डॉ सत्यजीत साहू |
जब से लोग सुविधाभोगी हुए हैं, तब से भारत में डायबीटिज रोगियों का तेजी से प्रसार हो रहा है। ऐसा नहीं है कि डायबीटिज कोइ नया रोग है, चरक संहिता में उल्लेखित प्रमेहों में एक प्रमेह मधुमेह का भी उल्लेख हुआ है तथा इसका उपचार बताया गया है। असयंमित, अमर्यादित दिनचर्या के कारण मधुमेह अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। एक घटना का उल्लेख करना चाहूंगा, मैं एक विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलने गया था। उनसे चर्चा के दौरान तीन व्यक्ति और उपस्थित थे। जब कुलपति जी ने चाय लाने कहा तो सभी लोगों ने एक स्वर में बिना शक्कर की ही चाय कही। इसका मतलब यह था कि हम पाँच लोगों में सभी मधुमेह का शिकार थे। एक स्थान पर 100% मधुमेह ग्रसित व्यक्तियों का मिलना मुझे आश्चर्य चकित कर गया। खैर अब तो इसे राज रोग कहा जाने लगा है। एक मित्र का कहना था कि- मधुमेह एड्स से भी बुरी बीमारी है। क्योंकि एड्स के फ़र्स्ट स्टेज, सेकंड स्टेज एवं फ़ायनल स्टेज के विषय में व्यक्ति एवं डॉक्टर को पता रहता है परन्तु मधुमेह के मरीज को पता नहीं रहता कि कब उसे अटेक आ जाएगा या अन्य मधुमेह जनित रोग उसे कब अपनी गिरफ़्त में ले लेगें।
ड़ायबीटिज से ग्रसित होने पर ही व्यक्ति को पता चल पाता है कि वह रोग की चपेट में आ गया। डॉक्टर द्वारा शुगर लेबल बढा हुआ बताने पर वह चिंता ग्रस्त हो जाता है तथा मधुमेह को सहज स्वीकार नहीं करता। जैसे उसकी दिनचर्या चलती है उसी पर कायम रहता है। मधुमेह के प्रति जागरुकता की आवश्यकता है, जागरुकता एवं जानकारी के अभाव में अधिक नुकसान होता है और जान से भी हाथ धोना पड़ता है। कुछ दिन पूर्व एक महोदय मिले, उन्हे मधुमेह जनित इतनी अधिक बीमारियाँ थी कि सुबह से लेकर शाम तक 23 टेबलेट खाने के बारे मे बताया। ग्रामीण अंचल में भी मधुमेह पसर गया है। पहले लोग थकते तक मेहनत करते अब मशीनों के आने के कारण शारीरिक श्रम कम हो गया। आवश्यक नहीं है कि मधुमेह सिर्फ़ सुविधाभोगी लोगों को ही अपनी गिरफ़्त में ले रहा है। एक बोरा ढोने वाला पल्लेदार (कुली) भी इसकी गिरफ़्त में है। मधुमेह रोग जाति -पांति, धर्म, वर्ग, आयु, नारी-पुरुष आदि के बंधनों को तोड़ कर बिना किसी भेदभाव के सभी को समान रुप से शुगर से नवाज रहा है और मधुमेह से लोग जूझ रहे हैं।
ग्रामीण अंचल में मधुमेह का हमला सबसे पहले पैरों पर ही होता है। क्योंकि यहाँ खेतों में काम करने के लिए नंगे पैर जाना पड़ता है। बरसात के मौसम में ही खेती होती है, खेत को जोतने, बीज छिड़कने, निंदाई करने, रोपा लगाने, मेड़ मुंही पार बांधने के लिए पानी में ही काम करना पड़ता है। कांच से कटने एवं कांटे गड़ने का भय हमेशा बना रहता है। छोटी-मोटी फ़ुंसी होने, या कांटा, कांच गड़ने पर तुरंत ही गैंगरीन हो जाता है और पैर काटना पड़ता है। अच्छा भला व्यक्ति जागरुकता के अभाव में विकलांग हो जाता है। मैने होम्योपैथी के एक डॉक्टर के पास आया हुआ गातापार गाँव का एक ऐसा मरीज देखा कि जिसके दोनो हाथ कोहनियों एवं दोनो पैर घुटने के उपर से कटे थे तथा सारा शरीर सड़ रहा था, बदबू के मारे घिन आ रही थी। वह साक्षात नरक भोग रहा था। उस मरीज को देख कर डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिए क्योंकि वह सभी चिकित्सा पद्धतियों से गुजर चुका था। अब अंतिम इलाज मौत ही थी। ऐसे मरीज देखकर कोई भी मधुमेह का मरीज दहल जाए। ऐसी अवस्था में मधुमेह के प्रति लोगों को जागरुक करना सामाजिक संस्थाओं एवं सरकार का कर्तव्य हो जाता है।
