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रविवार, 29 जनवरी 2012

खिल गयी क्यारी क्यारी ----- ललित शर्मा

संतागमन हो चुका, खिल गयी क्यारी क्यारी। चलने लगी बयार दोधारी। प्रकृति का अदभुत सौंदर्य देखते ही बनता है, आँखो में भी नहीं समाता। कैमरे की आँख भी उसे सहेज नहीं पाती है। इस मधुर अवसर पर जब मधुकर का गुंजन हो रहा है तब कवि के मन में भी प्रकृति को शब्दों में सहेज लेने की प्रबल इच्छा प्रकट होती है। ऐसा ही एक प्रयास है, आपको पसंद आए। एक लम्बी यात्रा के बाद कुछ फ़ुरसत के क्षण विश्राम के लिए भी निकालने पड़ते हैं। इसके बाद माह फ़रवरी से एक यात्रा पर पुन: चलेगें। कुछ देखेगें, नया तलाशने की कोशिश करेगें। वसंतागमन की हार्दिक शुभकामनाएं

सरसों  ने  ली अंगडाई गेंहूँ की बाली डोली
सरजू ने ऑंखें खोली महुए ने खुशबु घोली

अमिया पर यौवन छाया जुवार भी गदराया
सदा सुहागन के संग-संग गेंदा भी इतराया
जब रजनी ने फैलाई झोली 
गेंहूँ की बाली डोली

रात-रानी के संग गुलमोहर भी ललियाया
देख महुए की तरुणाई पलाश भी हरषाया
जब कोयल ने तान खोली
गेंहूँ की बाली डोली

बूढे पीपल को भी अपना आया याद जमाना
ले सारंगी अपनी उसने छेडा मधुर तराना
जब खूब जमी थी टोली
गेंहूँ की बाली डोली

गज़ब कहर बरपा है महुए के मद का भाई
आज चांदनी बलखाई बौराई थी तरुणाई
खुशियों की भर गई झोली
गेंहूँ की बाली डोली

18 टिप्‍पणियां:

  1. वसंत का बहुत अच्छा चित्रण |
    आशा

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  2. "अमिया पर यौवन छाया जुवार भी गदराया
    सदा सुहागन के संग-संग गेंदा भी इतराया
    जब रजनी ने फैलाई झोली
    गेंहूँ की बाली डोली.."वाह !!!!!!!!!

    इस बासंती रंग ने आखिर आपको भी रंग ही दिया .....
    महुए की खुशबु ने आखिर आपको भी मदहोश कर ही दिया...
    बहुत सुंदर रचना लिखी हैं कविमन ने ..आभार ..

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  3. "खुशियों की भर गई झोली
    गेंहूँ की बाली डोली..."

    शब्दों में खिला वसंत इस वसंती मौसम से कम नहीं...बहुत सुन्दर...आभार...

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  4. चलिए, बसंत का स्वागत हम भी करते हैं आपके साथ.

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  5. ‘ललियाया‘ ने बसंत की छटा शतगुणित कर दी।

    बसंतागमन की शुभकामनाएं।

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  6. वाह वाह ! वसंत का पूरा प्रभाव नज़र आ रहा है ।
    आनंद लेते रहिये ।

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  7. ब्लॉग बुलेटिन पर की है मैंने अपनी पहली ब्लॉग चर्चा, इसमें आपकी पोस्ट भी सम्मिलित की गई है. आपसे मेरे इस पहले प्रयास की समीक्षा का अनुरोध है.

    स्वास्थ्य पर आधारित मेरा पहला ब्लॉग बुलेटिन - शाहनवाज़

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  8. सरसों ने ली अंगडाई गेंहूँ की बाली डोलीसरजू ने ऑंखें खोली महुए ने खुशबु घोली.....

    आया बसंत ...मन भाया बसंत

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  9. बसंत आगमन की बधाई आपको | बसंती हवाओं की महकती सी पोस्ट है आपकी आभार|

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  10. बहुते बढ़िया लिक्खे हैं भाई , बधाई !

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