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रविवार, 2 अक्तूबर 2011

शुटिंग से बढता है आत्मबल ---- ललित शर्मा

त्तीसगढ निर्माण होने के साथ ही प्रदेश में खेलों के प्रति सरकार ने विशेष ध्यान दिया। सभी खेलों के संघ गठित हुए और प्रशिक्षण एवं प्रतियोगिताएं प्रारंभ हुई। जिससे खिलाड़ियों का रुझान खेलों की तरफ़ बढा। पहले सिर्फ़ एथलेटिक्स एवं व्हालीबाल, फ़ुटबाल, बैडमिंटन एवं क्रिकेट को ही खेल के रुप में जाना जाता था। राज्य गठन के पश्चात नए-नए खेलों का विस्तार हुआ। हमने कभी सोचा नहीं था कि शुटिंग जैसे खेल भी हमारे राज्य में प्रारंभ होगें। नवीन जिंदल के विशेष प्रयासों से छत्तीसगढ में शुटिंग प्रतियोगिताएं प्रारंभ हूई। उन्होने इस खेल के प्रचार एवं प्रसार में विशेष सहयोग एवं ध्यान दिया। छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ रायफ़ल एसोसिएशन के तत्वाधान में विगत 10 वर्षों से राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय रायफ़ल एवं पिस्टल के सभी इवेंट कराए जा रहे हैं। जिससे खिलाड़ी मालवणकर एवं राष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाने में कामयाब हो रहे है। आशा है कि कुछ और वर्षों की मेहनत के पश्चात अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक भी अपनी पहचान बनाने में कामयाब होगें।


आज खुशी होती है कि ग्रामीण स्तर के खिलाड़ियों का रुझान भी शुटिंग की तरफ़ होने लगा है। लेकिन शुटिंग एक मंहगा खेल है जिसके लिए निरंतर अभ्यास की आवश्यकता है। एयर रायफ़ले ही विदेशों से आयात करनी पड़ती हैं, जिनकी कीमत लाखों में होती है। गृह मंत्रालय की अनुमति से ही इसे आयात किया जा सकता है। जो कि एक आम खिलाड़ी के लिए दुष्कर कार्य है। जिनके पास अपने हथियार हैं वे निरंतर अभ्यास पर रहते हैं, जिसमें धनिक वर्ग के लोग अधिक हैं। रायफ़ल एसोसिएशन के पास हथियार हैं, लेकिन वे प्रतियोगिता के समय ही सुलभ हो पाते हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय मानक प्राप्त हथियारों से खिलाड़ी अभ्यास नहीं कर पाते। देशी रायफ़लों से अभ्यास करने में अपेक्षित परिणाम नहीं आते। समय-समय पर कैंप आयोजित करके नित्य खिलाड़ियों को हथियार एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराने चाहिएं। जिससे छत्तीसगढ के खिलाड़ियों को लाभ होगा।

हथियारों की सेटिंग एवं रख-रखाव का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। जानकारी के अभाव में नए खिलाड़ी अच्छा निशाना लगाने के बाद भी मैच से बाहर हो जाते हैं। इसके लिए उन्हे सही समय पर प्रशिक्षण उपलब्ध कराना चाहिए। रायफ़ल एसोसिएशन द्वारा खिलाड़ियों को समय पर जानकारी पहुंचानी चाहिए कि कब और कहाँ प्रशिक्षण कैंप लग रहे हैं। छतीसगढ के नाम से खेलने वाले दिल्ली वालों को जानकारी पहले मिल जाती है और राज्य के खिलाड़ियों को एक दिन पहले ही अखबारों के माध्यम से सूचना मिलती है। जो कि सही नहीं है। एक माह पहले से प्रतियोगिता की तारीख की घोषणा करके खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। जिससे दूर-दराज से आने वाले खिलाड़ियों को इसका लाभ मिलेगा और प्रशिक्षण से उनका खेल भी सुधरेगा। तब ही सही मायने में नवीन जिंदल द्वारा की गयी कोशिशें परवान चढेगी। बला टालने वाला कार्य नहीं होना चाहिए। आवश्यकता हुई तो इस विषय पर नवीन जिंदल से भी चर्चा की जाएगी।

