Menu

सोमवार, 17 मई 2010

ब्लागोमैनिया, महुआ इलाज, दुसरी पारी की बल्लेबाजी

यह ललित डॉट कॉम की 202 वीं पोस्ट है, मतलब 2 सैकड़ा हमने पार कर लिया, वैसे तो  संजीव तिवारी जी के साथ एक एन्ड पर धुआधार बल्लेबाजी चल रही थी, लेकिन अम्पायार के गलत निर्णय का शिकार होना पड़ा,

पहली पारी में नाक खुजाते हुए अम्पायर की उंगली उठ गयी और  हम आऊट करार दे दिए गये।

अब दुसरी पारी प्रारंभ की है, थोड़ा बॉल का लाईन लेंथ देखकर बल्ले बाजी कर रहे हैं हमारा पूरा ध्यान बॉल पर नहीं अम्पायर की उंगली पर टिका है। पता नहीं फ़िर कब उठ जाए।

अवधिया जी कह रहे थे कि अब उंगली उठाकर आऊट देने वाला नियम बदल रहे हैं। खिलाड़ी को आऊट बताने के लिए अब अम्पायर को उंगली की जगह दोनो टांग उठाकर संकेत देना पड़ेगा, तभी खिलाड़ी आऊट माना जाएगा। 

अवधिया जी के नियम बदलने की सलाह से सारे अम्पायर नाखुश हैं उनका कहना है कि दोनो टांग उठाकर इशारा करेंगे तो हम धड़ाम से धरती पर गिर जाएंगे। चोटिल होने की संभावना है, इस स्थिति में हम अम्पायरिंग नहीं करेंगे।

तभी पाबला जी ने सलाह दी कि अम्पायरों के लिए विकेट के पास एक स्टुल रखना चाहिए जिससे वे उस पर बैठ सकें और मजे से दोनो टांग उठाकर आऊट होने का इशारा दे सकें।

अम्पायरों को भी पाबला जी बात जंच गयी क्योंकि खड़े-खड़े अम्पायरिंग करने से टांगों की मरम्मत हो जाती है कम से कम आऊट देते वक्त तो बैठकर आराम मिलेगा और इनके पास कोई हिन्दुस्तानी पत्नियां तो हैं नही जो पति को परमेश्वर जान कर, उनकी दूखती हुई टांगों का दर्द समझकर तेल मालिश ही कर दें।

पाबला जी की सलाह क्रिकेट बोर्ड ने मान ली है और इस आशय का प्रस्ताव ललित मोदी के विवाद हल होने के पश्चात आगामी बैठक में पास कर दिया जाएगा।

दूसरी पारी प्रारंभ करने के लिए पैडअप हो चुके थे, गॉड लगाकर दस्ताने ही पहन रहे थे तभी अचानक डॉक्टर साहब द्वारा एक चिकित्सकीय परीक्षण में हमें ब्लागोमैनिया का मरीज करार दे दिया गया,

सुन कर हमें गश आ गया कि इतनी गंभीर बीमारी के विषाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर चुके है और हमें पता ही नही। इसके लक्षण लोगों को दिखाई दे रहे हैं हमें नहीं, तब से हम इसी बीमारी की चिकित्सा में लगे हैं,

राजकुमार द्वय ने कहा कि  इन कीटाणुओं का जब कहेंगें, तब इलाज हो जाएगा, हमको तो इनके इलाज से डर लगता है, हमारे गांव के मुटरु बैगा सभी बीमारियों इलाज करते हैं, दवा दारु के साथ झाड़ फ़ूंक करते हैं।

प्रति मंगलवार और शनिवार उनके यहां सुर्यकांत गुप्ता जी के जाना पड़ता है, इसलिए इन दो दिनों ब्लागिंग की छुट्टी रहती है।

इन दो दिनों दारु से दूर रहने को कहा और बाकि दिनों दवा-दारु चलते रहेगी। ले्किन 3 पैग से ज्यादा लेने को मना किया है क्योंकि 3 पैग से मानसिक चंचलता खत्म हो जाती है चित्त स्थिर हो जाता है,

कहानी, व्यंग्य के प्लाट मानस में उमड़ते घुमड़ते हैं सुरुर में बढिया गीत और काव्य रचे जाते हैं, नफ़रत को भूल कर वातावरण प्रेम मय हो जाता है। ब्लागोमैनिया के जीवाणु भी दारु का आनंद लेते है और उनका असर कम हो जाता है।

दारु भी गजब की चमत्कारी दवाई है (तीन पैग तक दवाई कहते हैं डॉक्टर लोग) अगर ज्यादा होती है तो फ़िर मत पूछो फ़िर उसदिन सारा चलचित्र घुम जाता है किसने, कब, कैसे और क्यों कहा?

