तियों की भाषा तो आपने बेहतर पढ़ी है, अन्य पाठक भी समझदार हैं.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-8545926160237148832012-08-25T13:52:07.592+05:302012-08-25T13:52:07.592+05:30 खजुराहो का शिल्प भी यहां देखने मिलता है। एक मूर्त... खजुराहो का शिल्प भी यहां देखने मिलता है। एक मूर्ति में संभोग से समाधि की ओर जाते हुए गंधर्व एवं अप्सरा दिखाई दिए। मंदिरों में मिथुन मूर्तियाँ उत्कीर्ण करने की परम्परा से प्रतीत होता है कि यौनशिक्षा का माध्यम कभी मंदिरों का शिल्प रहा होगा..............पर खुजराहों ,अजंता एलोरा और अब पाली ...हर जगह इस तरह की ही मूर्ति निर्माण क्यों किया गया ?<br />इस के पीछे शिल्पकारों की क्या सोच रही होगी ????Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-62646146368221696862012-08-25T12:45:05.143+05:302012-08-25T12:45:05.143+05:30इतनी लंबी यात्रा मुफ्त में करवाने के लिए धन्यवाद
...इतनी लंबी यात्रा मुफ्त में करवाने के लिए धन्यवाद <br /><br />स्वास्थ्य से सम्बंधित कभी भी किसी भी जानकारी के लिए आप फोन भी कर सकते हैं.alka mishrahttps://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-55594705867349235512012-08-25T11:11:02.151+05:302012-08-25T11:11:02.151+05:30बढ़िया परिचय कराया पाली का...
आभार ! बढ़िया परिचय कराया पाली का...<br />आभार ! Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-69891189035857515242012-08-25T08:52:27.707+05:302012-08-25T08:52:27.707+05:30उस समय के अन्य स्थापत्य शैलियों में कितनी गहरी समा...उस समय के अन्य स्थापत्य शैलियों में कितनी गहरी समानता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-70239674675543849202012-08-25T08:02:04.451+05:302012-08-25T08:02:04.451+05:30@अली सैयद
गंभीरता से दिल पर बोझ होने का खतरा है, ...@अली सैयद<br /><br />गंभीरता से दिल पर बोझ होने का खतरा है, इसलिए हल्के-फ़ुल्के में ही लेना प्रियकर है। :)ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-84876206586979869092012-08-25T07:58:49.468+05:302012-08-25T07:58:49.468+05:30@ लेखक के मन की मौज ,
मुझे लगा कि वो बात आपने सीर...@ लेखक के मन की मौज ,<br /><br />मुझे लगा कि वो बात आपने सीरियसली कही है :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-66493329435973582752012-08-25T06:40:54.853+05:302012-08-25T06:40:54.853+05:30@अली सैयद
@लेखक के मन की मौज,समझने वाले समझ जाएं,...@अली सैयद<br /><br />@लेखक के मन की मौज,समझने वाले समझ जाएं, न समझे वो अनाड़ी हैं:)<br /><br />@वहाँ लालझंडी नही लगी है। :)<br /><br /><br />ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8109392545841681205.post-76703537759373929452012-08-25T06:34:42.691+05:302012-08-25T06:34:42.691+05:30सुन्दर पाषाण अभिलेख !
मिथुनरत मूर्ति को गन्धर्व ,...सुन्दर पाषाण अभिलेख !<br /><br />मिथुनरत मूर्ति को गन्धर्व , अप्सरा क्यों कहा आपने ?<br /><br />इस मामले में मनुष्य / देव / दानव / गन्धर्व वगैरह वगैरह को 'काम'रेड कह सकते हैं क्या ? :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.com