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सोमवार, 14 मार्च 2011

शाबास मनीष! तुमने सही किया --- ललित शर्मा

”भूख है तो सब्र कर, रोटी नही तो क्या हुआ,आजकल दिल्ली में है जेरे बहस ये मुद्दा।" दुष्यंत कुमार ने कहा था। वर्तमान में संसद एवं विधान सभाओं में गरीब की रोटी अब बहस का मुद्दा नहीं रही। अब बहस होती है, सांसद विधायकों की भूख की। इनकी सुरक्षा  की, इनकी तनख्वाह की। एक बार इन सभाओं में पहुंचते ही इन्हे अपनी सात पीढी की रोटी का इन्तजाम करने की चिंता लग जाती है, विधायक बनते ही इनकी जान को खतरा हो जाता है, एक-चार का गार्ड हमेशा इनकी जान बचाने के लिए होना चाहिए। जिनके आगे हाथ-पसार कर वोट मांगते हैं, उनसे ही इन्हे खतरा हो जाता है और जितनी राजसी सुविधाएं हैं, वे सारी इन्हे मिलनी चाहिए, भले ही इन्हे चुन कर भेजने वाले दो बाल्टी पानी को तरसते रहें। अगर रास्ते में कोई पुलिस वाला ड्यूटी करते हुए इनसे गाड़ी के कागजात और ड्रायविंग लायसेंस पूछ ले तो ये विधान सभा की कार्यवाही अवरुद्ध कर सकते हैं। मामला विशेषाधिकार भंग होने तक पहुंच जाता है।

नेहरु जी को प्रधानमंत्री पर होते हुए रेल्वेक्रासिंग पर गेट कीपर रोक लेता है और ट्रेन गुजरने तक फ़ाटक नहीं खोलता। नेहरु जी उसे शाबासी देते हैं। लाल बहादुर शास्त्री जी को रेलमंत्री होते हुए एक टीटी टिकट पूछ लेता है तो शास्त्री जी उसे शाबासी देते हैं। 36 गढ में बिना नम्बर की गाड़ी पर 4 विधायक सवार होते हैं और चौक पर खड़ा एक ए एस आई उनसे कागज दिखाने को कहता है तो विपक्ष विधान सभा में हंगामा कर उसे लाईन अटैच करवा देता  है। समय कितनी तेजी से बदल रहा है, ये विधायक उसी कांग्रेस के हैं जिस कांग्रेस के नेहरु जी और लाल बहादूर शास्त्री जी थे। आज उनके संस्मरण याद किए जाते हैं, कल इन विधायकों को भी याद किए जाएगें। ये समाज के सामने ये एक आदर्श स्थापित कर रहे हैं कि लोग इनका अनुकरण करें और कानून व्यवस्था की खिल्ली उड़ाएं।

अब विधान सभा में उठाने के लिए यही मुद्दे रह गए हैं। सड़क पर रोज दुर्घटना में लोग मरते हैं, वह मुद्दा नहीं है, बलात्कार हो रहे हैं वह मुद्दा नहीं है, बिजली-पानी नहीं है, वह मुद्दा नहीं है। कानून का उल्लंघन करने पर एक ए. एस. आई. गाड़ी के कागजात पूछ लेता है तो वह मुद्दा हो जाता है। क्या विधायक बनने बाद कानून तोड़ने की छूट मिल जाती है? या कानून से ही उपर उठ गए हैं। अखबार के माध्यम से विधायक कहते हैं कि ए. एस. आई. मनीष बाजपेयी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। क्या सोचा जा सकता है कि एक अदना सा ए एस आई विधायकों को पहचानते हुए इनके साथ दुर्व्यवहार कर सकता है। बस गलती उसकी इतनी ही थी कि बिना नम्बर की गाड़ी के कागजात पूछ लिए और उसे पुरस्कार स्वरुप लाईन हाजिर कर दिया गया। शाबास मनीष! तुमने सही किया, इतनी हिम्मत तो दिखाई।

22 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसे ढेरों मनीषों की जरुरत है, जो यह हिम्मत दिखा सकें..शाबास मनीष.