सरकार, मलेरिया, एडस, कैंसर एवं अन्य बीमारियों के विषय में जागरुकता फ़ैला रही है। लेकिन डायबीटिज जैसे भयानक रोग के विषय में कोई कार्यक्रम नहीं है। सारा बजट इन्ही बीमारियों के प्रचार-प्रसार में लग रहा है। डायबीटिज के विषय में ग्रामीण अंचल में जागरुकता फ़ैलाने का काम डॉ सत्यजीत साहू ने प्रारंभ किया है। रायपुर के इस युवा डॉक्टर ने कालीबाड़ी रायपुर में डायबीटिक रिसर्च सेंटर एवं चिकित्सालय प्रारंभ किया। जहाँ मधुमेह के मरीजों के ओपीडी इलाज के साथ उसके साथ जीने का तौर तरीका सिखाया जा रहा है। प्रतिमाह की पहली तारीख को नि:शुल्क शुगर परीक्षण के साथ इलाज भी किया जाता है। साथ ही साथ ग्रामीण अंचल में डायबीटिज के प्रति जागरुकता के लिए "डायबीटिक मित्र" भी नियुक्त किए जा रहे हैं। जो ग्रामीणों को डायबीटिज के प्रति जागरुक करने का महती कार्य करेगें। प्रति रविवार को ग्रामीण अंचल का दौरा करके पोस्टर-पाम्पलेट एवं व्यक्तिगत सम्पर्कों से डायबीटिज के विरुद्ध युद्ध का शंखनाद किया जा चुका है। डॉ सत्यजीत साहू का कहना है कि अब यह युद्ध लगातार लड़ा जाएगा। प्रत्येक गाँव में मधुमेह से ग्रसित लोग मिल रहे हैं। उनको स्वस्थ्य रहने की उपयुक्त सलाह के साथ चिकित्सा भी दी जा रही है। डायबीटिज जैसे महामारी के विरुद्ध लड़ाई में हम भी डॉ सत्यजीत साहू के साथ हैं।
दो ब्लॉगर- डॉ सत्यजीत साहू और ललित शर्मा |
ड़ायबीटिज से बचने के लिए सिर्फ़ खानपान एवं जीवन शैली बदलने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। ड़ायबीटिज एक बहुत हीं खतरनाक बीमारी है लेकिन अगर आप प्राकृतिक उपायों से इस पर नियंत्रण कर सके तो मधुमेह से आपको घबराने की जरुरत नहीं है। डायबीटिज को समझें और उसका उपचार करें। अगर शुगर अत्यधिक बढ गयी हो तो पहले ऐलोपैथी से नियंत्रित करके प्राकृतिक उपचार से भी नियंत्रित की जा सकती है। जिसमें हल्के व्यायाम के साथ सुबह की सैर और फ़ायबर युक्त कम कैलोरी का भोजन प्रमुख हैं। मीठा, चावल, फ़लों का रस, कोल्डड्रिंक, शराब को त्याग ही देना बेहतर होगा। घरेलु तौर पर शाक सब्जियाँ शुगर नियंत्रित करने मे मुख्य भूमिका निभाती हैं। कहते हैं कि डायबीटिज और हाईब्लड्प्रेशर दोनो बहन-भाई जैसे ही हैं। एक के आगमन पर दूसरा बिना बुलाए ही साथ चला आता है। मैने अधिकतर डायबीटिज रोगियों को हाईब्लड्प्रेशर का शिकार देखा है। दोनो बहन-भाई मिल कर मनुष्य के शरीर को घुन या दीमक जैसे चट कर जाते हैं। अंत मे कुछ नहीं बचता राम नाम सत्य के सिवा। इसलिए जिन्हे भी डायबीटिज का राजरोग हो गया है वे स्वास्थ्य के प्रति जागरुक रहें और मित्रों के निवेदन है डायबीटिज के विरुद्ध इस मुहिम में अपना हाथ बटाएं। फ़ेसबुक पर डायबीटिक ग्रुप ज्वाईन करें, जहाँ नित नई जानकारियाँ प्राप्त होते रहेगी।