फ़िर मत पुछिए ब्लागोमैनिया के सारे जीवाणु ओवरडोज में रक्स करने लगते हैं और हमे भी हलाकान करते हैं। अंग्रेजी ब्लागोमैनिया के कीटाणु जब तीन पैग पीते हैं तो कहते हैं-बहुत हो गयी अब चलते हैं सोना है सुबह ब्लाग लिखना है,

पोस्ट शेड्युल नहीं करता रोज नया ही लिखता हूँ कुछ कमाना हैं। हिन्दी ब्लागोमैनिया के कीटाणु खाए पीए और अघाए हैं एक अद्धा चढाने बाद कहते हैं- अरे! ना रे बैठ मेरे भाई, अभी तो तेरे स्वागत में हमने तो कुछ पी ही नही है, ठीक से सेलिब्रेट भी नहीं कि्या है तुम उठकर चल दिए, बैठ मेरे भाई बैठ,-तेरे को किसी ने कुछ कहा क्या? बता मेरे को अभी उसकी..............एक करता हुं। उसका साले का बैंड फ़ाड़ता हूँ। 

ब्लागोमैनिया के कीटाणु अंग्रेजी मत बोलने लगें इसलिए चि्कित्सकीय सलाह से अभी गांव में महुआ स्पेशल से काम चला रहे हैं.

भकाड़ु कलार अपने भट्ठे से रोज शाम को एक बोतल उतार कर ले आता है, सौंधी-सौंधी महुआ की खुश्बु से आनंद आ जाता है और ब्लागोमेनिया के कीटाणु देशी दारु से इलाज के कारण पहले छत्तीसगढी में बात करते हैं और थोड़ी ज्यादा चढ गयी तो हिन्दी में बात करके हिन्दी सेवा करने लग जाते हैं।

अंग्रेजी की ऐसी तैसी करके ठिकाने लगा कर, हिन्दी सेवा का धर्म निभाते हैं। कुल मिला कर ब्लागोमैनिया के इलाज में महुआ बहुत कारगर साबित हो रहा है।

इसलिए सभी ब्लागरों से मेरा निवेदन है कि यदि आपको लगे कि ब्लागोमैनिया के कीटाणु आप पर हावी होने वाले हैं तो किसी डॉक्टर के मरीज घोषित करने से पहले ही महुआ से इलाज प्रारंभ करदें अन्यथा बहुत देर होने गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।

इस दुसरी पारी में हम पहली पारी से मिले अनुभवों का प्रयोग कर रहे हैं। आप सभी मित्रों के स्नेह प्यार से अभिभूत हूँ। आपसे आशीष चाहता हूँ और दुआ किजिए की कि दुसरी पारी में अम्पायर के गलत निर्णय का शिकार ना बन पाऊं और ब्लागोमैनिया की बीमारी से स्वास्थ्य लाभ कर पुन: धुआधार ब्लागिंग प्रारंभ हो, 

44 टिप्‍पणियां:

  1. यदि आपको लगे कि ब्लागोमैनिया के कीटाणु आप पर हावी होने वाले हैं तो किसी डॉक्टर के मरीज घोषित करने से पहले ही महुआ से इलाज प्रारंभ करदें अन्यथा बहुत देर होने गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं।'

    यहाँ तो मामला ही कुछ और है - महुआ के रस और अंगूर के रस के प्रभाव में ही ब्लागोमैनिया के शिकार हुए है डाँक्टर साहब जी, अब क्या करें?
    दूसरी पारी के लिये हार्दिक शुभकामनाएँ
    200 का आँकड़ा पार करने के लिये बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. जिओ!! दोहरे शतक की बधाई, जवान!! लगाये रहो ऐसे ही धड़ाधड़. अनेक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  3. दुआ किजिए की कि दुसरी पारी में अम्पायर के गलत निर्णय का शिकार ना बन पाऊं और ब्लागोमैनिया की बिमारी से स्वास्थ्य लाभ कर पुन: धुवांधार ब्लागिंग प्रारंभ हो

