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सोमवार, 25 जनवरी 2010

बुरे लोगों की संगति का फल तो भुगतना ही पड़ता है.!!

एक किसान के खेत में कौंवों का एक विशाल झुण्ड आ जाता और उसकी फसल तहस-नहस कर देता. इससे किसान इन कौंवों से परेशान था. उसने खेत में कई बार कपड़ों के पुतले खड़े किये, किन्तु कौंवें उसके धोखे में नहीं आये. उन्होंने पुतलों को भी चीर फाड़ डाला.

जब किसान बेहद दुखी हो गया तो उसने खेत में जाल बिछा दिया.जाल ऊपर उसने अनाज के कुछ दाने बिखेर दिये. कौंवों की नजर दानों पे पड़ी तो बिना सोचे समझे दानो पर टूट पड़े. जैसे ही वे दाने चुगने के लिए नीचे उतरे, सब-के-सब जाल में फँस गए.

किसान जाल में फंसे कौंवों को देख कर बहुत खुश हुआ. उसने कहा"आज फंसे हो मेरे चंगुल में,दुष्टों! अब मैं तुममे से किसी को नहीं छोडूंगा."

तभी किसान को एक करुण आवाज सुनी दी. उस सुनकर किसान को बड़ा आश्चर्य हुआ. उसने ध्यान से जाल में देखा तो कौंवों के साथ उसमे एक कबूतर भी फंसा हुआ था.

किसान ने कबूतर से कहा "अरे! इस टोली में तू कब से शामिल हो गया? पर मैं तुझे भी छोड़ने वाला नहीं हूँ. क्योंकि तू बुरे लोगों की संगत करता है. बुरे लोगों की संगति का फल तो तुझे भुगतना ही होगा. इसके बाद किसान ने अपने शिकारी कुत्तों को इशारा कर दिया......................
Promoted By :ram और shyamand aurएवम goodको

10 टिप्‍पणियां:

  1. ललित भाई,
    वो जाल फेंकने वाला कहीं शेरसिंह तो नहीं था...

    जय हिंद...

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  2. सही बात है, बुरी संगति का फल तो भुगतना ही पड़ता है।

    सुन्दर बोधकथा!

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  3. सही कहा अपने "चोर के साथ रहोगे तो लोग चोर ही समझेंगे " चाहे कितना भी अच्छा काम करो |संगति का तो असर पड़ता ही है |मै सुनता आ रहा हूँ की करो गे चोरी और फिर पकड़े जाने पर यह सोचोगे की पकड़ने वाला हमे माफ कर देगा|
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  4. 16 aane sachchi or purnath vyavharik baat ....bilkul esa hi hota hai..badhiya post

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  5. सही कहा जी आपने
    गेहूं के साथ घुन पिसता ही है

    प्रणाम

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  6. पुरानी दिशानिर्देशक कथाओं की तो बात ही अलग है

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  7. बिल्कुल सही बात्! कुसंगति का दुष्फल तो भोगना ही पडता है......

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