आज एक गांव की बात सुनाते हैं, हमारे देश में लक्ष्मी पूजन के दिन एवं दीवाली के त्यौहार में जुआ खेलने की कूप्रथा है.
बड़े-बड़े समझदार और पढ़े लिखे लोग भी जुआ खेलते हैं और गांव के गंवार लोग भी जुआ खेलते हैं. वैसे जुआ खेलना क़ानूनी जुर्म है, फिर भी लोग चोरी छिपे जुआ खेलकर अपना भाग्य आजमाते हैं,
लक्ष्मी पूजन को लक्ष्मी घर आनी चाहिए. गांव में यही सोच कर कुछ लोग जुआ खेल लेते हैं. इस अवसर पुलिस को ऊपर से निर्देश रहता है, जुआ पकड़ कर अपराध दर्ज करो,
पुलिस भी सुंघते फिरती रहती है कि कहाँ पर "धर्मराज के अनुयायी" मौजूद हैं, बावनपरी के साथ, उनको धरा जाए.
हमारे गांव में तालाब के किनारे शीतला माता का मंदिर है. एक तरफ तालाब और दूसरी तरफ धान के खेत हैं. बीच में शीतला मंदिर. कुछ सयाने (चतुर) जुआड़ी लोग मंदिर में बैठ कर जुआ खेलते हैं.
एक बार दीवाली में रात को इनका मजमा लग गया. मंदिर में बैठ कर शुरू हो गया जुए का खेल, इसमें सभी उम्र के शौक़ीन लोग थे, कुछ लोग देखने भी गए थे मुफ्त का मजा लेने के लिए.
पुलिस को किसी ने मुखबिरी कर दी कि मंदिर में जुआ चल रहा है. पुलिस ने रात को मंदिर के पास घेरा डाला और घात लगा कर सबको दबोचने की तैयारी की.
पुलिस पीछे से धान के खेत से आकर मेड पर दुबकी हुई दबोचने के लिए उचित अवसर की प्रतीक्षा कर रही थी. इतने में ही एक जुआड़ी को लघुशंका लगी, वह तालाब की मेड पर धान के खेत की तरफ गया लघु शंका करने,
उसे अँधेरे में कुछ साये हिलते हुए दिखाई दिए, उसने आवाज लगाई "कौन है बे?" उधर से कोई जवाब नहीं मिला तो उसने फिर गाली बक कर आवाज लगाई.
अब पुलिस से रहा नहीं गया, दरोगा चिल्लाया " पकड़ो सालों को एक भी भागने ना पाए"! जुआडियों को पता चल गया कि पुलिस की रेड हो गई।
सब अपना-अपना माल असबाब समेट कर भागने लगे, भागने के रास्ते को पुलिस ने बंद कर दिया था. लोग तालाब में कूद गए,
इन जुआडियों में एक मोटा आदमी भी था। वह भी इनके साथ तालाब में कूद गया. बाकी सब तो तैर कर पार निकल गए और मोटा होने के कारण ये फँस गया. अब निकल भी नहीं सकता था.
चिल्लाने लगा" मैं तैर नहीं सकता साहब- मुझे बचाओ- मुझे बचाओ- भले ही मुझे हवालात में बंद कर देना लेकिन मुझे निकालो।" पुलिस ने उसे तालाब से निकाला और उसे पकड़ कर ले गई.
