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शुक्रवार, 25 जून 2010

गैस एवं मिटटी तेल के मूल्य में वृद्धि दुर्भाग्य जनक

आज डीजल,पैट्रोल एवं रसोई गैस के दम बढा दिये गए. इनकी कीमतों पर से भी सरकार ने अपना नियंत्रण हटा दिया. डीजल २ रुपया, मिटटी का तेल ३ रुपया,रसोई गैस के प्रति सिलेंडर पर ३५ रुपया बढा दिया. 

मुझे याद है जब मनमोहन सिंग जी पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले थे तब श्रीमती मनमोहन सिंग ने इनसे रसोई गैस की कीमत काम करने की गुजारिश की थी. लेकिन इन्होने अनसुनी कर दी. 

श्रीमती मनमोहन सिंग जानती हैं कि एक गरीब आदमी के लिए सिलेंडर की कीमत की क्या अहमियत है. लेकिन गैस सिलेंडर की कीमतों में वृद्धि करके मनमोहन सरकार ने अच्छा काम नहीं किया.

इससे तो अच्छी बाजपेयी जी कि सरकार थी उसने सिलेंडरों की कीमतों में वृद्धि नही की थी बल्कि जिस गांव में गाड़ी भी मुस्किल से जाती थी उस गांव में भी हमने सड़क के किनारे सिलेंडरों का ढेर देखा था. मतलब हर आदमी के लिए हर जगह सुलभ था. 

मनमोहन सिंग की सरकार बनते ही सबसे पहले सिलेंडरों पर प्रतिबन्ध लगाया. इसका फायदा हमेशा की तरह रसूखदार लोगों ने लिया. गैस एजेंसियां उन्हें बिना कार्ड के ही गाड़ी चलाने के लिए सिलेंडर दे देती हैं. जबकि जिस गरीब आदमी के पास कोई गाड़ी ही नहीं है उन्हें ही सिलेंडर ३० दिनो के बाद दिया जाता है. बाकी जो ब्लेक के लिए रूपये दे देता है उसे हर समय हर जगह पर सिलेंडर उपलब्ध है.

सरकार द्वारा गैस सिलेंडर के मूल्य में वृद्धि करने के खिलाफ जोरदार विरोध किया जाना चाहिए. लेकिन सत्ता के रसास्वादन कर रहे बिना रीढ़ के लोग एवं पार्टियाँ इसका विरोध नहीं करेंगी..क्योंकि वे भी इस निर्णय में शामिल हैं. 

हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं. एक माध्यम वर्गीय परिवार पहले लकड़ी से चूल्हा जलाकर अपना खाना बना लेता था. लेकिन लकड़ियों पर प्रतिबन्ध लगाकर गैस खरीदने पर सरकार द्वारा जोर दिया गया. जब लोग गैस पर आश्रित हो गये तो लगातार गैस की कीमतों में बढ़ोतरी की जा रही है.

गरीब उपभोक्ताओं का शोषण ही किया जा रहा है. इस शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की जाने चाहिए तथा सरकार के इस निर्णय का पुरजोर विरोध करना चाहिए.

विदर्भ की कमला के घर खाना खा कर फोटो खिंचवाने वाले राहुल गाँधी कहाँ है? 

आज गैस सिलेंडर की मूल्य वृद्धि से वह भी प्रभावित है और मैं भी प्रभावित हूँ. इस तरह किसी गरीब के आंसुओं से खेलने का इन्हें कोई अधिकार नहीं है. पैट्रोल के मूल्य में वृद्धि करो. जिसके पास पैसा होगा गाड़ी वह चलाएगा. लेकिन मिटटी के तेल और गैस के मूल्य को बख्श दो. 

यह गरीब कि भूख के साथ जुड़ा है. जब देश के के कुल राजस्व का ८ राज्यों (उत्तर पूर्व के ७ राज्य एवं जम्मू और कश्मीर) को फायदा दिया जा रहा है. जिनकी स्वयं की कोई राजस्व की आमदनी नहीं है. 

इस राजस्व का एक हिस्सा मिटटी तेल एवं गैस के लिए सब्सिडी के रूप में दिया जाना चाहिए. गैस की कीमतों में वृद्धि करना दुर्भाग्य जनक है.  

21 टिप्‍पणियां:

  1. मिटटी के तेल और गैस के मूल्य को बख्श दो. यह गरीब कि भूख के साथ जुड़ा है.
    बहुत सही !!

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  2. दिल्ली में रहना है तो चोर हो जाओ दलाली को उपरी आय कहो..

