सभी देवताओं एवं देवियों के पास निजी वाहन हैं, वाहन के विषय में सबकी अपनी-अपनी पसंद है। किसी को गरुड़, किसी को भैंसा, किसी को शेर, किसी को चूहा, किसी को नंदी बैल, किसी को मोर, किसी को एरावत पसंद है। संसार को चलाने के लिए अर्थ की आवश्यकता होती है और धन की देवी लक्ष्मी को उलूक वाहन पसंद आया। तब से उल्लू की प्रतिष्ठा में चार चाँद लग गए। उल्लू धन की देवी के सानिध्य में रहकर प्रतिष्ठा पा रहा है। उल्लू के साथ उल्लू का पट्ठा और फ़िर उसका पट्ठा अर्थात पूरा खानदान ही धन तक पहुंचने का स्रोत बन गया। धन तो हर किसी को चाहिए। किसी बड़े मंत्री-संत्री का चालक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि सबसे नजदीक और विश्वसनीय वही होता है। अगर किसी को कोई काम हो मंत्री संत्री से तो उस तक पहुंचने का उपयुक्त साधन निश्चित ही चालक है। अगर किस्मत ने साथ दिया तो बड़े-बड़े कार्य भी चालक के माध्यम से सध जाता है। लक्ष्मी जी का वाहन स्वचालित है उसके लिए चालक की आवश्यकता नहीं। इसलिए विचार करके जब से लक्ष्मी ने उल्लू को अपना वाहन बनाया। तब से उल्लू भी उलूकनाथ देव हो गए। चतुर देव उल्लू बनाकर अपना मतलब साध रहे हैं। लक्ष्मी स्तूति के साथ उलूक स्तुति भी हो रही है।
लक्ष्मी को उल्लू पसंद आने का प्रमुख कारण उसका उल्लू होना है। प्रत्येक गृहलक्ष्मी को स्वचालित उल्लू ही पसंद है, जो उंगली के इशारे पर नाचता फ़िरे। अलाद्दीन के चिराग के जिन्न की तरह "क्या हुक्म है मेरे आका" की तर्ज पर हाजिर रहे। गृहलक्ष्मी चाहती है कि उसका उल्लू सिर्फ़ उसके लिए ही उल्लू हो, पर संसार के लिए न हो। उल्लू के गुण उसे गृहलक्ष्मी के प्रिय बनाते हैं। सिर्फ़ सुनने वाले और जवाब न देने वाले उल्लू की बाजार में मांग अधिक है। बाजार में उल्लुओं की लाईन लगी है, दीवाली डिस्काऊंट पर मनचाहा उल्लू किश्त में भी बुक कराया जा सकता है, लेकिन उल्लू की डिलवरी देव उठनी एकादशी के बाद प्रारंभ होती है। क्योंकि एकादशी के पूर्व सभी साक्षी देव निद्रा में होते हैं और साक्ष्य होश-ओ-हवास में लिया-दिया जाता है। ताकि सनद रहे वक्त जरुरत पर काम आवे। उल्लू के कार्यों को देखते हुए कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए इसकी पूजा का विधान भी बनाया गया है। साल भर पूजा न हो पर करवा चौथ के दिन सभी गृहलक्ष्मियाँ अपने-अपने उल्लू की दीर्घायु की कामना करते हुए पूजा कर लेती हैं। इससे उल्लू भी निहाल हो जाते हैं और गृहलक्ष्मी भी प्रसन्न, चलो एक बार फ़िर उल्लू को खुश करके उल्लू बनाया।
कुछ उल्लू बने बनाए होते हैं, कुछ बनाने पड़ते हैं। सूर्योदय होते ही उल्लू बनने और बनाने का सिलसिला प्रति दिन शुरु हो जाता है। दूध वाला पानी मिला कर ग्राहक को उल्लू बना जाता है, जब तक दूध में से मेंढक निकल कर बाहर नहीं आए तब तक पता नहीं चलता कि दूध वाला उल्लू बना गया। काम वाली बाई डुबकी मार जाती है तो गृहलक्ष्मी बड़बड़ाती है कि आज फ़िर उल्लू बना गयी। दफ़्तर में बाबू सोचता है कि साहब एक दो फ़ाईलों पर बिना पढे ही साईन कर देते तो कुछ नगद का इंतजाम हो जाता। बस कंडक्टर को सवारी उल्लू