रामगिरी पर्वत |
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चोटिया से आगे चलने पर उदयपुर आता है। यह अम्बिकापुर का एक ब्लॉक मुख्यालय है और यहीं प्रसिद्ध रामगिरी पर्वत है जो रामगढ़ के नाम से जाना जाता है। यहीं पर कालीदास ने मेघदूत की रचना की थी। भगवान राम वनवास के दौरान यहीं पर कुछ समय के लिए निवास किए थे। यहीं विश्व की प्राचीन "गुहा नाट्य शाला" है। यहीं पर सुतनुका देवदासी और रुपदक्ष की प्रेम कहानी पत्थरों में खुदी हुई है। दोपहर हो रही थी। उदयपुर से आगे निकलने पर अमित बाबा को फ़ोन किए, वे घर पर ही थे। उनके यहाँ से चाय पीकर हम आगे के सफ़र में चल पड़े। अम्बिकापुर से बाहर निकल कर एक स्थान पर हमने भोजन किया। हमारा लक्ष्य राबर्टसगंज था। वाईड्रोफ़नगर से आगे बढने पर प्रेम नगर के बाद छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश की सीमा आती है। सड़क ही हालत देख कर हमने अनुमान लगा लिया कि हम उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर चुके हैं।
चोटिया से आगे चलने पर उदयपुर आता है। यह अम्बिकापुर का एक ब्लॉक मुख्यालय है और यहीं प्रसिद्ध रामगिरी पर्वत है जो रामगढ़ के नाम से जाना जाता है। यहीं पर कालीदास ने मेघदूत की रचना की थी। भगवान राम वनवास के दौरान यहीं पर कुछ समय के लिए निवास किए थे। यहीं विश्व की प्राचीन "गुहा नाट्य शाला" है। यहीं पर सुतनुका देवदासी और रुपदक्ष की प्रेम कहानी पत्थरों में खुदी हुई है। दोपहर हो रही थी। उदयपुर से आगे निकलने पर अमित बाबा को फ़ोन किए, वे घर पर ही थे। उनके यहाँ से चाय पीकर हम आगे के सफ़र में चल पड़े। अम्बिकापुर से बाहर निकल कर एक स्थान पर हमने भोजन किया। हमारा लक्ष्य राबर्टसगंज था। वाईड्रोफ़नगर से आगे बढने पर प्रेम नगर के बाद छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश की सीमा आती है। सड़क ही हालत देख कर हमने अनुमान लगा लिया कि हम उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर चुके हैं।
धान की फ़सल |
सांझ ढल रही थी, गौवें अपने ठिकाने पर लौट रही थी। खेतों में धान की फ़सल लहलहा रही थी। मकान की छतों पर छाए हुए कवेलूवों से लग रहा था कि हम छत्तीसगढ़ अंचल में ही हैं। सीमा क्षेत्रों के रीति रिवाज, रहन-सहन, खान-पान तीज त्यौहार एक जैसे ही होती हैं तथा बोली में भी अधिक बदलाव नहीं होता। लेकिन बोली धीरे-धीरे बदल जाती है। गाड़ी हांकते आगे बढ़ रहे थे। पुत्तर प्रदेश की सरकार को कोस रहे थे कि सड़कें तो ठीक-ठाक होनी चाहिए। सरकार से अधिक जिम्मेवार यहाँ की जनता दिखाई दे रही थी। अगर जनता आवाज उठाए तो सरकार सड़क क्यों न बनवाए। जनता के द्वारा निर्वाचित सरकार है लेकिन जनमानस का भाव प्रकट करने के लिए तुलसीदास जी की एक चौपाई ही काफ़ी है "राम नाम राम नाम राम नाम कहिए ,जेही विधि राखे राम तेही विधि रहिए।"
प्रेम नगर |
