किसी भी भाषा के प्रशासनिक शब्दकोश का निर्माण महत्वपूर्ण कार्य है। छत्तीसगढ विधानसभा ने प्रशासनिक शब्दकोश का निर्माण का सराहनीय कार्य किया है। इसका परीक्षण, परिमार्जन एवं प्रकाशन छत्तीसगढी राजभाषा आयोग ने किया। राज्य निर्माण के पश्चात छत्तीसगढी भाषा को 8 वीं अनुसूची में दर्ज करने की माँग निरंतर जारी है। हमारे प्रदेश का राज-काज छत्तीसगढी भाषा में होने से 8 वीं अनुसूची में छत्तीसगढी भाषा का स्थान पाने का दावा पुख्ता होगा। मेरी जानकारी में छत्तीसगढी राज-काज की भाषा कभी नहीं रही। इसलिए हिन्दी एवं अन्य भाषाओं की तरह राज-काज के शब्द उपलब्ध नहीं हैं। राज-काज के लिए मानक शब्दों का निर्धारण करना होगा। यह एक श्रम साध्य एवं कठिन कार्य है तथा प्रथम प्रयास में ही मानक शब्दकोश तैयार नहीं हो सकता।
छत्तीसगढी बोली में हिन्दी एवं उर्दू के शब्द इस तरह से घुलमिल गए हैं कि हम उन्हे अलग नहीं मान सकते तथा नित्य व्यवहार में भी हैं। मुझे लगता है कि प्रशासनिक शब्दावली में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री परिषद, अधिकारी तंत्र, अपेंसनी/गैर पेंसनी, अधिसूचित क्षेत्र, अविज्ञापित, अभिलेखापाल, अभियंता/इंजीनियर, लायसेंस धारी, प्रत्यायन, प्रशासन अधिकारी इत्यादि अनेक शब्दों को ज्यों का त्यों या अपभ्रंश रुप में ग्रहण करना पड़ेगा। क्योंकि हम राज-काज की भाषा में इन्ही शब्दों को व्यवहार में लाते है। जिस तरह हिन्दी के राष्ट्रभाषा बनने के बाद भी राजस्व की कार्यवाही में उर्दू का प्रयोग वर्तमान में भी चल रहा है। तहसीलदार, नायब तहसीलदार, खसरा, रकबा, खतौनी, पटवारी, नकल, अर्जीनवीस, खजाना, नाजिर, खसरा पाँच साला, फ़ौती, मोहर्रिर, मददगार, हवालात, कोतवाली इत्यादि शब्द प्रचलन में है।
वर्तमान शब्दकोश में हिन्दी के शब्दों के स्थान पर प्रयोग करने के लिए छत्तीसगढी शब्द ढूंढने के परिश्रम करने की बजाए अधिकतर हिन्दी शब्दों को ही अपभ्रंश रुप में लिख दिया गया है। अमानक लिए अजारा शब्द उपयुक्त लगता है। अधिशेष के लिए उपराहा, अश्लील के लिए बेकलाम, अल्पवय के लिए लईकुसहा, आरोप लगाना के लिए बद्दी लगाना, उलटना के लिए लहुटाना, उत्कृष्ट के लिए सुग्घर, एक राशि/एक मुश्त के लिए चुकता, कमी के लिए खंगा, करार के लिए बदना, कामगार के लिए कमिया/कमइया, छिद्रान्वेषण के लिए खोदी इत्यादि शब्द प्रचलन में है। इन शब्दों का उपयोग शब्दकोश में किया जा सकता है।
प्रशासनिक शब्दकोश को देखने से लगता है कि इसका निर्माण जल्दबाजी में हुआ है तथा इसमें संशोधन की महती आवश्यकता है। विमोचन के अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक और नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे ने भी इस बात को स्वीकार किया। किसी भी शब्दकोश का निर्माण एक दिन में होने वाली प्रक्रिया नहीं है। अंग्रेजी के शब्दकोश में भी वर्तमान प्रचलन में आने वाले नवीन शब्दों को जोड़ा जाता है। प्रशासनिक शब्दकोश के निर्माण में छत्तीसगढी के साहित्यकारों का सहयोग लेना चाहिए। साथ ही गाँव में आपसी व्यवहार में प्रचलित बोली के शब्दों को जोड़ना चाहिए।
छत्तीसगढी के संत कवि पवन दीवान, डॉ विनय पाठक, पं श्यामलाल चतुर्वेदी, डॉ परदेशी राम वर्मा, लक्ष्मण मस्तुरिहा, पं पालेश्वर शर्मा, पं कृष्णारंजन, नन्दकिशोर शुक्ल, नंदकिशोर तिवारी "लोकाक्षर वाले" हरिहर वैष्णव, डॉ बलदेव, डॉ बिहारी लाल साहू, ब्लॉगर संजीव तिवारी, दशरथ लाल निषाद, पुनुराम साहू, जीवन यदु, पीसीलाल यदु, सुशील भोले, सुशील यदु आदि विद्वानो का सहयोग लिया जाना चाहिए, साथ ही प्रोफ़ेसर रमेशचंद्र मेहरोत्रा एवं डा श्रीमती कुंतल गोयल का सहयोग शब्दकोश के परिमार्जन में लिया जा सकता है। यह सूची बनाने का प्रयास नहीं, उदाहरणार्थ फ़ौरी याद आने वाले नाम हैं। डॉ सोमनाथ यादव, डॉ चंद्रकुमार चंद्राकर द्वारा तैयार छत्तीसगढी शब्दकोश से सहायता मिल सकती है। लगभग सौ वर्ष पहले हीरालाल काव्योपाध्याय ने छत्तीसगढी भाषा का व्याकरण तैयार किया था यह ग्रंथ भी शब्दकोश निर्माण में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही प्रदेश में स्थित विश्वविद्यालयों के भाषा विज्ञान विभाग के प्राध्यापकों का सहयोग भी शब्दकोश निर्माण में लेना चाहिए चाहिए।
नि:संदेह शब्दकोश का निर्माण बड़ा कार्य है। वर्तमान में छत्तीसगढी प्रशासनिक शब्दकोश का पहला खंड ही प्रकाशित हुआ है। अभी दो खंड प्रकाशित होने बाकी है। भले ही अगले दो खंडों के प्रकाशन में समय लगे, पर दुरुस्त होने चाहिए। शब्दकोश के निर्माण में ब्लॉगर्स से ऑनलाईन सहयोग लिया जाना चाहिए तथा फ़ेसबुक और ब्लॉग पर शब्दों को लिख कर उन पर प्रतिक्रिया ली जानी चाहिए। प्रकाशन के पूर्व प्रशासनिक शब्दकोश का मसौदा इंटरनेट पर जनसहयोग एवं संशोधन के लिए खुला उपलब्ध रहे तो सच्चे अर्थों में इससे जनभाषा सम्मान में वृद्धि होगी। राज्य मे शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद छत्तीसगढ ने स्थानीय बोलियों पर पाठ्य सामग्री तैयार करने का कार्य किया है। एक समिति बनाकर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद माध्यम से वर्तमान शब्दकोश का संशोधन किया जा सकता है। प्रशासनिक शब्दकोश में त्रुटियां होने के बाद भी निर्माणकर्ता साधूवाद के पात्र हैं। उनके श्रम को नकारा नहीं जा सकता। क्योंकि उन्होने जो एक धरातल तैयार किया है, इस पर सभी विद्वानों के सलाह मशविरे से एक उत्कृष्ट शब्दकोश रुपी भवन खड़ा होगा ।