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शनिवार, 5 दिसंबर 2009

दांत के डॉक्टर का कारनामा, लूटने में कोई कसर बाकी नहीं

मैं रात को बस से जगदलपुर से आ रहा था. मेरे दांत में अचानक दर्द हो गया, बस में लेटे-लेटे दर्द से व्याकुल हुआ तो आखिर में बेग में पड़ी एक दर्द निवारक दवाई लेनी ही पड़ गई,

सोचा थोडा दर्द कम हो जायेगा. लेकिन दवाई लेने के बाद भी दर्द कम नहीं हुआ. जैसे-तैसे रात कटी. सुबह घर पहुंचा. अब दांत के डाक्टर को दांत दिखाना चाहिए, नहीं तो दर्द के मारे बुरा हाल हो जायेगा.

ये सोच कर मैंने दांत के डाक्टर की तलाश की, वैसे तो शहर में सैकड़ों डाक्टर हैं, पर मैं थोडा विश्वास का डाक्टर चाहता था.

एक बार पहले भी एक दांत निकलवाया था. मैं पता करके डाक्टर के पास पहुंचा, तो हमारे विख्यात चित्रकार डी.डी. सोनी जी मिल गए, वो बोले कहाँ ? डाक्टर के पास जाते हो?

मैं एक मंजन बताता हूँ, उसे लगाओ और दांत की सारी बीमारी ठीक हो जाएगी. मैंने उनकी बात की तरफ ध्यान ही नही दिया और डाक्टर की क्लिनिक में घुस गया.

एक बहुत सुन्दर सुसज्जित केबिन जिसमे कंप्यूटर आदि लगा कर सजाया गया था, डाक्टर ने मेरा दांत देखा, और कहा कि आपका जो दांत निकला हुआ है.

उसे फिर से लगाना पड़ेगा कई दांत दिखाए और नाप देने को कहा. मैंने कहा कि अभी मै बाहर दौरे पर जा रहा हूँ, आने के बाद नाप दे दूंगा. पहले इस दर्द का इलाज करो, पेन किलर से भी ठीक नहीं हो रहा है.

उसने कहा कि आप 1000 रूपये जमा करवा दो, मैंने 1000 रूपये जमा कर दिए. उसने कहा कि आपके दांतों की सफाई करने पड़ेगी,फिर दर्द ठीक हो जायेगा.

कुर्सी पर बिठा कर दांत की सफाई कर दी और लग-भग 500 रूपये की गोली दवाई पेस्ट इत्यादि लिख दिया. हमारी दुबारा मिलने की तारीख भी तय हो गई जब दांत का नाप देना था.

उसने कहा कि जब आप दुबारा आवोगे तो आपके दांत की सफाई एक बार और कर दूंगा, उसका चार्ज नहीं लगेगा.

अब मै दौरे पर चला गया, कुछ दिन तो दर्द ठीक रहा, लेकिन एक दिन फिर शुरू हो गया, मैं फिर से उस डाक्टर के पास गया. तो उसने एक दांत की कीमत 800 से 2000 तक बताई, और एक दांत के लिए तीन दांत लगाने पड़ेंगे.

मैं अब समझ चूका था कि ये डाक्टर "माल प्रैक्टिस" पर उतर आया है. मैंने कहा आप दांत की सफाई कर दो. तो उसने देख कर कहा कि अब सफाई की जरुरत नहीं है. अभी कुछ दिन पहले तो की थी.

मैंने कहा अब मेरा हिसाब कर दो, जो मैंने 1000 रूपये जमा करवाए हैं. देखो उसमे से कितने रूपये बचे हैं ? मुझे वापस कर दो. मुझे नए दांत नहीं लगवाने.

डाक्टर बोला वो तो हो गए दांत सफाई के, अब मुझे काटो तो खून नहीं. जिस दांत की सफाई 60 रूपये में करवाई थी. उसके एक हजार रूपये. मैं अपना बैग उठा कर चुपचाप चला आया,

आते ही मैंने डी.डी. सोनी के बताये हुए 40 रूपये के मंजन को मंगवाया और उसका इस्तेमाल किया, तब से आज तक दांत में दर्द नहीं हुआ है.

