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शनिवार, 31 अक्तूबर 2009

टोनही के संदेह में महिला की हत्या होना आदिम बर्बर युग की कहानी जैसा

कल  का हमारा गंभीर विषय था कि बेसहारा गरीब औरतों को ही "टोनही" क्यों ठहराया जाता है? "टोनही"यह एक गंभीर विषय है, इसके सभी पहलुओं पर ब्लॉग जगत में चर्चा होनी चाहिए, पहली टिप्पणी संगीता पूरी जी की आई उन्होंने कहा कि-बिल्‍कुल आसान सी बात है 

परिस्थितियों की मार से ही बचपन से संघर्ष करते करते जिन बेचारियों के चेहरे पर रौनक या शरीर में ताकत नहीं रह जाती, जिन लाचारों की मदद करने को समाज का कोई व्‍यक्ति आगे नहीं आ सकता, उन्‍हें ही तो निशाना बनाकर बैगा अशिक्षित जनता पर अपना विश्‍वास बनाए रख सकता है !!

गोदियाल जी ने कहा -अशिक्षित और मूर्ख लोग इसकी जड़ है ! मगर अफ़सोस कि जिन इलाको में ये घटनाएं होती है वझा कोई तो पढ़े लिखे होंगे, वे आगे क्यों नहीं आते ? 

जी.के.अवधिया जी ने कहा कि-यही तो विडम्बना है कि सताया निर्बल को ही जाता है। वो कहते हैं ना "गरीब की लुगाई सबकी भौजाई" बचपन में मैंने ऐसे समृद्ध औरतों को भी देखा है जिन पर टोनही होने का आरोप लगाया जाता था किन्तु उन्हें सताना तो दूर, उनके या उनके परिजनों के सामने लोग उन्हें टोनही कहने साहस भी नहीं कर सकते थे। हमेशा से गरीब निर्धन, परित्यक्ता, अकेली, स्त्री ही इसका शिकार क्यों होती है? यही तंत्र-मंत्र, झाड़-फूंक, जादू-टोना का काम तो वो बैगा-तांत्रिक भी करता है. उसके साथ कभी भी यह व्यवहार क्यों नही होता? 

इसी पर आगे चलते हुए मै आपको एक सत्य घटना की ओर ले चलता हूँ,!!!!!!

एक दिन मेरे पास घर पर मेरे मित्र आए, कुछ बदहवास से लग रहे थे, पेशे से हिन्दी के व्याख्याता  हैं, मुझे कहने लगे कि ' जल्दी चलो महाराज! मेरी बहन का मर्डर हो गया है. मैंने पूछा कहाँ ? उहोने कहा कि "गनौद" में, गनौद एक गांव है जहाँ की आबादी लगभग २००० के आस-पास होगी, 

वे बोले जल्दी चलो! आप जाओगे तो थानेदार लिखा पढ़ी सही करेगा, आपकी पहचान का है। मै उनके साथ उस गांव में पहुंचा तो दोपहर का समय था,सन्नाटा छाया हुआ था. बीच रास्ते में एक महिला की लाश पड़ी थी. उसकी उम्र शायद ५०-५५ साल के आस-पास रही होगी. उसका पति और कुछ परिवार वाले ही वहां पर थे. 

उसके पति ने बताया कि हम दोनों घर से ब्यारा (जहाँ फसल काट कर रखी जाती है खलिहान) जा रहे थे, (उनका घर खलिहान से कोई १०० मीटर दूर होगा) तभी हमारे घर के सामने रहने वाला एक लडका सामने से सामने से टंगिया (कुल्हाडी) लेकर आया और बोला- तू टोनही है और तुने मेरे को टोनहा दिया (जादू-मंतर कर दिया) मै तेरे को जिन्दा नहीं छोडूंगा कहकर-उसके सर पर टंगिया का चार पॉँच वार कर दिया. 

जिससे वो स्त्री वही पर गिर गई और उसके प्राण पखेरू उड़ गए.

अब उस लड़के ने इसके बाद क्या क्या वो भी सुन लीजिए. उस स्त्री की हत्या करने के बाद वह लड़का अपने घर के पीछे बने तालाब में इतमिनान से अपने टंगिया से सारा खून धोकर घर आता और खाना बनाकर खाकर अपने घर में ही सो जाता है. हत्या करके भागने की कोशिश नहीं करता. एक हत्या की उसने निर्भय होकर, 

इसके पीछे उसकी कौन सी मानसिंक स्थिति काम कर रही थी? यह लड़का पढ़ा लिखा था, एम्.काम. का स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त था. बस किसी के कहने-सुनने से उसके मनोमस्तिष्क में एक बात बैठ गई थी कि उसके घर के सामने रहने वाली औरत "टोनही" है, और उसने मेरे ऊपर कुछ जादू टोना कर दिया है. जिससे नौकरी नहीं लग रही है या नौकरी नहीं मिल रही है. 

