Menu

सोमवार, 7 जून 2010

दिल्ली यात्रा- मिलने की इच्छा, जिनसे हम मिल ना सके

यात्रा वृतांत आरम्भ से पढ़ें 

यात्रा में अब तक हमने उनकी चर्चा की है जिनसे हम मिले, लेकिन जिनसे मिलने की इच्छा थी और नहीं मिल पाए उनकी भी चर्चा होनी चाहिए। अगर यह चर्चा नहीं होगी तो हमारी यात्रा अधूरी रहेगी। यह यात्रा वृतांत अधूरा ही रहेगा क्योंकि हमने अपने 23 मई को दिल्ली पहुंचने की सूचना इन्हे व्यक्तिगत तौर पर दी थी।

मैं चाहता था कि दिल्ली के ब्लागर मित्रों से मिलूँ। पहले भी यात्राएं होती रही है लेकिन समय नहीं निकाल पाने के कारण बिना सूचना दिए ही आते-जाते रहा। मित्रों को यात्रा के बाद पता चलता कि मैं दिल्ली आया था तो उनकी शिकायत रहती थी कि बिना मिले ही चला गया, ठीक नहीं किया। 

अबकि बार यात्रा में मैने पूरे दो दिन ब्लागर मित्रों से मिलने के लिए निकाल लिए थे तथा यात्रा का समय इसी हिसाब से तय किया था। दो दिन भी बहुत कम समय था अगर सबसे अलग-अलग मिलना होता। इसलिए सबसे एक जगह मुलाकात हो जाती तो यह अच्छा ही रहता।

शायद मेरी इस सोच को अविनाश जी ने परख लिया और इस दिन ब्लागर मिलन का आयोजन हो गया। संगीता जी भी दिल्ली में ही थी, उनसे मिलना सोने में सुहागा हो गया।............

दिल्ली यात्रा की सूचना सबसे पहले मैने दिल अजीज ब्लागर मिथलेश दूबे जी को फ़ोन एवं चैट पर दी कि 23 मई को दिल्ली पहुंच रहा हूँ। मिथलेश कम उमर के अच्छे ब्लागर है, उनके ब्लाग पर मैं जाता रहा हूँ तथा उनका बिंदास बेबाक लेखन मुझे प्रभावित करता है। सोचा था इस नौजवान ब्लागर से भी मुलाकात हो ।

अब तक ब्लाग फ़ोन पर,चैट पर मिलते रहे हैं, आमने सामने भी मुलाकात हो जाएगी। लेकिन मिथलेश से हमारी मुलाकात नहीं हो सकी। चलो कोई बात नहीं अब फ़िर किसी समय हो जाएगी।

अब चर्चा करते हैं पद्म सिंग जी, पद्मावलि ब्लाग वाले की। पद्म सिंग जी से हमारी चर्चा लगभग रोज ही होती रहती थी। वे अच्छा लिखते हैं कविता, गीत,गजल पर उनकी पकड़ अच्छी है, युवा रचनाकार हैं। गाहे-बगाहे हम इस विषय पर उनसे चर्चा कर ही लिया करते थे।

जब मेरा दिल्ली आने का कार्यक्रम बना तो मैने इन्हे भी सूचना दी थी। दिल्ली ब्लागर मीट में इनसे ना मिल पाने का अफ़सोस रहा। इनका मोबाईल नम्बर जल्दबाजी में हमारी डायरी में ही छूट गया था। अब सम्पर्क का साधन ढूंढा तो राजीव जी के पास इनका नम्बर नहीं था। अविनाश जी से सम्पर्क साधा गया। तो उन्होने कहा कि हम ढूंढते है पद्मसिंग जी कहां है?

कुछ देर पश्चात उनका फ़ोन आया कि पद्म सिंग वैवाहिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए प्रतापगढ गए हुए हैं। कुछ देर बाद मेरे फ़ोन पर पद्मसिंग जी का फ़ोन आ गया और उनसे फ़ोन पर मुलाकात हो गई। उन्होने न मिल पाने पर बहुत ही अफ़सोस जताया। 

फ़िर अंतिम दिन रात को अचानक हमें अमरेंद्र त्रिपाठी जी की याद आई। वे दिल्ली में ही थे। शोध छात्र हैं दिल्ली विश्व विद्यालय के। अवधी में लिखते हैं एक ब्लाग है अवधी के अरधान। जब इनका ब्लाग चिट्ठाजगत पर आया था तभी से मै इसका फ़ालोवर था। क्योंकि अवधी बोली की मिठास मुझे बहुत अच्छी लगती है।

हमारी छत्तीसगढी बोली के भी नजदीक है और हमारे यहां तो घर-घर में तुलसी दास जी रामचरित मानस का पाठ होता है। इसलिए समझने में भी आसानी होती है। बस अवधी भाषा ने मुझे अमरेंद्र जी से जोड़ दिया।

