Menu

शनिवार, 27 मार्च 2010

शब्द नहीं चित्र---मौसम है विचित्र

शब्द नहीं चित्र---मौसम है विचित्र  

14 टिप्‍पणियां:

  1. ललित जी , बाकी तो सब ठीक है लेकिन मुझे लगता है कि लेबल सही नहीं लगाया :)

    जवाब देंहटाएं
  2. शब्द नहीं चित्र---मौसम है विचित्र
    कुछ भी हो पर शानदार है यह चित्र

    जवाब देंहटाएं
  3. चलो, बेचारे को कहीं तो छाया मिली.

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर अति सुंदर. ताऊ से छुपकर बैठा है. कब तक छुपेगा?:)

    रामराम.

    -ताऊ मदारी एंड कंपनी

    जवाब देंहटाएं
  6. अरे ललित भाई,
    इसे एकाध बीयर खिंचवा दो, फिर देखो कैसे शेर बनता है...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  7. भाई ललित हमें याद आ रहा है
    कि ख्याति लब्ध लोगों की चरण धूलि
    भी सर माथे पर चढ़ चढ़ा ली जाती है
    फिर तो कुत्ते की तस्वीर लग जाने पर
    प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर कतई आश्चर्य नही होना चाहिए.
    वह भी इस बेचारे प्राणी की महत्ता को देखते हुए
    "काक चेष्टा बको ध्यानं स्वान निद्रा तथैव च
    अल्प हारी गृहत्यागी विद्यार्थिम पञ्च लक्षणं"

    जवाब देंहटाएं