डा० साहू का डायबीटिज के लिये सराहनीय प्रयास,सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए,,,,,,
जवाब देंहटाएंMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
bahut hi acchi jaankari aur is lekh ke liye dhanywaad aapka lalit ji
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंडायबिटिज पर ग्रामीण क्षेत्र में काम करना वास्तव में बड़ा सराहनीय प्रयास है ।
बधाई और शुभकामनायें ।
आपने ठीक कहा है, ये बीमारी आज एक महामारी का रूप ले चुकी है, और अन्य असाध्य बिमारियों की जड़ भी है, सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. जनता में डायबीटिज के विरुद्ध जागरूकता फ़ैलाने की अत्यंत आवश्यकता है. डा० साहू डायबीटिज के रोगियों लिये प्रयास कर रहे हैं, वह भी गाँव - गाँव जाकर बहुत सराहनीय कार्य है... आप दोनों को शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंडायबिटिज पर ग्रामीण क्षेत्र में काम करना वास्तव में बड़ा सराहनीय प्रयास है ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी देता लेख ...
जवाब देंहटाएंड़ायबीटिज से बचने के लिए सिर्फ़ खानपान एवं जीवन शैली बदलने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। ड़ायबीटिज एक बहुत हीं खतरनाक बीमारी है लेकिन अगर आप प्राकृतिक उपायों से इस पर नियंत्रण कर सके तो मधुमेह से आपको घबराने की जरुरत नहीं है।
जवाब देंहटाएंgyanwardhak jankari ke liye shukriya lalit ji
मधुमेह के प्रति जागृतिप्रेरक आलेख!! बहुत ही संजीदा सामग्री!!
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट सराहनीय प्रयास, हमारी ओर से साधुवाद..
जवाब देंहटाएंअनियमित दिनचर्या, पश्चिमी रहन-सहन, हाई केलोरी खानपान, वर्क आउट की कमी ही संभवतः भारत में बढ़ते मधुमेह रोगियों का प्रमुख कारण है.... इस दिशा में जन जागरूकता हेतु डाक्टर साहू जी द्वारा किया जा रहा प्रयास अनुकरणीय है... हम सब को उनका साथ देना ही चाहिए....
जवाब देंहटाएंबढ़िया आलेख के लिए आपको सादर बधाई।
I appreciate your work and dedication.
जवाब देंहटाएंbadiya jankari se avgat karata aalekh...
जवाब देंहटाएंसही कहा यह राज रोग ही हैं ..और साथ ही फेमिली रोग भी ..जिनको यह रोग नहीं हैं वो अपने आप को खुश नसीब ही समझे ..सुबह की सैर और व्ययाम इसका सही इलाज हैं ..कुछ लोग कहते हैं की रोज करेले का जूस पीने से भी सुगर का लेबल कम होता हैं वेसे मेरी जानकारी हैं की जितना आप कडवा खाएगे इस बिमारी से उतना ही दूर रहेगे .... एक सार्थक पोस्ट ...सलूट डॉ. साहू को ...जयहिंद !
जवाब देंहटाएंआप दोनों को शुभकामनायें...!!!!
जवाब देंहटाएंडायबिटीज बहुत तेज गति से बढ रहा है .. ताज्जुब होता है कि मेहनत करने वाले मजदूर भी आज इसकी चपेट में आ रहे हैं .. डा० साहू का डायबीटिज के प्रति जन जागरूकता बढाने का प्रयास सराहनीय है .. अच्छी जानकारी दी है आपने !!
