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शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

ईश्वरीय तत्व एवं दुनिया के बीच तालमेल बैठाती बसंत साहू की तूलिका

बहुत कठिन है डगर पनघट की, बिरले ही उतरे पार। संसार के रंगमंच के पात्र हैं हम सभी, अभिनय के पश्चात जाना ही पड़ता है क्योंकि रंगमंच पर किसी और को भी आना है।

ईश्वर की तूलिका भी विचित्र है, चित्र खींचती कुछ और है हमें दिखाई देता कुछ और, लेकिन होता कुछ और है। हम इसी और की ही प्रदक्षिणा करते रहते हैं। कहीं कुछ और घटित होता रहता है।

संकट के समय ईश्वरीय प्रेरणा से आत्मबल ही काम आता है। प्रत्येक परिस्थिति में हमें अपना पात्र निभाना ही पड़ता है जिसके निमित्त हम होते हैं।

एक ऐसे व्यक्ति की कथा कहना चाहता हूँ जिसके भीतर आत्मबल की पराकाष्ठा दृष्टिगोचर होती है। जो विषम परिस्थितियों में सृजन करता है वह अनवरत सृजनरत है। जिसकी जीने की अदम्य इच्छा ने उसे विशेष ना दिया।

माता-पिता अपने बच्चों के लिए सुखद स्वप्न ही देखते हैं। उसकी परवरिश में अपना सर्वस्व झोंक देते हैं। अगर किसी बच्चे के साथ कुछ दुर्घटना घट जाती है जो वे जिंदा लाश बन कर रह जाते हैं।

मौत से इंसान सब्र कर लेता है, लेकिन बच्चा 95 प्रतिशत विकलांग हो जाए तो जीवन-मरण समान हो जाता है। ऐसा ही कुछ घटित हुआ धमतरी जिले के कुरुद निवासी श्री श्याम साहू जी के साथ, उनका 23 वर्षीय पुत्र बसंत साहू 15 दिसम्बर 1995 को मोटर सायकिल से जा रहा था। एक परलोक वाहक ने रौंद डाला वह सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया।

इस भीषण दुर्घटना में जान तो बच गयी लेकिन शारीरिक रुप से 95 प्रतिशत विकलांग हो गया। दो वर्ष का समय बसंत ने औंधे मुंह बिस्तर पर व्यतीत किया। लेकिन जीवन के प्रति उसने आशा नहीं छोड़ी।

एक दिन ईश्वर ने उसे प्रेरणा दी और बसंत ने अपने हाथ में कूंची बंधवाई, रंग सामने आते ही कैनवास पर आकृतियाँ बनते चली गयी।

रंगो ने उसके जीवन में पुन: रंग भर दिया। आध्यात्म उसके जीवन में उतर आया। अस्तित्व बचाने के लिए एक तड़प जागृत हृदय की अंगीठी में सुलगती रही, रक्त में उष्णता का प्रवाह होने लगा, सपनों को मरने नहीं दिया, कालजयी कृतियों जन्मने लगी।

चित्रों में विषय की जगह भाव उतरने लगे। वही भाव विषय बनकर लोगों के सामने खड़े होने लगे। इनके चित्रों में आध्यत्म, सामाजिक बुराईयाँ, राष्ट्रप्रेम, लोक कला, अपना परिवेश और संस्कृति दिखाई दिया। बसंत को माँ का बड़ा संबल मिला। उसके चित्रों में मातृत्व का भाव स्पष्ट: परिलक्षित होता है।

बसंत के चित्रों की प्रदर्शनी महाकौशल कला वीथिका रायपुर में दो बार (5मार्च 1999 एवं 2 दिसम्बर 2004), जिला मुख्यालय धमतरी में (15 अगस्त 2000) कुरुद (अखिल भारतीय कवि सम्मेलन)में (22 अक्टुबर 2000) नेहरु आर्ट गैलरी, भिलाई (14 फ़रवरी से 28 फ़रवरी 2001 तक) छत्तीसगढ व्यापार मेला दिल्ली में छत्तीसगढ का प्रतिनिधित्व (1 सितम्बर से15 सितम्बर 2001 तक), राष्ट्रीय कला महोत्सव लखनऊ में सम्मानित। गणपति जुबली हॉल, रायपुर 3 जनवरी से 6 जनवरी 2006 तक), एवं संस्कृति विभाग छत्तीसगढ शासन के सौजन्य से टाऊन हॉल रायपुर में 17 अक्टुबर 2009 को प्रदर्शनी के समापन समारोह में मैं भी उपस्थित था। इस तरह बसंत के चित्रों की प्रदर्शनी ने बासंती रंग खिलाए।