    @ लो कर दी जी दुआएं ! अब तो शुरू कर दो धुवांधार ब्लागिंग :)
    पर धुंवा देखकर फिर कोई डाक्टर ब्लोग्मेनिया का मरीज घोषित ना कर दे |

    किसी डॉक्टर के मरीज घोषित करने से पहले ही महुआ से इलाज प्रारंभ करदें

    @ लेकिन हमारे यहाँ तो झाड़ी व बबूल की रांग (छाल) के साथ रसकट्टा गुड से बनी मिलेगी जो कीटाणु ज्यादा ही मार देती है |

    जवाब देंहटाएं
  4. दोहरे शतक की बधाई और दूसरी पारी के लिए शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय ललित शर्माजी,
    ललित डॉट कॉम की 202 वीं पोस्ट के लिए 2002 बधाइयां !
    अच्छी व्यंग्यात्मक शैली में सृजित सुस्वस्थ पोस्ट है ।
    आपने लिखा - " दुआ कीजिए कि दूसरी पारी में अम्पायर के गलत निर्णय का शिकार ना बन पाऊं …"
    दूसरी पारी में आपके खेल और अम्पायर के इरादों पर नज़र रखेंगे ।
    आप तो खेल पर ध्यान दें इस अम्पायर की तो … … … मतलब हम भी आ गए हैं , चिंता न करें जी ।
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

    जवाब देंहटाएं
  6. ... लगता है सीधा "चौका" जड दिया है तब ही तो सीधे २०२ पर ...!!!

    जवाब देंहटाएं
  7. आप तो महाराज तीसरा, चौथा, पांचवां........शतक मारते रहो, अम्पायर को हम देख लेंगे(रिक्वेस्ट कर लेंगे और क्या?)

    बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. @रतन सिंग जी

    आपके यहां की रांग और रसकट्टा गुड वाली थोड़ी कड़क है,उसमें संतरे इलायची का एसेंस मिलाकर से्वन करने तीखापन कम हो सकता है, ब्लागोंमैनिया के कुछ कीटाणु बचाकर भी रखने हैं। सारे मार दिए तो फ़िर कहां से लाएंगे।

    महुआ का आयटम एक दम हर्बल है महुआ फ़ुल से चुवाया हुआ, उसका आनंद ही और कुछ है। आप आएंगे तो उसे स्पेशल तौर पर कढ्वाया जाएगा। आ हा उसके फ़ूलों की महक तो भालुओं को मद मस्त कर देती है। फ़िर चुवाया हुआ महुआ, इंसान के लिए, आनंद मत पूछिए-बस इस्तेमाल करके देखिए"हर्बल आयटम"

    जवाब देंहटाएं
  9. ललित जी आपको मेरी ओर से हार्दिक बधाई और आशा है की आप ब्लॉग जगत को एक सार्थक आयाम और उचाईयों तक पहुँचाने में अपना योगदान देते रहेंगे /

    जवाब देंहटाएं
  10. अरे ललित भाई आपको नहीं पता,
    आईसीसी ने सब अम्पायरों को शीर्षासन की ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है...अब वो इसी मुद्रा में अम्पायरिंग करेंगे...आउट देने के लिए टांगे एक बार मोड़ी, फिर ऊपर...कहीं कोई दिक्कत नहीं...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही सुन्दर बल्लेबाजी का प्रदर्शन। स्ट्रेट ड्राइव लगाते हैं। विश्व रिकार्ड बनाइये। यही हमारी कामना है। लेख धांसू है। गाड़ा गाड़ा बधाई। अउ खुशी मां नगाड़ा बजाई। बहुत खूब। हां आदरणीय बिल्लोरे जी का भी पता चल गया है। समाचार देखा।

    जवाब देंहटाएं
  12. "कुल मिला कर ब्लागोमैनिया के इलाज में महुआ बहुत कारगर साबित हो रहा है।"

    यदि 'पहली धार की मिले' तो असर चौगुना हो जाता है।

    जवाब देंहटाएं
  13. डबल सेंच्युरी की बहुत बधाई. अब जब महुआ परी से इलाज शुरु कर दिया है तो आप तो आऊट होने से रहे, आऊट तो एंपायर को ही होना पडेगा.:)

    रामराम.

