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शनिवार, 27 अगस्त 2016

जंगल में भालुओं से भेंट

छत्तीसगढ़ के वनांचल में भालूओं की अच्छी खासी संख्या है। जंगल यात्रा के दौरान इनसे मुलाकात हो ही जाती है। इनके द्वारा ग्रामीणों पर हमले के समाचार मिलते ही रहते हैं। खास कर महुआ फ़ूल के सीजन में शिकायतें बढ़ जाती है। महिलाएं महुआ फ़ूल चुगने जाती हैं तो भालू उन पर हमला कर घायल कर देते हैं जिससे हमले में कईयों की तो मौत भी हो जाती है। लोगों को लगता है कि भारी भरकम दिखने वाला भालू दौड़ नहीं सकता, परन्तु भालू अड़तालिस किलोमीटर प्रति घंटा की गति से दौड़ सकता है। 
अर्जुन के वृक्ष पर भालू के पंजों के चिन्ह
भालू के पिछले पांव अगले पावों की अपेक्षा अधिक लम्बे होते हैं इसलिए वह ढाल पर तेजी से नहीं दौड़ पाता ऐसी स्थिति में वह गोल होकर लुढक जाता है। भालू को मीठे फल बहुत प्रिय हैं। शहद को भी वह बड़े चाव से खाता है। मधुमक्खी के छत्तों की खोज में वह प्राय: गाँवों में घुस जाता है। क्रोधित मधुमक्खियाँ उस पर आक्रमण करती हैं, किन्तु उसके शरीर के लम्बे, झबरे और रूखे बालों पर मधुमक्खी के डंको का कोई असर नहीं होता। 
नदी की रेत पर भालुओं के पद चिन्ह
हमारे देश में जब महुआ फूलता है, तो भालू प्रात:काल गिरे हुए फूलों को खाने के लिए आते हैं। कभी-कभी भालू स्वयं महुए के वृक्ष पर चढ़ जाते हैं, और डालियों को हिलाकर फूल गिराते हैं। जंगल भ्रमण के दौरान भालूओं से भेंट होते रहती है। पर हम यहाँ सावधान रहते हैं, भालू की उपस्थिति के चिन्हों को देखते हुए चलना पड़ता है। नदी के किनारे एवं जंगल में इनके पदचिन्ह मिल जाते हैं साथ ही जब ये शहद खाने पेड़ों पर चढ़ते है तो इनके नाखूनों के चिन्ह पेड़ों पर दिखाई देते हैं। 
जंगल में भालू
ऐसी स्थिति में इनसे बचना ही श्रेयकर रहता है। सूरजपुर के प्रेमनगर के जंगल में एक भालू ने वनकर्मी पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। यह घटना पिछले साल 22 दिसंबर की है। भालू ने 24 घंटे के अंदर दो लोगों की जान ली थी। पेंड्रा के पास गांव में भालूओं ने हमला किया तो ये ग्रामीणों के क्रोध का शिकार बने और मार डाले गए। मानव और ग्रामीण जनों के आपसी संघर्ष की सूचनाएं मिलते रहती हैं। उपरोक्त सभी चित्र मेरे द्वारा खींचे गए हैं।

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर जानकारी भाई....वन संरक्षण के अंतर्गत इन पशुओं और मानवों को कोई नुकसान न पहुँचे इसका प्रावधान होगा बस ज़रूरत है उसके अनुपालन की...

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  2. अपने गांव की कई डरावनी भालुओं की यादें-बातें ताज़ी हो गयी।

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  3. जब भी हम जंगली जानवरों के घर में दखल देगे वो भी हम पर वार करेगे | सुंदर प्रस्तुति |

    ख्यालरखे.com

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  4. आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति ऋषिकेश मुखर्जी और मुकेश - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।

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  5. वन्य जीवन और उनमें हो रही हलचलों से वाकिफ करवाना आपका हुनर है और हौसला भी | पढ़ते हुए यूं लगता है ठीक आपके बगल में हों ..भालू इतनी तेज़ दौड़ सकता है ये जानकार जरूर हैरानी हुई मैं भी यही सोचता था कि क्या भाग पाता होगा थुलथुलवा ,,

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