कहते हैं बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता, लेकिन बसंत का चित्रकला में कोई गुरु नहीं है, जिसने उसे चित्रकला की परम्परागत शिक्षा दी हो। यह बसंत की जीवटता ही है जो उसने 95 प्रतिशत नि:शक्त होने के पश्चात भी अपने आत्मबल से अपनी कार्यक्षमता को प्रखर किया।

बसंत ने आईल पेंट, वाटर कलर, पेन स्केच आदि माध्यमों से चित्र बनाए हैं। पिछले एक दशक से छत्तीसगढ से बेहरतरीन चित्रकार के रुप में राष्टीय और अंतराष्ट्रीय कैनवास पर स्थान पाया है।

बसंत ने आध्यात्मिक चित्रों के साथ प्रगतिशील और लोक कला दोनो के प्रति अपना अनुराग रखा है। उसके कार्य में बड़ी सुक्ष्मता है। जिसे उसने कैनवास पर उतारा है। उसकी छटा ही निराली है।

बसंत को मिले सम्मानों की कमी नहीं है, इन्हे छत्तीसगढ के राज्यपाल ने सांस्कृतिक रत्न से सम्मानित किया, इनके चित्रों के संग्राहक, खेताराम चंद्राकर (इंग्लैंड), आस्ट्रेलिया, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (दिल्ली) राजीव गांधी शिक्षा मिशन रायपुर, मुख्यमंत्री निवास रायपुर, गणपति होटल रायपुर, राज्यपाल निवास रायपुर, विधान सभा भवन रायपुर, घासीदास संग्रहालय रायपुर, डॉ अनिल चंद्राकर अमेरिका इत्यादि हैं,देश के अलावा विदेशों में भी अनेक कला संग्रहियों ने इनकी पेंटिंग्स को अपने निजि संग्रह में स्थान दिया है। इन 12 वर्षों में बसंत ने हजारों पेंटिंग्स बनाई हैं।

धोखाधड़ी करने वाले कमीनों (माफ़ कीजिएगा मुझे इस शब्द का प्रयोग करने में कष्ट तो है लेकिन दूसरा संबोधन भी नहीं मिल रहा) ने बसंत साहू को भी नहीं छोड़ा।

एक व्यक्ति इनसे पहले पेंटिग के चित्र लेकर गया। फ़िर सौदा करने के बाद एक लाख रुपए का चेक देकर पेंटिंग्स भी ले गया। जब गाँव के भोले-भाले बसंत ने कैश करने के लिए चेक बैंक में लगाया तो चेक बाऊंस हो गया। इस तरह की कई वारदात बसंत के साथ हो चुकी हैं।

लोग किसी के साथ भी धोखाधड़ी करने पर उतारु हो जाते हैं। उन पेंटिंग्स को बनाने में बसंत को कितनी मेहनत दिन रात जाग कर करनी पड़ी होगी। कितना श्रम लगा होगा, कितना रंगों में उसने अपना रक्त मिश्रण किया होगा,यह मैं जानता हूँ।

रायपुर के ही एक नामी हास्पिटल चलाने वाले डॉ ने इनसे चित्र बनवाए, जिसमें तो एक चित्र 8 फ़िट X 12 फ़िट का था। बसंत उसे अपना पारिश्रमिक बता दिया। ढाई लाख रुपए में सौदा तय हुआ। बसंत ने चित्र बनाकर उसे भेज दिए। डॉ की पत्नी ने बसंत को सिर्फ़ एक लाख रुपए का चेक दिया और उसके बाकी रुपए अभी तक नहीं दिए।

बसंत कहीं जा नहीं सकता, उसका पूरा समय बिस्तर पर और व्हील चेयर पर ही गुजरता है। उसके लिए भी एक सहायक की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में वह अपने बाकी रुपए के लिए उसके पास संदेशा भेजता है तो वहां उनकी सुनी ही नहीं जाती।