बनाने के चक्कर में रहती है तो दुकानदार ग्राहक को डुप्लीकेट सामान थमा कर। ग्राहक दुकानदार को चूरन नोट देकर उल्लू बनाने की कोशिश में रहता है। लड़का बाप को उल्लू बना जाता है, स्कूल में फ़ंक्शन के नाम पर पैसे वसूल कर दोस्तों के साथ गुलछर्रे उड़ा रहा होता है। लड़की सहेली के घर जाने के नाम पर मुंह पर स्कार्फ़ बांध कर अपने ब्वायफ़्रेंड के साथ लांग ड्राईव पर निकल जाती है। सब्जी वाला कम तोल कर ग्राहक को उल्लू बनाता है तो ग्राहक भी सब्जी वाले को फ़टा नोट पकड़ा कर उल्लू बनाने के जुगाड़ में रहता है।
उल्लू बनना बनाना सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुछ उल्लू होने के स्वाभाविक गुणों के कारण बड़े - बड़े पदों पर विराजमान हैं। अगर उल्लूपना नहीं होता तो उनकी सात पुश्तें भी कुर्सी पर बैठना तो दूर, उसके नजदीक भी नहीं फ़टक सकते थे। राजनीतिज्ञों की भी प्रिय पसंद उल्लू ही हैं। जो भी आदेश मिले पार्टी का, उसे शिरोधार्य करके काम में लग जाओ। अगर किसी बिना तनख्वाह के उल्लू ने उल्लूपना छोड़कर बंदा बनने की कोशिश की तो उसको ऐसा वनवास दिया जाता है कि वापसी की सम्भावनाएं ही खत्म हो जाती हैं। उल्लू बनने के लिए लोग तैयार खड़े हैं बस बनाने वाला चाहिए। देश की जनता तो 60 बरस से उल्लू बन रही है, मंहगाई कम करने का वादा करके 10 गुनी मंहगाई बढा दी जाती है। उल्लू बनाकर नेता अपना घर भर रहे हैं, सरकार भी दो चार नेताओं को जेल में डाल कर जनता को उल्लू बना रही है। जनता उल्लू जैसे आँखे फ़ाड़ कर देख रही है दिल्ली की तरफ़, इसके अलावा कोई दूसरा चारा भी नहीं है। उल्लू बनना जो किस्मत में लिखा है।
कोई उल्लू बनाने में कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहता। विभिन्न उत्पादों के उल्लू बनाने वाले विज्ञापन अखबारों से लेकर चौक चौराहे पर लगे हुए हैं। दीवाली के अवसर पर लोग उल्लू बनने सज-धज के बाजार में निकलते हैं, आधे से अधिक लोगों को विज्ञापन ही घर से बाहर खरीदी के लिए निकालते हैं। कभी जरुरत होने पर ही सामान खरीदे जाते थे, अब गृहलक्ष्मी उल्लू को उल्लू बनाने लिए कुछ भी खरीद लाती है और एक के साथ एक या दो सामान फ़्री में मिलता हो तो फ़िर क्या कहने। रुमाल की जरुरत हो तो फ़्री में पाने के लिए साड़ी खरीद लो, बैग की जरुरत हो तो सूटकेश खरीद लो। टूथ ब्रश की जरुरत होतो, पेस्ट खरीद लो, कैमरे की जरुरत हो तो लैपटॉप खरीद लो, बेचारा उल्लू क्या करेगा? बस आँखे फ़ाड़-फ़ाड़ कर देखेगा। बर्दास्त से बाहर हो जाएगा तो फ़ेसबुक पर दो लाईन लिख कर भड़ास निकाल लेगा या ब्लॉग पर एक पोस्ट लगा लेगा। हमने भी आपको उल्लू बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, अपने उल्लू होने का प्रमाण देते हुए एक फ़ालतू सी पोस्ट लिख कर उल्लू बना कर पढवा दी। कोई कितना भी उल्लू बनने से बचना चाहे पर लेकिन लक्ष्मी की कृपा से उल्लू बनने और बनाने का सिलसिला जारी रहेगा।
दीपावली की हार्दिक शु्भकामनाएं, ज्योति पर्व आपके जीवन में उल्लास, समृद्धि, शांति, धन-धान्य लेकर आए।
:) दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं ......