27 सितम्बर को राजधानी के माना केम्प स्थित पुलिस की शुटिंग रेंज पर प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि मुख्य वन संरक्षक मुदित कुमार एवं आर्मी की प्रादेशिक सेना के कर्नल आर पी सिंग थे। इस अवसर पर प्रदेश के काफ़ी खिलाड़ी उपस्थित थे। प्रतियोगिता के शुभारंभ का दिन ट्रायल का होता है। आए हुए खिलाड़ी हथियारों पर एक बार हाथ आजमाते हैं। प्रतियोगिता के शुभारंभ में एसोसिएशन के सामान्य सचिव राकेश गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष शुटिंग रेंज के विस्तार के लिए जिंदल स्टील द्वारा 50 लाख रुपए खर्च किए गए। आगे भी आवश्यकता पड़ने पर जिंदल स्टील और भी सहायता करने को तैयार है। अभी विस्तार की हुई शुटिंग रेंज विधिवत विस्तार होना है। सचिव एवं कोच दुर्गेश वशिष्ठ ने कार्यक्रम का संचालन किया। शुटिंग का खेल व्यक्ति को हथियारों के प्रति अनुशासन सिखाता है। साथ ही खिलाड़ी की एकाग्रता में विस्तार के साथ साहस बढाता है।

मेरी बेटियों श्रेयांसि एवं श्रुतिप्रिया ने 5 वीं कक्षा से ही इस प्रतियोगिता में भाग लेना प्रारंभ किया था और इन पांच वर्षों में दोनो ने 4 सिल्वर एवं एक गोल्डमेडल प्राप्त किया। अगर नवीन जिंदल रायफ़ल एसोसिएशन को अपना सहयोग नहीं देते तो यह संभव नहीं था। ऐसे ही बहुत से खिलाड़ी है जो खेल के प्रति आकर्षित होकर संसाधनों की कमी के पश्चात भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर सरकार का सहयोग मिले तो अवश्य ही छत्तीसगढ के खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रिय स्तर तक प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं। प्रतिभाओं की कमी नहीं है, आवश्यकता है उन्हे हथियार एवं प्रशिक्षण की। इसकी तरफ़ छत्तीसगढ सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए एवं प्रदेश में एक शुटिंग अकादमी की स्थापना करनी चाहिए, जहाँ प्रतिभाओं को तराशा जा सके। सरकारी एवं जिन्दल कम्पनी के समवेत सहयोग से प्रदेश के खिलाड़ियों का भला हो सकता है। अकादमी खोलने के विषय पर मुख्यमंत्री महोदय से चर्चा की जाएगी।


NH-30 सड़क गंगा की सैर

21 टिप्‍पणियां:

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  2. आपका शूटिंग पोज देखकर ऐसा लग रहा है कि आपने किसी मठाधीष पर तो निशाना नही लगा रखा?:)

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  3. प्रिय गृहस्वामी , प्रिय बालक उदय , प्रिय बालिका द्वय श्रेयांसि एवं श्रुतिप्रिया यानि कि एक( स्नेहमयी भौजाई )को छोड़ कर पूरा खानदान शूटिंग में :)

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  4. शानदार
    आपने हमें NCC के दिनों की याद दिलादी|

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  5. ध्यानावस्था में डुबाने वाला खेल।

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  6. शूटिंग तो हम भी कर लेते हैं लेकिन बस कैमरे से । अपना आत्मबल तो उसी से बढ़ जाता है ।
    वैसे छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेश के लिए शूटिंग जैसा महंगा खेल क्या सही रहेगा ? बस यूँ ही एक विचार आया ।

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  7. आपको तो हर फील्ड की गहन जानकारी है । इस रोचक जानकारी के लिये आभार।
    श्रेयांसि एवं श्रुतिप्रिया को शुभकामनाएं।

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  8. रोचक जानकारी के लिये आभार...
    श्रेयांसि एवं श्रुतिप्रिया को शुभकामनाएं...

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  9. अच्‍छी जानकारी।
    शुभकामनाएं................;

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  10. @डॉ टी एस दराल

    छत्तीसगढ में किसी चीज की कमी नहीं है। आवश्यकता है संसाधनों के सही उपयोग की।

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  11. बेहतर परिणाम और उतकृष्ट प्रदर्शन के लिए जरूरी है कि सतत अभ्यास जरी रखा जाए.क्या राज्य सरकार प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को रायफल्स उपलब्ध नही करा सकती?उन्हें व्यक्तिगत रूप से न दे कर प्र्शिकष्ण केन्द्र पर ही रखे,जिस खिलाड़ी में इस खेल के प्रति जूनून होह्गा वो नियमित रूप से केन्द्र पर पहुँच कर अभ्यास करेगा.यानी थोडा थोडा समझोता दोनों करे.श्रेयांसी और श्रुतिप्रिया के प्रति आश्वस्त हूँ कि दोनों अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न केवल छ्तिसगढ़ बल्कि देश का नाम उज्ज्वल करेगी क्योंकि उनके पास सुविधा और प्रशिक्षक दोनों घर पर ही प्राप्त है. शुभकामनाये.

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  12. बच्चों को मैडल मिलने की बहुत बहुत बधाई!

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  13. अब तो श्रेयांसि की जीत की खबर मिल ही गई..पुनः बधाई/

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  14. पूरे परिवार को बधाई व शुभकामनाएं

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