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बुधवार, 30 मार्च 2011

कौन जीतेगा कौन हारेगा? एक सवाल मित्रों से --- ललित शर्मा

आज हिन्दुस्तान और पाकिस्तान का घमासान देखने बैठ गए। लड़खड़ाते हुए हिन्दुस्तानी बल्ले बाज सम्मान जनक स्कोर तक पहुंच गए। रियाज ने अच्छी बॉ्लिंग की, 5 विकेट लिए। सचिन शतक से चूके। पाकिस्तानी पारी को लेकर ऑनलाईन मित्रों से कुछ सवाल किए।हि्न्दुस्तानी बॉलर कौन चलेगा? फ़िल्डिंग कैसी रहेगी? और कौन जीतेगा?
अवधिया  जी हिन्दुस्तानी खिलाड़ियों के मैच से निराश दिखे। उन्होने सीधे ही कह दिया कि "हारेगें।"
संजीत त्रिपाठी जी ने कहा- "जीतना ही है।"लेट्स सी। सट्टेबाजों ने भाव भारत का 30 पैसे खोला था जो कि शाम साढ़े चार बजे 80 पैसा हो गया था।
राजीव तनेजा जी ने  कहा कि--वे मैच कम देखते हैं, इसलिए अंदाजा नहीं लगा सकते।
अजय झा जी ने कहा-सब बहुत ही अच्छा अच्छा होगा सर,आप तो जश्न क इंतज़ाम करिए
राजेन्द्र तेला जी ने कहा-aashaawaadee desh premee hoon, जहीर की बॉलिंग चलेगी
ज्वेल प्रकाश ने कहा-भारत जी्तेगा, बॉलिंग भी अच्छी रहेगी।
संजय भास्कर ने कहा- पता नहीं, पर मैच अच्छा था

अब मैच शुरु हो गया है। आगे देखते हैं क्या होता है?
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गुरुवार, 24 मार्च 2011

ब्लॉगवुड के होली समाचार जारी है --- ललित शर्मा

ब्लॉगवु्ड रेड़ियो-- सुनिये होली समाचार (अर्चना चावजी से)


"बुरा न मानो होली है"
मिडियम वेब चार दो शुन्य मेगाहार्टज पर ये ब्लॉगवुड का रेडियो केन्द्र है , सभी श्रोताओं को रंग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।अब आप ललित शर्मन: से ब्लॉग वुड के बचे-खुचे मुख्य समाचार सुनिए।

प्रेस के क्लब के चपरासी के हवाले से खबर मिली है कि अध्यक्ष अनिल पुसदकर छाली वुड की एक सेवानिवृत अभिनेत्री से विवाह करने जा रहे हैं। यह समाचार काफ़ी दिनों से प्रेस क्लब के गलियारों में चल रहा था। अब इसकी पुष्टि अनिल पुसदकर के विश्वसनीय ब्लॉग गुरु संजीत त्रिपाठी ने कर दी है। शादी के लिए 3 तरह के निमंत्रण पत्र छापे गए हैं, लाल वाला निमंत्रण पत्र दिखाने पर ही पार्टी में बिना उपहार के प्रवेश दिया जाएगा। बाकी कार्ड वालों नव दंपत्ति के बच्चों के लिए उपहार लाने पड़ेगें।

छत्तीसगढ भंडारण निगम बोर्ड की आपातकालीन बैठक आहूत की गयी, भंडारण निगम के मोटे चूहों के उत्पात एवं अनाज के नुकसान को देखते हुए अध्यक्ष अशोक बजाज की सहमति से निर्णय लिया गया है कि बड़ी संख्या में अफ़्रीका के जंगलों से बड़ी बिल्लियाँ खरीदी जाएगीं। जो चूहों का शिकार कर भंडारण निगम के नुकसान को कम करेंगीं। बिल्लियों के निरीक्षण के लिए भंडारण निगम का एक दल अध्यक्ष के नेतृत्व में जल्द ही बुरकीनाफ़ासों की यात्रा पर जाएगा। इस खरीदी हेतु बोर्ड ने 1800  करोड़ का ग्लोबल टेंडर निकालने की सहमती दे दी है।

रेलवई मंत्रालय ने रेल्वे के प्रवीण पाण्डेय को बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। अब प्रवीण पान्डेय अपनी सेवाएं दिल्ली में देंगे। उन्होने फ़ोन पर अपना वर्जन देते हुए कहा कि किसी भी ब्लॉगर को इमरजेंसी कोटे से टिकिट कन्फ़र्म करानी है तो वे नि:संकोच उनसे सम्पर्क कर सकते हैं। वे अपनी प्रारंभिक बैठक में ही बेरोजगार ब्लॉगरों के लिए रेल्वे में भर्ती का कोटा आरक्षित करने का उद्यम करेंगे। जिससे रेल्वे की योजनाओं का प्रचार प्रसार ब्लॉग के माध्यम से हो सके तथा ब्लॉगर्स को रेल्वे का विज्ञापन भी दिलाएगें।

अब तहलका में तहलका कर रहे राजकुमार सोनी को पत्रकारिता जगत का  सबसे बड़ा "न्यूज श्री सम्मान " देने की घोषणा चचा ने की है। उन्होने बताया कि वे हरिभूमि की तरह यहाँ भी  खोजी पत्रकारिता की मिशाल पेश करेगें। इनके पास समाचारों के समस्त स्रोत हैं, जिनका इस्तेमाल बखुबी कर सकते हैं।प्रेस क्लब से उड़ता हुआ समाचार है कि ये अब प्रेस क्लब का अध्यक्ष बनने के लिए कमर कस चुके हैं और इनका पत्रकारों से सम्पर्क जारी है। अहफ़ाज रशीद इसमें मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।

राडिया प्रकरण में एक नया मोड़ आ गया है। इसमें एक और पत्रकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। जी न्यूज के प्रोड्यूसर खुशदीप सहगल ने सतीश सक्सेना एवं शाहनवाज सिद्धकी को मंत्री मंडल में शामिल कराने के लिए पुरजोर प्रयास किया। मुखबिर के हवाले से बताया गया है कि लेन-देन को लेकर मामला अटक गया और इनका प्रयास विफ़ल रहा। सतीश सक्सेना एवं शाहनवाज सिद्धकी ने इनको तबियत से गरियाया है। इनके चक्कर में ये न घर के रहे न घाट के। डॉ दराल से मिली जानकारी के अनुसार इनका पंगा सी एस ओ आर क्लब में भी हुआ था।

ब्लॉगप्रहरी की सफ़लता के पश्चात एक नया एग्रीगेटर ब्लॉगमंडली भी लांच हो चुका है। जबलपुरिया फ़ाड़ू शायर महेन्द्र मिश्र ने भी नया इंटरनेट लाईव चैनल शुरु किया है। इनका कहना है कि सभी टीवी चैनल अपनी विश्वसनीयता खो चूके हैं इसलिए बस इंटरनेट का सहारा है। ये प्रतिदिन सुबह और शाम को मिसिर चैनल पर कविता एवं गद्य पाठ कर रहे हैं और प्रतिद्वंदियों की खाट खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

होली पर अंतर सोहिल एवं यौगेन्द्र मौदगिल में घमासान युद्ध हो गया। बात तो दोस्ती के तलाक तक पहुंच गयी। अम्ब्रेला छतरी की मध्यस्थता के पश्चात माहौल कुछ शांत हुआ है पर भीतर तूफ़ान जारी है। तिलियार के वेटर से मिले समाचार के अनुसार दोनो का विवाद पहले पैग को ही लेकर हो गया। पहले आप और पहले आप के लखनवी अंदाज में बात जूतम पैजार तक पहुंच गयी। अम्ब्रेला छतरी ने आते ही पैग ढकेल लिया, तब तक बार बंद हो चुकी थी, अब दोनो को शांत होना पड़ा।

धर्मशाला से खबर आ रही है कि केवल राम पर किसी साए का असर हो गया है। तभी से ये अपने ब्लॉग पर चलते-चलते ईश्किया शायरी करने लगे हैं। इधर महफ़ूज अली का रिश्ता भी तय हो गया है। शीघ्र ही इनका निकाह लीबिया के राष्ट्रपति गद्धाफ़ी की भतीजी से होने वाला है। रायटर के अनुसार निकाह के पश्चात लीबिया का शासन महफ़ूज अली के हाथों में देने की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है। क्योंकि वहाँ के विद्रोहियों से ये अपने लाठी बल्लम से निपटकर शांति स्थापित कर सकते हैं। इनके ईष्ट मित्र बारात में जाने की तैयारी रखें, पता नहीं कब आपातकालीन बुलावा आ जाए।

गिरीश पंकज से शिकायत रही है कि उन्होने “मिठलबरा की आत्मकथा” नामक उपन्यास सत्य घटना पर केन्द्रित किया है जिसे काल्पनिकता का जामा पहनाने की कोशिश की गयी है। गौरतलब है कि इस उपन्यास के प्रकाशित होने के बाद बहुत धमाल मचाया और पत्रकारिता जगत की धांधलियों का भंडाफ़ोड़ कर दिया। गिरीश पंकज ने बताया कि अब वे “मिठलबरा” नम्बर 2 लिख रहे हैं। चाहे उन्हे जेल भेज दिया जाए लेकिन सच कहने से नहीं चूकेगें।

ताऊ गरही सम्मेलन में पिट्सबर्ग के भारतीय अनुराग शर्मा ने भौजी का वेश बना कर सतीश सक्सेना पर बहुत लट्ठ बरसाए,वे भौजी समझ कर लट्ठ खाते रहे। जैसे ही उन्हे राज का पता चला तो संसदिय सौंध के महिला थाने में इनके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करा दी है। इंटरपोल से इनके नाम का रेड़ कार्नर नोटिस जारी किया जा चुका है। काजल कुमार मित्र धर्म निभाकर आपसी समझौता कराने में लगे हुए हैं, अख्तर खान अकेला ने फ़रियाद तीसरा खंबा पर दर्ज करने की सलाह दी है। जहाँ दिनेश राय द्विवेदी की अध्यक्षता में वकीलों का एक पैनल इस मामले पर कानूनी मशविरा करेगा।

अभी अभी समाचार मिला है कि छत्तीसगढ की समस्त देशी विदेश शराब दुकानों का ठेका जी के अवधिया एन्ड कम्पनी को दे दिया गया है। ज्ञात हो कि ललितकला के लोकार्पण के अवसर इन्होने मुख्यमंत्री से शराब का कोटा पुरा न होने की बात कही थी। मुख्यमंत्री ने इन्हे होली का तोहफ़ा दिया है। इस खुशी में जी के अवधिया तीन दिनों से सुबह से ही टुन्न हो जाते हैं। अजय सक्सेना को इन्होने ने ग्रुप मैनेजर बनाया है। जी के अवधिया को ठेका मिलने के बाद ही अजय सक्सेना ने पत्रिका को छोड़ दिया था।

