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गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

चरम सीमा पर मंहगाई, मध्यम वर्ग की दुहाई

एक विज्ञापन है, जिसमे फ्रिज, वाशिंग मशीन, माइक्रोवेब, आदि खरीदने पर दीवाली धमाका आफर में कुछ गिफ्ट दिए जा रहे हैं.

जिसमे फ्रिज डबल डोर खरीदने पर खाने का तेल, सिंगल डोर फ्रिज खरीदने पर शक्कर, एवं अन्य उत्पादों पर विभिन्न तरह के आकर्षक गिफ्ट है. 

प्रश्न यहाँ पर विज्ञापन का नही है, प्रश्न यहाँ पर दिनों दिन बढती हुई महंगाई का है.  

आज इलेक्ट्रानिक वस्तुओं कि खरीदी पर खाने पीने का सामान दिया जा रह है गिफ्ट में, यही दो साल पहले खाने पीने के सामान में इलेक्ट्रानिक वस्तुओं का गिफ्ट दिया जाता था. 

आज शक्कर में फूटकर खरीदी पर ५ रूपये किलो की फिर तेजी आई है, आलू, प्याज २०-२० रूपये किलो हो गए है, जबकि इसी प्याज ने भाजपा को एक विधानसभा का चुनाव हरवा दिया था.

उस समय प्याज की महंगाई पर पानी-पानी पी कर कोसने वाले नेता कहाँ है? 

क्या बढे  हुए खाद्य पदार्थों की कीमत उन्हें नहीं दिख रही है? 

जिस हिसाब से महंगाई बढ़ रही है, पता नहीं ये कहीं पर जाकर रुकेगी,१०० दिन में महंगाई घटाने का दावा करने वाली सरकार का ध्यान किधर है?

आज मजदूर-किसान से लेकर एक मध्यम वर्गीय परिवार को अपना घर चलाना ही मुश्किल हो रहा है. 

महंगाई के कारण आज गिफ्ट में खाद्य सामग्री ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दी जा रही है, ये एक बहुत बड़ी सोचने की बात है. 

जो पेट भर खाना १५ रूपये थाली में मिल जाता था आज वही थाली ५५ रुपये की हो गई है. 

दिल्ली में बैठे नेताओं गरीबों की सुनो,नहीं तो अब गरीब-मध्यम वर्गीय परिवार भी तुम्हारी सुननी बंद कर देगा.

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