    जवाब देंहटाएं
  14. हम तो हर एक रन पर आपको बधाई देते है और प्रार्थना करते है कि आप इसी तरह शतक पे शतक बनाए, ललित जी !

    जवाब देंहटाएं
  15. ललित जी ,
    अभी तक 'ब्लागोमीनिया' निर्धारक वैद्य नहीं दिखा ? उसका
    इंतिजार मुझे भी है ! कहीं उसी को तो २०२ वोल्ट का करेंट नहीं
    लग गया ? बड़ा 'शाक' लगा होगा तब तो उसे !
    .....
    जय महुआ महरानी की ! २०२ वीं चहल-पहल मुबारक !

    जवाब देंहटाएं
  16. अम्पायर से लेकर अम्पायर तक। वाया ब्लॉगमैनिया और महुवा।

    जवाब देंहटाएं
  17. badhai aur shubhkamnayein, chalti rahe dawa-daru aur bloggiing bhi....

    जवाब देंहटाएं
  18. दूसरी पारी के लिए बधाई....और शुबकामनाएं...


    ########################

    आपके ब्लॉग को बहुत प्रबुद्ध साथी पढते हैं इस लिए अपना निवेदन यहाँ प्रस्तुत करने कि धृष्टता कर रही हूँ ...


    Kumar Jaljala ji ,

    हो सकता है कि आप बहुत अच्छी प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हों.....आपके इस प्रयास से शायद महिला ब्लोगर और प्रोत्साहित हों....

    पर मैं अपने सभी सम्मानित पाठकों से निवेदन करना चाहूंगी कि मुझे इस प्रतियोगिता में शामिल ना करें....मैंने जब भी कुछ लिखा है मन से लिखा है...किसी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए नहीं....
    आशा है सभी साथी मेरी भावनाओं को समझेंगे....

    शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  19. sabse pahale dohre shatak ki badhai.subhakaamanaaye.aashaa hai aap kai shatak lagaayenge our match draw ki or badhegaa.

    vaise aapne blogjagat ko kyaa nahi diya.apni sampatti. ,pase, sabkuch.sarvasw to aap pahale hi de chuke the baad me blogging ke liye apna dil bhi haar gaye yaane dil bhi de diya. vaah our ab daaru kaa sahaaraa lekar blogjagat ko apna kidney bhi arpit karane jaa rahe hai.
    mahua ko protsahan nishay hi yuvaao me swadeshi ki bhaavana ko paida karegi. aapne tyag ke jis parampara ki shuruaat ki hai vah anuthi hai.....lalit bhai aapko naman.aap ke is vichar se doctors log kafi khush honge.blogjagat to rini ho hi chuka hai.

    kahi aap ye to nahi soch rahe ki krantidut daru peekar comment kar raha hai.?
    yadi aap aisa soch rahe hai to sahi soch rahe hai.lekin aapke kahe anusaar only 3 page, bhale hi page 60 ke badle 120 ml ka tha..

    जवाब देंहटाएं
  20. lalit bhai upar ke comments me majaak kiya hun, seriously n len pls.

    जवाब देंहटाएं
  21. वाह ! "हर्बल आयटम" यानी हर्बल सूरा !!
    हमारे यहाँ आजकल हर्बल की जगह हेरिटेज चलती है | सरकार राजा महाराजाओं से सूरा बनाने के फार्मूले लेकर हेरिटेज सूरा बना रही है |
    महाराणी मेहणसर , महाराणी केसर , महाराणी गुलाब , महारनी पान आदि आदि | कानोता ठिकाने की चंद्रहास के तो कहने भी क्या !

    जवाब देंहटाएं
  22. आप इसी तरह शतक पे शतक बनाए, ललित जी !

    जवाब देंहटाएं
  23. दोहरे शतक की बधाई....
    गज़ब कि पोस्ट लिखी है..दूसरी पारी के लिए अनेक शुभकामनाये.