डी आर डी ओ ने अन्य ग्रहों पर ब्लॉगिंग की संभावनाओं एवं विकास को लेकर एक अध्ययन दल मंगल ग्रह पर भेजने का निर्णय लिया है। अध्ययन दल का नेतृत्व प्रख्यात ब्लॉगर निर्मला कपिला करेंगी और संगीता पुरी वाणी शर्मा, डॉ मोनिका शर्मा, दर्शन कौर धनोए, संगीता स्वरुप,एवं वन्दना गुप्ता  शामिल रहेगीं। सहयोग के लिए विशेष रुप से पुरातत्वविद राहुल सिंह को भेजे जाने की संभावना है, वे मंगल ग्रह पर एलियन की तलाश भी करेंगे।

भाजपा कार्यालय की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि स्वराज्य करुण ने जनसम्पर्क से त्याग पत्र देकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इन्हें पार्टी का मुख्य विशेष प्रवक्ता नियुक्त किया है। इनका नाम बुकर पुरस्कार के लिए भेजा गया  है। याज्ञवल्क्य वशिष्ठ ने सहारा चैनल से इस्तीफ़ा दे कर फ़ेसबुक ज्वाईन कर लिया है। वे अपनी सेवाएं फ़ेसबुक पर भारत ब्युरो चीफ़ के पद पर देगें। संजीव तिवारी ने छत्तीसगढी फ़िल्म बनाने की घोषणा कर दी है। आर्कुट ,फ़ेसबुक एवं ब्लॉग सम्पर्कों से नायिका की तलाश जारी है। इस सिलसिले में बी एस पाबला से इनकी गहन मंत्रणा चल रही है। शरद कोकास पटकथा एवं डॉयलाग लेखने का प्रशिक्षण लेने मुंबई गए हुए हैं। उनके आते ही फ़िल्म स्क्रीप्ट का लेखन प्रारंभ हो जाएगा।

रंग पंचमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं, आज के समाचार समाप्त होते हैं, नए समाचारों के साथ मिलते हैं अगली होली में, इतने ही बजे इतने ही टाईम। तब तक के लिए ललित शर्मण: को आज्ञा दीजिए। नमस्कार

नोट-समय की कमी के कारण पॉडकास्ट नहीं कर पाया, क्षमा चाहुंगा
पोस्ट अपडेट की गयी।

बुधवार, 23 मार्च 2011

मेरी बेवकूफ़ी --- ललित शर्मा

वंदना अवस्थी जी ने होली पर बेवकूफ़ियों पर पोस्ट लगाई है। सोचा कि हम भी अपनी महा बेवकूफ़ी आपके साथ बांट लें। यह पोस्ट वैसे तो मैं बहुत पहले लिख चुका था। लेकिन प्रसंगवश आज पुन: प्रकाशित कर रहा हूं।कभी कभी ऐसी नादानी हो जाती है,जिसे बाद में सोच कर हम अपने आप पर ही हंसने को मजबूर हो जाते हैं. एक घटना ऐसी ही मेरे साथ घटी वह आपके साथ बाँट रहा हूँ,शायद आप के साथ भी घटी हो?
हमारा गांव कोई 10 हजार वोटरों की ग्राम पंचायत है.अब नगर पंचायत में तब्दील हो गया है. हम सब एक दुसरे को जानते हैं और सबके सुख-दुःख में शामिल होते हैं. हमारे घर से कोई आधे कि.मी. की दुरी पर श्मशान है और यहाँ जाने का रास्ता हमारे घर के सामने से ही है. जब किसी की मृत्यु होती है तो मैं शवयात्रा में अपने घर से ही शामिल हो जाता हूँ. सभी पंथों एवं धर्मों की मान्यता है की शवयात्रा में शामिल होना पुण्य का काम है. दोस्त हो या दुश्मन, परिचित हो या अपरिचित सभी की अंतिम यात्रा में शामिल होना चाहिए, ये बात मैंने भी गांठ बांध रखी है. किसी की भी शव यात्रा घर के सामने से निकले मैं अपना पंछा (अंगोछा) उठा कर उसमे शामिल हो जाता हूँ। 

एक दिन ऐसी ही एक शव यात्रा घर के सामने से निकली, उसमे सभी परिचित लोग दिखे, तो मैंने सोचा कि गांव में किसी की मृत्यु हो गयी और नाई मुझ तक नहीं पहुच पाया, मुझे जाना चाहिए । मैंने अपना अंगोछा उठाया और चल दिया, श्मशान जाने के बाद मैंने किसी से नही पूछा कि कौन मरा है? अपने हिसाब से कयास लगाया. हमारे मोहल्ले में एक फौजी रहता था और वो काफी वृद्ध हो गया था, वो लगातार बीमार भी रहता था, उसके नाती लोग उसके साथ रहते थे. श्मशान में फौजी के नाती लोग सभी क्रिया कर्मो को अंजाम दे रहे थे. अब मैंने सोच लिया कि फौजी की ही शव यात्रा है. अंतिम संस्कार के बाद घर आया तो मेरी दादी ने पूछा कि कौन मर गया? मैंने कहा फौजी।

उन्हें बता कर, नहा धो कर, पूजा पाठ करके किसी काम से बस स्टैंड चला गया. जब वापस घर आया तो देखा घर के सब लोग एक साथ बैठे थे. मै देखते ही चक्कर में पड़ गया कि क्या बात हो गयी इतनी जल्दी? मैं तो अभी ही घर से गया हूं बाहर. दादी ने पूछा " तू किसकी काठी "अंतिम यात्रा"में गया था. मैंने कहा "फौजी की."  वो बोली "फौजी तो अभी आया था. रिक्शा  में बैठ के और मेरे से 100 रूपये मांग कर ले गया है. बीमार है और इलाज कराने के लिए पैसे ले गया है". अब मैं भी सर पकड़ कर बैठ गया "आखिर मरा वो कौन था? जिसकी मैं शव यात्रा में गया था. मैंने कहा- "ये हो ही नहीं सकता मैं अपने हाथों से लकडी डाल के आया हूँ. वो किधर गया है? " उन्होंने कहा कि बस स्टैंड में डाक्टर के पास गया होगा. मैंने फिर अपनी बुलेट उठाई और बस स्टैंड में उसको ढूंढने लगा. 

एक जगह पान ठेले के सामने वो मुझे रिक्शे में बैठे मिल गया. मैंने उतर के देखा और  उससे बात की. अब मैं तो सही में पागल हो चूका था कि "आखिर किसकी शव यात्रा में गया था?" मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था, क्या किया जाये? फिर मेरे दिमाग में आया कि फौजी के नातियों से पूछा जाये. अब पूछने में शर्म भी आ रही थी कि वे क्या सोचेंगे? महाराज का दिमाग सरक गया है. काठी से आने के बाद पूछ रहा है कौन मरा था? किसकी काठी थी? मैं इसी उधेड़ बुन में कुछ देर खडा रह फिर सोचा कि चाहे कुछ भी पूछना तो पड़ेगा. ये तो बहुत बड़ी मिस्ट्री हो गयी थी.मौत तो उनके घर में हुयी थी. लेकिन किसकी हुयी थी यही पता करना था.  आखिर मैं उनके घर गया. दूर में मोटर सायकिल खड़ी करके उसके छोटे नाती को वहीँ पर बुलाया और  उससे पूछा.तो उसने बताया कि उसके पापा (फौजी के दामाद)की मौत हुयी है वो भी काफी दिन से बीमार चल रहे थे.

सोमवार, 21 मार्च 2011

जगाधरी न.1 के बहाने होली की मस्ती ---- ललित शर्मा

(माईक्रो पोस्ट) येल्लो भैया, होली का त्यौहार भी नहाक गया, कुछ लोग पंचमी तक चलाने की कोशिश करेगें। जगाधरी न.1 के बहाने। मतलब ये कि मौज जारी रहे। होली याने मौज मस्ती का त्यौहार, मस्ती तो जारी रही, होली के दिन 10 पेड़े खाए, तत्काल तो कुछ असर ही नहीं हुआ। लाने वाले को गरिया दिया कि नकली माल लेकर आया है। अब क्या बताएं उनका असर एक दिन बाद हुआ। बस-धरती आसमान एक हो गए। 20 तारीख दोपहर से जो बिस्तर संभाला तो दुसरे दिन याने 21 तारीख को ही नींद खुली। ये हुई होली की मस्ती। भांग के चक्कर में ब्लॉगवुड रेड़ियो की वाट लग गयी। श्रोता फ़ोन पर गरियाते रहे, हमें कुछ समझ नही आया। आज कोशिश करते हैं रेड़ियो चलाने की। सभी मित्रों को होली की शुभकामनाएं।

हनी की मस्ती








रविवार, 20 मार्च 2011

होली है भई होली है रंग बिरंगी होली है ---- ललित शर्मा

सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनाएं।



नया मौसम आया है जरा सा तुम संवर जाओ
जरा सा हम बदल जाएँ, जरा सा तुम बदल जाओ

जमी ने भी ओढ़ ली है एक नयी चुनर वासंती
गुजारिश है के फागुन में जरा सा तुम महक जाओ

नए चंदा- सितारों से सजाओ मांग तुम अपनी
परिंदों के तरन्नुम में जरा सा तुम चहक जाओ

तुम्हारे पैर की पायल नया एक राग गाती है
जरा सा हम मचल जाएँ जरा सा तुम थिरक जाओ

"ललित" के मय के प्याले में तुम भी डूब लो साकी
जरा सा हम बहक जाएँ जरा सा तुम बहक जाओ

शनिवार, 19 मार्च 2011

ब्लॉगवुड के होली समाचार रेड़ियो ब्लॉगवुड पर --- ललित शर्मा

सुनिए रेडियो ब्लॉगवुड




मिडियम वेब 420 मेगाहार्टज पर ये ब्लॉगवुड का रेडियो केन्द्र है अब आप ललित शर्मण: से ब्लॉग वुड के मुख्य समाचार सुनिए।

एफ़ बी आई के हवाले से खबर मिली है कि 2 जी स्पैक्ट्रम घोटाले की रकम उड़नतश्तरी से ले जा कर मंगल ग्रह के एलियन बैंक में जमा की गयी है। कहा जाता है कि देश के शातिर घोटाले बाज अब जान चुके हैं कि स्विसबैंक के खातों की जानकारी विकिलीक्स से लीक हो जाती है। मंगल ग्रह पर रकम ले जाने वाली उड़नतश्तरी तलाश जारी है। तलाश में जनता हवलदार का काफ़िला सायकलों से रवाना हो चुका है। एक उड़न तश्तरी  सत्यानंद विहार के कांजी हौस में बंद होने के समाचार भी मिले हैं जिसकी सूचना एफ़ बी आई को दे दी गयी है।

मशहूर पॉडकास्टर गिरीश बिल्लौरे अपने गिरोह के साथ कुतुबमीनार की तस्करी की योजना बनाते हुए गुवारीघाट थाने की पुलिस द्वारा धर लिए गए। इनसे काफ़ी मात्रा में अलसहे बरामद किए गए। इन पर कबूतर बाजी का भी आरोप चल रहा है, पिछले दिनों कनाडा यात्रा के दौरान ये अपने दल में 40 लोगों को लेकर गए थे जिसमें से 5 की ही वापसी  हुई है। पुलिस ने मुखबिर से मिली सूचना को पुख्ता मानकर कार्यवाही कर  सफ़लता प्राप्त की। नगर चौकीदार ने इन्हे गिरफ़्तार करने वाले पुलिस दल को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया है।