बसंत फ़ोन करता है तो उसे उठाया नहीं जाता। इस तरह एक मुद्राराक्षस ने बसंत जैसे नि:शक्त के डेढ लाख रुपए हजम कर लिए, जबकि उसके पास रुपए पैसों की कोई कमी नहीं है।

इस विषय पर बसंत साधु भाव कहता है कि जिन्होने मेरे साथ धोखा धड़ी की है उन्हे ईश्वर अपनी धर्म तुला पर तौल रहा है। आज नहीं तो कल अवश्य ही उन्हे दंड देगा।सत्य है, करनी का फ़ल तो एक दिन मिलता ही है और ईश्वर उन्हे दंड अवश्य ही देगा।

बसंत को उस परमपिता परमात्मा पर अटूट विश्वास है। जब प्राणहीन चमड़े की धोंकनी में इतनी शक्ति होती है कि वह लोहे को भस्म कर देती है, वे बसंत जैसे योगी की आह लेकर कहां तक चल पाएगें? अंतिम अदालत तो यहीं है, जिसकी सजा व्यक्ति मृत्यु लोक में ही जीते जी पाता है।

बसंत नि:शक्त जनों के लिए एक आशा की किरण ही नहीं प्रकाश स्तंभ हैं। जिसने अपनी अपंगता को नकार कर तुलिका के सहारे जीवन का मार्ग ढूंढ लिया। जिसने काल के कपाल पर अपने सशक्त हस्ताक्षर छोड़ दिए हैं।

अपने आत्मबल से वर्तमान का श्रृंगार कर इतिहास में भी अपना नाम दर्ज कराने की हिम्मत रखते हैं। समाज चंद ऐसे लोगों के दम पर ही चल रहा है। जिससे लाखों लोग प्रेरणा लेते हैं। मैं जब बसंत से मिला था और उसकी पेंटिग्स देखी थी तब से उसके प्रति मेरा मन श्रद्धा से भर उठा।

बसंत की जीवटता को नमन करता हूँ। बसंत ने अपना नाम सार्थक कर दिया, पतझड़ को ठेंगा दिखा कर अपने जीवन को बासंती कर लिया। बसंत अजातशत्रु महाबाहू है।

बसंत से आप सम्पर्क कर सकते हैं। उसका पता है- बसंत साहू, पिता श्याम साहू, सरोजनी चौक, कुरुद जिला धमतरी ( ) फ़ोन नं:-09893750570,

38 टिप्‍पणियां:

  1. बसंत अजातशत्रु महाबाहू है।
    धन्यवाद ..

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  3. मुझे उनके चित्र आमने-सामने देखने का अवसर मिला है, वे अपने चित्रों से न जाने कितनों के जीवन में रंग भर रहे हैं. मुझे उनके खासकर अमूर्त चित्र अधिक भाते हैं.

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  4. बसंत साहू जैसे दृढ़प्रतिज्ञ, आत्मबली, और सृजन के पर्याय व्यक्तित्व को नमन...

    मै तो इनकी पेंटिंग्स देख कर ही अभिभूत हूँ... जिन्होंने इनके पैसे खा लिए उसके लिए क्या कहूँ... उसकी निकृष्टता पर नाली का कीड़ा भी शर्मायेगा...

    इनकी कृतियों को अपनी शिल्प वाली साईट पर अवश्य डालें जिससे इनकी कला को प्रसिद्धि और विस्तार मिल सके,

    ऐसे व्यक्तित्व से मिलवाने का आभार

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  5. जै हो गुरु देव अच्छे साधक से मिलाए फ़ोनियाता हू उनसे भी

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  6. बहुत बहुत आभार बसंत जी से परिचय करवाने का. इनके जीवट को सलाम!!

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  7. बसंत साहू से परिचित कराने के लिए आभार. उनके आत्मबल और कला को नमन.

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  8. बसंत साहू एक उच्च कोटि के सौंदर्यबोधी और जीवट के किन्तु बहुत ही संवेदनशील कलाकार हैं -ईश्वर में उनकी अटूट श्रद्धा उनके जीवन ,विश्वास और प्रगति की डोर है -मेरी शुभकामनाएं !