अंधेरा हो चला था, सड़क की चाल और भी बिगड़ती जा रही थी। कार को रफ़्तार हासिल नहीं हो रही थी। आगे चलकर बहुत ही खराब सड़क आ गई। इस बीच अरविंद मिश्रा जी निरंतर फ़ोन पर सम्पर्क में थे। उन्हे चिंता हो रही थी कि हम कहाँ तक पहुंचे हैं। फ़ोन न लग पाने की स्थिति में उन्होने फ़ेसबुक पर सम्पर्क करना प्रारंभ कर दिया। उत्तर प्रदेश की सीमा में घुसते ही मोबाईल फ़ोन के नेटवर्क ने भी परेशान करना प्रारंभ कर दिया। था। आईडिया और बीएसएनएल दोनों के नेटवर्क दीवाली के लपलपाते छोटे लट्टुओं जैसे जल बुझ रहे थे। जहाँ नेटवर्क मिलता वही फ़ेसबुक खोल कर देख लेता। खराब सड़क पर पहुंचते ही रेल्वे क्रांसिग के पास अरविंद मिश्रा जी का फ़ोन आया, उन्होने लोकेशन ली और बताया कि इस स्थान से राबर्टसगंज है तो लगभग 30 किमी, परन्तु पहुंचने में डेढ घंटे से कम समय नहीं लगेगा।
मॉं वैष्णव देवी मंदिर |
हमें अंदाजा हो गया था कि आगे सड़क और भी खराब मिलेगी। यहाँ पर "डाला सीमेंट फ़ैक्टरी" है, जिसमें भारी वाहनों के आने जाने से सड़क ही गायब हो गई है। सिर्फ़ गड्ढे ही रह गए हैं। जैसे तैसे भाग्य के साथ सड़क कोसते हुए आगे बढ रहे थे। रास्ते में एक बड़ा मंदिर दिखाई दिया। नवीन निर्माण था लेकिन भव्य था। दूर से कलश पर फ़हराती हुई पताका बल्बों की रोशनी में दिखाई दे रही थी। मंदिर में मॉं वैष्णव देवी विराजी थी। मैने एक चित्र मंदिर का लिया फ़िर गेट के सामने कार खड़ी करवा कर दूसरा चित्र जूम करके गर्भ गृह में स्थित देवी के विग्रह का लिया। स्वर्णाभूषण से सुसज्जित संगमरमर द्वारा निर्मित देवी विग्रह नयनाभिराम था। इससे आगे चलने पर घाट मिलता है। जिस पर चढने के बाद राबर्टसगंज प्रारंभ हो जाता है। गाड़ी रोक कर जीपीएस को मिशन हास्पिटल तक पहुंचने का रास्ता बताने कहा। राबर्टसगंज में फ़ोर लाई सड़क का निर्माण कार्य चालु है। पता नहीं कब तक पूरा होगा।
मॉं वैष्णव देवी |
अरविंद जी ने फ़ोन पर होटल शुभ श्री का नाम बताया और कहा कि होटल औसत ही है लेकिन आपकी व्यवस्था कर दी गई है। जीपीएस वाली बाई ने "100 ते सज्जे मुड़ो और आगे चलदे रवो" कहा तो समझ आ गया कि होटल पास ही है। मिशन हास्पिटल से पहले होटल दिखाई दे गया। होटल पहुंचते ही कमरे का हाल देखा। कारिडोर में एसी लगा था जिसकी गर्मी से सारा कारीडोर उबल रहा था। रुम में घुसते ही सबसे पहले एसी चालु किया और खाने का आर्डर दिया। खाना आते तक मैं और पाबला जी नहा लिए थे। गिरीश भैया घर से ही नहाकर चले थे। वैसे सुबह नहाया तो मैं भी लेकिन गर्मी और उमस के कारण नहाना जरुरी हो गया था। दिन भर के सफ़र के कारण थके हुए थे फ़िर भी सोते हुए 12 से अधिक बज गए थे। सुबह जल्दी चलने का करार था। 4 बजे चलने का वादा निभाना था इसलिए बिस्तर पर पड़ गए। आगे पढें……
पुत्तर प्रदेश नामकरण पर बलि जाऊं हा हा हा
जवाब देंहटाएंलिखते रहिये
नितीश ने बिहार की सड़कें सुधरवा दीं , उत्तर प्रदेश का रखवाला कौन। …कौन बनेगा करोडपति का सवाल है !
जवाब देंहटाएंजिस पाराग्राफ में खराब सडक की चर्चा हुई है ... उसी के साइड में सुंदर सडक की फोटो लगी हुई है ... चलिए उम्मीद पर दुनिया कायम है !!!
जवाब देंहटाएंखराब सड़क भारत की किस्मत लगती है कहीं भी निकलो सामने आ ही जाती है।
जवाब देंहटाएंसड़के खराब थी मगर पाबला जी का यही सन्देश था की हर हाल में खुश रहना है इसलिए हमारा मूड ठीक ही रहा
जवाब देंहटाएंवाह ! क्या नाम दिया पुत्तर प्रदेश .!
जवाब देंहटाएंRECENT POST : पाँच दोहे,
'पुत्तर प्रदेश' नाम तो सुना होगा हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंपुत्तर प्रदेश😂😂😂
जवाब देंहटाएंअब तो बस नाम रह गया है