    जवाब देंहटाएं
  24. हे राम्! ब्राह्मण धरम और ऎसा करम :-)
    शिव शिव शिव शिव!!!

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत-बहुत बधाई हो भईया , बहुत हो चुका ये सब अब कुछ मिठा हो जाये ,।

    जवाब देंहटाएं
  26. @ पं.डी.के.शर्मा"वत्स"

    पूजिए विप्र शील गुण हीना्।
    शुद्र न गुनगन ज्ञान प्रबीना॥

    जय हो

    जवाब देंहटाएं
  27. @ Mithilesh dubey

    सिर्फ़ मीठा ही क्यों यार,
    साथ में महुआ नहीं चलेगा क्या?

    जवाब देंहटाएं
  28. अजी आप दूसरी पारी खेलिए और बैट कैरीड करिए । समझ गए ना , आप बैटिंग करते रहिये । शुभकामनायें ।

    जवाब देंहटाएं
  29. बहुत बहुत बधाई जी, दोहरे शतक के लिये

    जवाब देंहटाएं
  30. ललित भाई
    किसी भी सूरत में अब किसी ऐसे-वैसे डाक्टर की सलाह पर निराश मत होना। मस्त रहो मस्ती में आग लगे बस्ती में।
    आपको दूसरी पारी की शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  31. मुझे तो यह भी लग रहा है कि दूसरी पारी में आप ज्यादा बढिया ढंग से ब्लागिंग कर रहे हो।

    जवाब देंहटाएं
  32. अरे डाक्टर साहब का संदेशा नहीं आया क्या।

    जवाब देंहटाएं
  33. दुहरे शतक के लिए धन्‍यवाद भईया. आपकी लेखनी में दम है, अपनी लेखनी को निरंतर रखे और एक से एक ज्ञानवर्धक पोस्‍ट लिखते रहें, आपके पास अनुभव और ज्ञान का जो खजाना है उसे दस्‍तावेजीकृत करते हुए लगे रहें.

    जवाब देंहटाएं
  34. दुहरे शतक के लिए धन्‍यवाद भईया. आपकी लेखनी में दम है, अपनी लेखनी को निरंतर रखे और एक से एक ज्ञानवर्धक पोस्‍ट लिखते रहें, आपके पास अनुभव और ज्ञान का जो खजाना है उसे दस्‍तावेजीकृत करते हुए लगे रहें.

    जवाब देंहटाएं
  35. दुहरे शतक के लिए शुभकामनायें ।

    जवाब देंहटाएं
  36. जलजला ने माफी मांगी http://nukkadh.blogspot.com/2010/05/blog-post_601.html और जलजला गुजर गया।

