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शनिवार, 29 मई 2010

पंकज शर्मा एवं संतनगर के संत से मिलन: दिल्ली यात्रा

दिल्ली यात्र पंकज शर्मा
दिल्ली की यात्रा इस वर्ष में कई बार हुई, लेकिन ब्लागर मित्रों से मिलने का समय नहीं निकाल पाया। अविनाश जी, खुशदीप जी, अजय झा जी, राजीव तनेजा जी इत्यादि की शिकायत रही कि मिलकर नहीं गए।

पंकज शर्मा जी ने तो कहा था कि बिना मिले मत जाना, पहुंच कर फ़ोन करना। तो हमने भी सोचा के अबकी बार रज्ज के मिलेंगें।

मुझे अलवर में कुछ मित्रों से मिलना था और वहीं खैरथल में एक विवाह समारोह में भी सम्मिलित होना था। जब रायपुर से चला तो दो दिनों का समय दिल्ली के ब्लागरों से मिलने के लिए रखा। टिकिट दिल्ली तक की थी, लेकिन मथुरा स्टेशन पर ही उतर गया, वहां मुझे पता चला कि मथुरा से अलवर सुबह 7 बजे एक ट्रेन जाती है जो 10 बजे अलवर पहुंचा देती है।

मैने मथुरा पहुंच कर अलवर के एडवोकेट महादेव प्रसाद जी को फ़ोन लगाया और ट्रेन से अलवर पहुंच गया। ट्रेन डेढ घंटे विलंब से पहुंची, गर्मी बहुत ही ज्यादा थी, लू चल रही थी, महादेव प्रसाद जी के यहां से सीधा किशनगढ होते हुए खैरथल पहुंच गया। वहां विवाह समारोह में शामिल हुआ, सभी इंतजार कर रहे थे।
दिल्ली यात्रा पंकज शर्मा

शनिवार को विवाह था और उस दिन पंकज जी कि छुट्टी थी, बच्चे जयपुर में थे इसलिए वो पुरे आजाद थे मेरे साथ घुमने के लिए। शाम को पंकज जी गुड़गांव से कार ड्राईव करके खैरथल पहुंच गए। यह मेरी उनसे पहली मुलाकात थी। बहुत ही सुलझे हुए विचारों के व्यक्ति हैं, उनसे मिल कर लगा कि जैसे परिवार के एक सदस्य से मिल रहा हुँ, छोटे भाई से मिल रहा हुँ।

रात उनसे परिवारिक चर्चाएं होती रही। पंकज जी संघर्षशील व्यक्ति हैं जिन्होने अपने हौसले से उंचाइयों को छुआ है। ऐसे व्यक्तित्व से मिल कर अच्छा लगा। फ़ेरे रात 2 बजे खत्म हुए और मैने सबसे विदाई ली, पंकज जी के साथ रात ढाई बजे चल पड़े गुड़गांव की ओर।

जागरण के कारण आंखों में नींद थी, पंकज जी कुशलता से ड्राईव कर रहे थे। लगभग साढे 4 बजे हम गुड़गांव उनके फ़्लेट पर पहुंचे और सो गए। सोचा कि एक दो घंटे की नींद ले ली जाए क्योंकि डॉ दराल साहब एवं अविनाश जी का फ़ोन आ चुका था और मुझे उनके पास पहुंचना था।
संगीता जी का मोबाईल नम्बर मै घर पर ही भूल चुका था। इसलिए उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। 8 बजे उठकर, स्नानादि से निवृत्त होकर, पंकज जी ने एक रेस्टोरेंट में पेट भर नास्ता कराया। हम दिल्ली के लिए निकल पड़े।

इन दिनों मैं नेट के सम्पर्क में नहीं था, इस कारण ब्लॉग पर क्या चल रहा है, इसकी मुझे कोई खबर नहीं थी। राजस्थान बिजली कटौती के कारण जब भी नेट पर पहुंचा मुझे वो बंद ही मिला।

अविनाश जी ने फ़ोन पर कहा कि आप सीधे हमारे यहां ही चले आएं। अब बारी थी संत नगर के संत से मिलने की। अविनाश जी के बताए रास्ते पर हम संत नगर पहुंच गए।

अविनाश जी घर के नीचे हमारा इंतजार करते मिले। उनके दर्शन पाकर आनंद आ गया। भाभी जी से नमस्ते हुई और अविनाश जी ने कहा कि नेट देख लीजिए, बस फ़िर क्या था?

एक सरसरी नजर ब्लाग पर डाली तो देखा बहुत सारी पोस्टें दिल्ली ब्लागर मिलन लगी हुई थी। तब पता चला कि आज ब्लागर मिलन है।

बहुत अच्छा हुआ सभी के एक साथ दर्शन हो जाएंगे। तभी पंकज जी के पास फ़ोन आ गया कि उनके एक मित्र की तबियत खराब हो गई है और उसे अस्पताल ले जाना। पंकज जी फ़ि्र आने का वादा करके गुड़गांव चले गए,

इधर भाभी जी ने खाना तैयार कर दिया था, देशी ढंग़ (खाट पर बैठ कर) से बैड पर बैठ कर अविनाश जी के साथ भोजन किया और चल पड़े जाट धर्मशाला नांगलोई की ओर।

अविनाश जी का यह चित्र मैने जमीन पर खड़े होकर खींचा था ना कि स्टूल या ट्रेन के डिब्बे पर चढकर:)

(कार्ड रीडर काम नहीं कर रहा है, इसलिए चित्रावली अगली पोस्ट में)

24 टिप्‍पणियां:

  1. अगली पोस्ट का इंतजार है ...

