वर्तमान रेल बजट को देख कर लगता है कि यह देश का रेल बजट न होकर सिर्फ़ बंगाल के लिए ही है। बिलासपुर जोन से रेल्वे को सर्वाधिक कमाई होती है। लेकिन बजट के अवसर पर हमेशा छला जाता है। छत्तीसगढ को रेल बजट में झुनझुना थमा दिया जाता है।
रायपुर से धमतरी चलने वाली नैरो गेज रेल को गत एवं वर्तमान रेलमंत्रियों ने बजट में घोषणा के बाद ब्राड गेज में नहीं बदला है। इस बजट में एक नयी सुरसुरी और छोड़ दी गयी कि “नैरो गेज को कांकेर तक ब्राडगेज किया जाएगा।" रेल के हिस्से में अधिकतर मंत्री बिहार या बंगाल से ही आए हैं।
इन लोगों ने हमेशा छत्तीसगढ के साथ सौतेला व्यवहार किया है। ऐसा लगता है रेल मंत्रालय बंगाल और बिहार तक ही सिमट कर रह गया है। कुछ राजनैतिक ज्योतिषियों ने कहा था कि इस बार भी छत्तीसगढ को कुछ नहीं मिलने वाला।
रायपुर से धमतरी चलने वाली नैरो गेज रेल को गत एवं वर्तमान रेलमंत्रियों ने बजट में घोषणा के बाद ब्राड गेज में नहीं बदला है। इस बजट में एक नयी सुरसुरी और छोड़ दी गयी कि “नैरो गेज को कांकेर तक ब्राडगेज किया जाएगा।" रेल के हिस्से में अधिकतर मंत्री बिहार या बंगाल से ही आए हैं।
इन लोगों ने हमेशा छत्तीसगढ के साथ सौतेला व्यवहार किया है। ऐसा लगता है रेल मंत्रालय बंगाल और बिहार तक ही सिमट कर रह गया है। कुछ राजनैतिक ज्योतिषियों ने कहा था कि इस बार भी छत्तीसगढ को कुछ नहीं मिलने वाला।
नीतिश कुमार रेलमंत्री थे तो छत्तीसगढ के गर्वनर दिनेश नंदन सहाय के प्रयास प्रत्येक बजट में कुछ ट्रेने युपी और बिहार जाने वालों के लिए मिल जाती थी। लेकिन देश के अन्य हिस्सों को रेलमार्ग से जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए था।
सम्पर्क क्रांति, दुर्ग-जयपुर, पुरी-जोधपुर ट्रेनों के फ़ेरे बढाए जाने चाहिए थे। दक्षिण की ओर जाने वाली ट्रेनों की कमी हमेशा महसूस होती है। रायपुर या बिलासपुर से दक्षिण के लिए नयी ट्रेन शुरु करने की मांग काफ़ी पुरानी है। लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दिल्ली के लिए नान स्टाप सुपर ट्रेन चलानी चाहिए। इन मार्गों पर एक महीने पहले भी आरक्षण नहीं मिलता।
छत्तीसगढ से 11 सासंद लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं। तब भी ये सब मिलकर दबाव बनाने में कामयाब नहीं हो सके। ममता का बजट देश का बजट न होकर सिर्फ़ बंगाल के लिए ही रेल बजट है।
यहाँ सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्या रेलमंत्री के बजट में सिर्फ़ उसके प्रदेश को ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए? सारी नयी योजनाएं परियोजनाएं उनके प्रदेश में ही होनी चाहिए। देश के अन्य राज्यों के लिए सौतेला व्यवहार क्यों?
कहा गया है –“मुखिया मुख सो चाहिए खान पान को एक” प्रधानमंत्री को ध्यान देना चाहिए कि रेल मंत्री के बजट में कहीं असंतुलन तो नहीं है। बजट असंतुलित होने से विरोध के स्वर उठना स्वाभाविक है। पता नहीं कब छत्तीसगढ की सुध रेलमंत्री को आएगी।