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गुरुवार, 1 नवंबर 2012

सिरपुर में एलियन्स ......Sirpur Chhattisgarh........ ललित शर्मा

उडनतश्तरी
प्राम्भ से पढ़ें 
मानव मन अज्ञात के प्रति प्रत्येक काल में ज्ञात होने के लिए दीवानगी की हद तक उत्सुक रहा है। फंतासियाँ गढ़ना, मनोरंजनार्थ उन्हें रोचक बनाकर प्रस्तुत करना आदिम काल से चला आ रहा है। जिनमे भूत-प्रेत, मानव के अमानवीय चमत्कारों, अन्तरिक्ष में चमक रहे तारों-सितारों एवं ग्रहों में निवास करने वाले परग्रहियों, देव एवं दानवों की शक्तियों की कथाओं का वर्णन प्रमुखत: सम्मिलित होता है।19 वीं सदी से वर्तमान तक समग्र विश्व एलियन नामक परग्रही की उपस्थिति को सिद्ध करने में लगा हुआ है। गाहे बगाहे एलियन का जिक्र होते रहता है। कभी कोई धरती पर या फिर अन्तरिक्ष में एलियन देखने का दावा करके रोमांचित करने का  प्रयास करता है।

फ़िल्मी जादू 
किसी-किसी ने एलियन के चित्र के लेने के भी दावे किये हैं। लेकिन वे चित्र इतने स्पष्ट नहीं हैं, जिससे एलियन की पहचान हो सके। एलियन के चरित्र को गढ़ने में फिल्मो का महत्वपूर्ण स्थान है। अधिकांश विदेशी फिल्मो में काल्पनिक कथाएँ गढ़ कर एलियन को मुख्य किरदार बना कर प्रस्तुत किया गया है। ऐसी ही एक फिल्म "कोई मिल गया" का हिंदी में मनोरंजनार्थ निर्माण हुआ। एलियन जैसी आकृति प्रागैतिहासिक काल के भित्ति चित्रों एवं प्राचीन शिल्पाकृतियों में पुरातात्विक उत्खनन के दौरान पाई गयी। इनमे एलियन की वर्तमान में प्रचलित होकर रूढ़ हुई आकृति से मिलान करने पर अत्यधिक समानता पाने के कारण  परग्रहियों के पृथ्वी पर आने का अनुमान लगाया जाता है।

फ़िल्मी जादू
भारत भी उड़नतश्तरियों की कहानियों एवं दावों से अछूता नहीं है।  आजादी से पहले ओडिशा में एलियन को देखा गया था और बाकायदा इसका विवरण पारंपरिक ताम्रपत्र पर खुदाई कर दर्ज करवाया गया। 1947 में आजादी से कुछ ही महीने पहले ओडिशा के नवागढ़ जिले में एक उड़ने वाली अज्ञात वस्तु उतरी थी। स्थानीय कलाकार पचानन महाराणा ने इस घटना को ताम्रपत्र पर दर्ज किया था। एलियन्‍स की इसी तरह की पुरानी कहानियों को दर्ज करने वाले ऎसे पत्रों को अब 'दी ऑब्लिट्रेरी जर्नल' में कॉमिक्स और दृष्टांतों के साथ प्रकाशित किया गया है। पुरी में कार्यशाला चलाने वाले सम्मानित "पट्टचित्र" कलाकार पचानन ने एलियन व उनके विमान के रेखाचित्र बनाए थे। ये एलियन 31 मई 1947 को पहाड़ी इलाके नयागढ़ में उतरे थे। इससे एक महीने बाद ही न्यू मेक्सिको के पास रोसवेल में एक संदिग्ध दुर्घटना हुई थी। अमरीकी वायुसेना ने दुर्घटनास्थल पर एक उड़नतश्तरी को बरामद करने का दावा किया।

रायसेन जिले से प्राप्त शैलचित्र 
नर्मदा घाटी के प्रागैतिहासिक शोध के दौरान सिड्रा अर्किओलोजिकल एनवायरमेंट रिसर्च ट्राइब वेलफेयर सोसायटी के अनुसार रायसेन जिले से 70 किलोमीटर दूर भरतीपुर के घने जंगलों के शैलाश्रयों में मिले प्राचीन शैल चित्रों के आधार पर अनुमान लगाया है कि यहाँ दूसरे ग्रह के प्राणी आए होंगे। यहाँ उड़न तश्तरी की भी तश्वीर उकेरी गयी है। इस चित्र में उकेरी गयी एलियन जैसी खड़ी आकृति का सिर बड़ा है। प्रागैतिहासिक मानव अपने आस पास नजर आने वाली चीजों को पहाड़ों की कंदराओं में उकेरते थे। संभव है कि उन्होंने किसी उड़नतश्तरी जैसी आकृति एवं एलियन को पृथ्वी पर देखा होगा तभी इनके चित्र गुफाओं में उकेरे। रायसेन से मिले शैलचित्र आदि मानव की तत्कालीन जीवन शैली से मेल नहीं खाते। कुछ इसी तरह के चित्र भीम बैठका एवं रायसेन जिले के फुलतरी गाँव की घाटी में भी मिले हैं।

