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बुधवार, 2 मार्च 2011

कार का हार्न बजने के बाद विविध लोगों के मुलाकातो का दिन


गेट पर कार का हार्न बजाबाहर आकर देखा तो धुंरधर पत्रकार राजकुमार सोनी अपने पत्रकारी असलहे के साथ मौजुद थे।

सुबह-सुबह मैं भौंचक था कि बिना सूचना के जनाब की सवारी किधर से रही है या जा रही है। उन्होने ने बताया की आगे दौरे पर जा रहे हैं सोचे मिलते चलें।

बहुत अच्छा किया तुमने मित्र कई दिनों के बाद साक्षात मुलाकात जो हो गयी। पता चला कि वे अब तहलका कर रहे हैं।

मैने भी सोचा कि जहाँ राजकुमार हो वहाँ तहलका हो, ये तो हो ही नहीं सकता था। इन्होने हरिभूमि को छोड़कर तरुण जीत तेजपाल तहलका पत्रिका में अपनी सेवाएं शुरु कर दी हैं।

अब इनकी उम्दा रिपोर्टिंग तहलका में पढने मिलेगीं। राजकुमार को नए सफ़र के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। उत्तरोत्तर तरक्की करें।

एक राजकुमार से मिलन के पश्चात दूसरे राजकुमार याने राजकुमार ग्वालानी से भी मुलाकात हुई है। कई महीनों से रसमलाई का निमंत्रण दे रहे थे। लेकिन जब सामना हुआ तो भूल जाते हैं। कोई क्या करे राजकुमार जो ठहरे।

हमारा इनसे नाता है, क्योंकि एक स्टेशन भाटापारा भी आता है। जिसका हमारे लिए बहुत महत्व है। कल दोपहर राहुल भैया के पास सीधे ही भाटापारा से चले आए। उनका ऑफ़िस नए इंटीरियर से सज धज कर तैयार हुआ। ताले-चाबियाँ और फ़ाईलें शोभा बढा रही थी।

जहाँ पचासों ताले हो तो उनकी चाबियों को ढूंढ कर ताले में सही चाबी फ़िट करना भी एक विधा ही है। हम ताला चाबी चिंतन कर रहे थे तभी सुमीत का फ़ोन गया। 8 वीं राष्ट्रीय फ़्लाईंग डिस्क प्रतियोगिता का शुभारंभ हो रहा है, जल्दी पहुंचिए।

आनन-फ़ानन में राहुल भैया से विदा लेकर ओपन स्टेडियम में पहुंचे। वहाँ उद्घाटन की तैयारियाँ हो रही थी।

फ़्लाईंग डिस्क एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश शर्मा जी की टीम तैयारियों में लगी थी। हमें सामने राजकुमार ग्वालानी नजर आए। जब दुबारा मुड़ कर देखा तो गायब। हम ढूंढते रहे चिरयुवा मित्र को। फ़ोन लगाए तो देखा पीछे ही खड़े हैं।


उद्घाटन समारोह शुरु हुआ। महापौर किरणमयी नायक के मुख्य आतिथ्य एवं पूर्व सभापति नगर निगम रायपुर गजराज पगारिया जी की अध्यक्षता में ध्वज फ़हराकर, गुब्बारे उड़ाकर प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ। राजकुमार भाई बैठे बैठे नारंगी की चुस्कियाँ ले रहे थे। आभार प्रदर्शन सुमीत दास ने किया।

छत्तीसगढ में अब नए-नए खेलों का आगाज हो रहा है। फ़्लांईग डिस्क सिर्फ़ मनोरंजन के लिए बच्चों द्वारा खेला जाता था, अब यह राष्ट्रीय खेलों में शुमार हो गया है।

एशियाड एवं राष्ट्रमंडल खेलो में इसे शामिल किया जा चुका है। आगामी 2024 तक ऑलंपिक में भी शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। छत्तीसगढ के खिलाड़ियों ने एक मैच जीता।


इस खेल को प्रतियोगिता के रुप में प्रत्यक्ष देखने का अवसर कल ही मिला। तीव्र गति से चलने वाला खेल है। डिस्क के साथ भागने के लिए भरपूर ताकत चाहिए।

एक सप्ताह के भीतर राजकुमार द्वय से मुलाकात आनंददायक रही। एक तहलका में तहलका कर रहे हैं, दूसरे हरिभूमि में खेल मोर्चा संभाले हुए हैं। शाम को नान्सेंस टाईम्स के चीफ़ अहफ़ाज रशीद भी पहुंचे,

उम्मीद है कि होली के धमाल में सबसे मुलाकात हो जाएगी। गत वर्ष तो भाई योगेन्द्र मौदगिल जी ने होली की रौनक बढा दी थी। अब देखते हैं कौन-कौन मित्र पहुंच रहे हैं, होली के धमाल पर। अवधिया जी तो अभी से फ़गुनाए हुए हैं।

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