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शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

और वो चमत्कारी तांत्रिक बाबा अंतरध्यान हो गया!!!

टोनही पर एक समाचार से प्रारम्भ हुयी चर्चा पाठकों की प्रतिक्रियाओं  के आधार पर आगे बढ़ रही है और हम इससे सम्बंधित सभी पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं.जिससे यह चर्चा आगे बढ़ते हुए पूर्णता को प्राप्त  होगी. आगे हम पाठकों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं को शामिल कर रहे हैं.

खुशदीप सहगल ने कहा… भूतन की महिमा भूतन जाने...हमें तो नेता रूपी ज़िंदा भूतों से बचाओ..जो लोगों को जीते-जी भूत बनाने में लगे हैं...जय हिंद... 

 संगीता पुरी ने कहा… बुद्धिमान लोगों की अतिरिक्‍त बुद्धि और बेवकूफों की अतिरिक्‍त बेवकूफी ही टोने टोटके , नजर लगने और झाडकर उतारनेवाले बाबाओं के महत्‍व में वृद्धि के लिए जिम्‍मेदार है !!

वाणी गीत ने कहा… हाँ ...पारिवारिक जिम्मेदारियों से बचने के लिए भी कई बार भूत भूतनियों का अवतरण हो जाता है ...देखा है ..!! 

M VERMA ने कहा… बहुत सुन्दर पर इन बाबाओ का भी भूत भी तो उतरना चाहिये, हमें उपरोक्त प्रतिक्रियायें प्राप्त हुयी. अब हम ढोंगी तांत्रिक किस तरह लोगों को बेवकूफ बनाकर ठगते हैं इस पर चलते हैं. चर्चा में शामिल घटनाएँ सत्य हैं. जो मैंने अपने जीवन में देखी हैं और जो मेरे साथ घटित हुयी हैं, हाँ कही पर पात्रों के नाम अवश्य बदल दिये गये हैं.

हमारे छत्तीसगढ़ के पलारी ब्लॉक के एक गांव की ओर आपको ले चलता हूँ यहाँ एक दोंगी बाबा तांत्रिक ने गांव के तालाब के पास मंदिर में आकर डेरा डाला. हमारे यहाँ दैनिक निस्तारी तालाबों से ही होती है. 

महिला हो पुरुष तालाब में ही नहाते है और कपडा धोना मवेशियों को धोना,उन्हें पानी पिलाना आदि समस्त काम तालाब पर ही होते हैं. इस तरह ग्रामवासियों का दिन रात तालाब पर आना जाना लगा रहता है. 

नहाने के बाद लोग तालाब की पार बने मंदिर में जल चढा कर पूजा भी करते हैं,एक अच्छे दिन के लिए ईश्वर से प्रार्थना भी करते हैं. 

उन लोगों देखा की मंदिर में एक बाबा जी ने डेरा डाल रखा है. तो बाबा जी से उनकी वार्तालाप होने लगी.बाबाजी के पास भोजन सामग्री भी वे गांव के नौजवान पंहुचा देते थे. 

बाबाजी रोज मंदिर में पूजा करते और भगवान के भोग लगाते. इसके लिए वो एक छोटे बर्तन में एक मुट्ठी चावल डालते और किसी लड़के से तालाब का पानी एक गिलास उसमे डलवाकर उस बर्तन को पेड़ की डाल पर लटका देते थे. १५ मिनट में चावल बिना किसी आग के पेड़ पर लटकाने से ही पक जाता था. उसके बाद उस चावल का भोग वो भगवान को लगा कर बाकी चावल पानी में बहा देते थे.  

बिना आग के चावल पकाने का चमत्कार लोगो में आग की तरह फ़ैल गया, बाबा बहुत बड़ा तांत्रिक है और चमत्कार करता है, हमने अपनी आँख से देखा है. ये चर्चा जंगल की आग की तरह फैली. आस पास के गांवों की भीड़ वहां लगने लगी. 

अन्धविश्वासी लोग चढावा चढाने लगे अपनी समस्या बताने लगे-चमत्कारी बाबा से चमत्कार की आशा करने लगे. इस तरह बाबा ने कुछ लोगों को अपने विश्वास में ले लिया, 

एक दिन कहा कि मैं तुम्हारी सेवा से खुश हूँ और तुम्हे कुछ देना चाहता हूँ. आज तुम जितना भी पैसा दोगे तुम्हे दुगनाकर दूंगा. 

लोंगों ने विश्वास करके उसे पैसे लाकर दिये. और बाबा रात को ढाई लाख रुपया लेकर चंपत हो गया. 

जब दुसरे दिन लोगों को नही मिला तो पुलिस थाने में रिपोर्ट की गई, मिडिया में समाचार बना, और वो चमत्कारी तांत्रिक बाबा अंतरध्यान हो गया, आज तक नही मिला है.उसकी तलाश जारी है.........................   

5 टिप्‍पणियां:

  1. आज तुम जितना भी पैसा दोगे तुम्हे दुगनाकर दूंगा. लोंगों ने विश्वास करके उसे पैसे लाकर दिये. और बाबा रात को ढाई लाख रुपया लेकर चंपत हो गया. जब दुसरे दिन लोगों को नही मिला तो पुलिस थाने में रिपोर्ट की गई, मिडिया में समाचार बना, और वो चमत्कारी तांत्रिक बाबा अंतरध्यान हो गया, आज तक नही मिला है.उसकी तलाश जारी है......................... jee....aise bahut se case hamare lucknow mein bhi ho chuke hain.........

    achcha laga ......

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  2. अंधविस्वास का भंडाफोड़
    बहुत अच्छा ......

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  3. ग्रामीणों की अज्ञानता और भोलेपन का हमेशा ही नाजायज फायदा उठाया जाता है .. उन्‍हें जागरूक करने की आवश्‍यकता है .. पर वह बिना आग के चावल बनाता कैसे था ??

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  4. अज्ञानता और अन्धविश्वास अभी भी लोगों में है , जिसका अपने बहुत अच्छी तरह
    वर्णन किया है .....आभार !!

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