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  9. जहाँ हर प्रकार से स्वस्थ व्यक्ति भी अपनी जिंदगी रोते बिताते हैं , वसंत की जीवटता हतप्रभ करती है ...नियति के क्रूर खेल ने उनके साथ कितनी भी नाइंसाफी की हो , मगर परमात्मा पर उनका अडिग विश्वास उन्हें उनका सच्चा अनुयायी होना सिद्ध करता है ...ऐसे इंसान से छल करने वाले तो जीवित ही मृत के समान है ...उनके चित्रों में जीवन जैसे छलक रहा है ...
    वसंत के प्रेरणादायी व्यक्तित्व को नमन और आपका बहुत आभार इनसे मिलवाने के लिए ..इनका जिक्र अहा!जिंदगी में भी किया जाना चाहिए ..!

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  10. बसंत जी से परिचय करवाने का बहुत बहुत आभार...

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  11. dhany hai vasant...uski kalaa...aur dhany hai lalit sharmaa, jisane aise mahaan kalakar ka parichay diyaa.

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  12. बसंत साह जी का व्यक्तित्व बहुत ही प्रेरणादायी है। उन्हे नमन। भगवान उन्हें लम्बी आयू और स्वासथ्य दे। ऐसे ही आपने काम मे लगे रहें। ललित जी आपका घूमना सार्थक हो जाता है जब आप ऐसे हीरे खोज कर ब्लागजगत के सामने लाते है। धन्यवाद।

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  13. दादा, सब से पहले आपका बहुत बहुत आभार जो आपने आज एक रियल लाइफ हीरो से मिलवाया !

    बसंत भाई की इस हिम्मत को शत शत नमन करता हूँ ! आगे कुछ कहने की ना तो मेरी औकात है ना हिम्मत !

    बस एक गुज़ारिश है आपसे ... आप के काफी सारे प्रभावी लोगो से संपर्क है हो सके तो उन लोगो की मदद से बसंत जी को इन्साफ दिलवाइए !

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  14. @वाणी गीत

    ब्लॉग से कब प्रिंट मीडिया में पोस्ट चली जाती हैं पता ही नहीं चलता।
    अल्पना जी के लिम्का वुक वाली पोस्ट को तो एक अखबार में फ़ोटो समेंत छाप दिया। जिसका पता मुझे किसी ने एक महीने के बाद दिया।

    यहाँ से अहा!जिन्दगी वाले भी पोस्ट उठा लेंगे।

    आभार

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  15. बहुत खूब, वसंत जी की हिम्मत और हुनर की दाद देता हूँ ! कहते है जहाँ चाह, वहाँ राह ! उन्हें मेरी शुभकामनाये !

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  16. basant saahu se parichay sach hi jeevan men jeevatata laata hai ....jin logon ne basant ji ke saath dhokha dhadi ki hai aise logon par sharm aati hai ..kaise yah log jee paate hain ...basant ji ki jeevatata ko naman ..prerna deti hui sundar post ke liye aabhaar

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  17. जिन्होने मेरे साथ धोखा धड़ी की है उन्हे ईश्वर अपनी धर्म तुला पर तौल रहा है। आज नहीं तो कल अवश्य ही उन्हे दंड देगा।“
    सत्य कहा है .
    बसंत की जीवटता तो नमन.जहाँ लोग छोटी छोटी परेशानियों को अपनी नकारी का कारण बनाकर रोते हैं वहां बसंत जैसे लोग एक उदहारण हैं जीवटता का .ढेरों शुभकामनाये.

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  18. बसंत साहू से परिचित कराने के लिए आभार. उनके आत्मबल और कला को नमन.
    बहुत ही सुन्दर चित्र है उनके उन्हे नमन उनसे मिलवाने के लिए ललीत जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद

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  19. वाकई अपने अंदर चित्रांकन का गहन अभ्यास और कला की गहरी समझ उन्होंने विकसित की है...

    उनके इस संघर्ष को सलाम...

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  20. वास्तव में ही यह पोस्ट न देखता तो मलाल रहता. आपने बसंत जी से परिचय करवा कर निश्चय ही दिल जीत लिया. वाह!

    और महान हैं वे जो कहीं भी छुरा घोंपने से नहीं चूकते, ऐसों के बारे में क्या कहा जाए...

