परसों से शशि थरूर की शान में कसीदे पढ़े जा रहे हैं,मेरे नजर में लगातार पोस्ट आ रही हैं, कल से अख़बारों की सूर्खियों में बड़ा हंगामा बरपा हुआ हैं।
कल शाम की बात हैं, हमारे दूध वाले ने पान ठेले पर किन्ही सज्जनों की इस विषय पर गरमा-गर्म बहस सुनी होगी अभी अलसुबह जब दूध लेकर आया तो उसने पूछा "क्या हो गया भइया कल पान ठेले पर जोर दार चर्चा चल रही थी कि गरीब आदमी लोग भेड़ बकरी हैं और ये बताओ इकोनामी क्लास क्या होता है?
अरे भाई ये इकोनोमी क्लास हवाई जहाज में होता हैं, जैसे अपने यहाँ ट्रेन में लोकल और एक्सप्रेस, समझे, इतना सुन कर वो चला गया।
कल शाम की बात हैं, हमारे दूध वाले ने पान ठेले पर किन्ही सज्जनों की इस विषय पर गरमा-गर्म बहस सुनी होगी अभी अलसुबह जब दूध लेकर आया तो उसने पूछा "क्या हो गया भइया कल पान ठेले पर जोर दार चर्चा चल रही थी कि गरीब आदमी लोग भेड़ बकरी हैं और ये बताओ इकोनामी क्लास क्या होता है?
अरे भाई ये इकोनोमी क्लास हवाई जहाज में होता हैं, जैसे अपने यहाँ ट्रेन में लोकल और एक्सप्रेस, समझे, इतना सुन कर वो चला गया।
नेताओं में भी एक प्रजाति पाई जाती हैं जो हमेशा लाइम लाइट में रहना पसंद करती है। कुछ भी अनाप-सनाप बोलो और सूर्खियों में बने रहो। जिसके पास ५ हजार होगा वो ही इकोनोमी क्लास में यात्रा कर सकता है।
भारत, गांव का देश है, यहाँ सिर्फ उद्योग पति, सरकारी अधिकारी, जीवन में एक बार प्लेन में बैठने की इच्छा रखने वाले, नेता या उनके चमचे ही यात्रा करते हैं, क्योंकि इतना ही पैसा उनके पास होता है।
लेकिन एक गरीब- मजदूर जो अपनी रोजी- की चिंता में लगा रहता है, उसे सोचने का समय ही नहीं मिलता है कि इकोनोमी क्लास क्या होता है।
शशि थरूर शायद हेनरी फोर्ड के पोते-पड़पोते जैसी हैसियत रखते होने के कारण इकोनोमी क्लास उनको भेड़-बकरियों की क्लास लगी।
शशि थरूर जैसे आसमानी लोगों के लिए आसमानी विचार हैं जो सड़क पर चलने से वास्ता नही रखते, जिस दिन जमीन पर आयेंगे तो इन्ही भेड़ बकरियों को अपना रिश्तेदार बना लेंगे, क्योंकि फिर वोट चाहिए, बिना रिश्तेदारी, सम्बन्ध के तो वोट मिलना मुस्किल हैं, हाँ इतना अवश्य हैं ये अपनी दल के लिए मुसीबत जरुर खड़ी करते रहेंगे।
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