    वरना मारे जाओगे और न मारे गए तो खुद मर जाओगे
    .ऐसा नहीं और जगह भी महंगाई की मार पड़ेगी लेकिन महा नगर तो भैया महा है न !!!!

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  3. sharoz bhai, dalali ki bimari sab jagah ghus gayi hai. jab neta hi dalal paida kar rahe hain to kya kiya jae?

    janta bhi inko sabak sikhana nahi chahti.

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  4. अजी अगली बार फ़िर से इसी सरकार को चुने, जिस से देश मै गरीब कम हो जाये गे( भूख से मर कर) अरे अभी तो यह युव राज आने वाला है हमारा खुन पीने आप सब अभी से थक गये

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  5. सही चिता व्यक्त की है....पर सरकार के कान पर जूं नहीं रेंकने वाली...३५ रूपया बढा कर बहुत हो हाला करने पर उसे घटा कर ३० कर देंगे...और जनता खुश कि ५ रुपये कम हुए

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  6. देखिये सरकार ने जो भी किया है वो सही किया है .... अब पेट्रोल और गैस मार्केट से गवर्न होती है.... और वैसे भी सरकार पिछले १५० सालों से सब्सिडी दे रही थी.... मगर अब पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पूरी दुनिया में ख़त्म हो चुका है.....तो हम क्यूँ पी.डी.एस . अपने देश को कमज़ोर बनायें.... अगर दाम बढे हैं तो वो सरकार ने नहीं बढ़ाये हैं.... वो इंटरनैशनल मार्केट ने कच्चे माल के दाम बढ़ा दिए हैं.... तो उसी दबाव में ऐसा किया गया है.... अगर गरीब के बारे में ऐसा हम सोचते हैं.... तो उसमें हमारी गलती है ... हमें मजदूरों को सही मजदूरी देनी चाहिए.... जो कि सरकार ने तय कर रखी है.... लेकिन हम में से कितने लोग सही मजदूरी देते हैं? अगर हम सही मजदूरी दें...... तो गरीब भी गैस खरीद सकता है....सब्सिडी सिस्टम ने ही हमारी इकोनोमी को बर्बाद कर रखा है.... पूरे दुनिया में कहीं भी सरकार सब्सिडी नहीं देती है.... सिर्फ भारत ही देता है... और पिछले १५० सालों से दे रहा है... अभी भी कई सामानों पर सब्सिडी है... यह तो सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के दबाव में किया है... हमारी भी कई सारी ड्यूटीज़ होतीं हैं देश के प्रति.... अगर हम वो सही से निभाएं.... तो गरीब रहेगा ही नहीं... और देश काफी आगे बढेगा... पर हमारी आदत हो गई है... गलत ही सोचने की.... ऐसी सिचुयेशन में हर सरकार यही करती...

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  7. महराज पाय लागी। आगे का जी यात्रा पूरा करके। ये तेल पानी के दाम बढ़े के एक ठन अउ कारन बताइन ये ज्योतिषाचार्य मन। काल शनि के साढ़े साती मा गरहन धरत हे चंदा ला। तेखर सेती ये मंहगाई बाढ़त हे। बढ़िया लिखे हस एखर बर। बहुत बहुत बधाई। मोर ब्लोग मा फेर परगट हो जाबे।

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  8. रसोई-गैस, पैट्रोल और डीजल को सरकार को
    खुले बाजार में लाना चाहिए!
    --
    मारा-मारी स्वयं समाप्त हो जायेगी!

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  9. ... अईसना लागत हवय कि अपनमन ला सरकार बनाय बर कदम बढायला पढिही... जय जोहार!!!

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  10. ... देख के भाई दू-तीन गिलास जूस से ज्यादा झन पीवेगा गा महराज ... जोहार!!!!

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  11. हम भी ब्लैक में लेने वाले ब्लैकिये हैं।