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  21. इस महान हस्ती को मेरा नमन .....
    इनका जीवन हमारे लिए प्रेरणाश्रोत है ....
    और इनकी चित्र कला तो सुभानाल्लाह .....तारीफ से परे है ....

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  22. ललित जी, जल्दी ही बसंत जी से मिलने चलेंगे| मुझे उम्मीद है कि हमारा पारंपरिक चिकित्सकीय ज्ञान उन्हें बहुत हद तक राहत पहुंचा सकता है|

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  23. @पंकज अवधिया

    तजुर्बा करने में कोई बुराई नहीं है। अगर हमारा परम्परागत चिकित्सकीय ज्ञान उसके काम आ जाए तो सोने में सुहागा है।

    अभी तो बसंत को गाड़ी में लिटा कर ले जाया जाता है और जहाँ वह जाता है उसके लिए तखत का इंतजाम पहले करना पड़ता है।

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  24. बसंत साहू जी ने जीवन के साथ मृत्यु पर भी विजय पाई है। ईश्वरीय प्रेरणा से उनकी कालजयी कृतियाँ समाज के समक्ष आ रही है। इन कृतियों ने उनको अमर कर दिया। वैसे मेरी उनसे मुलाकात होते रह्ती है, उन्हे ढेर सारी शुभकामनाएं।

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  25. shbd nhi hai mere paas.inke kaamon ko high light krne kii skht jrurt hai aap isme koi kmi nhi rkhte hoge ye bhi vishvas hai. hr chitr bahut sundar ,antim wali to kamaal hai.

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  26. बसंत भाई ल सलाम. आप मन की आभार अइसन महाप्राण ले मिलवाये बर भईया. धन्यवाद.

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  27. बसंत भाई के चित्र बहुत सुंदर लगे,धोखा देने वाले कभी सुखी नही रहते, मेरे से कई लोगो ने वक्त पडने पर मेरे पांव पकड कर मदद मांगी, मैने खुले दिन से लाखो रुप्ये दे दिये.... मेसे पास आज भी भगवान की दया से कोई कमी नही, लेकिन वो लोग आज भी भिखारियो की तरह ही रहते हे, फ़िर इस बसंत भाई की मेहनत की कमाई कोई मार कर कहां सुखी होगा... सजा तो उसे भी भ्गतनी पडेगी, जब की बसंत भाई सुखी ही रहेगे देख लेना.
    धन्यवाद

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  28. बड़ा ही प्रेरक जीवन है !
    चित्र बेहद जीवट किस्म के !
    ईश्वर न्याय करेगा , कहते हैं न , 'मुई खाल की आंच से सार भसम हो जाय' !
    आप ने इनसे परिचय कराकर एक श्रेष्ठ कार्य किया है !
    यही तो है जिससे मैं आपकी ब्लागरी को बेहद पसंद करता हूँ ! आभार !

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  29. सर्व प्रथम ललित जी को लाल सलाम।
    निश्क्तता के बावजूद एक कलाकार का दर्जा पाना वाकयी काबिले तारिफ़े है। कहतें हैं कि जहां चाह वहां राह। ललित जी आपने जिस तरह से अपनी लेखनी के माध्यम से कैन्वास पर जिवंत चित्रण प्रस्तुत किया है शब्दों में बयान करना सूरज को दिया दिखाने के बराबर है। शत-शत नमन।

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  30. बसंत जी को नमन
    ऐसे लोगों से ज़िंदगी जीने की प्रेरणा मिलती है... सब अपने में ही रोते रहते हैं और ऐसे लोग हर चीज़ को हराकर सिर्फ आगे बढ़ते रहते हैं...
    उस Dr. के द्वारा ऐसा करना बेहद शर्मनाक है... और Dr. समूह पर कलंक भी...
    यदि आपकी और बसंत जी की परमीशन हो तो क्या उनके एक चित्र को अपने ब्लॉग म्विन सहामिल कर सकती हूँ, वो मुझे बेहद पसंद आया है... ऐसा लगा जैसे किसी सुन्दर से सपने को उन्होंने चित्र का रूप दे दिया हो... {6th}

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  31. समाज के लिए प्रेरणा हैं ऐसे कलाकार ... बसंत जी के आत्मबल और कला को नमन व हार्दिक शुभकामनायें

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