निद्रा का सताया हुआ
थका तन-बदन
महसूस नहीं कर पाया
रात रानी की महक
मेंहदी की खुश्बू
बौराई हवा की गंध
महुए के फ़ूलों की
मदमाती गमक
दुर भगाती नींद को
उनकी आँखों में
तैरते हजारों प्रश्नामंत्रण
लाजवाब थे
लुढक गया वहीं
निद्रा ने भर लिया
आगोश में
थका तन-बदन
महसूस नहीं कर पाया
रात रानी की महक
मेंहदी की खुश्बू
बौराई हवा की गंध
महुए के फ़ूलों की
मदमाती गमक
दुर भगाती नींद को
उनकी आँखों में
तैरते हजारों प्रश्नामंत्रण
लाजवाब थे
लुढक गया वहीं
निद्रा ने भर लिया
आगोश में
शून्य सिर्फ़ शून्य था
न चेतना, न सपने
न पराए, न अपने
यह निद्रा का
सुखद अहसास था
शायद चिर निद्रा
ऐसी ही सुखद होती होगी ?
न चेतना, न सपने
न पराए, न अपने
यह निद्रा का
सुखद अहसास था
शायद चिर निद्रा
ऐसी ही सुखद होती होगी ?
शायद !
जवाब देंहटाएंभोर भई अब आंखें खोलो...,
जवाब देंहटाएंजागो मोहन प्यारे...
निद्रा से कुछ गहरी, निद्रा से कुछ लम्बी..
जवाब देंहटाएंशून्य सिर्फ़ शून्य था
जवाब देंहटाएंन चेतना, न सपने
न पराए, न अपने
यह निद्रा का
सुखद अहसास था
शायद चिर निद्रा
ऐसी ही सुखद होती होगी ?
निद्रा इतनी सुखद है, तो चिरनिद्रा जरुर इससे भी सुखद होती होगी, तभी तो जाने वाले के चेहरे पर दिखाई देते हैं असीम शांति और संतोष के भाव...
सुन्दर गहन भावयुक्त कविता के लिए आभार....
इस निंद्रा से तरो ताजगी मिलती है . उस से परम शांति !
जवाब देंहटाएंसपनों की बगिया में किस कारण विरानी है....?
जवाब देंहटाएं@S.M.HABIB
जवाब देंहटाएंकहानी जानी पहचानी
ये आज चिरनिंद्रा की बातें क्यों??
जवाब देंहटाएं@shikha varshney
जवाब देंहटाएंऐंवेईईईईईईई
चिरनिद्रा - कितना सुख है इस शब्द में. असीम, अनन्त, अद्भुत.
जवाब देंहटाएंभरपूर निद्रा तो तरोताजा कर ही देती है .. चिरनिद्रा की क्या जरूरत ??
जवाब देंहटाएंबहुत गहराई से विचारों को पिरोया है इस रचना में |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें |
आशा
sach kaha..nindra to bahut sukhad hoti hai
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