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मंगलवार, 1 मार्च 2011

भूख लगे तो मोबाईल चबाओ--आम बजट

प्रनब दादा ने अपनी बाजीगरी दिखाई, 
आम बजट में कम नहीं हुई मंहगाई,
मोबाईल, प्रिंटर, गाड़ी, टीवी साबुन, 
फ़्रीज, रेशम आदि सस्ता।
दाल-भात, गैस, कपड़ा, इलाज में 
बढाई मंहगाई हालत खस्ता।
भूख लगे तो मोबाईल चबाओ।
बीमार पड़े तो घर द्वार बेचाओ, 
टीवी पर देखो रोटी के विज्ञापन
कर चुकाने वालों को प्रोत्साहन
मुन्नी बदनाम का टी वी पर देखो डांस
अगले बजट का क्या पता ले लो चांस
न चुकाने वालों को कब भेजेगें जेल।
आम आदमी का नही बजट तो फ़ेल
80 साल के होने तक करो इंतजार छूट लेने का।
इससे पहले चल दिए तो पछताओगे, 
इस बजट की छूट कैसे ले पाओगे। 
आम आदमी को चाहिए दाल रोटी, 
लेकिन बजट में हो गयी खोटी, 
गरीबों को छूट दी जाएगी नगद
सुना है 700 रुपए गैस का रेट होगा 
आम जरुरत की चीजों पर वेट होगा
मध्यमवर्ग को चाट जाएगी मंहगाई
सेठों की तिजौरी भर जाएगी भाई
मंहगाई कम कैसे होगी प्रश्न है बड़ा
जनता के सामने जिन्न बनके है खड़ा।

27 टिप्‍पणियां:

  1. महंगाई तब कम होगी जब प्रणव मुखर्जी,शरद पवार,मनमोहन सिंह तथा सोनिया गाँधी जैसे लोग इस देश व समाज से कम होंगे....ये लोग पूरी इंसानियत पे बोझ हैं.......पैसों और सत्ता के पीछे भागने वाले कुत्ते हैं ये लोग ना की इस देश व समाज के रखवाले ......

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  2. भूख लगे तो मोबाईल चबाओ।
    बीमार पड़े तो घर द्वार बेचाओ,
    क्या खूब लपेटा है आपने सच में मज़ा आ गया



    क्या सच में तुम हो???---मिथिलेश

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  3. वाह वाह बजट भी क्या झंझट है। शुभकामनायें।

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  4. डर लगे तो गाना गा,
    भूख लगे मोबाईल खा.

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  5. तीखा व्यंग्य और कड़वी हकीकत ,लेकिन किसी शायर की इन पंक्तियों को भी याद करने और जन-जन तक पहुंचाने की ज़रूरत है-
    तख़्त बदल दो ,ताज बदल दो ,
    दिल्ली के बेईमानों का राज बदल दो .

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  6. ललित सर आज की कविता में आपके तेवर अस्सी के दशक में कवियों के तेवर से हैं जब कवि सरकार से लड़ने भिड़ने का दम रखता था और सरकारें सुनती भी थी.. नागार्जुन की कविता की याद आ रही है...

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  7. भूखे पेट टी0वी देखो और मोबाईल चबाओ
    नही तो 80 का होने तक इंतजार करो

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  8. बहुत सही कटाक्ष करती पंक्तियाँ......

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  9. महँगाई नहीं गरीबी (गरीब) खत्म करने वाला बजट

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  10. भूख और महंगाई के संदेश तो सस्‍ते में दे ही सकते हैं.

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  11. भूख लगे तो मोबाइल चबाओ
    बीमार पड़ो तो मकान बेच खाओ ...
    बजट-पूरण की कथा तो यही है ...ये देश में सिर्फ दो श्रेणी चाहते हैं ...अमीर और गरीब ...मध्यमवर्ग को बीच से हटाना है इन्हें !
    तंज़ अच्छा है और तो हम कर भी क्या सकते हैं !

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  12. एक दिन वो आएगा ही जब सिर्फ टी वी पर ही खाना देख कर भूख मिटानी होगी.
    कविता सटीक है.

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  13. सोंचने वाली कविता .धन्यवाद.

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  14. सुना है 700 रुपए गैस का रेट होगा
    आम जरुरत की चीजों पर वेट होगा
    मध्यमवर्ग को चाट जाएगी मंहगाई
    सेठों की तिजौरी भर जाएगी भाई


    बेसिकली कांग्रेस की शुरू से यह नीति रही है की आम-आदमी को हरवक्त रोटी-कपडे में ही उलझाए रखो , ताकि वह उनके काले कारनामो के ऊपर ध्यान नदे सके !

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  15. पूरा बजट विश्लेषित कर दिया ...अच्छे अर्थशास्त्री हैं आप भी .

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  16. 80 साल के होने तक करो इंतजार छूट लेने का।
    इससे पहले चल दिए तो पछताओगे,
    इस बजट की छूट कैसे ले पाओगे।
    आम आदमी को चाहिए दाल रोटी,
    लेकिन बजट में हो गयी खोटी,
    वाह ललित साहब आपने तो कमाल कर दिया
    जो भी है सच है...
    बधाई

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  17. चिंता नहीं । दो में से और एक रोटी कम कर देंगे ।

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  18. ...........चबाओ और प्रणव के गुण गाओ.
    जय भोलेनाथ

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  19. ललित जी प्रिंटर तो सस्ता हो गया हे ना, बस एक रोटी रख के उस की कापिया निकाल निकाल कर खाऒ, अब सरकार चीजे तो सस्ती कर रही हे ना कार सस्ती, हवाई जहाज का टिकट सस्ता, टी बी सस्ते, अनाज तो सड रहा हे, उसे सडने दो , यह सब साले नाली के कीडे बनेगे ओर वो भी झोपडपट्टी की नाली के,आप ने बहुत अच्छी रचना रची धन्यवाद

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  20. सही कहा है आपने...

    भूख लगे तो मोबाइल चबाओ..

    समय यही आ रहा है.

    शायद कुछ दिन बाद कुछ बचे न खाने को!!

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  21. तमिलनाडू सरकार प्रत्येक पारिवार को एक रूपये प्रति किलो के हिसाब से 20 किलो चावल हर महीने देती है. नरेगा के अंतर्गत 100 रूपये की दिहाड़ी भी दे रही है, करना कुछ नहीं बस सारा दिन बैठ का आ जाना होता है. इसलिए लोग अब बस चावल खाते हैं टी.वी. देखते हैं. टी.वी. भी सरकार ने पिछला इलेक्शन जीतने पर फ़्री दिए थे.

    केन्द्र सरकार को भी पूरे देश के लिए कुछ ऐसा ही करना चाहिये. सिंपल. टंटा खतम.

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