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गुरुवार, 25 अगस्त 2016

ब्लॉगिंग को रोजगार मूलक बनाने की आवश्यकता: रायपुर में कार्यशाला सम्पन्न


माईक्रो ब्लॉगिंग प्रारंभ होने के बाद ब्लॉग लेखकों का वेब ब्लॉग की तरफ़ ध्यान कम हो गया। पुराने ब्लॉगरों की पोस्ट आवृत्तियाँ कम हुई हैं, जिसका मुख्य कारण फ़ेसबुक एवं ट्वीटर आदि पर अधिक समय व्यत्तीत करना है। फ़िर भी आज पुराने ब्लॉगर अपने ब्लॉग़ से जुड़े हुए हैं। वैसे ब्लॉग आज भी बन रहे हैं और निरंतर लिखे जा रहे हैं, ब्लॉगिंग को पुन: जागृत करने की दृष्टि से रायपुर के कलिंगा विश्वविद्यालय में ब्लॉगिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन में पी एच डी चेम्बर ऑफ़ कामर्स एवं इंडस्ट्रीज की भूमिका महत्वपूर्ण है। ब्लॉगिंग को लेकर विश्व विद्यालय स्तर पर भारत में यह प्रथम आयोजन था। 


ब्लॉग जैसे मंच पर अब वर्तमान युवा पीढी की भी उपस्थिति आवश्यक है। नई पीढी को ब्लॉगिंग से जोड़ने के लिए कार्यशाला की अत्यंत आवश्यकता महसूस की जा रही थी, इस ओर मेरा ध्यान कई वर्षों से था, परन्तु ब्लॉगिग जैसी विधा के प्रचार प्रसार के लिए उचित आयोजक एवं प्रायोजक की कमी थी, जो पीएचडी चेम्बर ने पूर्ण की और आगे हाथ बढाकर इस आयोजन का जिम्मा अपने हाथों में लिया। जिसमें सहयोगी के तौर पर कलिंगा विश्वविद्यालय जैसे सम्मानित संस्था ने भी अपना हाथ बढा कर कार्यशाला को अपने कैम्पस में आयोजित करने का जिम्मा लिया।

इस कार्यशाला को सम्पन्न कराने की जिम्मेदारी पी एच डी चेम्बर से होते हुए मेरे कंधों पर आ गई। छत्तीसगढ़ में हिन्दी ब्लॉगर्स की संख्या सभी प्रदेशों से अधिक है, तभी इसे ब्लॉगरगढ़ भी कहा जाता है। वर्तमान में भी छत्तीसगढ़ के ब्लॉगर्स द्वारा निरंतर ब्लॉग लेखन जारी है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि छत्तीसगढ़ के लोगों इंटरनेट के माध्यम से जितनी जानकारी ली होगी, उसका कई गुना यहाँ के ब्लॉगर्स ने अपने लेखन द्वारा इंटरनेट के माध्यम से लोगों को दिया भी है। छत्तीसगढ़ में सभी विधाओं के ब्लॉग लेखक हैं, जिनमे तकनीक से लेकर साहित्य फ़ोटोग्राफ़ी तक सम्मिलित है। इनके ब्लॉग़ ज्ञान के भंडार कहे जा सकते हैं। जिनमें सामाजिक सरोकार से संबंधित पोस्टें भी प्रमुखता से लिखी गई।

इस कार्यशाला का लाभ लगभग 150 प्रतिभागियों ने उठाया, जिसमें विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी सम्मिलित थे। महासमुंद, धमतरी, बेमेतरा, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग -भिलाई, राजनांदगांव, धमतरी, राजिम, अभनपुर इत्यादि से आए हुए ब्लॉग जिज्ञासुओं ने भी अपनी सक्रीय उपस्थिति देकर कार्यशाला को सफ़ल बनाया। यह कार्यशाला ब्लॉगिंग के प्रचार प्रसार में एक मील का पत्थर साबित होगी, ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है। ब्लॉग जगत के नामचीन ब्लॉग लेखकों ने उपस्थित होकर प्रतिभागियों को ब्लॉगिंग के महत्व के विषय में जानकारियाँ दी।

तकनीकि ब्लॉगर श्री बी एस पाबला जी ने अपने व्याख्यान में ब्लॉग एवं इंटरनेट तकनीक की जानकारी दी, ब्लॉगर श्री जी के अवधिया ने गुगल एवं संस्थाओं द्वारा ब्लॉग पर दिए जा रहे विज्ञापनों एवं उनसे होने वाली आय के विषय में सद्य ब्लॉगर्स को जानकारी दी। ब्लॉग लेखन में एग्रीगेटर पाठकों तक पोस्ट पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य करता है, इसकी जानकारी देने के लिए हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से डॉ केवल राम उपस्थित थे, उन्होंने अपने एग्रीगेटर ब्लॉग सेतू की कार्यप्रणाली की जानकारी दी। 


