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होटल पहुंचने के बाद पता चला कि आज भी हमारे जैसे बचे-खुचे लोगों के लिए छोटा सा कार्यक्रम रखा गया है। सारे ब्लॉगर साथी तो थे ही। होटल के एक हॉलनुमा कमरे में सोफ़े और कुर्सियाँ लगाई गई। पीछे परिकल्पना ब्लॉगर सम्मान का बैनर लगाया गया। हम चाय पीकर रेस्टोरेंट में गप्पे हाँक रहे थे। उधर से बार-बार बुलावा आ रहा था कार्यक्रम में शामिल होने के लिए।
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श्री सनत रेग्मी द्वारा गिरीश पंकज जी का सम्मान |
मनोज भावुक, सरोज सुमन, सुशीला पुरी शैलेष भारतवासी, पाबला जी इत्यादि यहीं जमें हुए थे। लगातार फ़ोटो लेने के कारण मेरे कैमरे की बैटरी ने आखिर जवाब दे दिया। मैं कैमरे को अपने कमरे में रख आया और कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गया। सूचना मिली कि आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रज्ञा प्रतिष्ठान के सचिव सनत रेग्मी जी होगें।
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श्री सनत रेग्मी द्वारा ललित शर्मा का सम्मान |
कार्यक्रम प्रारंभ सुनीता यादव के सरस्वती वंदना गायन से हुआ, सुशीला पुरी, रविन्द्र प्रभात, सनत रेग्मी, गिरीश पंकज पीठासीन हुए, कार्यक्रम का संचालन लखनऊ से पधारे डॉ रामबहादुर जी ने संभाला। सबसे पहले बचे खुचे ब्लॉगर्स में बी एस पाबला, गिरीश पंकज, ललित शर्मा, संजीव तिवारी का उत्तरीय स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र से सम्मान किया गया। संजीव तिवारी की अनुपस्थिति में छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए उन्हें दी गई सम्मान सामग्री मुझे ग्रहण करनी पड़ी।
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श्री सनत रेग्मी द्वारा बी एस पाबला जी का सम्मान |
इसके पश्चात सनत रेग्मी जी कहा कि इस कार्यक्रम ने दो देशों के बीच सेतू बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होने परिकल्पना की टीम को इसके लिए साधूवाद दिया तथा कहा कि समय अधिक हो चुका है और 9 बजने के बाद काठमाण्डू पूरी तरह बंद हो जाता है इसलिए मुझे जाना होगा।
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मनोज भावुक काव्य पाठ करते हुए |
इस कार्यक्रम के बाद कवि एवं कवियत्रियों को अपना भौकाल टाईट करना था। सभी अपनी काव्य सामग्री साथ लाए थे। सुनीता यादव, डॉ रामा द्विवेदी, विनय प्रजापति, मुकेश सिन्हा, मुकेश तिवारी, गिरीश पंकज, सुशीला पुरी, रविंद्र प्रभात, डॉ राम बहादुर इत्यादि ने अपना कविता पाठ किया। मनोज भावुक जी ने अपनी भोजपुरी गजलों से मौसम को हरा भरा कर दिया तथा सरोज सुमन जी ने भोजपुरी गजलें गा कर माहौल जमा दिया।
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मुकेश सिन्हा काव्य पाठ करते हुए |
नमिता राकेश ने हिन्दी और पंजाबी में कविता पाठ किया, "आदमी से दूर होता जा रहा है आदमी, आदमी की आदमियत पर भरोसा क्या करें, अपनी हस्ती खुद मिटाता जा रहा है आदमी " तथा पंजाबी कविता के अंश - " ओह वी उडना चाउन्दी सी, पतंग वांग, पर उसदी उडारी निरबर सी,उसनू दित्ती जाण वाली ढील ते " इस तरह सभी काव्य पिपासुओं ने अपनी-अपनी कविताएं भांजी।
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संपत मोरारका काव्य पाठ करते हुए |
पाबला जी कार्यक्रम के बीच से उठ कर चले गए थे। शायद उन्हे भूख लग रही थी। कविता पढने का मुक्त आह्वान तो मुझसे भी किया गया था। समस्या यह थी कि कविताएं मुझे याद नहीं रहती। अगर व्यक्ति लगातार काव्य गोष्ठियों में गमनागमन करता रहे तो करत करत अभ्यास के कविताएं याद हो जाती है। मैने सोचा था कि यदि कविता पढने का मौका आएगा तो अपने ब्लॉग से निकाल लुंगा।
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सुनीता यादव काव्य पाठ करते हुए |
लेकिन हम ऐसे होटल में रुके थे वहां इंटरनेट की सुविधा नहीं थी। साथ ही भारत के फ़ोन यहाँ आने के बाद बंद हो गए इसलिए डॉटा कार्ड का भी इस्तेमाल नहीं हो सकता था। इस समस्या के कारण मैं चूक गया और कविता पाठ न कर सका। खैर कोई बात नहीं अब कुछ कविताएं रामचरित मानस की चौपाई की तरह याद कर लेगें। इंटरनेट पर अधिक भरोसा करना ठीक नहीं।
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डॉ रामा द्विवेदी काव्य पाठ करते हुए |
कार्यक्रम समापन हुआ, सभी भोजन कक्ष में पहुंचे और हमने कमरे में ही डेरा लगा लिया। राजीव शंकर मिश्रा जी बनारस वाले संग चर्चा चलते रही। थकान के कारण खाना हमने कमरे में ही मंगवा लिया। हमारी घड़ी के अनुसार रात के लगभग साढे ग्यारह बजे पाबला जी एवं गिरीश भैया पहुंचे। तब तक हमारा खाना पूर्ण हो चुका था। राजीव शंकर जी ने कहा कि मैं सुबह आप लोगों को विदा करने के बाद जाऊंगा तथा रात को होटल में ही रुकुंगा।
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सुशीला पुरी एवं नमिता राकेश जी |
उनसे विदा लेने के बाद हमने अपना बिस्तर सभांल लिया। पाबला जी ने अपने कैमरे की बैटरियां चार्जिंग में लगा दी थी। मेरे कैमरे की बैटरियाँ भी ठंडी पड़ चुकी थी, उन्हे भी गर्म करना था। पाबला जी ने कहा कि आपकी बैटरियाँ भी चार्ज हो जाएगें, सो जाईए। मैने भी सोचा कि यदि चार्ज नहीं हुई तो कोई बात नहीं। कोई भी हो एक कैमरा तो कम से कम चलने लायक रहेगा ही। उसी की फ़ोटुओं से काम चला लिया जाएगा। सुबह 4 बजे चलने का वादा करके हम सभी बिस्तर के हवाले हो गए।
सुन्दर रिपोर्ट..
जवाब देंहटाएंकुल मिलाकर नेपाल में छतीसगढ़ छाया रहा ..
जवाब देंहटाएंयादगार एक अतीत का.. उम्दा लेखन.. मंगल कम्नाये
जवाब देंहटाएंरोचक यादगार रिपोर्ट ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
बहुत ही रोचक !
जवाब देंहटाएंबढ़िया रिपोर्टिंग
जवाब देंहटाएंwaah waah bahut sundar post,,,,,,,jai ho
जवाब देंहटाएंये भी शानदार रपट रही। बधाई , इतना सब याद रखना बड़ी बात है
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