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मंगलवार, 29 सितंबर 2009

आखिर दशहरा में विजय हुई

कल सुबह से सैकडों पोस्ट लिखी गई होगी ब्लागवाणी के सम्बन्ध में मैंने भी अपील की थी के भाई चालू करो,अपणे फौजी ताऊ ने भी कहा था के जो बटन ख़राब हो गया है उसे डायरेक्ट कर दो,

मैं भी सूबे नेट चालू किया तो देखा नही के ब्लागवाणी चालू है के नहीं मै तो ये सोच रहा था के जैसे सांडों के झगडे में खेत का ही नाश होता है ये हाल हमारा हो गया,

अविनाश जी ने कल एक पोस्ट में कहा था की ब्लोगवाणी फिर चालू होगी, उनकी इस बात में एक आत्मविश्वास की झलक थी, जिसने हमें संबल दिया,आखिर में दशहरा में एक विजय हुई, ब्लाग वाणी के चाहने वाले जीते,

साथियों हमारे गावं में तो इंटर नेट का कनेक्शन भी बड़ी मुश्किल से चलता है, सुदूर ग्रामीण अंचल में बैठे लोगो को अपनी बात प्रकाशित करने की सुविधा मिल रही है तथा वो पाठकों तक पहुच रही है,

हमारे लिए ये ही बड़ी बात है, आप अब ब्लोगवाणी के चाहे कैसे भी नियम कायदे बनाये हमें सिर्फ इतना ही है की हमारी पोस्ट ब्लोगवाणी पर प्रकाशित कर दे,

ब्लोगवाणी चालू होने की सूचना मुझे फोन पर राजतन्त्र वाले राजकुमार ग्वालानी जी ने दी, नहीं तो मुझे पता ही नहीं चलता,

झंझावातों का मुकाबला करके ही कोई भी मजबूत बनता है, ब्लॉग वाणी भी अब मजबूत होकर अपना  काम से लगेगी,

आप लोगो को फिर से मेरी बधाई  जो आपने एक महत्वपूर्ण काम किया,आपके साथ जुड़े सभी लोगो को मेरी शुभकामनायें,

भाई हम तो वो है, जो कबीर दास जी ने कहा था, "कबीरा खडा बाजार में सबकी मांगे खैर-ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर" हमारी तरफ से सबकी जय है, लेख 

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