इसके बाद द्वितीय सत्र में नागपुर से पधारी ब्लॉगर संध्या शर्मा जी ने ब्लॉग में साहित्य विषय पर विस्तृत जानकारी दी एवं साहित्य से जुड़े हुए ब्लॉगों से रुबरु करवाया। ब्लॉगर ललित शर्मा ने ब्लॉगिंग के सामाजिक सरोकारों के विषय में वृहद जानकारी दी एवं विभिन्न विषयों के ब्लॉगों का उल्लेख किया। ब्लॉग़िंग में क्षेत्रीय भाषा का भी अपना अल्ग ही महत्व है। क्षेत्रीय भाषाओं की उपस्थित भी ब्लॉग पर एक दशक से है। जिनमें तमिल, पंजाबी, तेलगु, मराठी, कन्नड़, बंगाली, गुजराती, मलयालम एवं देवनागरी में लिखी जाने वाली भाषांएं यथा छत्तीसगढ़ी, मराठी, नेपाली, हरियाणी राजस्थानी, भोजपुरी, मैथिली, मगही, पहाड़ी भी ब्लॉग पर उपलब्ध हैं, इस सत्र की जिम्मेदारी का वहन ब्लॉगर संजीव तिवारी ने किया। उन्होने क्षेत्रीय भाषाओं पर अपनी जानकारी उपस्थितों के साथ साझा की।

इस कार्यक्रम में उत्साह वर्धन करने के लिए क्षेत्रीय एक्साईज कमिश्नर श्री अजय पाण्डे जी मुख्य अतिथि के बतौर उपस्थित थे, वे उर्दू के एक अच्छे गजलकार एवं ब्लॉग लेखक भी हैं, उन्होंने ब्लॉग लेखन को लेकर अपने अनुभवों को साझा किया। उपस्थित लोगों में कई ब्लॉग लेखन को लेकर उत्साहित थे और ब्लॉग निर्माण कर लेखन प्रति भी पुरजोर उत्साह दिखाया। यह सब देखकर हमें भी प्रशन्नता हुई कि नई पीढी भी ब्लॉग लेखन के प्रति उत्साहित है। कार्यक्रम समाप्ति पर कार्यशाला में प्रशिक्षित सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं उपस्थ्ति वक्तागणों का स्मृति चिन्ह एवं पत्र पुष्प से अभिनंदन संस्थान द्वारा किया गया। 

इस आयोजन में मुख्य भूमिका पी एच डी चेम्बर ऑफ़ कामर्स एवं इंडस्ट्रीज के श्री ज्ञानेन्द्र पाण्डेय एवं उनके सहयोगियों एवं कलिंगा विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता श्री संदीप गांधी की रही। इन्हें ढेर सारा साधूवाद। आगे भी ब्लॉगिंग के प्रचार एवं प्रसार के लिए इस तरह के आयोजन होते रहेंगे। इसके साथ ही हम ब्लॉगिंग को रोजगार मूलक बनाने के लिए प्रदेश के किसी एक विश्व विद्यालय में "एडवांस डिप्लोमा इन ब्लॉगिंए एन्ड न्यू मीडिया"विषय पर छैमासी डिप्लोमा कार्यक्रम चलाने पर प्रयास करेंगे, वर्तमान में बड़े संस्थानों एवं सरकारी संस्थानों द्वारा न्यू मीडिया आपरेट करने के लिए वेतन पर नियुक्तियां हो रही हैं, डिप्लोमा कोर्स होने के बाद लोगों को इससे रोजगार भी मिल सकेगा। इसके लिए पाठ्यक्रम का निर्माण किया जा रहा है। आशा है कि आगामी सत्र तक यह कार्य सम्पन्न हो जाएगा।

5 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. रोजगार मूलक बनाने के इस महत्वपूर्ण मुद्दे को प्रकाश में लाने से ब्लॉगिंग सार्थक दिशा की ओर अग्रसर होती दिखाई दे रही है। इस सार्थक प्रयास के लिए आपको बहुत-बहुत साधुवाद, बधाई व सफलता की कामना सहित हार्दिक शुभकामनाएं...

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  3. बहुत अच्छी प्रेरक पहल प्रस्तुति हेतु आभार ...
    अंग्रेजी की तरह ही हिंदी के भी व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए ब्लॉग लेखन को बढ़ावा देने के लिए ऐसे आयोजनों की समय-समय पर आवश्यकता है, ताकि भारत ही नहीं विश्व भर में हिंदी को पहचान मिले और वह रोजगार मूलक बनकर सबका ध्यान अपनी और आकर्षित करे।.

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