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  12. @महफूज़ अली भाई, मै अकसर सुनता हुं समाचारो मै हमारे नेता चिल्ला कर कहते है कि विश्व मै मंहगाई बढ रही है, लेकिन किस देश मै यह भी बताये? बंगला देश पाकिस्तान, ओर अफ़्रीकन देशो को छोड कर, क्योकि इन देशो मै भी हमारे नेताओ के ही भाई बंद है, पुरे युरोप मै खाने पीने की चीजे बहुत सस्ती है, गेस,बिजली ओर पेट्रोल पर कभी कभार १, २ सेंट बढते है तो कम भी होते है, एक दम से ३७€ नही बढते, ओर हर दो महीने के बाद भी नही, युरोप मै खाने का ९०% समान विदेशो से आता है, लेकिन फ़िर भी सस्ता है,कोई भुखे पेट नही सोता, जब्कि पुरे युरोप की आवादी भी लगभग भारत की आवादी से थोडी कम होगी, क्योकि यहां की जनता जागरुक है, नेता एक बार गलत तो चले..... ओर हम लोग अभी इन बातो मे पिछे है, इस लिये इन नेताओ की गलत बातो पर विश्वास करलेते है ओर हर समय आपस मै लडते है,भारत मै मेहनती लोगो की कमी नही.... लेकिन हमारी मेहनत यह नेता ओर भर्षट लोग डकार जाते है, ओर इन सब मै कसुर बार मोजूदा सरकार ही होती है, अगर वो कंट्रोल नही कर सकती तो दफ़ा हो जाये...

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  13. samay ke sath chalane vali post. katu saty kaa maarmik chitran kya hai.

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  14. बहुत सार्थक और विचारणीय पोस्ट...शानदार माध्यम इस विषय पर...

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  15. कल दिनभर पेट्रोल पंपों में लम्‍बी लाईन देखकर ही लगा था कि कुछ गड़बड़ है.
    मानव देह धर मृत्‍युलोक में अवतरे हैं देव भोगना है सब. :)

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  16. .
    .
    .
    जो कहना चाहता था वह मित्र महफूज ने पहले ही और बेहतर तरीके से कह दिया है... जिस 'गरीब' के नाम पर सरकारी सबसिडी का धंधा चल रहा है वह अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कितना पेट्रोल फूंकता है... क्या उसके घर में गैस का चूल्हा है ?... मध्य वर्ग और उच्च मध्य वर्ग के हर गैस में गैस के पांच छह सिलेंडर... जाड़ों में पानी भी गैस के गीजर से गरंम होता है...बेशर्मी इतनी कि कारों में भी गैस किट है कार भी रसोई गैस के सिलेंडर से चलती है...(इकोनामिकल जो पड़ता है!)... अगली बार जब बाजार किसी होटल या रेस्टोरेंट या चाट वाले- हलवाई की दुकान जायें तो पूछियेगा-देखियेगा...ज्यादातर या तो खुले आम घरेलू गैस जला रहे होंगे या नाम भर के लिये कामर्शियल नीला सिलेंडर होगा परंतु उसके अंदर भी घरेलू लाल सिलेंडर की गैस ही भरकर जलाई जाती होगी...क्या ये गरीब हैं?

    बंद कीजिये महंगाई पर यह विचित्र विधवा विलाप अब !

    कृपया!!!


    ...

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  17. गरीब की कमर तोड़ डाली
    तेल के दाम बढे तो भाडा बढेगा, भाड़ा बढेगा तो आवश्यक खाने-पीने की वस्तुओं के दाम जो पहले से आसमान छूं रहे है और महंगे हो जायेंगे . कहीं आना जाना और महंगा हो जाएगा , घर में रसोई जलाना महँगा हो जाएगा यानी सब तरफ से मार गरीब पर जो पहले से ही अधमरा पडा है. हे भगवान्, हे अल्लाह , हे इश्वर , हे वाहे गुरु रहम कर इस देश के गरीब पर और श्त्यानाश कर इन सत्ता में बैठ भ्रष्ट देश के धुश्मनो का, सत्यानाश हो इस बेशर्म मनमोहन और नेहरु खानदान का, सत्यानाश हो उनका जो इन्हें वोट देकर इस तरह गरीबों पर अत्याचार करने की छूट देते हो, सत्यानाश हो इन कांग्रेसियों का जो फूट डालकर अपनी रोटिया सकने में लगे है , सत्यानाश हो इन भाजपा वालों को जो साले ढोंगी पहले खुद थूकते है और फिर खुद ही चाटते भी है, सत्यानाश हो इन वामपंथियों का जो ये पाखंडी सर्वहारा वर्ग के हितैषी बनते है मगर आज तक इन गद्दारों ने एक भी उस अमीर का घर नहीं लूटा जिसने गरीब का पैंसा मारकर अमीर बना , सत्यानाश हो इन समाजवादियों का और इन दलितों के मसीहों का . गरीब की हाय इनको जरूर लगे, यही ऊपर वाले से प्रार्थना है .

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  18. सरकार यही कहती है कि धीरे धीरे सबको आदत हो जायेगी ?

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  19. गैस एवं मिटटी तेल के मूल्य में वृद्धि दुर्भाग्य जनक

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