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव पर हार्दिक बधाईयां और ढेरों शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंउल्लू बन गए आपकी पोस्ट पढकर ..
जवाब देंहटाएं.. आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं !!
राकेश wrote: @ फ़ेसबुक - "लक्ष्मी जी का दर्शन किया,उल्लू पुराण का पठन किया...देवारी की बधाई...."
जवाब देंहटाएंबहोत बढिया !
जवाब देंहटाएंआपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें....
जवाब देंहटाएंखूब है वहन और वाहन का दर्शन.
जवाब देंहटाएंAapko evm aapke pariwar ko diwali ki hardik subhkamna.
जवाब देंहटाएंहमने भी आपको उल्लू बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, अपने उल्लू होने का प्रमाण देते हुए एक फ़ालतू सी पोस्ट लिख कर उल्लू बना कर पढवा दी। कोई कितना भी उल्लू बनने से बचना चाहे पर लेकिन लक्ष्मी की कृपा से उल्लू बनने और बनाने का सिलसिला जारी रहेगा।
जवाब देंहटाएंअगर पाठक को उल्लू कहा जा रहा है तो लेखक को क्या कहेंगे ????
खैर उल्लू के बहाने अपने बहुत सारे सम्यक सन्दर्भों को समेट लिया और पोस्ट प्रसंगिक हो गयी.....! और हमें यहाँ उल्लू बनना भी पसंद आया ....आपकी इच्छा को ध्यान में रखते हुए ....आपको एक उल्लू की तरफ से दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं .....!
दिलचस्प और ज़ोरदार व्यंग्य आलेख. मुझे भी चार पंक्तियाँ सूझ गयीं . दीवाली की शुभकामनाओं सहित सादर समर्पित है -
जवाब देंहटाएंताल नदी सब सूख गए, बाकी है अब चुल्लू ,
फिर भी पानी बहुत है कह कर बना रहे हैं उल्लू !
नेता रोज बनाएँ सबको सच उल्लू का पट्ठा ,
ड्रिंक और डिनर संग करते हर दिन हँसी -ठट्ठा !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंदीवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
अन्जामे गुलिस्तां क्या होगा जब हर साख मे उल्लु बैठा हो !! दीपोत्सव का उपहार बहुत पसंद आया........ साभार आपका ।
जवाब देंहटाएं“उल्लू बनना बनाना, जीवन भर की रीत
जवाब देंहटाएंहास्य - परिहास करते, जीवन जाये बीत”
आपको दीप पर्व की सपरिवार सादर बधाईयां....
जय हो उल्लू पुराण की .....दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंगजब की उल्लू पुराण लिखी है आपने... वाह... जवाब नहीं इसका.... जब तक लक्ष्मीजी और गृहलक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी उल्लू बनने और बनाने का सिलसिला जारी रहेगा... उल्लू बनना और बनाना दोनों ही बहुत अच्छा लगा... दीपावली की हार्दिक-हार्दिक शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंबढिया व्याख्या।
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दीप पर्व की शुभकामनाएं......
बहुत अच्छी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंआपको परिवार सहित दीपावली की हार्दिक मंगलकामनाएं।
उल्लू देवता की कृपा बनी रहे..
जवाब देंहटाएंफिलहाल दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें...
उलूक-कथा अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक बधाइयां एवं शुभकामनाएं।
अति सुन्दर....** दीप ऐसे जले कि तम से संग मन को भी प्रकाशित करे ***शुभ दीपावली **
जवाब देंहटाएंअभी तो दीवाली की शुभकामनायें स्वीकारें .
