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सोमवार, 7 दिसंबर 2009

मनुष्य और पशु प्रेम की एक मिशाल !!!!

आदिम काल से ही पशुओं और मनुष्य का संग रहा है. जंगली पशुओं को पालतू बनाया गया.उनसे फिर काम लिया गया. पालतू पशु भी घर परिवार के एक सदस्य की तरह ही हो जाता है. इसका उदहारण हमें देखने मिल जाता है. जब हम पढ़ते तो एक पाठ था "कुकुर समाधी", कुत्ते की स्वामी भक्ति से प्रभावित होकर उसके मालिक ने उसकी मृत्यु पर समाधी बनाकर श्रद्धांजली दी थी. ऐसी एक घटना उत्तर प्रदेश के महोबा के कुल पहाड़ इलाके में हुयी, जहाँ एक कुतिया के बच्चे जनने पर पूरा गांव खुशियाँ मना रहा है. यह पशु प्रेम की एक मिशाल ही है.एक कुतिया का नाम बसंती रखा गया है. बसंती दो साल पहले गांव में घायल अवस्था में मुढारी ग्राम में आई थी. जिसका गांव वालों ने इलाज कराया और इसे सहारा दिया. बसंती भी गांव वालों के प्रेम पर न्योछावर हो गई और उसने गांव नहीं छोड़ा. इसके बदले बसन्ती गांव के बच्चों के साथ खेलती थी और रात में गांव की चौकीदारी करती थी. अगर बसंती कभी भटक कर किसी दिन दुसरे गांव चली जाती थी तो गांव के लोग व्याकुल हो जाते और उसे ढूंढ़ कर लाते, बसंती को सभी गांव वाले अपने परिवार का सदस्य ही मानते हैं. इसी कारण कुछ दिनों पहले जब उसने छ: बच्चों को जन्म दिया तो पुरे गांव में ख़ुशी मनाई गई महिलाओं ने सौहर गए और एक दुसरे को बधाई दी. पूरा गांव ख़ुशी से झूम उठा, गांव वालों ने बाकायदा एक समारोह का आयोजन कर एक दुसरे को मिठाई खिलाई और उत्सव मना कर अपना पशु प्रेम प्रकट किया. इस तरह गांव वालों ने एक मिशाल कायम कर दी.

8 टिप्‍पणियां:

  1. यह तो सही बात है ललित जी कि घर में यदि पशु पक्षी पाल लो तो वह भी घर का एक सदस्य हो जाता है।

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  2. वाह, गजब का पशु प्रेम, चलो हम लोग इंसानों से तो इतनी हमदर्दी नहीं रख पाते कम से कम जानवरों से तो रख रहे है !

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  3. मैं तो सोच रहा था कि अब सिर्फ जानवरों में ही इंसानियत बची है...

    जय हिंद...

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  4. वाह ये तो एक मिसाल बन गयी । पशु हमारे मित्र हैं और बस प्रेम के भूखे हैं । सुन्दर पोस्ट बधाई

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  5. उन गाँव वालों को बहुत बहुत बधाई जिन्होंने यह मिसाल बनाई है ! अच्छी जानकारी !

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  6. वाह क्या किस्सा सुनाया है..
    मिडिया वालों के पास से ऐसी खबरें क्यों नहीं आती हैं..समझ नहीं आता है..
    उनको तो लगता है सिर्फ मसालेदार खबर ही चाहिए..

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  7. अच्छा लगा जान कर. पशु पक्षी पालने के बार परिवार के सदस्य ही तो होते हैं.

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  8. काश मनुष्य भी आपस मे ऐसा ही प्रेम करते

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