ताऊ की भैंस चम्पाकली का अपहरण हो गया है। चम्पाकली ब्रह्माण्ड सुंदरी प्रतियोगिता में शामिल होने गयी थी तभी से लापता है। ताऊ ने अपना शक रामप्यारे पर जाहिर किया है और चम्पाकली के न मिलने पर फ़िर से हिमालय यात्रा पर जाने की धमकी दे दी है, चम्पाकली की तलाश जारी है। देखते हैं अब भैंस किस करवट बैठती है।

अभी अभी ताजा खबर मिली है कि चितौड़ की मशहूर बज्जकार इंदू पुरी को राज्य सभा में मनोनीत कर दिया गया है। एजेंसी के हवाले से बताया गया कि मनमोहनी सरकार 2 जी स्पैक्ट्रम घोटाले में विपक्ष से घिर चुकी थी और विकिलीक्स के खुलासे ने सरकार की कमर तोड़ कर धर दी। ऐसी परिस्थिति में उन्हे किसी मजबूत सहारे की आवश्यकता थी। अब राज्यसभा में इंदुपुरी सरकार का बचाव करेंगी। इस आशय की खबर आज दिन भर संसद के गलियारों में चलते रही कि इनके लिए विशेष रुप से माँ-बहन एवं बाप-भाई मंत्रालय की स्थापना की जा रही है। इस खबर से ब्लागवुड में हर्ष व्याप्त है। अन्दरुनी खबर है कि मठाधीशों के पिछलग्गु चमचों ने इन्दुपुरी के राज्यसभा सदस्य मनोनीत किए जाने पर जंतर-मंतर पर धरना देने की योजना बनाई है।

रांची के कवि सम्मेलन में तब हंगामा खड़ा हो गया जब मंच पर एक शायर ने कम पारिश्रमिक मिलने की बात कह कर गजल पढने से मना कर दिया। इस कवि सम्मेलन के कर्ता धर्ता अलबेला खत्री बताए जाते हैं। शायर ने अलबेला खत्री पर आरोप  लगाया कि उन्हे पारिश्रमिक तो सभी कवियों के बराबर दिया गया था। लेकिन बीच में अलबेला खत्री ने गुल गपाड़ा कर दिया। यह खबर जैसे ही अन्य कवियों को मिली उन्होने अलबेला खत्री को घेर लिया। पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद अलबेला खत्री को बचाया। उन्होने भागलपुर में शरण ली है। समाचार मिलने तक कवि मंच पर धरने पर बैठे थे। अलबेला खत्री ने आरोप लगाया है कि कवियों को भड़काने के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है।

ब्लॉगवुड के नागरिकों ने राजीव तनेजा की हरकतों से परेशान होकर अविनाश वाचस्पति के नेतृत्व में मौजपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। इन्हे शिकायत है कि ये लम्बी-लम्बी कहानियाँ लिख जबरिया पढने के लिए लिंक देते हैं एवं विशुद्ध व्यावसायिक प्रयोजन से ब्लॉगरों के चित्रों से खिलवाड़ कर रहे हैं। इस बात की गवाही सुनीता शानु, पवन चंदन एवं खुशदीप सहगल ने दी है।

तेहरान रेड़ियो के हवाले से एक खबर मिली है कि ब्लॉगवुड में खतरनाक वायरस का प्रवेश हो चुका है। यह वायरस कम्पयुटर प्रोगाम के साथ ब्लॉगर के दिमाग में भी प्रवेश कर जाता है। जिससे ब्लॉगर बहकी-बहकी होलियाना पोस्ट लिख जाते हैं। पोस्ट में क्या लिख गए उन्हे ही पता नहीं रहता। ब्लॉग बुखार जांचने वाले डॉ बी एस पाबला कई ब्लॉगरों की खोपड़ी खोल कर उनका परिक्षण कर रहे हैं लेकिन अभी तक इस वायरस के हमले के कारणों का पता नहीं चला है। एन्टमोलाजिस्ट डॉ अजय झा विशेष रुप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं किसी तरह इस खतरनाक वायरस से मुक्ति मिल सके।

अब आज के मौसम का हाल सुनिए। मौसम विज्ञानी संगीता पुरी के अनुसार कल होली पर व्हिस्की और भांग धतूरे की छींटे पड़ने की संभावना है। अबीर गुलाल के बवंडर के साथ रंग की भारी बारिश हो सकती है। ओलों की जगह भांग के पेड़े गिर सकते हैं। विशेष कर धनु, कुंभ, कन्या एवं वृषभ राशिवाले पेड़ो पर कब्जे को लेकर आपस में लड़ भी सकते हैं। मेष, वृश्चिक, तुला एवं मीन राशिवालों को रसगुल्ले घर पर मिलने की संभावना है। बाकी राशियों वाले की 10-20 करोड़ की लाटरी लग सकती है, वे अपनी मेल बाक्स पर सतत निगाह बनाए रखें।

आज के समाचार समाप्त होते हैं, कल नए समाचारों के साथ मिलते हैं आपसे इतने ही बजे इतने ही टाईम। तब तक के लिए ललित शर्मण; को आज्ञा दीजिए। नमस्कार

पोस्ट अपडेट की गयी

गुरुवार, 17 मार्च 2011

होली का तोहफ़ा --- ललित शर्मा

छत्तीसगढ सरकार ने बालिकाओं को शिक्षा के प्रति आकर्षित करने के उद्देश्य से सरस्वती सायकल प्रदाय योजना चलाई है। गाँव की अधिकतर बालिकाएं सायकल का अभाव होने के कारण स्कूल में पढने नहीं आ पाती। शिक्षा सभी को समान रुप से उपलब्ध हो इसके लिए सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना कारगर रही है।उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के हाई स्कूलों में पढ़ाई कर रही अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं को सरस्वती सायकल प्रदाय योजना के तहत नि:शुल्क सायकलें प्रदान की जाती है। वर्ष 2007-08 से विशेष पिछड़ी जनजाति के बालकों तथा पिछड़ा वर्ग तथा अन्य वर्ग की गरीबी रेखा से नीचे के बालिकाओं को भी नि:शुल्क सायकलें प्रदान की जा रही है। 

आज शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सायकलों का वितरण किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष के नाते मुझे भी सायकल वितरण का अवसर मिला। नगर पंचायत अध्यक्ष राधाकृष्ण टंडन, उपाध्यक्ष मुरारी वैष्णव, प्राचार्य साहू जी, कई पार्षद, नागरिक एवं स्कूल के अध्यापक गण सायकल वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए।इस अवसर पर 186 सायकलें वितरित की गयी। होली के अवसर पर बालिकाओं को सायकलों का उपहार दिया गया। जिससे वे बहुत प्रसन्न दिखाई दे रही थी।

प्राचार्य साहू जी, ललित शर्मा, राधाकृष्ण टंडन, मुरारी वैष्णव
सायकल के साथ बालिकाएं
नागरिकों की उपस्थिति
होली का तोहफ़ा सायकल

अतिथियों का आभार करते प्राचार्य साहू जी

सोमवार, 14 मार्च 2011

शाबास मनीष! तुमने सही किया --- ललित शर्मा

”भूख है तो सब्र कर, रोटी नही तो क्या हुआ,आजकल दिल्ली में है जेरे बहस ये मुद्दा।" दुष्यंत कुमार ने कहा था। वर्तमान में संसद एवं विधान सभाओं में गरीब की रोटी अब बहस का मुद्दा नहीं रही। अब बहस होती है, सांसद विधायकों की भूख की। इनकी सुरक्षा  की, इनकी तनख्वाह की। एक बार इन सभाओं में पहुंचते ही इन्हे अपनी सात पीढी की रोटी का इन्तजाम करने की चिंता लग जाती है, विधायक बनते ही इनकी जान को खतरा हो जाता है, एक-चार का गार्ड हमेशा इनकी जान बचाने के लिए होना चाहिए। जिनके आगे हाथ-पसार कर वोट मांगते हैं, उनसे ही इन्हे खतरा हो जाता है और जितनी राजसी सुविधाएं हैं, वे सारी इन्हे मिलनी चाहिए, भले ही इन्हे चुन कर भेजने वाले दो बाल्टी पानी को तरसते रहें। अगर रास्ते में कोई पुलिस वाला ड्यूटी करते हुए इनसे गाड़ी के कागजात और ड्रायविंग लायसेंस पूछ ले तो ये विधान सभा की कार्यवाही अवरुद्ध कर सकते हैं। मामला विशेषाधिकार भंग होने तक पहुंच जाता है।

नेहरु जी को प्रधानमंत्री पर होते हुए रेल्वेक्रासिंग पर गेट कीपर रोक लेता है और ट्रेन गुजरने तक फ़ाटक नहीं खोलता। नेहरु जी उसे शाबासी देते हैं। लाल बहादुर शास्त्री जी को रेलमंत्री होते हुए एक टीटी टिकट पूछ लेता है तो शास्त्री जी उसे शाबासी देते हैं। 36 गढ में बिना नम्बर की गाड़ी पर 4 विधायक सवार होते हैं और चौक पर खड़ा एक ए एस आई उनसे कागज दिखाने को कहता है तो विपक्ष विधान सभा में हंगामा कर उसे लाईन अटैच करवा देता  है। समय कितनी तेजी से बदल रहा है, ये विधायक उसी कांग्रेस के हैं जिस कांग्रेस के नेहरु जी और लाल बहादूर शास्त्री जी थे। आज उनके संस्मरण याद किए जाते हैं, कल इन विधायकों को भी याद किए जाएगें। ये समाज के सामने ये एक आदर्श स्थापित कर रहे हैं कि लोग इनका अनुकरण करें और कानून व्यवस्था की खिल्ली उड़ाएं।

अब विधान सभा में उठाने के लिए यही मुद्दे रह गए हैं। सड़क पर रोज दुर्घटना में लोग मरते हैं, वह मुद्दा नहीं है, बलात्कार हो रहे हैं वह मुद्दा नहीं है, बिजली-पानी नहीं है, वह मुद्दा नहीं है। कानून का उल्लंघन करने पर एक ए. एस. आई. गाड़ी के कागजात पूछ लेता है तो वह मुद्दा हो जाता है। क्या विधायक बनने बाद कानून तोड़ने की छूट मिल जाती है? या कानून से ही उपर उठ गए हैं। अखबार के माध्यम से विधायक कहते हैं कि ए. एस. आई. मनीष बाजपेयी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। क्या सोचा जा सकता है कि एक अदना सा ए एस आई विधायकों को पहचानते हुए इनके साथ दुर्व्यवहार कर सकता है। बस गलती उसकी इतनी ही थी कि बिना नम्बर की गाड़ी के कागजात पूछ लिए और उसे पुरस्कार स्वरुप लाईन हाजिर कर दिया गया। शाबास मनीष! तुमने सही किया, इतनी हिम्मत तो दिखाई।