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  2. ललित जी सद्भावना और इंसानी जज्बात को सम्मान देती इस पोस्ट के लिए आपको धन्यवाद ,साथ ही पंकज जी ,अविनाश जी,डॉ.दाराल जी और राजीव तनेजा जी को हमारा आभार जिन्होंने आपको दिल्ली में कोई तकलीफ नहीं होने दिया ,यही है इंसानियत और सच्चा चरित्र /

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  3. संत नगर के संत तूने कर दिया कमाल
    सजा दिया शेर सिंह को बिना खड़क बिना ढाल...

    जय बोलो ब्लॉगराधिराज महाराज की...

    जय हिंद...

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  4. अब चालू हुई है यात्रा की कहानी, ललित शर्मा की जुबानी। अगली किस्त का इन्तजार रहेगा।

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  5. एखरे अगोरा रहिस्। बने लिखे हस। चलन दे यात्रा बरनन। ब्लोगर मिलन की शोभा बरनि न जाई। अइसने ढंग के होही। अवैया पोस्ट हा।

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  6. वाह दे एक झन महराज के बम बम बम बम चलत रथे। नाइस बरोबर्।

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  7. ब्लागर मीट में तो बिल्कुल भी नहीं लगा कि आप थके और रात भर के जगे हुये हैं।

    प्रणाम

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  8. जी संघर्षशील व्यक्ति हैं जिन्होने अपने हौसले से उंचाइयों को छुआ है। ऐसे व्यक्तित्व से मिल कर अच्छा लगा।
    अविनाश जी का यह चित्र मैने जमीन पर खड़े होकर खींचा था ना कि स्टूल या ट्रेन ...........हा हा हा ....लगता है की प्रोफाईल में ऊंचाई भी देनी पड़गी ....................

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  9. अच्छा, सन्त नगर के सन्त से मिल लिये,
    अब जाट धर्मशाला के जाट से भी मिलिये।

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  10. आपके द्वारा प्रस्तुत यात्रा संस्मरण पढकर सुखद अनुभूति हुई। मैं और एक अन्य साहित्यकार लखनऊ से जोधपुर के लिए पर्यटन एवं साहित्यिक-यात्रा के लिए जून के प्रथम सप्ताह में निकलने की योजना बना रहे हैं। हम बीच-बीच में अपना पड़ाव बनाना चाहते हैं। यदि ब्लागर बन्धुओं से मार्ग में कहीं मुलाकात हो संभव हो सके तो हमारे लिए सुखद संयोग होगा। सुझाव दीजिए कि साठ वर्ष के ऊपर के नौजवानों के लिए यह मौसम कैसा रहेगा?
    मेरा मेल आई-डी dandalakhnavi@gmai.com एवं
    सचलभाष सं० 09336089753 है।
    सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
    ////////////////////////////////////////

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  11. llit ji aadaab dilli ke aapke khub chkkr lgte hen kyonki voh raajdhaani he kbhi kotaa ke baare men bhi so len jnaam hme intizaar rhegaa. akhtar khan akela kota rajathan

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  12. अविनाश जी का चित्र देख कर जमाई साहब की लंबाई का अंदाजा लगा रहा हूँ।

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  13. रोचक शुरूआत दिल्ली विवरण की
    अगली कड़ी की प्रतीक्षा

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  14. बहुत सुंदर विवरण, ओर बहुत रोचक लगी आप की यह यात्रा.चित्र का इंतजार है. धन्यवाद

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  15. वाह ललित जी , आपके यात्रा वृतांत में डिस्कवरी ऑफ़ इण्डिया का सा आनंद आ रहा है।
    अच्छे संस्मरण ।

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  16. अब तो लिखते जाईये पूरी यात्रा का वृतांत | अगली कड़ी का इंतजार :)

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  17. इस तथाकथित संत की एक बात पर भी सभी गौर फरमाएं कि संत को सारे संत ही नजर आते हैं। दूसरे संत सिर्फ संत नगर में ही नहीं पाए जाते, पूरी दुनिया में नजर आते हैं। वैसे मैं इतना संत नहीं हूं जितना आप बतला रहे हैं, बस असंत भी नहीं हूं और संत और असंत के बीच में संयत हूं। जो लिखा है वो ललित जी का नेह है, आपका स्‍नेह है। नाम अवश्‍य ही पंकज है पर ललित जी जानते हैं कि वे भी कितने बड़े संत हैं और ब्‍लॉगर मिलन में शामिल होने वाले सारे संत ही रहे हैं। बस बाद में कुछेक महीनों बाद उनमें से एक दो असंयत हो जाते हैं तो ऐसा होना तो स्‍वाभाविक ही है। इसी का नाम तो दुनियादारी है जो कि सब प्रकार की संतई पर भारी है परंतु संत तो सभी का दिल से आभारी है।

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  18. बढ़िया...रोचक वृत्तांत...अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा

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  19. http://pulkitpalak.blogspot.com/2010/05/blog-post.html जिस्‍म पर आंख।

    इस कविता से प्रेरणा पाकर मैंने अपना ब्‍लोग बनाया है। कृपया मुझे मार्गदर्शन दीजिए।

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  20. Thanks for such a nice memories. Will look forward to meet you again very soon..

    Regards

    Panks

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