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शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

तूलिका के माध्यम से कुछ कहने का जी चाहता है

कभी कभी कुछ तूलिका के माध्यम से कुछ कहने का जी चाहता है। जीवन की आपाधापी के बीच हजारों उलझने दिमाग में चलती रहती हैं। कभी उलझती है तो कभी सुलझती हैं। कभी की बोर्ड खटखटाते हैं तो कभी ब्रश कूंची पर हाथ आजमा लेते हैं।  रंगो के साथ कभी एक रंग भी हो जाता हूँ तभी इस तरह का काम कर पाता हूँ, रंग तो आकर्षित करते ही हैं लेकिन कभी-कभी बेरंग होना भी आनंद देता है।एक पेंसिल से किया गया मेरा काम आपके सम्मुख है। 

ललित शर्मा

18 टिप्‍पणियां:

  1. बेरंगियत का इतना खूबसूरत रंग
    वाह बहुत सुन्दर

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  2. वाह , वाह , वाह !
    बहुत खूब मोडर्न आर्ट ।

    लेकिन अपनी तो समझ में नहीं आती मोडर्न आर्ट ।

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  3. आपकी पेंसिल ने तो पूरी कथा ही लिख दी है.

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  4. इस बेरंग में तो आपकी कला की रंगीनी ही रंगीनी दृष्टिगोचर हो रहा है!

    "कभी की बोर्ड खटखटाते हैं तो कभी ब्रश कूंची पर हाथ आजमा लेते हैं।"

    आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं इसलिये कभी कुछ कभी कुछ कर सकते हैं पर हमने तो कभी कूची को हाथ ही नहीं लगाया, हम क्या करें? सिवाय तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा और अंगुष्ठ को कम्प्यूटर के कीबोर्ड पर थिरकाने के।

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  5. वाह ये तो जबर्दस्त्त मॉडर्न आर्ट है ..

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  6. बहुत सुंदर जी आप का बेरंग, अगर यह बेरंग है तो फ़िर हमे बेरंग ही सब से ज्यादा पसंद है

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  7. भाई वाह क्या 'बेरंग' कला है ...........बहुत बढ़िया लगा चित्र!

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  8. महाराज, कोई और फ़न रह गया हो तो वो भी बता देते। जो भी बनाया है, बढ़िया बनाया है। ऐसी आर्ट का यही फ़ायदा है कि हर कोई अपनी गुंजाईश के हिसाब से समझ लेता है। समझ नहीं आया, लेकिन बढ़िया इसलिये लगी कि अपने से कभी ऐसा नहीं बन पायेगा :)

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  9. बहुत बढिया बेरंग आर्ट है. सभी फ़नों के उस्ताद हैं आप तो. घणी शुभकामनाएं.

    रामराम

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  10. भैयाजी! म्हने तो थांकी आ 'मोडर्न आर्ट ' हम्ज में आवे कोणी. यो जरुर है कि हाथ सध्यो थको है. चित्र में बाल में ड्रा करता समय एक भी लाइन में कम्पन कोणी. मैं तो कोई चित्र में ऐसी लेना परीच ध्यान दूँ.सो हमज में आग्यो कि म्हारो बीरो चित्र भी बना सके.तो कोई दन आधा घुंघटा में झान्कतो चाँद बनाज्यो मतलब रूपाली सी राजस्थानी लुगाई रो फोटू.

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  11. indu puri

    कोशिश करस्यां,जद टैम मिल ज्यावे।

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  12. भाई जी यदि ये बेरंग है तो कैसा होगा रंग ? चेहरे पे चेहरा याद आ गया । भई वाह ! भावनाओं की अभिव्यक्ति तो कोई आप से सीखे । बधाई ।

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  13. कशमकश है...आत्मसंवाद !! कई विचार हैं जो गझिन हैं.!
    समय हो तो पढ़ें
    हिरोशीमा की बरसी पर एक रिक्शा चालक
    http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_06.html

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  14. आपने बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है!
    --
    इसकी चर्चा तो चर्चा मंच पर भी है-
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/238.html

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