रविवार, 13 मार्च 2011

ज्वाइन करो, ऐसा एग्रीगेटर जो कभी न मिला है

आपके सभी सवाल यहीं खत्म होते हैं. ब्लॉगप्रहरी वह व्यापक परिकल्पना है , जिसने अब तक के सभी अनुत्तरित सवालों को सुलझा दिया है. यह कोई अवतार नहीं है , यह कोई थोपा गया और प्रचारित-प्रसारित व् सुनियोजित पहल नहीं है. यह प्राकृतिक तरीके से विकास को अपनाते हुए आज रणक्षेत्र में खड़े उस योद्धा जैसा है , जिसके माथे पर कोई शिकन का भाव नहीं. क्योंकि इस विकास की पराकाष्ठा को इसके उत्पति के समय ही भांप लिया गया था. 
आज ब्लॉगजगत उस लंबे इंतजार से बाहर आकार खड़ा है , जब उसे आवश्यकता थी एक साझा मंच की. जब एग्रीगेटर के भूमिका पर ही सवाल उठने लगे और तमाम बड़े एग्रीगेटरों  ने अपनी सेवाए समाप्त कर दी.
शायद एग्रीगेटर अपनी सुविधाओं और दृष्टि को वह विस्तार नहीं दे पाए , जिसकी आवश्यकता समय ने पैदा कर दी थी. ऐसे में ब्लॉगप्रहरी पुनः सक्रिय हुआ और आज उसे देखा तो पाया कि उसने वह कर दिखाया , जिसके लिए वह चर्चा में आया था.
एक एग्रीगेटर के तौर पर ब्लॉगप्रहरी क्या सुविधा दे  रहा है|
आपके ब्लॉग पोस्ट के लिंक का तुरंत प्रकाशन :
 ब्लॉग प्रहरी आपके ब्लॉग पोस्ट को ४ से ६० सेकंड के भीतर उठा ले जाता है. यह सामान्य तौर पर अत्यंत विश्वसनीय और सही समय है. अब तक के सभी एग्रीगेटर इससे कहीं ज्यादा समय लेते थे.
आपके ब्लॉग पोस्ट की टाइटल, लिंक तथा लघु रूप दिखाना:
सामान्य तौर पर यह सर्वाधिक वांक्षित सुविधा है , जिसकी  अपेक्षा प्रत्येक एग्रीगेटर से की जाती है. ब्लॉगप्रहरी पर यह सेवा भी उसी प्रारूप में उपलब्ध है, जिसके आप आदि है. 
पसंद-नापसन्द करने का विकल्प :
ब्लोग्प्रहरी पर यह सेवा भी उपलब्ध है. परन्तु इस सेवा के साथ एक विस्तार किया गया है. हमने देखा कि पसंद - नापसंद का दुरूपयोग किया गया था. इससे  प्रतिस्पर्धा को विकृत किया गया था.
सुधार : ब्लॉगप्रहरी पर किसने पसंद किया और किसने नापसंद किया , इसे भी देखा जा सकता है. अतः कोई भी बेवजह आपकी पोस्ट को नापसंद कर निचे नहीं धकेल सकता है
कितने पसंद और कितने नापसन्द है  :
आप इसे ब्लॉगप्रहरी के दाहिनी  तरफ  देख सकते हैं. वर्तमान में " सर्वाधिक नापसंद " नहीं दिखया जा रहा, वर्ना सबसे ज्यादा नापसंद पोस्ट को भी बिना वजह प्रसिद्धि मिलेगी.
एक दिन में सबसे ज्यादा पढ़े गए ब्लॉग पोस्ट  :
जैसा कि एग्रीगेटर्स से अपेक्षा की जाती है. यह सुविधा भी ब्लॉगप्रहरी पर उपलब्ध है.
सुधार : हमने देखा कि लोग अपने ही पोस्ट को कई दफा किल्क कर उसे सर्वाधिक पढ़े गए पोस्ट वाले हिस्से में पहुंचा देते थे. ब्लॉगप्रहरी आपके द्वारा क्लिक को रजिस्टर कर लेता है. आप किसी भी पोस्ट को अपने पहले क्लिक से ही , पढ़ी गयी संख्या में इजाफा कर सकते है. दूसरी बार क्लिक करने पर आप पोस्ट तो पढ़ पाएंगे परन्तु , पढ़े गए संख्या में इजाफा नहीं होगा.
एक दिन में सबसे ज्यादा पसंद प्राप्त ब्लॉग पोस्ट :
यह सुविधा भी ब्लोग्प्रहरी पर उपलब्ध है .
सुधार : आप यह भी देख सकते हैं कि अमुक पोस्ट को किसने पसंद का चटखा लगाया है . इससे कोई भी छद्म खेल को बढ़ावा नहीं मिलेगा . क्योंकि आपकी राय सार्वजनिक है.
आपके अभी ब्लॉग पोस्ट्स के लिंक का प्रोफाइल में संकलन
ब्लॉगप्रहरी पर आपके ब्लॉग से आयातित ब्लॉगपोस्ट्स की लिंक्स को उनके पठान और पसंद संख्या के साथ सुन्दर तरीके से सहेजा जाता है.
ब्लॉग पोस्ट्स का विषय -वार संकलन
हिंदी ब्लॉगजगत में लेखों का विषयवार संकलन तकनीक द्वारा संभव नहीं. एक ही  ब्लॉग पर कई विषय पर लेखन किया जाता है. अतः कोई भी वर्गीकरण कारगर और सही नहीं हो सकता, जब तक इसे मानव द्वारा नहीं किया जाए.
उपाय : ब्लॉगप्रहरी में कई  ग्रुप्स बनाये गए हैं. यह ग्रुप फेसबुक के ग्रुप निर्माण जैसा है. हर उपयोगकर्ता अपना ग्रुप बना सकता है. कुछ विशेष ग्रुप ब्लॉगप्रहरी द्वारा बनाये गए हैं. यह ग्रुप द्वार ही आप पोस्ट्स को विभिन्न विषय में दाखिल कर सकते हैं. हर सदस्य एक साथ कई ग्रुप में शामिल हो सकता है.
किसी भी एग्रीगेटर द्वारा यह मूलभूत सुविधाएं अपेक्षित हैं . ब्लॉगप्रहरी इससे कहीं ज्यादा है|
१. ट्वीट करने की सुविधा.
: ट्वीटर/ बज्ज  के बढते प्रभाव और प्रसिद्धि को देखते हुए यह आवश्यक समझा गया कि आज बहुत कुछ लिखने का समय सबसे पास नहीं और न ही गैर-ब्लॉगलेखक आपकी लंबी पोस्ट्स को पढ़ने का समय रखता. शायद इसी वजह से दो- टूक विचार वाले ट्विटर ने धूम मचा दी है. ब्लॉगप्रहरी ने इस आवश्यकता को समझते हुए ट्वीटर द्वारा प्रदत सभी प्रमुख सुविधाओं को आत्मसात किया.
ट्वीटर से अपने ट्वीट आयातित करने की सुविधा
आज  सभी ट्वीटर पर सक्रिय है. ऐसे में यह आवश्यक है कि एक ही जगह आपको ट्वीट पढ़ने और प्रत्युतर देने का साधन भी हो. ब्लॉगप्रहरी पर आप अपना ट्वीटर अकाउंट जोड़ कर ऐसा कर सकते हैं.
आप अपने ब्लॉग जोड़ने और हटाने में सक्षम होंगे
बार बार यह शिकायत रही कि अमुक एग्रीगेटर मेरा ब्लॉग नहीं दिखाता. अथवा बार बार आवेदन के बाद भी वह आपके ब्लॉग को शामिल नहीं कर रहा. कई बार आपको अपने ब्लॉग हटाने के लिए भी अनुरोध करना पड़ता है. यह सब झमेले से अलग ब्लोग्प्रहरी पर अपने खाते में आप अपना ब्लॉग स्वयम जोड़ या हटा सकते हैं.
इसके आलावा आप ब्लोगप्रहरी पर पाते हैं, निम्न सुविधाएं
१.      अपने प्रशंसक बनाना और दूसरे के प्रशंसक  बनना (इस सुविधा से आप अवांक्षित पोस्ट्स से मुक्ति पा सकेंगे )
२.      एक सार्वजनिक चर्चा का मंच ( फोरम , जिसमे आप ब्लॉग लेखन और तमाम तकनिकी जानकारियों को पा सकते हैं , और अपने सवाल भी पूछ सकते हैं. ब्लॉगप्रहरी टीम आपके द्वारा पूछे गए सवाल को २४ घंटे के भीतर उतर देगी )
३.      एक सार्वजनिक व् प्राइवेट चैट रूम ( आम बात-चित के लिए और विशेष प्रयोजन हेतु चर्चा के लिए एक चैट-रूम, जो टेक्स्ट और वीडियो दोनों मोड में संभव है )
४.      इवेंट मैनेजमेंट यानि विशेष आयोजनों की सूचना का मंच ( ब्लॉगप्रहरी पर आप किसी विशेष आयोजन जैसे ब्लॉग सम्मलेन और गोष्ठिओं कि सुचना को बेहतर ढंग से साझा कर पाते हैं. साथ ही आप स्थान , दिन और समय का उल्लेख करते हैं . पाठकों के समक्ष यह विकल्प होता है कि वह उस आयोजन में अपना नाम रजिस्टर करा सके. इससे आपके आयोजन बल मिलेगा तथा आप उसे सही तरीके से निभा पाएंगे .
५.      ग्रुप एल्बम और वीडियो लाइब्रेरी ( हम विभिन्न आयोजनों में शामिल होते हैं और कई बड़े ब्लॉग सम्मलेन अभी तक हो चुके हैं. कितना अच्छा होता अगर इनका संकलन एक जगह मौजूद होता. ब्लॉगप्रहरी ने इस आवश्यकता को भांप लिया और या सुविधा हमने प्रदान की है )
६.      सार्वजनिक ब्लॉग मंच ( कई पाठक ऐसे हैं, जो ब्लॉग बनाने की प्रक्रिया से परिचित नहीं हैं . ऐसे नए हिंदी नेटीजन के लिए एक ब्लॉग मंच का होना आवश्यक है. जहाँ वह अपने विचार व्यक्त कर सकें.
७.      ब्लॉगप्रहरी का सर्च सेवा : एक ही पन्ने पर बिना किसी परेशानी के टेक्स्ट, न्यूज, वीडियो और पी डी एफ फाइल को सर्च किया जा सकता है.