आज कल कुछ डाक्टर भी ऐसे हैं जो मर्ज से पहले मरीज को ही ठिकाने लगाने का काम करते हैं, बेख़ौफ़ हो कर. सारे नहीं डाक्टर ऐसे नही हैं, लेकिन कुछ हैं जिन्होंने इस पेशे को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है..किसी ने सही कहा है:-

इनको  क्या  काम  है मुरव्वत से 
ये  अपने  रुख  से  मुंह  ना मोड़ेंगे 
फरिस्ते  शायद  जान  छोड़ भी दें
पर डाक्टर अपनी फ़ीस ना छोड़ेंगे

12 टिप्‍पणियां:

  1. ललित भइया, अतेक बड़ पत्रकार होके भी ठगा गे गा?

    फरिश्ते तो जान छोड़ देते हैं भैया पर यमदूत कभी नहीं छोड़ते!

    हमारे भी दाँत में अक्सर दर्द उठते रहता है। कृपया मंजन के बारे में सूचित करें।

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  2. क्‍या टिप्‍पणी करें? राजधानी में रहने का आनन्‍द ही कुछ और है, छोटे शहरों मे इतनी लूटपाट नहीं है। चलिए एक हजार से ही जान छूटी, नहीं तो पूरी बत्तीसी ही लगाकर छोड़ता वो डाक्‍टर।

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  3. फरिस्ते शायद जान छोड़ भी दें
    पर डाक्टर अपनी फ़ीस ना छोड़ेंगे
    बिलकुल सेही कहा जी जिन्हें लोग भगवान मानते हैं वो आज कसाई बन गयी हैं । शुभकामनायें

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  4. अपनी एक पुरानी कविता जो दाँत के दर्द मे लिखी थी ---
    "ज़िन्दगी में किसी को बद्दुआ ना दो
    और दो तो बस यही
    कि जा..तुझे दाँत का दर्द हो जाये "
    आपकी तो किसी से दुश्मनी नही है भैया फिर....?

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  5. मित्र ने कहा मंजन लगाने को और आप चूना लगवाने चल दिए :-)

    बी एस पाबला

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  6. शुक्र है सस्ते में छूट गए
    वर्ना हो सकता है कुछ दिन बाद नकली बत्तीसी लगाए घूमते
    आज डाक्टरी व प्रापर्टी डीलरी में कोई फ़र्क़ नहीं रह गया है...
    दोनों ही कमीशन खा रहे हैं (कुछ को छोड़ दें तो)

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  7. ललित भाई,
    ये डॉक्टर ज़रूर कैपिटेशन फीस देकर डॉक्टर बना होगा...इसलिए ये अब हर मरीज़ को बकरा समझ कर हलाल करता होगा...कैपिटेशन फीस की भरपाई के लिए...ऐेसे डॉक्टर काम में भी बस चलताऊ होते हैं...ऐसे ही एक डॉक्टर पे अपना ताऊ दांत निकलवाने चला गया...डॉक्टर ने मरीज वाली कुर्सी पर बिठाकर कहा...चलो मुंह खोलिए...ताऊ ने
    मुंह खोल दिया...डॉक्टर फिर बोला...थोड़ा और खोलिए...ताऊ ने और मुंह खोल दिया...डॉक्टर....आप समझ नहीं रहे और मुंह खोलिए...ताऊ से रहा नहीं गया, बोला...रे डागधर... क्या मुंह खोलिए, मुंह खोलिए करण लाग रिया...के मुंह में बैठ कर दांत निकाड़ेगा...

    जय हिंद...

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  8. दांतों की चिकत्सा अब हर किसी के दांत की रोटी नहीं रह रह गयी है -सच !

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  9. ऐसे बेईमान फ़िलहाल तो कुछ माल कम लेते हैं, पर एक असंतुष्ट मरीज कम से कम बीस को बताता है, लम्बे समय में डॉक्टर का ही नुकसान है.

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  10. अरे भाई, शुक्र अदा करो १००० मैं जान छूट गई,वरना हमारे यहाँ तो इतना डॉक्टर मुँह दिखाई के ले लेते हैं, बाक़ी रस्मे तो बाद मैं पूरी होती हैं

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  11. daant ke peera la jhan poochh
    mahu teen than dant ke upar topi lagwa chuke haun
    12000/- nagad gawan chuke hanw kabar ke wo topi pet ke andar ghusar ge au pahili nahi ta ab sahi kahe bar hoge tor pet ma daant he. magar mare jiyo le paisa lethen ye daant wale man. ehi paay ke noni la dant ke doctor banawat haun.

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