बस हमने इन्हे रात को ही फ़ोन लगाया और बताया कि हम दिल्ली में ही हैं। उनसे चर्चा हुई कि कल निजामुद्दीन स्टेशन में ट्रेन के टाईम में मिलते हैं। लेकिन वे नहीं पहुंच पाए। हम इंतजार करते रहे। सोचा कि कोई व्यस्तता तो अवश्य रही होगी अन्यथा वे पहुंच ही जाते।

गोदियाल जी से भी मिलने की तमन्ना थी। लेकिन उनका मोबाईल नम्बर हमारे पास नहीं था। इसलिए फ़ोन नहीं कर पाए। ब्लॉग पर तो मुलाकात हो जाती है लेकिन प्रत्यक्ष दर्शन करने की लालसा भी थी। सुना था ब्लागर मीट में पहुंच सकते हैं। लेकिन उन्हे ना देख कर निराशा ही हुई।

फ़िर भी आस है कि इस पोस्ट के माध्यम से हमारा संदेश उन तक पहुंच जाएगा। फ़िर कभी दिल्ली की यात्रा होगी तो अगर गोदियाल जी चाहेंगे तो अवश्य ही मुलाकात हो जाएगी।

यह हमारी दिल्ली यात्रा की अंतिम पोस्ट है। यह यात्रा बहुत ही अच्छी रही। बहुत सारी यादों को समेटे हुए अनुभवों के साथ उर्जादायी ही रही। भविष्य में जब भी दिल्ली की यात्रा होगी, फ़िर मिल लिया जाएगा। इसी आशा के साथ हमारी दिल्ली यात्रा का यहीं पर सम्पन्न होती है। राम राम

19 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर उद्गार. आप जिनसे नही मिल पाये जल्द ही मिलें, इस बहाने एक यात्रा और हो तथा हम आपसे दुबारा मिलें.

    जवाब देंहटाएं
  2. महराज पाय लागी। ईश्वर करे इसी बहाने दुबारा दिल्ली की यात्रा करावे और नही तो नही मिले ब्लोगरो को यहां आने का अनुरोध किया जावे।

    जवाब देंहटाएं
  3. वो जो अब हमसे मिलने आये थे
    वादी-ए-दिल में कब से छाये थे
    चाहे दिल में मिलें या दिल्ली में
    हम तो अपने थे, कब पराये थे

    जवाब देंहटाएं
  4. जिनसे नहीं मिल पाए , उन सब को रायपर बुला लीजिये ।
    साथ में हम भी आ जायेंगे ।
    शुभकामनायें ।

    जवाब देंहटाएं
  5. दराल जी सही कह रहे हैं...वो आएंगे तो मैं भी आने की कोशिश करूँगा...

    जवाब देंहटाएं
  6. ...बहुत सुन्दर ... दिल्ली दर्शन ...धन्य हैं ...!!!

    जवाब देंहटाएं
  7. गोदियाल जी तो खम्भा बचाये लिए. :)

    खैर, साथ में मिला जायेगा उनसे. बाकी लोगों से भी आगे मुलाकात हो ही जायेगी..बढ़िया रहा.

    जवाब देंहटाएं
  8. मन ला मत मसोस महराज, कभू ना कभू तो मुलाकात होइच जाही!

    जवाब देंहटाएं
  9. @ डॉ दराल

    स्वागत है स्वागत है स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  10. @ राजीव तनेजा जी

    स्वागत है स्वागत है स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  11. जहाँ चाह वहाँ राह....मिल ही लीजियेगा सबसे....

    जवाब देंहटाएं
  12. हम हैं राही प्यार के
    फिर मिलेंगें
    चलते-चलते

    प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  13. mulaakten to hoti hi rahati hai. jinse mulakaat nahi ho paayee agli yaatra me ho jaayegi...aisi subhakamanaaye.

    जवाब देंहटाएं
  14. मैं भी आ ही जाता हूं
    पूरे दल बल के साथ।

    जवाब देंहटाएं
  15. ummeed par duniya kayam hai bhai sahab, aaj nai to fir kabhi aur sahi.

    जवाब देंहटाएं
  16. इस बार नहीं तो अगली बार मिल ही लीजियेगा सब से..बढ़िया वृतांत.

    जवाब देंहटाएं
  17. सारी इच्‍छाएं एक साथ तो पूरी नहीं होती .. पर आगे अवश्‍य मौका मिलेगा !!

    जवाब देंहटाएं
  18. अजी दिल छॊटा ना करे दिसम्वर मै फ़िर से मिलेगे हम सब

    जवाब देंहटाएं