इसके अलावा अन्य ब्लॉगप्रहरी पर अनगिनत सुविधाएं मौजूद है. यह संपूर्ण परिकल्पना ३ महीने के गहन शोध के बाद लिखी गयी और उसे चरणबद्ध तरीके से पूरा किया गया.
ब्लॉगप्रहरी के इन तमाम शोध और स्वरूप निर्माण के पीछे कई लोगों ने योगदान दिया.
सबसे पहले ६० से भी ज्यादा छात्रों ने अपना बहुमूल्य समय देकर इसके निर्माण में मदद की. अविनाश वाचस्पति, पद्म सिंह और गिरीश बिल्लोरे जी ने हर संभव मदद किया और अपना बहुमूल्य समय भी दिया.
हालांकि इसके निर्माण और पूर्ण होने की आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं कि गयी है. परन्तु टीम द्वारा यह लगातार दोहराया जा रहा है कि हम उसे बेहतर बनाने के लिए अपना सुझाव सामने रखें. आप सभी से भी यहीं अपेक्षा है कि इस प्रहरी की और चलें और ब्लॉग जगत को पुनः सजीव और एकत्रित करने का प्रयास करें।

तुरंग ज्वाईन करें और ब्लॉगप्रहरी की सेवा का आनंद लें।

शुक्रवार, 11 मार्च 2011

ब्लॉग लेखन को कानून के दायरे में लाना मौलिक अधिकार का हनन

ब्लॉगिंग को कानून के दायरे में लाकर सरकार ब्लॉगरों का मुंह बंद करना चाहती है। दुसरी तरफ़ फ़िल्मों एवं टीवी चैनलों पर धारावाहिकों में खुले आम अश्लीलता और गंदगी परोसी जा रही है।
जिससे समाज में विकृतियाँ और अपराध पैदा होते  स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है, टीवी और फ़िल्मों का गलत असर समाज पर पड़ रहा है। इन्हें कानून के दायरे में लाकर इस प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा रहा? 
सुगबुगाहट तो पहले से चल रही थी, अब सरकार का स्वर बाहर आया है कि ब्लॉगिंग को जिम्मेदार बनाने के लिए कानून के दायरे में लाना चाहिए। अंतर जाल पर बढती हुई उच्श्रृंखलता इसका पहला कारण माना जा सकता है।

दूसरा कारण ट्युनिशिया और मिश्र के आन्दोलन में अंतरजाल ने जो भूमिका निभाई है, वह सरकार के कान खड़े करने के लिए काफ़ी थी।

ब्लॉगिंग स्वतंत्र उपाय है अभिव्यक्ति का। आज गाँव तक इंटरनेट का विस्तार हो  चुका है। लोग मोबाईल पर इंटरनेट की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं।

वेब साईट से लेकर ब्लॉग भी पढ रहे हैं। सूचना क्रांति के इस युग में अब सूचनाएं कुछ सेकंडों में ही आम जनता तक पहुंच जाती है। अब लोगों को इसका व्यापक असर समझ में आने लगा है। 

मध्यवर्ती संस्थाओं के टर्म का दायरा ब्लॉगर तक बढाने के पीछे तर्क यह है कि जिस तरह इंटरनेट प्रोवाईडर संस्थाएं पाठक को  इंटरनेट से जोड़ती  हैं उसी तरह ब्लॉग पर लिखे गए लेख भी पाठकों को अपने तक जोड़ते हैं।

ब्लॉग स्वामी किसी के खिलाफ़ व्यक्तिगत आरोप आक्षेप वाली पोस्ट लगाता है और पाठक जब ब्लॉग पर अपमानजनक, अमर्यादित टिप्पणी करता है तो उसका जिम्मेदार ब्लॉग स्वामी ही होगा। इसके लिए ब्लॉग स्वामी को मध्यवर्ती संस्था मान कर कानून के दायरे में लाया जा रहा है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का गला घोंट कर फ़ासीवादी कानून बनाना जायज नहीं कहा जा सकता। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का प्राण होती है और प्रत्येक नागरिक को अपनी बात कहने का संवैधानिक अधिकार है।

ब्लॉगिंग को कानून के दायरे में लाकर सरकार ब्लॉगरों का मुंह बंद करना चाहती है। दुसरी तरफ़ फ़िल्मों एवं टीवी चैनलों पर धारावाहिकों में खुले आम अश्लीलता और गंदगी परोसी जा रही है। जिससे समाज में विकृतियाँ पैदा हो रही है।

स्पष्ट दिख रहा है टीवी और फ़िल्मों का असर समाज पर पड़ रहा है। इन्हे कानून के दायरे में लाकर इस प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा रहा?

समाज में जो भी अपराध होते हैं, उसमें से अधिकतर अपराधिक प्रेरणा टीवी चैनलों एवं फ़िल्मो द्वारा ही मिलती है। इससे तो यह जाहिर होता है कि संगठित होकर किया गया अपराध भी क्षम्य होता है। उसे अपराध नहीं माना जाता।

टीवी चैनलो, मीडिया वालों एवं सिनेमा वालों के अपने संगठन हैं और ये संगठन के माध्यम से अपना विरोध प्रकट करके अपनी मांग मनवा लेते हैं।

समय आ गया है अब ब्लॉ्गरों को भी संगठित होने की दिशा में सोचना पड़ेगा। तभी किसी भी काले कानून के खिलाफ़ संगठित होकर ही लड़ाई लड़ी जा सकती है। इस पर कानून विशेषज्ञों से राय लेनी चाहिए, अन्यथा भुगतने के तैयार रहना पड़ेगा।

गुरुवार, 10 मार्च 2011

परबतिया भौजी की लाटरी

परबतिया भौजी नेता गिरी में जाती है, जब कोई पार्टी वाला बुला लेता है रैली, सभा के लिए सौ पचास रुपया दिहाड़ी में, घुम-घुम के सब जानने लगी, कि इन्टर नेट और ई मेल-फ़ी मेल क्या होता है।

एक दिन बोली-"लल्ला हमार भी, ऊ का कहत है, हाँ! ई मेल बनाई दो।"

हमने कहा-"' क्या करेंगी भौजी ई मेल का? तुमको तो सुअर चराना है और क्या।"

भौजी कहने लगी-" देखो लल्ला, सरकार के बहुत सारी इस्कीम आवत है, जौन में गाँव के लोगन का फ़ारेन लेई जात है। हमने नई बिधि से सूअर के गोबर के ईकोफ़्रेंडली गोइठा तैयार किए हैं। उसको सरकार ने मान्यता दे दी है, उर्जा का स्रोत मान के। गैस बहुत मंहगी हो रही है। इसलिए गोइठा को सिगरी में डाल के खाना बनात हैं। हमार इस्कीम सरकार ने मान ली है और फ़ारेन मा सुअर बहुत होत है, तो हमको वहाँ ईकोफ़्रेंडली गोइठा बनाना सिखाने के लिए ले जात है। तो अब ई मेल की जरुरत नइ पड़ेगी?"

मैने परबतिया भौजी का ई मेल बना दिया और उसको आई डी पास वर्ड पकड़ा के छुट्टी पाए- "जाओ भौजी तोहार ई मेल-फ़ी मेल सब तैयार है। ये कागज पकड़ो इसमें तोहार लेटरबाक्स के ताला-चाबी है। जब खोलाना होय तो ये कागज ले के आ जाओ, बाद में मैं देख दूंगा, कोई समाचार, संदेश होय तो।

तीन दिन बाद भौजी पहुंच गयी हमारे  पास और कहने लगी-" हमार लेटर बाक्स खोल के देखो जरा कोई चिट्ठी-पतरी आई है का?

मैने उनका ई मेल चेक कि्या तो एक मेल दिखा, जिसमें अंग्रेजी में लिखा था कि आप भाग्य शाली हैं आपका 500000 पौंड का लाटरी खुल गया है। अपना पता और टेलीफ़ोन नम्बर भेजें।

मैं मेल देख ही रहा था कि भौजी फ़िर बोल पड़ी-"बताते काहे नहीं हो लल्ला, का लिखा है?

मैने बता दिया कि एक चिट्ठी आई है, इंग्लैंड से, जिसमें लिखा है कि आपकी  500000 पौंड याने लगभग 4,00,00,000 की लाटरी खुली है। सुन के भौजी को गश आ गया। मै उनके मुंह पर पानी छींट कर होश में लाया।

बड़ी मुस्किल से मुंह से बोल फ़ूटे - "तो ये बताओ लल्ला पैसा कहाँ मिलेगा? "

अरे भौजी ऐसी लाटरी खुलने की चिट्ठी तो मेरे पास दिन भर 10-20 आ ही जाती है। उसे मैं कूड़े के डब्बे में डाल देता हूँ।"

भौजी को बात कुछ हजम नहीं हुई, मुझे ही गरियाने लगी, "लल्ला हम तुम्हारी सब चाल बाजी समझत हैं। हम अनपढ हैं समझ के बेवकूफ़ बना कर पुरा रुपया हड़पना चाहत हो। हमार भी नाम परबतिया है, पाई-पाई ले के छोड़ूंगी।"

अब गश खाने का समय मेरा था। समझाऊं तो समझाऊं कैसे? भौजी सड़क पर खड़े होकर होले पढी रही थी। तभी उसने कहा कि-" हमारा लेटरबाक्स का ताला चाबी लगा के हमारा कागज वापस करो। कल हम शहर जाकर देखाएगें।" मैने सोचा, चलो बला टली। उसका कागज देकर राम-राम किया। उसके बाद भौजी 2-3 महीना दिखाई ही नहीं दी।

एक दिन खेत जाते समय मिल गयी। मैंने पूछ ही लिया -" का हुआ भौजी तोहार लाटरी का, मिल गया रुपया?

बस मेरा तो ये कहना हुआ और भौजी फ़ट पड़ी -" का बताएं लल्ला, बताने में भी शरम आत है, तुमने सही कहा था। लेकिन हमारे ही दिमाग पर पत्थर पड़ गया था। ऊ लाटरी के चक्कर मा हमार सब सुअर बेचा गए। 30,000 रुपया जमा कराए बैंक में उनके खाते में। लालच पड़ गया था  कि रुपया मिलेगा तो कम से कम सुख से तो जीएगें। जब पैसा नहीं आया तो थाने में गए रपट लिखाने, दरोगा साहब बोले, इंग्लैंड का मामला है, वहीं रपट लिखाओ जाके। बताओ अब कैसे इंग्लैंड जाएं। ये अंग्रेज बहुत बदमाश हैं, पहले यहाँ रहके लूटते रहे देश को और जब छोड़ दिए तो ई मेल से लूट रहे हैं, सत्यानाश होई जाए इनका। किस मुंह से तुम्हे बताने आते।

मैने कहा-" भौजी, लतखोर बाज नहीं आते, चाहे जितना लतिया लो, जी भर के जुतिया लो। मेरे पास हजारों बार ई मेल आया है और मैने इन्हे लतियाया है, और कहा कि मुझे आपका ईनाम-ईकराम नहीं चाहिए, धरे रहो अपने पास।" अगर इनके ई मेल से रुपया मिलता तो मैं आज देश का सबसे धनी आदमी होता, ऐसे ही फ़ालतु घर में बैठ कर कम्प्युटर नहीं खटखटाता।

नोट गंवा के भौजी हालत गंभीर है, कल की महिला सभा में जाते टैम सायकिल पिचंर हो गई। अब कैसे करें?

