हम चलते-चलते मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंच गए। मुख्य द्वार पर पुरातत्व विभाग के सुरक्षा कर्मी तैनात हैं, जो आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की टिकिट की जाँच करते हैं। इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए भारतीयों से 10 रुपए प्रति व्यक्ति शुल्क लिया जाता है। उंचे अधिष्ठान पर मंदिर तीन भागों में विभक्त है।
पहले नाट मंडप है, जिसके प्रवेश द्वार पर दो विशाल सिंह हाथियों पर आक्रमण करते दिखाई देते हैं। हाथियों से विशाल विकराल सिंहों का निर्माण किया गया है। दोनो हाथियों ने सुंड से एक-एक व्यकित को दबोच रखा है और हाथियों को सिंह ने।
भूतल से सिंह प्रतिमाओं की उंचाई 9.2 फ़ुट है। ये प्रतिमाएं एक ही पत्थर की बनीं हैं। 28 टन की 8.4 फ़ुट लंबी 4.9 फ़ुट चौड़ी हैं। सिंह अलंकरण से युक्त हैं। नाट मंडप तक पहुंचने के लिए भूतल से 18 पैड़ियों का निर्माण किया गया है। यहाँ से प्रवेश करने पर सामने जगमोहन दिखाई देता है। नाट मंडप मुख्य मंदिर से पृथक अधिष्ठान पर पूर्व दिशा में निर्मित है।
मंडप को तीन भागों में बांटा गया है। इस मंडप की पश्चिम दिशा में जगमोहन एवं गर्भगृह है। कहते हैं कि इन तीनों भागों से सूर्य की किरणें जगमोहन में प्रदेश कर गर्भ गृह में स्थापित सूर्य की प्रतिमा को आलोकित करती थी। यही प्राचीन शिल्प का चमत्कार है।
इनको बारह महीनों के क्रम में बांटा गया है और प्रत्येक 4 महीने एक हिस्से से सूर्य की किरणें मंदिर में प्रवेश करती थी। नाट मंडप में वाद्यकों, विद्याधरों, अप्सराओं एवं गंधर्वों का शिल्पांकन किया गया है। स्तंभो एवं भित्तियों पर इन्हें स्थान दिया गया है।
मंडप को सुंदर लता वल्लरियों से सजाया गया है। स्तंभों में सिंह व्याल को प्रमुखता दी गई है। उड़ीसा क्षेत्र में परम्परागत रुप से बजाए जाने वाले वाद्य भी यहाँ दिखाई देते हैं। तत्कालीन संगीत संस्कृति की झलक इस स्थान पर दिखाई देती है।
नाट मंडप के अधिष्ठान की ऊंचाई लगभग 10 फ़ुट है एवं नाट मंडप की ऊंचाई 128 फ़ुट बताई जाती है। इस मंडप में पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सरंक्षण का किया कार्य स्पष्ट दिखाई देता है। हम जब नाट मंडप में पहुचे तो पर्यटकों की संख्या अच्छी खासी दिखाई दी। इस स्थान पर उड़ीसा सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग द्वारा सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया जाता है। आगे पढ़े जारी है……
चित्र देख कर मज़ा आ गया ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रोचक जानकारी प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंAakrshak chitr or bahut gyanvardhak lekh
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