लाल किले से लोकतंत्र आज हुआ शर्मिन्दा हैं।
जागो हिन्दवासियों अपराधी अभी तक जिंदा हैं॥
एक दिन ऐसा आएगा,यह न हमने सोचा था
बाड़ ही खेत खाएगा, यह न हमने सोचा था
राज अपना सुराज हो, इसकी किसको चिंता है।
लाल किले से लोकतंत्र आज हुआ शर्मिन्दा हैं।
जागो हिन्दवासियों अपराधी अभी तक जिंदा हैं॥
बेटी के स्कूल जाते ही माँ उसकी खैर मनाती है
सही सलामत आ पाए बाप को चिंता सताती है
सड़कों पर होते बलात्कार, इसकी किसको चिंता है
लाल किले से लोकतंत्र आज हुआ शर्मिन्दा हैं।
जागो हिन्दवासियों अपराधी अभी तक जिंदा हैं॥
सभ्यता का ढोल पीटके गार्ड पार्टिकल तक जा पहुंचे
ताकत का प्रदर्शन करके तुम परमाणु बम सजा चुके
आदिमयुग की बर्बरता तुममे अभी तक जिंदा है।
लाल किले से लोकतंत्र आज हुआ शर्मिन्दा हैं।
जागो हिन्दवासियों अपराधी अभी तक जिंदा हैं॥
अत्याचारों की देखो अब तो, हद हो गयी है यारों
अपराधी खुले आम घुमे रहे, यह प्रजातंत्र है यारों
भारत गारत हो रहा है, इसकी किसको चिंता है
लाल किले से लोकतंत्र आज हुआ शर्मिन्दा हैं।
जागो हिन्दवासियों अपराधी अभी तक जिंदा हैं॥
घड़ियाली आंसू बहाकर, सत्ता बेवकूफ़ बनाती है
लाल किले की प्राचीरों से,बेबस सिसकियाँ टकराती हैं
अबलाओं की लाज लुट रही,इसकी किसको चिंता है।
लाल किले से लोकतंत्र आज हुआ शर्मिन्दा हैं।
जागो हिन्दवासियों अपराधी अभी तक जिंदा हैं॥
यह कृष्ण की धरती है,जिसने लाज द्रौपदी की बचाई थी
रण कुरुक्षेत्र सजा भीषण,कौरवों ने मुंह की खाई थी।
जाग रही है पुन: कौरवी सेना,इसकी किसको चिंता है
लाल किले से लोकतंत्र आज हुआ शर्मिन्दा हैं।
जागो हिन्दवासियों अपराधी अभी तक जिंदा हैं॥
न्याय मांगने इस धरा पर खड़ा हुआ है हर बंदा
हाथ जोड़ खड़े रहने पर पड़ता है पुलिसिया डंडा
अंग्रेजों सा बर्ताव हो रहा इसकी किसको चिंता है
लाल किले से लोकतंत्र आज हुआ शर्मिन्दा हैं।
जागो हिन्दवासियों अपराधी अभी तक जिंदा हैं॥
समय आ गया है अब, हाथों में तिरंगा उठा लो
गर भुजबल आया हो,तुम रण कुरुक्षेत्र सजा लो
नारा एक बुलंद करो, इस देश की हमको चिंता है
लाल किले से लोकतंत्र आज हुआ शर्मिन्दा हैं।
जागो हिन्द वासियों अपराधी अभी तक जिंदा हैं॥
(C)
सार्थक और जागरूकता भरी प्रस्तुति के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंकटु सत्य को बयां करती अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंइससे ज्यादा लोकतंत्र क्या शर्मिंदा होगा ??
सामयिक ,सार्थक ,सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट : निर्भय ( दामिनी ) को श्रद्धांजलि
http://vicharanubhuti.blogspot.in
अब क्या होगा?? वही जो सालों से होता आया है, लंबी जांच प्रणाली....फिर सालों बीत जाने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में .....फिर क्षमा याचना?? हो सकेगा तो कुछ को छोड़ भी देंगे.... कैसी कानून व्यवस्था???? कैसा लोकतंत्र ?? यहाँ मानवता शर्मिंदा है...
जवाब देंहटाएंआपने कटु सत्य कहा है, पर चंद दिनों किसी को याद भी नही रहेगा. काश कुछ सबक सीखा जा सके.
जवाब देंहटाएंरामराम.
एक सार्थक रचना ..
जवाब देंहटाएंसमय तो अब आ ही गया है !!
शानदार अभिव्यक्ति,
जवाब देंहटाएंजारी रहिये,
बधाई।
कडुवा सच को बयान कराती सार्थक रचना को प्रणाम.
जवाब देंहटाएंलोकतंत्र के नाम पर जो जो हो रहा है सभी जानते हैं। सत्ता आज कमजोर हाथों में है। बेईमान राजनीतिज्ञों पर प्रतिदिन लाखों टन शब्द उड़ेले जा रहे हैं लानत के। लेकिन वे हैं कि फर्क ही नहीं पड़ता।
जवाब देंहटाएंऐसे में क्या किया जाय। सरकार को जगाने के लिये नौजवानों ने जो अलख जगाई है वही कुछ ढाढस बन्धाती है।
ईश्वर करे वे सफल हों और राजदरबारों में सोये हुये कुम्भुकरण जागे।
इस भावमयी कविता के लिये आभार।
इस देश में सब कुछ होगा पर इन्साफ कभी नहीं होगा
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंदिनांक 31/12/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
मत कहो जिंदगी के दंगल में
जवाब देंहटाएंदामिनी की हार हुई।
आज इंसानों के जंगल में
इंसानियत की हार हुई।
अपराधियों को बक्शा नहीं जाना चाहिए।
सही आक्रोश है।
बिलकुल सही कहा... हद है यह तो...
जवाब देंहटाएंकड़वा सत्य है. पर अब बदलाव का वक़्त है. आशाओं के दीपक जल रहे हैं बेहतर समय देखने के लिए. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंललित जी बहुत अच्छा लिखा है भारत की जनता अब जग चुकी है लेकिन सरकारी दरिन्दगियाँ कम नही हो रही है।
जवाब देंहटाएंयहाँ पर आपका इंतजार रहेगा: शहरे-हवस
बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनब बर्ष (2013) की हार्दिक शुभकामना.
मंगलमय हो आपको नब बर्ष का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
इश्वर की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार.
शर्मिन्दा ही हो सकते हैं जब तक दुष्कर्मियों को दण्ड न मिल जाये।
जवाब देंहटाएंजागो हिंद वासियों अपराधी अभी ज़िंदा है। वाह गजब,,
जवाब देंहटाएं