फ़ूलचंद चचा से 14 रुपए मांग कर ले गयी। तब इनकी सायकिल का पंचर बना। घर वाला ठहरा निखट्टू। कोई काम-धाम तो करता नहीं, दिन भर बैठे ठाले ताश पीटता हैं, और मेम साहेब बिहाने-बिहाने तगाड़ी धर के सुअर चराने निकल जाती है।

बुधवार, 9 मार्च 2011

ओम…खुजाए नम:-- खजु खजुवाए स्वाहा

असीमित परिकल्पनाओं के इस देश में सफलता का यही एक मूलमंत्र है कि…तू मेरी खुजा..मैं तेरी खुजाता हूँ…इस कार्य में खुजाने वाला भी और खजुवाने वाला ..दोनों ही खुश रहते हैं…एक के हाथों की खुजली मिट जाती है और दूसरे के बदन की  खुजाल… ऐसा आज से नहीं पुरातन काल से होता चला आया है..राजा के दरबार में मंत्री से लेकर संतरी तक सभी राजा की खुजाते थे और राजा अपने मतलब के चलते पटरानियों की..समय के साथ-साथ सत्ता परिवर्तन हुए लेकिन ये खुजाने और खजुवाने की परंपरा तब से लेकर अब तक बिना किसी अवरोध के निरंतर चलती रही| अभी तक कायम है। 
ये रोग है या फिर शौक?…इस बारे में प्राय: भिन्न-भिन्न प्रकार के मत हैं ..जिन्हें इसका  शौक या शगल नहीं है..उनके हिसाब से ये एक लाइलाज बीमारी है और जो इसके जरिये फलीभूत हो रहे हैं या होने की संभावना देख रहे हैं… उनके लिए इससे बढकर कोई और नेमत नहीं ….. कुछ लोग गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले होते हैं

अपने वक्त और ज़रूरत के हिसाब से दूसरों की खुजाते तथा अपनी खजुवाने रहते हैं और कुछ को इसकी लत लग चुकी होती है…वो हर समय बिना खुजाए या खजुवाने नहीं रह सकते|। जैसे वहम का कोई इलाज नहीं है … कोई तोड़ नहीं है … ठीक वैसे ही इस बीमारी का भी कोई इलाज … कोई तोड़ नहीं है … जिसको खुजानी है वो तो हर हालत में … हर माहौल में खुजाएगा ही … या पत्थर पर घिस लेगा और जिसको अपनी खजुवानी है वो भी कोई ना कोई बकरा ढूंढ लेगा ही..

ये खुजाने की आदत राजा से लेकर रंक तक..दुर्जन से लेकर सुजान तक…संसद से लेकर विधान तक….किसी को भी हो सकती है…और लेखक जाति के करोंदे टाईप लोग भी इसका अपवाद नहीं है…नाम के साथ-साथ दाम कमाने की चाह के चलते  कुछ बजरबट्टू टाईप के लेखक अपनी रचनाओं को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों में छपवाने के लिए प्रकाशकों इत्यादि की तन्मयतापूर्वक खुजाने में किसी भी प्रकार का संकोच नहीं करते…तो कुछ अपने पेटपोसवा टाईप की प्रत्रिकाओं के सम्पादक अपनी पत्रिका में रिक्त रह गए स्थानों की आपूर्ति के लिए “आप बहुत बढ़िया लिखते हैं…कभी हमारे लिए भी लिखिए"  कह कर इनकी खुजाने में किसी भी तरह का संकोच या परहेज़ नहीं करते… लेकिन इस सारी बन्दर बाँट में पाठक बेचारा बिना किसी कसूर के अपच शिकार हो कै करने को मजबूर हो जाता है…

हमारे देश में खजुवाने वाली सत्ता का सबसे बड़ा केन्द्र दिल्ली है…यूँ समझिए कि ये खुजाने और खजुवाने वाले दोनों के लिए स्वर्ग है…यहाँ नेता….मंत्री की और मंत्री प्रधानमंत्री की खुजाते हैं और प्रधानमंत्री हाई कमान की खुजाने के लिए बिना किसी संकोच के अपनी दाढी खुजाते हुए दस जनपथ तक पहुँच जाते हैं…कुछ ऐसे भी निर्भाग लोग भी होते हैं इस दुनिया में जो अपनी खजुवाना तो चाहते हैं लेकिन चाहकर भी महज़ इसलिए नहीं खजुवा पाते हैं कि कोई इन्हें भाव ही नहीं देता…। ये इस आस में दिल्ली  में लगे हैं कि….कभी तो खुजाने वाली सुबह आएगी…

लोकतंत्र में सत्ता के विकेन्द्रीकरण के कारण खुजली उपर से नीचे तक सभी को समान रुप से बंट जाती है…. प्रधानमंत्री से लेकर आम टटपूंजिए नेता तक..। वह इसे अपने मुंह लगे कार्यकर्ता तक पहुंचा ही देता है…. सब खुजाने में लगे हैं। आज तक किसी ने कभी कोई शिकायत नहीं की या आन्दोलन, प्रदर्शन नहीं किया कि…. खुजली उस तक नहीं पहुंची, और उसे खुजाने का सुख नहीं मिला। जिस तरह अमेरिका के गेंहूँ के साथ कांग्रेस (गाजर) घास स्वत: ही देश में वितरित हो गयी, उसी तरह बजट के साथ खुजली का भी वितरण स्वत: सुनिश्चित हो जाता है। इसके लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ता।

खुजली छूत की बीमारी होने की वजह से पूर्णरूप से इसका खात्मा होना लगभग असंभव है लेकिन फिर भी कुछ नासमझ टाईप के अपवादस्वरूप लोग इस उम्मीद पे अपनी दुनिया को कायम रख बेवजह जीए चले जा रहे हैं … लेकिन इनके होने या ना होने से किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि ज़्यादातर लोग सपनों की दुनिया में जीने के बजाय यथार्थ के धरातल पर खुद अपनी मेहनत और लगन से जुनून की हद तक सबकी खुजाते हुए अपने सपनों को हकीकत में बदलने का माद्दा रखते हैं…इसलिए  आईए और तू मेरी खुजा…मैं तेरी खुजाऊँ की तर्ज़ पर सभी एक दूसरे की खुजाएँ…खुजाते चले जाएँ….  सितारे बुलंद अवश्य होगें .... अस्तु

मंगलवार, 8 मार्च 2011

निर्मला पुत्तुल की कविता

आज "एक बार फिर" से आदिवासी कवियत्री निर्मला पुत्तुल जी की एक कविता पेश कर रहा हूँ, जो इन्होने "अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस का आमंत्रण" पाकर लिखी थी.

इस  कविता को अर्चना  चावजी ने अपना स्वर दिया है। आप सुन भी सकते हैं।


एक बार फिर
हम इकट्ठे होंगे 
विशाल सभागार में
किराये की भीड़ के बीच 
 
एक बार फिर
ऊँची नाक वाली 
अधकटे ब्लोउज पहनी महिलाएं
करेंगी हमारे जुलुस का नेतृत्त्व 
और प्रतिनिधित्व के नाम पर
मंचासीन होंगी सामने
 
एक बार फिर 
किसी विशाल बैनर के तले
मंच से खड़ी माइक पर वे चीखेंगी
व्यवस्था के विरुद्ध 
और हमारी तालियाँ बटोरते
हाथ उठा कर देंगी साथ होने का भरम

एक बार फिर
शब्दों के उड़न खटोले पर बिठा
वे ले जाएँगी हमे संसद के गलियारों में
जहाँ पुरुषों के अहम से टकरायेंगे हमारे मुद्दे
और चकनाचूर हो जायेंगे 
उसमे निहित हमारे सपने

एक बार फिर
हमारी सभा को सम्बोधित करेंगे 
माननीय मुख्यमंत्री
और हम गौरवान्वित होंगे हम पर 
अपनी सभा में उनकी उपस्थिति से
 
 एक बार फिर
बहस की तेज आंच पर पकेंगे नपुंसक विचार
और लिए जायेंगे दहेज़-हत्या, बलात्कार, यौन उत्पीडन
वेश्या वृत्ति के विरुद्ध मोर्चाबंदी कर
लड़ने के कई-कई संकल्प

एक बार फिर
अपनी ताकत का सामूहिक प्रदर्शन करते
हम गुजरेंगे शहर की गालियों से
पुरुष सत्ता के खिलाफ 
हवा में मुट्ठी बांधे  हाथ लहराते 
और हमारे उत्तेजक नारों की ऊष्मा से
गरम हो जायेगी शहर की हवा

एक बार फिर 
सड़क के किनारे खडे मनचले सेकेंगे अपनी ऑंखें
और रोमांचित होकर बतियाएंगे आपस में कि
यार शहर में बसंत उतर आया है

एक बार फिर
जहाँ शहर के व्यस्ततम चौराहे पर
इकट्ठे होकर हम लगायेंगे उत्तेजक नारे 
वहीं दीवारों पर चिपके पोस्टरों में
ब्रा पेंटी वाली सिने तारिकाएँ
बेशर्मी से नायक की बांहों में झूलती
दिखाएंगी हमें ठेंगा
धीर-धीरे ठंडी पड़ जायेगी भीतर की आग
 
और एक बार फिर 
छितरा जायेंगे हम चौराहे से
अपने-अपने पति और बच्चों के 
दफ्तर व स्कूल से लौट आने की चिंता में 

सोमवार, 7 मार्च 2011

कम इनपुट में अधिक आउटपुट का अर्थ शास्त्र : व्यंग्य

हमारा भारत देश प्राचीन काल से ही तकनीक सम्पन्न रहा है। हवाई जहाज से लेकर ब्रह्मास्त्र एवं पक्षेपास्त्र तक का निर्माण वैदिक काल में ही चुका था। पत्थर और ताम्र पत्र पर लिख कर इस ज्ञान को सहेजा गया था। जैसे-जैसे धरती की खुदाई होती है वैसे-वैसे प्राचीन ज्ञान-विज्ञान सामने आकर चमत्कृत करते रहता है।

सरकार की अनुंसधान शाखा भी खुदाई करने का ही काम करती है। इसकी खुदाई भी पुरातत्व विभाग से कम नहीं होती।

सरकार के विरोधियों एवं निवृतमान सरकार के करीबी अधिकारियों की जड़ तक खुदाई करके सारे रिकार्ड जमा रखती है। जैसे ही सरकार का इशारा होता है, रिपोर्ट पेश हो जाती है। खुदाई के सारे रिकार्ड अखबारों तक पहुंच जाते हैं।

सभी सरकारें यही करते आई हैं। लेकिन कभी-कभी सरकारों को अपने ही लोगों की कारगुजारियों की जानकारी रखनी पड़ती है।

हमारे देश में एक नए अर्थशास्त्र का जन्म हुआ है। इस अर्थशास्त्र के सामने विश्व के सारे अर्थशास्त्रियों के बनाए नियम फ़ेल हो गए हैं। चाणक्य से लेकर अमर्त्य सेन तक अपनी खोपड़ी खुजा रहे हैं।

कम इनपुट से अत्यधिक आउटपुट लेने के अर्थ शास्त्र से पुरी दूनिया चकित है और भारत की इस उपलब्धि की तरफ़ मूँह फ़ाड़े देख रही है। हम भी यही कर रहे हैं।

बात यहाँ से शुरु होती है। हमारे मोहल्ले में मिश्रा जी का खटाल है, उन्होने दो भैंसे पाल रखी है। जिसमें एक दूध देती है दूसरी नहीं। मतलब क्रम से एक भैंस का दूध वर्ष भर मिलता है।

