लड़ो, भिड़ो, श्रम करो, संघर्ष करो
घुटने टेक देने से जीत नहीं होती
खुरचते रहो, छिलते रहो, काटते रहो
समर्पण करने से जीत नहीं होती
झोंको, तोड़ो, काँटों को उखाड़ फेंको
हाथ खड़े करने से जीत नहीं होती
बिना चैन डटे रहो अंतिम साँस तक
डरके भागने से जीत नहीं होती
छोड़ते नहीं शिकारी सोई चिड़िया को
छोड़ते नहीं शिकारी सोई चिड़िया को
हार मानकर सोने से जीत नहीं होती
बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन!! वाह ललित भाई!
जवाब देंहटाएंश्रमजीवी सारे मिल कर इकजाँ हो जाओ
जवाब देंहटाएंएक अकेले लड़ने से जीत नहीं होती ।।
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
जवाब देंहटाएंकोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम ।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती !
- निराला
"बिना चैन डटे रहो अंतिम साँस तक
जवाब देंहटाएंडरके भागने से जीत नहीं होती"
सत्यवचन!
हम भी डटे हुए हैं।
बहुत सुन्दर देशभक्ति से भड़ी प्रेरक प्रस्तुती ....आज ऐसे ही रचना से लोगों को जगाने की जरूरत है ...सार्थक ब्लोगिंग ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar prerak rachana....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!!
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक रचना ...संघर्ष ही जीवन है ..
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया लगा!
प्रेरणादायक रचना ...
जवाब देंहटाएंललित जी,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह रचना।
स्वयं को संघर्षों के नाम अर्पित किये बिना जीत नहीं होती...
जवाब देंहटाएं(मेरीलेखनी.. मेरे विचार..)
समर्पण करने से जीत नहीं होती...बहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक कविता.
जवाब देंहटाएंहमारी टिप्पणी अशोक जी द्वारा उद्धृत निराला जी की कविता के सहित हैं :)
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन और प्रेरणादायक रचना......
जवाब देंहटाएंप्रेमरस पर:
बाप रे बाप, डॉक्टर!
बेहद उम्दा रचना. बधाई.
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह ! आज तो सारी काम की बातें सिखा दी । बहुत बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंजोश से भरी है आप की यह कविता, ओर सच भी कि कभी भी हिम्मत हारने वालो की जीत नही होती , इस लिये कभी भी घुटने मत टेको.... धन्यवाद
जवाब देंहटाएंलगे रहो ललित भाई ! लड़ो,भिड़ो ,श्रम करो ,
जवाब देंहटाएंसंघर्ष करो ! हम सब ब्लॉगर आपके साथ हैं.
बहुत जोश भरी रचना ।
जवाब देंहटाएंयही कहती हुई,
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम ।
ऊर्जा का संचार करती रचना ।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंओज और ज़ोश से भरी जानदार कविता। अशोक बजाज जी के कमेन्ट में शामिल कविता, सोने में सुहागा है।
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एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
शानदार एवं प्रेरणा दायक दायक रचना .........
जवाब देंहटाएंअशेष शुभकामनायें प्रेषित है स्वीकार करें !!