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रविवार, 3 जुलाई 2016

ब्लॉगर मिलन के बाद हम्पी की ओर - दक्षिण यात्रा 9

गले दिन 10 मार्च 2016 को सुबह हमने कर्नाटक के नगर हम्पी जाने का फ़ैसला किया। विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी जाने का कई वर्षों से मन था। आज की रात ब्लॉगर साथी विवेक रस्तोगी जी के यहाँ भोजन का निमंत्रण था। हमारे होटल से यह दूरी लगभग 20 किमी तो होगी ही, आना-जाना 40 किमी और उसी रास्ते से हम्पी जाना था। तब विवेक रस्तोगी जी से उनके यहां ही रात रुकने की अनुमति ली गई, जिससे चालिस किमी का फ़ेरा और समय दोनों की बचत होगी। रात हम उनके यहां पहुंच गए। उन्होने अपने घर का जीपीएस दे दिया। कार सीधी जाकर दरवाजे पर ही रुकी।
तीन ब्लॉगर - बी एल पाबला, विवेक रस्तोगी, ललित शर्मा
घर पहुंचने पर विवेक भाई प्रतीक्षा करते मिले, जाते ही पहले स्वादिष्ट भोजन किया और उसके बाद फ़ुरसत में ब्लॉगिंग की दुनिया के भूले बिसरे गीत गाए गए। चर्चा करते हुए काफ़ी रात हो गई, हमें तो सुबह जल्दी हम्पी के लिए निकलना था। इसलिए सो गए। सुबह जल्दी उठकर स्नानाबाद से लौटकर विवेक भाई से विदा ली और गाड़ी गेयर में डाल दी। इनका घर सुरक्षित कालोनी में है। हमारी गाड़ी अब हम्पी के रास्ते पर दौड़ रही थी। हमें लगभग साढे तीन सौ किमी का सफ़र तय करके हम्पी पहुंचना था। 
हाईवे पर ब्लॉगर
सुबह जल्दी प्रारंभ किया गया सफ़र हमेशा सुखदाई होता है, सफ़र जल्दी तय होता और शहरी इलाके में ट्रैफ़िक कम रहता है। वरना बड़े शहर से बाहर निकलते हुए ही एक घंटा से अधिक समय खराब हो जाता है। हमारी गाड़ी हाईवे पर सपाटे से चल रही थी। साढे तीन सौ किमी का सफ़र तय करने में कम से कम छ: घटे तो लगने ही थे। साढे सात बजे के लगभग नाश्ते की आवश्यकता महसूस होने लगी।
खाने का नाश माने नाश्ता
हमने नेलमंगला स्थान पर इडली बनते देखकर गाड़ी रोकी। यहाँ एक मशीन से बड़ी इडली बन रही थी। हमने इडली खाई, परन्तु यहां की चटनी सांभर में वो मजा नहीं आया, जो हैदराबाद में मिला था। नाश्ते के बाद आगे का सफ़र तय करने के लिए चल दिए।
पवन पंखे का ब्लेड
चित्रदुर्ग से हमने हाईवे छोड़ दिया स्टेट हाईवे पर आ गए। अब हमारी गाड़ी की रफ़्तार कम हो गई। रास्ते पर एक स्थान पर छोटी डूंगरी पर इकलौता वृक्ष दिखाई दिया। ऐसा ही हमें हैदराबाद से बैंगलोर आते समय दिखा था। गाड़ी रोक कर इसकी फ़ोटो ली। इधर हवा से बिजली बनाई जाती है, इसके पंखे जगह जगह पर लगे हुए हैं। गाड़ियों में भी इनकी पंखुड़ियां ट्रांसपोर्ट होती दिखाई दे रही थी। एक पंखुड़ी ही एक गाड़ी में ट्रांसपोर्ट हो रही थी। इससे पंखुड़ी के साईज का पता चल रहा था। बड़ी कम्पनियां यहां पवन उर्जा के टावर लगाकर मोटा पैसा बना रही हैं। राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में ऐसा ही दिखाई देता है।
विजयनगर साम्राज्य हम्पी का हौसपेट द्वार
हम डेढ बजे हौसपेट से प्राचीन विजयनगर साम्राज्य के द्वार पर पहुंच चुके थे। द्वार देखकर ही मन खिल गया। इसके दांए तरफ़ प्रस्तर के नागदेवता विराजमान हैं और बांए तरफ़ कूप आराम वाटिका है। हमने गाड़ी रोकर इनकी फ़ोटो ली, क्योंकि हमारा वापसी का मार्ग तय नहीं था। हो सके कि वापसी में इधर आना ही न हो, इसलिए कल पर छोड़ने के बजाय आज ही चित्र ले लो। 
की होल कूप ( कूप आराम वाटिका)
यहां से हम्पी का मुख्य गांव कमलापुर पांच किमी की दूरी पर होगा। यहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का मिनी सर्किल है। उसके अधीन ही हम्पी में संरक्षण एवं उत्खनन का कार्य होता है। यहां डिप्टी एस ए के पद पर एन सी प्रकाश पदासीन है। उनसे फ़ोन पर बात हुई, कमलापुर के अम्बेडकर स्क्वेयर आने कहा।
कमलापुर चौक हम्पी
अम्बेडकर स्क्वेयर के एक रास्ता बेल्लारी तरफ़ चला जाता है। इसी चौक पर सर्वे का दफ़्तर है। हम यहां दो बजे पहुंचे तो डिप्टी एस ए भोजनावकाश पर थे। उनके लौटने तक हम भी भोजन करने के लिए चौक पर आ गए। चौक पर ही साउथ इंडियन खाने का एक अच्छा शाकाहारी होटल है। यहीं हमने भोजन किया, खाना भी एक नम्बर और उम्दा था और खर्च भी कम। एक सौ बीस रुपए हम दोनो का पेटभर भोजन हो गया। जिसमें सांभर, चटनी, दो सब्जी और रोटी थी। भोजन करके लौटने पर डिप्टी एस ए महोदय भोजनावकाश से लौट आए थे। परिचय होने पर उन्होंने अपना एक आदमी हमें गाईड के रुप में हम्पी भ्रमण के लिए दिया। जारी है… आगे पढें।

2 टिप्‍पणियां:

  1. हम्पी यात्रा जारी है हम सबकी भी, आपकी शब्द यात्रा के साथ-साथ। जारी रहे। शुभकामनाएं....

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