एक भैंस 10 किलो दूध देती है, लेकिन ये मोहल्ले भर में सुबह शाम 30 किलो एक नम्बर का खालिश दूध बेचते हैं। इस पर भी अगर कोई नया ग्राहक पहुंच जाता है एकाध किलो दूध लेने के लिए तो उसे वापस नहीं करते, उसके लिए भी कहीं से दूध का इंतजाम कर ही देते हैं।

उसके बाद पान चबाते हुए ठससे अपने पान की दुकान में बैठ कर कत्था-चूना लगाते रहते हैं।

ये तो रही मिश्रा जी चमत्कारिक कहानी, आगे चलते हैं, लाला जी का घी मावा सेंटर है। भैंस-गाय इनके पास एक भी नहीं है। दिन भर दुकान में लाईन लगे रहती है। कई क्विंटल शुद्ध मावा और देशी घी दिन भर में बेच लेते हैं।

गाँव के छोटे व्यापारियों से 10-20 किलो शुद्ध मावा और देशी घी खरीदते हैं बाकी शुद्ध माल सीधा फ़ैक्टरी से ही आता है पैक होकर। गाँव की सेहत बना रहे हैं, दम लगा कर और पहलवान इनकी डेयरी का घी खा रहे हैं और जोर लगाकर दम निकाल रहे हैं।

पता चला कि एक चपरासी विभाग की मास्टर चाबी है। उसकी स्वीकृति बिना किसी का जायज काम भी नहीं होता। नाजायज की बात तो छोड़िए।

हमारे पहुंचते ही सबसे पहले उनकी चपरासनिन से सामना हुआ। गोल-मटोल कम से कम आधा किलो तो सोना लाद रखा होगा, गाँव की मालगुजारिन जैसे।

शानदार मार्बल के फ़र्श वाला तीन तले का मकान और उसमें 6 किराएदार। उन्होने मुझे किराए पर मकान लेने वाला समझ लिया और कहा कि-“ यह मकान देख लें, अगर पसंद आए तो ठीक नहीं, दूसरे मोहल्ले में दो मकान और हैं, वे आपको जरुर पसंद आएगें।

कुल मिला कर चपरासी ही दो-चार करोड़ की आसामी निकला। तनखा 5-10 हजार और महीने खर्च 50,000 रुपए। इसे कहते हैं अर्थशास्त्र का चमत्कार।

कुछ दिनों पहले एक उच्चाधिकारी के यहाँ छापा पड़ा। सरकारी तनखा तो उनकी 40 से 50 हजार होगी, छापे में सम्पत्ति 400 करोड़ रुपए मिलती है।

एक के अधिकारी ने गजब ही कर दिया, उसके यहाँ से छापे में डेढ क्विंटल सोना मिला। 1801.5 करोड़ रुपया नगद। इसकी पराकाष्ठा तो तब हो जाती है, जब एक मंत्री पर 1लाख 37 हजार करोड़ रुपए का घोटाला करने का आरोप लगता है। जबकि इनको हर चीज में सरकार ने छूट दे रखी है,

1 रुपए में चाय से लेकर 20 रुपए में चिकन करी मिल जाता है। इन सब तकनीक के सामने आकर तो संसार के अर्थशास्त्र का गणित ही फ़ेल हो जाता है।

कुछ दिनों पहले भारत दौरे पर आए ओबामा आश्चर्य चकित रह गए, कम इनपुट में अधिक आउटपुट लेने की पद्धति को देख कर।

उन्होने पूछा भी कि आपके यहाँ यह चमत्कार कैसे हो जाता है? हमारे वित्त मंत्री ने कहा कि-“ये मत पूछिए कैसे होता है? लेकिन इतना बता देता हूँ कि हमारे देश में जुगाड़ से सब संभव है। अब ये भी मत पूछना कि जुगाड़ क्या होता है?

यह हमारे देश का कोका कोला की तरह का टॉप सीक्रेट फ़ार्मुला है, जो किसी को भी बताया या हस्तान्तरित नहीं किया जा सकता।“

शुक्रवार, 4 मार्च 2011

चुटैयानंद जी का प्रज्ञावतरण: व्यंग्य

अरबी नाम से ही लगता है कि अरब जगत का प्रोडक्ट होगा। इसकी सब्जी बड़ी स्वादिष्ट बनती है। स्थानीय भाषा में इसे कोचई कहते हैं। जैसे जिमिकंद को काटने से हाथों से में खुजलाहट और  बिना पकाए खाने से मुंह में खुजलाहट होती है उसी प्रकार कोचई का भी हाल है।

अब कोचई में बिना दही-मही डाले सब्जी बना लिए तो समझो दिन भर जय जय कार करनी पड़ेगी। क्योंकि मुंह खुजाएगा और खुजली मिटाने के लिए कुछ न कुछ बोलना ही पड़ेगा और बोलने के लिए विषय न मिले तो बाबा और बीबी की जय जयकार ही सही।

कुछ लोगों के मुंह में जन्म जात खुजली के जरासीम होते हैं। उनका मुंह रुकता ही नहीं है। चाहे उसमें पैरा(धान का तूड़ा) ही घुसेड़ दो। बिना बोले मानेगें नहीं।

कई लोगों में यह बीमारी प्रज्ञा अवतरण के पश्चात आती है। प्रज्ञा अवतरण संस्कार याने (मुंडन कराने एवं कान फ़ूंका कर गुरु बनाने) के बाद आता है। इसके पश्चात प्रज्ञा जागने की सौ प्रतिशत गारंटी होती है।

जिसकी प्रज्ञा न जागे समझो वह साधना नहीं करता है और गुरु के आदेश का पालन नहीं करता है। निम्न कोटि का चेला है। अब उच्च कोटि का पट्ट चेला बनने के लिए कुछ तो उद्यम करना ही पड़ेगा। बात यूँ हुई कि चंडालानंद ओभरसियर के अंतर में खलबली मच रही थी।

उन्हे ब्रह्म सत्यम् जगत मिथ्या दिखने लगा था। एक दिन किसी ने सलाह दे दी कि डामर, गिट्टी बहुत खा लिए अब कुछ धर्म का काम भी कर लो। पाप को पचाने के लिए सत्कर्म का चुरण भी होना चाहिए।

सलाह उन्हे जंच गयी, हरिद्वार जाकर मुंड मुंडाए और कान फ़ुंकाए, धर्म-ध्वजा के संवाहक हो गए। गुरु धारण करते ही नाम चुटैयानंद बदल लिए, सबसे पहले हमारे पास ही पहुंचे और वहाँ की सब कहानी बताए।

कहने लगे महाराज-“कुछ सत्कर्म तो करना ही चाहिए। माटी का चोला है क्या साथ लेकर जाना है। सब यहीं रह जाएगा।“ उनके अंतर में वैराग भाव जागृत हो गया। दिन भर लोगों के पास घूम-घूम कर धर्म प्रचार करते रहे।

कुछ दिनों के पश्चात इन्हे चेले चपाटी भी मिल गए। चेले भी एक से एक, सारे मिल कर ज्ञान बांटने लगे। मतलब यह हुआ कि सभी ने कोचई (अरबी) का स्वाद ले लिया। दिन रात मुंह खुजाता था इनका और ये 24X7 चैनल बन कर लोगों का दिमाग चाटते थे।

अगर कहीं इन्हे माईक मिल गया तो फ़िर क्या पूछने! धुंआधार प्रज्ञा प्रसाद वितरण शुरु हो जाता था। एक बार की बात है, इनके चेले ने पास के गाँव में प्रवचन कार्यक्रम का आयोजित कर लिया।

रात को 9 बजे हमारे पास आए और बोले –“महाराज आपको इस कार्यक्रम में चलना ही पड़ेगा। गाँव वालों ने आपको विशेष निमंत्रण दिया है। वे आपको सुनना चाहते हैं।“ मैने रात होने के कारण मना कर दिया। वे माने ही नहीं, उनके हठ करने पर मुझे जाना ही पड़ा।

जब गाँव में पहुंच कर देखा तो सुंदर मंच बना हुआ था। माईक और लाईट की शानदार व्यवस्था थी। चार-पांच चेले तैनात थे। श्रोताओं का इंतजार हो रहा था। बार-बार घोषणा होने के बाद भी श्रोता श्रद्धालु नहीं आ रहे थे।

उन्होने मुझसे कहा कि-“महाराज आप चालु करो, आपको सुन कर लोग आ जाएगें।“ मैं तो आपका मान रखने के लिए आ गया था, मेरा मन नहीं है प्रवचन करने का, आप ही करें।–मैने कहा।

उन्हे तो मन चाही मुराद मिल गयी। रात 11 बजे से जो शुरु हुए संस्कार ज्ञान बांटने के लिए तो भोर के चार बज गए। कुछ मिला कर छ: मनुष्य और 14 कुत्ते मिला कर 20 प्राणी उनका प्रवचन सुन कर निहाल होते रहे।

वे थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। अंत में मुझे ही उन्हे जाकर संदेश देना पड़ा कि –“ स्वामी जी, अब प्रवचन को विराम दीजिए, सारे गांव वाले घर से ही श्रवण कर कृतार्थ हो गए हैं और हम भी यहाँ बैठे बैठे  धन्य हो गए।

आपको धन्यवाद देते हैं कि आपने हमारा ज्ञानरंजन किया। रही बात इन 14 कुत्तों की तो ये आपके प्रवचन के प्रभाव से जब अगले जन्म में मनुष्य योनि में जन्म लेगें तो, आपको अवश्य ही धन्यवाद देने आएगें।

तब कहीं जाकर बड़ी मुस्किल से उन्होने माईक छोड़ा। एक ऊंघ रहे चेले ने आभार प्रदर्शन किया। चुटैयानंद बोले-“बड़ा मजा आ रहा था प्रवचन में महाराज आपने बीच में ही समापन करवा दिया।“ अब हम क्या कहते निरत्तुर थे, बेशरम की झाड़ियाँ तो दे्खी थी लेकिन बेशरम का महावृक्ष अभी देखा था। मैं तो एक सलाह देना चाहता हूँ कि अगर शांति से जीवन गुजर-बसर करना है तो इन कोचई(अरबी) खाने वालों से बचें। अगर नहीं बच सकते तो खुद भी कोचई खाना शुरु कर दें, कहा गया है”लोहे को लोहा ही काटता है।”

गुरुवार, 3 मार्च 2011

प्राचीन पद्म तीर्थ राजिम कुंभ की एक दिन की सैर

माघ की पूर्णिमा और छत्तीसगढ का प्राचीन राजिम मेला। दोनो एक दूसरे के पूरक हैं। त्रिवेणी संगम  का स्थान प्रयाग जैसा ही महत्व रखता है।

बचपन में जब माघ की पूर्णिमा आती थी तो दो दिन पहले से ही बैल गाड़ियों का रेला लग जाता था। 20-20 बैल गाड़ियों की कतारें चलती थी। बैलों के गले में बधी घंटियों की सुरम्य ध्वनि मन को प्रफ़ुल्लित कर  देती  थी।