आज जब भी उसे मैं देखता हूँ तो मुझे हंसी आ जाती है. जो अपराधी थे वो भाग गए और देखने वाला फँस गया. इसी को कहते हैं. "माल खाए गंगा राम और मार खाए मनबोध"
बड़े-बड़े समझदार और पढ़े लिखे लोग भी जुआ खेलते हैं और गांव के गंवार लोग भी जुआ खेलते हैं. वैसे जुआ खेलना क़ानूनी जुर्म है, फिर भी लोग चोरी छिपे जुआ खेलकर अपना भाग्य आजमाते हैं,
लक्ष्मी पूजन को लक्ष्मी घर आनी चाहिए. गांव में यही सोच कर कुछ लोग जुआ खेल लेते हैं. इस अवसर पुलिस को ऊपर से निर्देश रहता है, जुआ पकड़ कर अपराध दर्ज करो,
पुलिस भी सुंघते फिरती रहती है कि कहाँ पर "धर्मराज के अनुयायी" मौजूद हैं, बावनपरी के साथ, उनको धरा जाए.
हमारे गांव में तालाब के किनारे शीतला माता का मंदिर है. एक तरफ तालाब और दूसरी तरफ धान के खेत हैं. बीच में शीतला मंदिर. कुछ सयाने (चतुर) जुआड़ी लोग मंदिर में बैठ कर जुआ खेलते हैं.
एक बार दीवाली में रात को इनका मजमा लग गया. मंदिर में बैठ कर शुरू हो गया जुए का खेल, इसमें सभी उम्र के शौक़ीन लोग थे, कुछ लोग देखने भी गए थे मुफ्त का मजा लेने के लिए.
पुलिस को किसी ने मुखबिरी कर दी कि मंदिर में जुआ चल रहा है. पुलिस ने रात को मंदिर के पास घेरा डाला और घात लगा कर सबको दबोचने की तैयारी की.
पुलिस पीछे से धान के खेत से आकर मेड पर दुबकी हुई दबोचने के लिए उचित अवसर की प्रतीक्षा कर रही थी. इतने में ही एक जुआड़ी को लघुशंका लगी, वह तालाब की मेड पर धान के खेत की तरफ गया लघु शंका करने,
उसे अँधेरे में कुछ साये हिलते हुए दिखाई दिए, उसने आवाज लगाई "कौन है बे?" उधर से कोई जवाब नहीं मिला तो उसने फिर गाली बक कर आवाज लगाई.
अब पुलिस से रहा नहीं गया, दरोगा चिल्लाया " पकड़ो सालों को एक भी भागने ना पाए"! जुआडियों को पता चल गया कि पुलिस की रेड हो गई।
सब अपना-अपना माल असबाब समेट कर भागने लगे, भागने के रास्ते को पुलिस ने बंद कर दिया था. लोग तालाब में कूद गए,
इन जुआडियों में एक मोटा आदमी भी था। वह भी इनके साथ तालाब में कूद गया. बाकी सब तो तैर कर पार निकल गए और मोटा होने के कारण ये फँस गया. अब निकल भी नहीं सकता था.
चिल्लाने लगा" मैं तैर नहीं सकता साहब- मुझे बचाओ- मुझे बचाओ- भले ही मुझे हवालात में बंद कर देना लेकिन मुझे निकालो।" पुलिस ने उसे तालाब से निकाला और उसे पकड़ कर ले गई.
आज जब भी उसे मैं देखता हूँ तो मुझे हंसी आ जाती है. जो अपराधी थे वो भाग गए और देखने वाला फँस गया. इसी को कहते हैं. "माल खाए गंगा राम और मार खाए मनबोध"
याने कि "रामस्वरूप ने चोरी की परिणामस्वरूप पकड़ा गया"!
जवाब देंहटाएंचलो पुलिसवालों को भी खाली हाथ न रहने की तसल्ली हो गई...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
आजकल अइसन ही होत है बाबू .... लबरा ही फंसन जात है जी महाराज .
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने।
जवाब देंहटाएं--------
अदभुत है हमारा शरीर।
क्या अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद सफल होगा?
माल खाण नूं बान्दरी ते डंडे खाण नूं रिच्छ :)
जवाब देंहटाएंएक कहावत और याद आई करे कोई भरे कोई
जवाब देंहटाएंNational Parks in India
जवाब देंहटाएंRepublic Day Quotes Shayari in Hindi
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