जवाब देंहटाएंडाइबिटीज से कभी मुक्ति नहीं मिलाती पर यदि समय रहते सचेत हो जाएँ तो उस पर नियंत्रण अवश्य किया जा सकता है |पर यह अवश्य है कि इस के साथ जीना बेहद कठिन है |अच्छा और सार्थक लेख |
जवाब देंहटाएंआशा
मीठी बिमारी
जवाब देंहटाएंबस इच्छा-शक्ति से जीती जाने वाली....रायपुर का नाम आया है..इस लेख में.. एक और उदाहरणः
डॉ.पी.एस.पटेल (नेत्र विशेषज्ञ)....जन्म 1933 में
30 से अधिक वर्षों से मधुमेह के साथ जीवन-यापन कर रहे हैं
इच्छा-शक्ति का कमाल
सादर
देश में इस बीमारी का बढ़ना बहुत चिंताजनक है पर सरकार को क्या ?
जवाब देंहटाएंजब किसी चिकित्सा मंत्री को इस बहाने कोई घोटाला करने की युक्ति सूझेगी तभी कोई सरकारी योजना बनेगी, मुझे तो हैरानी है कि हमारे भ्रष्ट नेताओं को इस बिमारी के नाम पर अभी तक घोटाला करने की क्यों नहीं सूझी ??
डॉ सत्यजीत साहू को कोटि कोटि धन्यवाद |
@yashoda agrawal
जवाब देंहटाएंडॉ पटेल जी से मै परिचित हूँ, रायपुर में एम जी रोड़ पे मंजु-ममता रेस्टोरेंट के बगल में इनकी क्लिनिक हुआ करती थी। अब तो कई वर्षों से इनके यहाँ जाना ही नहीं हुआ है। आपने याद दिला दिया।
@ Ratan singh shekhawat
जवाब देंहटाएंघोटालों और मंहगाई बढाने से फ़ुरसत मिले तो बाकी जनोन्मुखी कार्यक्रम चलाएगें न। हाँ एक बात यह भी है अधिकतर नेता, मंत्री डायबीटिज से पीड़ित हैं। लेकिन इनका ईलाज तो सरकारी तौर पर हो जाता है, आम आदमी की सुध कहाँ है इन्हे?
@ दर्शन कौर धनोय
जवाब देंहटाएंआपका सैल्यूट ज्यों का त्यों डॉ सत्यजीत साहू तक पहुंच दिया गया है। :)
उपयोगी.
जवाब देंहटाएंवास्तव में बड़ा सराहनीय प्रयास
जवाब देंहटाएंअसंयत जीवन शैली के अतिरिक्त यह रोग अनुवांशिक भी है . जीवन को नियंत्रित कर और खान पान के परहेज से इस पर नियंत्रण रखा जा सकता है !
जवाब देंहटाएंवसीम अकरम जैसे फास्ट बॉलर का मधुमेह की बीमारी पर नियंत्रण एक अच्छा उदहारण है!
सटीक आलेख...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंआपका लेख विशेष रूप से पढा क्यूं कि मेरे पति पिछले २५ वर्षों से इस रोग से पीडित हैं । नियमीत व्यायाम, सही खानपान और तनाव रहित दिनचर्या इस रोग को काबू में रकने में बहुत सहायक है । आपकी बात ठीक है कि इस के बारे में ज्यादा जानकारी और चेतावनियों की आवश्यक्ता है ।
जवाब देंहटाएंआलेख जानकारीप्रद है. धन्यवाद. भारत को डायबिटिक देश बनने से रोकने के लिए जीवनशैली में बदलाव ज़रूरी है.
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास को सामने लाना सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंmuj ko bi ye rog ho gaya tha 4month pahale ab aaj ye mera control hah without medicen agar aap ko bi karna ho tho samje kud ki apni power ko fir kare isko finish
जवाब देंहटाएंmuj ko bi ye rog ho gaya tha 4month pahale ab aaj ye mera control hah without medicen agar aap ko bi karna ho tho samje kud ki apni power ko fir kare isko finish
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