बसंत का मौसम आल्हादित करता था। बैल गाड़ियों के नीचे बंधी लालटेन अहसास कराती थी कि बैल गाड़ियों का काफ़िला यात्रा पर है। आगे वाली बैल गाड़ी के पीछे सभी बैल गाड़ियाँ कतार में चली जाती थी।

महिला, पुरुष, बच्चे सब अपने घर गृहस्थी का सामान लाद कर चलते थे। माघ पुर्णिमा की  सुबह बैल गाड़ियाँ चित्रोत्पला गंगा यानी महानदी के किनारे अपना डेरा डाल देती थी।

बैलों के लिए चारे पानी एवं आराम की व्यवस्था की जाती थी। दो गाड़ियाँ मुझे दिख ही गयी। एक परिवार हंसता हुआ बैलगाड़ी के मजे लेते हुए जा रहा था।

इसके बाद पहट को सभी  महिलाएं नदी स्नान कर राजीव लोचन भगवान एवं कुलेश्वर महादेव के दर्शन करने जाती थी।

तब तक पुरुष खाना बना कर रखते थे। जब महिलाएं स्नान एवं दर्शन करके आती थी तब पुरुष एवं बच्चे मेला घुमने एवं दर्शन करने जाते थे।

जब 3-4 बजे पुरुष मेला घूम कर आ जाते थे तब महिलाएं अपनी दैनिक उपयोग की वस्तुए खरीदने जाती थी।

इस तरह मेला शिव रात्रि त्तक चलता था। नदी की ठंडी-ठंडी रेत पर रात को ढोलक और झांझ-मंजीरे के साथ भजन और रामायण की चौपाईयों का आनंद लिया जाता था, नौजवान सर्कस एवं टूरिंग टॉकिज की तरफ़ चल पड़ते थे।

एक से एक धार्मिक फ़िल्में मेले का आकर्षण बढा देती थी। हम भी अपनी सायकिल से मेले का आनंद लेते थे। माघ पुर्णिमा से शिवरात्रि तक आज भी मेला चलता है, लेकिन वह बात नहीं रही अब।

रात को मेला तो देख लिया था, अब दिन में भी देखना था। सो तीन बजे हम फ़टफ़टिया से चल पड़े मेले की ओर।

रास्ते में एक भी बैलगाड़ी नजर नहीं आई। मुंह पर स्कार्फ़ बांधे सैकड़ों लांग ड्राईव वाले जोड़े दिखे। जोड़ा तो हमारा भी था बुढउ माट साब के साथ, 3 महीने में रिटायर होने  वाले हैं। सोचा कि इन्हे भी कुलेश्वर महादेव के दर्शन करा दें।

पहले मेला नदी के उस पार राजिम में भरता था। अब नदी में उत्सव स्थल बन जाने के कारण कुलेश्वर महादेव एवं लोमश ॠषि आश्रम तक भीड़ आ जाती है।

साधु संतों के लिए विशाल डोम बना कर आवास व्यवस्था की गयी थी। कुछ लाल बत्ती वाले हाई प्रोफ़ाईल साधु दिखे तो कुछ सिर्फ़ दाल-भात वाले भी। कोई काहू में मगन कोई काहू में मगन।

लोमश ॠषि आश्रम के परकोटे के अंदर नागा साधुओं ने कब्जा जमा रखा था। नगं-धड़ंग-दबंग भभूति रमाए, मोर पंखी  से आशीष बांट रहे थे।

कुंभ मेला शुरु होते ही दूसरे दिन देशी साधु एवं परदेशी साधुओं में खुले आम चिमटे चले थे। जिसमें से कुछ घायल हुए, कुछ बच गए। पुलिस केस भी हुआ। लेकिन नागा लोगों का कौन क्या बिगाड़ सकता है?

जिन्हे अपने वस्त्रों का भी मोह नहीं है। गांजा  की धुआं उड़ रही  थी, चिलम की धोंकनी जारी है, गुट बना कर बम बम भोले का उद्घोष हो रहा है,

चिलम को प्रणाम करते ही एक साधु ने कहा - "जय जय भोले शंकर, कांटा गड़े न कंकर, बैरी दुश्मन को तंग कर। जिसने नहीं पी गांजे की कली, उस लड़के से लड़की है भली। तोड़ दुश्मन की नली,  बम बम कहकर एक गहरा सुट्टा लगाया और ढेर सारा धुंआ उगला, जो हवा में फ़ैल गया। इनकी चेलियाँ भी इर्द-गिर्द घूम रही थी।

मैं किसी नागा साधू से चर्चा करना चाहता था, फ़ोटो लेना चाह रहा था। अब इनके मुंह कौन लगे? कब भड़क जाए क्या भरोसा। लेने के देने पड़ जाएं।

आश्रम में इनकी थाह लेने लगा। वापसी में गेट के पास तख्त पर आसन लगाए एक नागा साधु अपने 10-15 चेलों के साथ टिके हुए थे।

उसके सामने ही एक युवा नागा बाबा जमे हुए थे। उसकी आँखों में चमक एवं सम्मोहकता थी। मैं उसकी ओर ही बढ लिया। उन्होने अपना नाम सनतपुरी बताया और पास ही बिठा लिया।

भभूत लगाई, हम भी कवचित हो गए, मतलब अदृश्य बख्तरबंद धारण कर लिया। बाबा से पूछ कर एक दो फ़ोटो ली। एक सिपाही डंडा लिए खड़ा था। मैने उससे फ़ोटो खींचने कहा तो वह बोला-कमांडर साहब देख रहे हैं। देखते रहे कमांडर हमने माट साब से फ़ोटो ले्ने कहा।

उन्होने भी फ़ोटो की वाट लगा दी। जैसे तैसे काम के लायक एक दो फ़ोटो खींच ही गयी। बाबा जी  को 10 का एक नोट चढाया और हम बाहर खिसक लिए।

कुंभ में सरकारी सेवकों द्वारा साधुओं की डटकर सेवा हो रही थी। सुरक्षा व्यवस्था भी तगड़ी थी। धरम मंत्री के दूत तैनात थे। प्रदेश की किरकिरी नहीं होनी चाहिए।

कोई साधु नाराज न हो, क्योंकि प्रायोजित कार्यक्रम में सबका ध्यान रखना आवश्यक है, स्व स्फ़ूर्त कार्यक्रम में तो स्वयं की व्यवस्था से आना होता है। 

मुझे लगा की मेले का आनंद नहीं  रहा। सिर्फ़ व्यवसायिकता रह गयी, राजिम मेले ने कुंभ का स्वरुप लेते ही प्राण त्याग दिए, मेला तो मिलता है लेकिन आत्मा नहीं मिलती।

एक चाय वाले की दुकान में चाय पी्ने का  मन हुआ तो उसका पता मैने पूछा। उसने धर्म नगरी दामा खेड़ा से आना बताया। सूरत से अखंड बेवड़ा नजर आ रहा था।

मैने पू्छा-धर्म नगरी में दारु मिलती है क्या? नहीं मिलती- उसने कहा। तो तुम कहां से पीते हो? घर में छुप कर पी लेते हैं जिससे साहेब को पता मत चले। उससे चाय पी  कर आगे बढ लिए।

एक स्थान पर विभिन्न मंत्रालयों की प्रदर्शनी लगी हुई थी। अवलोकन करते हुए भंडार ग़ृह के टैंट में पहुंचे, वहाँ मु्ख्यमंत्री एवं अशोक बजाज के आदमकद फ़्ले्क्स लगे थे।

चित्रावलियाँ सजी थी, लेकिन किसी भी फ़्लेक्स में हमारी फ़ोटो नहीं मिली। मिलती भी कैसे? इतना समय तो हम देते ही नहीं है कि अध्यक्ष महोदय के गोदाम  निरीक्षण-परीक्षण के दौरे पर फ़ोटो लेने के वक्त साथ रहें।

कभी रहे भी हैं तो सक्रीय कार्यकर्ता सामने आ जाते हैं, जिससे उनकी सक्रीयता दिखे। चलो कोई बात नहीं, फ़िर कभी। आगे भी कुंभ होते रहेगें। लगते रहेगें जिन्दगी के मेले। वन विभाग के टेंट में धान से भूसे को प्रेस करके ठोस इंधन बनाया गया था तथा उसके उपयोग की सिगड़ी भी रखी थी।प्रयास अच्छा है।

स्वास्थ्य विभाग के टेंट में डॉक्टर तो मिले नहीं, सिर्फ़ कर्मचारी ही थे। कौन इनसे मगजमारी करे? आगे बढ गए। बाहर आते ही एक बहु चर्चित फ़ारेस्ट गार्ड मिल गया। यह हमेशा ही अपने कारनामों से निलंबित रहा है, इसे एक स्टार लगाए देख कर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन मैं जल्दी ही सभंल गया क्योंकि ऐसे ही महान लोगों की जरुरत वि्भाग को होती है।

नदी के किनारे एक लुंगी कुरते में मूसल सा लेकर बैठा था। नजदीक जाने पर पता चला की रामकंद है। अक्सर हमने मेले में इसके पतले-पतले स्लाईस खाए हैं।

रामकंद उड़ीसा के नरसिंह नाथ में पाया जाता है। इसे बरसों रखा जा सकता है। सुब्रमणियम राव ने इसके फ़ायदे भी बताए, इसका सेवन करने से बवासीर भगंदर, गैस अफ़ारा आदि रोगों में फ़ायदा मिलता है।

उसकी फ़ोटो लेने लगा तो कहने लगा - ले लीजिए फ़ोटो, सबकी अपनी-अपनी दुकानदारी है, पेट लगा ही है। फ़िर उसने दैनिक भास्कर के एक समाचार की कटिंग निकाल कर दिखाई, जिसमें उसके एवं रामकंद के वि्षय में जानकारी छापी थी किसी संवाददाता ने।

आजकल कोई फ़ोटो भी मुफ़्त में नहीं देता, उसके लिए भी कुछ दे्ने पड़ते हैं, इसलिए अपना मोबाईल कैमरा सही है। चुपके से काम कर जाता है। हवा भी नहीं लगती।

घर लौटते हुए, धान की लाई (खील) के गुड़ चढे उखरा लेने नहीं भूले, यही मेले की मिठाई होती है। पहले मेले में गन्ने (कुसियार) आते थे। लेकिन अब नहीं दिखे, जलेबी शक्कर पारा भी कम ही दिखे।

हाँ  5 रुपए में भोजन देने वाले दाल-भात सेंटर भरपुर थे, इनकी संख्या 50 से उपर बताई जा रही थी। लेकिन मुझे तो खाली ही नजर आए।

शायद ही कोई जाता होगा खाने। फ़िर भी व्यस्था चोखी समझी जाए। महाशिवरात्रि पर्व पर कुंभ मेले का समापन है।

सभी देवता निज धाम को प्रस्थान करेंगे। छोड़ जाएगें पावन नदी में अपना कुड़ा करकट मल-मुत्र। जिसे झेलेंगे हम ही और हमारी आने वाली पीढी।

पुराने पुल के पास नया पुल बन रहा है। शायद अगले साल 10 किलो मीटर का फ़ालतु चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बड़े ही सरल शब्दों में अपने उद्गार प्रगट किए।