इसकी परिणिति एक निर्दोष की हत्या के रूप में हुई. वह भी दिन दहाड़े और सरे-आम.जब पुलिस उस लडके को पकड़ने आई तो उसने कहीं भागने की कोशिश किये बिना हथियार सहित आत्म समर्पण कर दिया. 

मै जब उससे थाने में मिला तो बहुत ही शांत था जैसे उसने कोई बहुत बड़ा पुण्य का काम किया है और गांव वालों को बहुत बड़ी भारी विपदा से बचाया है.

अब हम इधर उस वृद्धा की पारिवारिक परिस्थितिओं पर गौर करते  हैं, तो पता चलता है कि उसके दो लड़के हैं, एक सरकारी नौकरी में है, गांव से बाहर रहता है, उसको माता पिता से कोई लेना देना नही है,गांव भी नही आता है, 

दूसरा लड़का है वो भी दुसरे शहर में आर.एम्.पी. डाक्टरी करता है, उसकी शादी के बाद वो भी गांव और माता पिता से कोई सम्बन्ध नहीं रखता. 

इस तरह दोनों पति-पत्नी अकेले रहते थे और जो ५-६ एकड़ खेती थी उसको बोते-खाते थे. एक तरह से वे खुद का सहारा खुद ही थे पुरे गांव वालों को पता था कि इसके लड़कों अब आना-जाना छोड़ दिया है. वे हमारे सामने वृद्धा की हत्या होने के बाद पहुंचे.

11 टिप्‍पणियां:

  1. फाण्‍ट कुछ छोटा करें .. आलेख का कुछ भाग दिखाई नहीं दे रहा है !!

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  2. @संगीता पुरी जी फ़ोंट छोटे कर दिये गये हैं
    अब आप पढ सकते हैं।- धन्यवाद

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  3. हौलनाक घट्ना है, ललित जी क्यों ना कारणॉं की खोज की जाये. शायद कोई बच जाये...

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  4. अब हम इधर उस वृद्धा की पारिवारिक परिस्थितिओं पर गौर करते हैं, तो पता चलता है कि उसके दो लड़के हैं, एक सरकारी नौकरी में है, गांव से बाहर रहता है, उसको माता पिता से कोई लेना देना नही है,गांव भी नही आता है, दूसरा लड़का है वो भी दुसरे शहर में आर.एम्.पी. डाक्टरी करता है, उसकी शादी के बाद वो भी गांव और माता पिता से कोई सम्बन्ध नहीं रखता. इस तरह दोनों पति-पत्नी अकेले रहते थे और जो ५-६ एकड़ खेती थी उसको बोते-खाते थे. एक तरह से वे खुद का सहारा खुद ही थे पुरे गांव वालों को पता था कि इसके लड़कों अब आना-जाना छोड़ दिया है. वे हमारे सामने वृद्धा की हत्या होने के बाद है पहुंचे !

    क्रूरता की हदे , तभी तो प्रकृति भी खिन्न हो गई इस आदिम जाति से !

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  5. संभंव है इस के पीछे कुछ दूसरे कारण भी रहे होगें.....

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  6. ऐसी घटनाएं हमारे समाज के माथे पर कलंक के समान हैं, जिसे बहुत सारे स्वार्थी लोग बढावा देते रहते हैं।
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    स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
    चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।

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  7. ऐसी घटनाएं हमारे समाज के माथे पर कलंक हैं,

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  8. छत्‍तीसगढ में टोनहीं रूपी अंधविश्‍वास की समस्‍या आम है, इसके पीछे मूल कारण अशिक्षा है इसके बाद अन्‍य दूसरे कारण हैं. छत्‍तीसगढ के अन्‍य प्रकरणों से परे इस प्रकरण में आरोपी शिक्षित है यह एक चिंतनीय बात है।
    डॉ. पंकज अवधिया जैसे लोग इस समस्‍या से निबटने एवं सामाजिक जागरण लाने प्रयासरत हैं, सरकार के द्वारा भी टोनही प्रतारण के लिए विशेष अधिनियम बनाया गया है. इसके बावजूद मैदानी क्षेत्रों में छुटपुट एवं जंगल क्षेत्रों में ऐसी घटनांए अधिक देखने को मिलती हैं जिसमें आपके पहले पोस्‍ट की संवेदनांए परिलक्षित होती हैं.

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  9. Lalit Ji, Samaj me aise andhvishwason ko khatm karne ki shrankhla me kiya gaya aapka ye prayas nishchay hi sarahneeya hai.

    Jai Hind

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  10. ऐसी घटनाएं तो हमारे समाज के माथे पर कलंक के समान हैं |

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