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  2. अगर ऐसे मुनीष और पैदा हो जाएँ तो व्यवस्था शीघ्र बदल सकती है ...मुनीष जी को इस सराहनीय कार्य के लिए बधाई

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  3. मनीष का जनता की ओर से राष्ट्रीय सम्मान होना चाहिए।
    अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।

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  4. शाबास मनीष! तुमने सही किया, इतनी हिम्मत तो दिखाई।

    ऐसे राजनीतिक गुंडों को दौड़ा कर गोली मार दी जाय तो और भी ठीक

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  5. इस ए एस आई का तो सम्मान होना परम आवश्यक है..

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  6. अब जो बड़े हैं, छोटों से प्रतियोगिता करने में लगे हैं।

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  7. ऐसे मामलों के इतने रंग सामने आने लगते हैं कि सच क्‍या है, क्‍या हुआ था, ठीक पता नहीं लग पाता. वैसे जन-प्रतिनिधियों का सम्‍मान होना ही चाहिए साथ ही शासकीय सेवक, जो कस्‍टोडियन है, नियंता नहीं (वैसे प्रजातंत्र में नियंता जनता ही है), की कर्तव्‍य-निष्‍ठा का सम्‍मान भी आवश्‍यक है.

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  8. सही बात है, पर ये विधायक सुधरने वाले नहीं है, अदालत को इनकी नाम में नकेल डालने का कार्य करना चाहिए

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  9. .......???????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????

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  10. पहले नेता को जनता चुनती थी।
    अब पैसे और माफिया से नेता चुने जाते हैं।
    एक-आध मनीष हो जाता है तो ये लोग उसे टिकने नहीं देते।

    प्रणाम

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  11. maneeshjee logon ke liye ek misaal kayam kar saken....yahi shubhkamna hai....

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  12. मनीष को बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  13. शाबास मनीष! तुमने सही किया, इतनी हिम्मत तो दिखाई।
    jai baba banaras......

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  14. भाई राहुल सिंह जी से सहमत .

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  15. बलात्कार, चोरी डकेती, बदमाशी इन के बच्चे या यह खुद करते हे तो मुद्दा केसे हो? एक बार जनता को जागने दो, फ़िर देखो कितने मनीष ओर पेदा होते हे, जो इन्हे नानी ना याद दिला दे, लेकिन हम सब को भी ऎसे हर मनीष के संग उठना चाहिये, ताकि मनीष यह सोच कर ना डर जाये कि वो अकेला हे, हम सब को उस का साथ देना चाहिये शुरुआत उस ने कि हे अब अंजाम सब मिल कर दे...

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  16. सही है, मनीष जैसों को लाइन हाज़िर होना ही चाहिए... चापलूसों की इस दुनिया में चला था फ़र्ज़ निभाने!!! जानता नहीं आजकल एम.एल.ए. और एम. पी. की क्या हैसियत है??? यह तो वह खुद थे अरे उनका तो कुत्ता भी आ जाए तो सलाम ठोकना बनता है...

    वाह रे राजनीति और वाह रे राजनेता...

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  17. halanki manish ke dard aur line hajir hone ki takleef ko ham kam nahi kar sakte ,lekin fir bhi ham unke sath hai....sabhi ko unka sath dena chahiye taki aur bhi log manish jaisi bahuduri dikha sake....is bebaki ko samne lane ka shukriya...

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  18. आपसे शत प्रतिशत सहमत हूँ .....आजकल जनहित के मुद्दों पर तो इनसे कुछ बोला नहीं जाता और जब मनीष जैसे इमानदार और कर्तव्यनिष्ठ लोग जब अपना कार्य करते हैं तो इन्हें तकलीफ होती है...

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  19. सार्थक प्रस्तुति!!
    मनीष जैसी इमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा ही उत्प्रेरक है।

    आभार

    निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक

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  20. जाने कहाँ गए वैसे लोग जो कर्तव्यपरायणता के सम्मुख नतमस्तक होते थे... आज तो कर्तव्यपरायणता सजा का हक़दार है... हद है...
    मनीष जी को न्याय मिलना चाहिए...
    निर्भीक पोस्ट लेखन पर बधाई भैया...

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