    जवाब देंहटाएं
  37. लो आ गया जलजला (भाग-दो)
    आप सब लोगों से मैंने पहले ही निवेदन किया था कि यदि प्रतियोगिता को अच्छा प्रतिसाद मिला तो ठीक वरना प्रतियोगिता का विचार स्थगित किया जाएगा. यहां तो आज की तमाम एक जैसी संचालित पोस्टें देखकर तो लग रहा है कि शायद भाव को ठीक ढंग से समझा ही नहीं गया है. भला बताइए मेरी अपील में मैंने किस जगह पर अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया है.
    बल्कि आप सबमें से कुछ की पोस्ट देखकर और उसमे आई टिप्पणी को देखकर तो मुझे लग रहा है कि आपने मेरे सम्मान के भाव को चकनाचूर बनाने का काम कर डाला है। किसी ने मेरा नाम जलजला देखकर यह सोच लिया कि मैं किस कौन का हूं। क्या दूसरी कौन का आदमी-आदमी नहीं होता है। बड़ी गंगा-जमुना तहजीब की बात करते हैं, एक आदमी यदि दाढ़ी रख लेता है तो आपकी नजर में काफिर हो जाता है क्या। जलजला नाम रखने से कोई ........ हो जाता है क्या। और हो भी जाता है तो क्या बुरा हो जाता है क्या। क्या जलजला एक देशद्रोही का नाम है क्या। क्या जलजला एक नक्सली है। एक महोदय तो लिखते हैं कि जलजला को जला डालो। एक लिखते हैं मैं पहले राहुल-वाहुल के नाम से लिखता था.. मैं फिरकापरस्त हूं। क्या जलजला जैसा नाम एक कौम विशेष का आदमी ही रख सकता है। यदि ऊर्दू हिन्दी की बहन है तो क्या एक बहन किसी हिन्दू आदमी को राखी नहीं बांध सकती.
    फिर भी शैल मंजूषा अदा ने ललकारते हुए कहा है कि मैं जो कोई भी हूं सामने आ जाऊं। मैं कब कहा था कि मै सामने नहीं आना चाहता। (वैसे मैंने यहां देखा है कि जब मैं अपने असली नाम से लिखता हूं तो एक से बढ़कर एक सलाह देने वाले सामने आ जाते हैं, सब यही कहते हैं भाईजान आपसे यह उम्मीद नहीं थी, आप सबसे अलग है आप पचड़े में न पढ़े. अब अदाजी को ही लीजिए न पचड़े में न पड़ने की सलाह देते हुए ही उन्होंने ज्ञानू बाबू से लेकर अब तक कम से कम चार पोस्ट लिख डाली है)
    जरा मेरी पूर्व में दिए गए कथन को याद करिए मैंने उसमे साफ कहा है कि 30 मई को स्पर्धा समाप्त होगी उस दिन जलजला का ब्लाग भी प्रकट होगा। ब्लाग का शुभारंभ भी मैं सम्मान की पोस्ट वाली खबर से ही करना चाहता था, लेकिन अब लगता है कि शायद ऐसा नहीं होगा. एक ब्लागर की मौत हो चुकी है समझ लीजिएगा.
    अदाजी के लिए सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मैं इंसान हूं.. बुरा इंसान नहीं हूं। (अदाजी मैंने तो पहले सिर्फ पांच नाम ही जोड़े थे लेकिन आपने ही आग्रह किया कि कुछ और नामों को शामिल कर लूं.. भला बताइए आपके आग्रह को मानकर मैंने कोई अपराध किया है क्या)
    आप सभी बुद्धिमान है, विवेक रखते हैं जरा सोचिए देश की सबसे बड़ी साहित्यिक पत्रिका हंस और कथा देश कहानी प्रतियोगिताओं का आयोजन क्यों करती है। क्या इन प्रतियोगिताओं से कहानीकार छोटे-बड़े हो जाते हैं। क्या इंडियन आइडल की प्रतिस्पर्धा के चलते आशा भोंसले और उदित नारायण हनुमान जी के मंदिर के सामने ..काम देदे बाबा.. चिल्लाने लगे हैं।
    दुनिया में किसी भी प्रतिस्पर्धा से प्रतिभाशाली लोग छोटे-बड़े नहीं होते वरन् वे अपने आपको आजमाते हैं और जब तक जिन्दगी है आजमाइश तो चलती रहनी है. कभी खुद से कभी दूसरों से. जो आजमाइश को अच्छा मानते है वह अपने आपको दूसरों से अच्छा खाना पकाकर भी आजमाते है और जिसे लगता है कि जैसा है वैसा ही ठीक है तो फिर क्या कहा जा सकता है.
    कमेंट को सफाई न समझे. आपको मेरे प्रयास से दुख पहुंचा हो तो क्षमा चाहता हूं (ख्वाबों-ख्यालों वाली क्षमा नहीं)
    आपकी एकता को मेरा सलाम
    आपके जज्बे को मेरा नमन
    मगर आपकी लेखनी को मेरा आहावान
    एक पोस्ट इस शीर्षक पर भी जरूर लिखइगा
    हम सबने जलजला को मिलकर मार डाला है.. महिला मोर्चा जिन्दाबाद
    कानून के जानकारों द्वारा भेजे गई नोटिस की प्रतीक्षा करूंगा
    आपका हमदर्द
    कुमार जलजला

    जवाब देंहटाएं
  38. ब्लागोमैनिया की बिमारी से स्वास्थ्य लाभ कर पुन: धुवांधार ब्लागिंग प्रारंभ हो,
    मज़ा आ गया

    जवाब देंहटाएं
  39. यह बीमारी ऐसे ही लगी रहे... वैसे ताऊ ने कोई स्पेशल टानिक बनाया है जो इन कीटाणुओं को मारता है... :))

    जवाब देंहटाएं