जवाब देंहटाएंHappy Diwali, Lalit ji, Nice Post, Congrats.........
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
जवाब देंहटाएंआपको दीप पर्व दीपावली की शुभ कामनाएं !!
:):) गज़ब का उल्लू पुराण .
जवाब देंहटाएंदिवाली शुभ हो :)
देश की जनता तो 60 बरस से उल्लू बन रही है, मंहगाई कम करने का वादा करके 10 गुनी मंहगाई बढा दी जाती है।
जवाब देंहटाएंरोचक लेख .
शर्मा जी!
जवाब देंहटाएंआपको, आपके मित्रों और परिजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
"साल भर पूजा न हो पर करवा चौथ के दिन सभी गृहलक्ष्मियाँ अपने-अपने उल्लू की दीर्घायु की कामना करते हुए पूजा कर लेती हैं। इससे उल्लू भी निहाल हो जाते हैं और गृहलक्ष्मी भी प्रसन्न, चलो एक बार फ़िर उल्लू को खुश करके उल्लू बनाया।"
जवाब देंहटाएंआखिर हम भी उल्लू बन ही गए .....इतनी लम्बी पोस्ट पढ़कर भला कौन समझदार आदमी उल्लू नहीं बनेगा ???
:)
जवाब देंहटाएंशुभ दीपावली!
रोचक पोस्ट।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
वाह, ऐसा साहित्य भी उपलब्ध है ब्लाग पर.
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर पहली बार आया हूं । पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा भी मनोवल बढाएं । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसलाम है आपकी सोच को ......
जवाब देंहटाएंकहाँ से लाते हैं ऐसे ख्याल ......:))
लक्ष्मी को उल्लू पसंद आने का प्रमुख कारण उसका उल्लू होना है। प्रत्येक गृहलक्ष्मी को स्वचालित उल्लू ही पसंद है, जो उंगली के इशारे पर नाचता फ़िरे।
जवाब देंहटाएंउल्लू पुराण बढ़िया रहा ..
उल्लू- दर्शन , उल्लू -महात्म्य रोचक है !
जवाब देंहटाएंयह पर्व आपको और आपके परिवार को शुभ रहे !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबढियां उल्लू आख्यान
जवाब देंहटाएंdiwali beet jane k baad parh raha hoo. magar maza vahi diwali valaa hi aayaa. badhai..
जवाब देंहटाएंदेर से ही सही लेकिन अगली दीपावली तक मेरी हार्दिक शुभकामनायें। क्षमा चाहती हूँ आपका नाम भूल ही गयी थी क्या करूँ यादाश्त भी कमजोर हो गयी है। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंगज़ब का उल्लू-दर्शन है
जवाब देंहटाएंउल्लू प्रति समर्पण है.
मन की आँखों से देखो
व्यंग्य नहीं यह दर्पण है.
बेहतरीन !!! दीपावली की शुभकामनायें.
वाह, क्या बात है .... बेहतरीन लिखा है आपने .... आपके इस रचना को मैं अपने फेसबुक पेज पे शैर कर रहा हूँ ... उम्मीद है बुरा नहीं मानेंगे :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा बहुत रोचक उल्लू महिमा है आपने...वैसे उल्लू भी तभी अच्छे लगते हैं जब लक्ष्मी के साथ हों..तब बड़े चतुर-सुजन भी उन्हें शीश नवाते हैं...शुभकामनाएँ हैं की उल्लुओ को सदैव लक्ष्मी का साथ मिलता रहे .करवा चौथ सामयिक और दीवाली की अग्रिम शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंललीत भाई आपके इस आलेख ने समाज के लगभग दैनिन्दिन हर बिन्दुओं को स्पर्श किया है...साथ ही भारतीय संस्कृति का दर्शन भी।.....धन्यवाद....दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं....।
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसुंदर संक्षिप्त प्यारा सन्देश
जवाब देंहटाएंहरे माँ लक्ष्मी हर का क्लेश
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ...
घर लक्ष्मी बार हम आन उल्लू ..
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