सिरपुर से प्राप्त एलियन्स की प्रतिमा 
वर्तमान में प्रचलित परग्रहियों की आकृति से समानता लिए कुछ प्रस्तर एवं मिटटी की आकृतियाँ छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के सिरपुर में स्थित दक्षिण कोसल की राजधानी श्रीपुर के उत्खनन के दौरान प्राप्त हुयी हैं। उत्खनन में प्राप्त आकृतियों में से एक तो हुबहू एलियन की शक्ल से मिलती है। काले रंग की इस शिल्पाकृति की आँखे तिरछी हैं। सिर गंजा, छोटा सा मुंह, एवं नासिका से लेकर गुद्दी तक दो रेखाएं खिंची हुयी हैं। नर्मदा घाटी से प्राप्त शैलचित्रों में चित्रित आकृति को देख कर तो मात्र अनुमान लगाया जा रहा है, लेकिन सिरपुर से प्राप्त शिल्पाकृतियों को देखने के पश्चात् माना भी जा सकता है कि आज से ढाई हजार पूर्व के लोगों ने एलियन्स को देखा था। सिरपुर के उत्खनन निर्देशक अरुण कुमार शर्मा का मान्यता है कि सिरपुर में परग्रही प्राणियों (एलियन्स) का आना-जाना था।

अरुण कुमार शर्मा 
अन आइडेंटिफाई ऑब्जेक्ट्स याने उड़नतश्तरी पर शोध तो सैकड़ों वर्षों से चल रहा है। लेकिन इनके अस्तित्व को लेकर किसी निर्णय पर नहीं पंहुचा जा सका है। एलियन की सत्यता की खोज में विश्व की कई संस्थाएं अध्ययन में लगी है एलियन की खोज में आम आदमी को शामिल करने के लिए एक वेबसाइट सेटीलाइव डॉट ओआरजी को लॉंच की गई है. अमेरिका के शोधकर्ता डॉक्टर टार्टर ने अपना पूरा करियर एलियन की खोज में लगा दिया है. मंगल पर भी एलियन होने के चिन्ह प्राप्त होने का दावा किया जा रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि आगामी 40 वर्षों के दौरान एलियन की प्रमाणिक खोज हो जाएगी। हमें उस दिन की प्रतीक्षा है  जब सिरपुर में प्राप्त एलियन की शिल्पाकृतियाँ दक्षिण कोसल में परग्रहियों  के आगमन के प्रमाण के रूप में सिद्ध होंगी। उत्खनन निर्देशक अरुण कुमार शर्मा का अनुमान सत्य साबित होगा। .......... जारी है  ...... आगे पढ़ें 

21 टिप्‍पणियां:

  1. रोचक. एक दौर था Erich Von Daniken के Chariots of the Gods का. पुरातत्‍व में व्‍याख्‍या का भी/से भी रोमांच होता है.

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  2. बहुत रोचक लेख .. ताज्‍जुब ही है कि वर्तमान में प्रचलित परग्रहियों की आकृति से समानता लिए कुछ प्रस्तर एवं मिटटी की आकृतियाँ खुदाई में मिली है .. अब ये कल्‍पना है या हकीकत जानना तबतक मुश्किल है .. जबतक रहस्‍य का पर्दाफाश नहीं हो जाता है !!

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  3. कल 02/11/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  4. अद्भुत जानकारी . हमें भी इन्तेजार रहेगा

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  5. खुश हुए हम
    स्वागत है एलियंस का भी

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  6. रोचक जानकारी के लिए धन्यवाद !

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  7. निश्चय ही यह चित्र और प्रतिमा एक प्रमाण के रूप में प्रस्तुत होगा..

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  8. वर्तमान में प्रचलित परग्रहियों की आकृति के समान उत्खनन में प्राप्त आकृतियाँ उस समय भी इनकी उपस्थिति को सिद्ध करती हैं. और हमारे लिए महत्वपूर्ण यह है कि हमने इस प्रमाण को अपनी आँखों से देखा है, इसके लिए हम आपके और अरुण शर्मा जी के बहुत आभारी हैं...सचमुच सिरपुर भ्रमण एक उपलब्धि से कम नहीं है...

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  9. @संध्या शर्मा
    आपकी कृपा से मुझे भी देखने मिल गया ..........:)

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  10. उम्मीद है की एलियंस पृथ्वी के मानवों जैसे भ्रष्ट नहीं होंगे .
    यह विषय अभी भी चमत्कारिक लगता है.

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  11. सिर गंजा, छोटा सा मुंह, एवं नासिका से लेकर गुद्दी तक दो रेखाएं खिंची हुयी हैं।

    हमारे उड़न तस्तरी ( समीर लाल ) जी से तो नहीं मिलती इनकी शक्ल ...."))

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  12. बहुत ही रोचक जानकारी। आभार।

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  13. आपके ब्लॉग पर हर बार कुछ नया पढ़ने को मिलता है ...:)))

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  14. खोज, शोध और अध्‍ययन के नये पैमाने रच रहे हो आप...धन्‍यवाद इस अनजानी जानकारी के लि‍ये...

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