ताम्रकार समाज ने भगवान सहस्त्रबाहु जयंती का कार्यक्रम रखा था जगन्नाथ मंदिर रायपुर में। धीरज ताम्रकार ने मुझे फ़ोन आमंत्रित किया कि शाम 5 बजे के मिलन कार्यक्रम में आपको आना है। मैं 5 बजे जगन्नाथ मंदिर में पहुंच गया। थोड़ी ही देर बाद आर्टिजन वेलफ़ेयर आर्गेनायजेशन के अध्यक्ष व्ही विश्वनाथ जी, महापौर दुर्ग डॉ शिव तमेर, आर एस विश्वकर्मा जी भी पहुंच चुके थे। गरिमा मय आयोजन में ताम्रकार समाज के सभी बंधु पधार चुके थे। अतिथियों के स्वागत के पश्चात भाषण इत्यादि का कार्यक्रम हुआ। समाज के संगठन के विषय में उपस्थित महानुभावों ने प्रकाश डाला। इस तरह कार्यक्रम 9 बजे तक चला। भोजन प्रसादी के पश्चात देर रात हम घर पहुंचे।
सुबह भाई अशोक बजाज जी का फ़ोन आया कि छत्तीसगढ सरकार द्वारा खेलों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें मैराथन दौड़ का शुभारंभ किया जाना है। उन्होने के कहा कि मैं 20 मिनट में पहुंच रहा हूँ। बस फ़िर मुझे फ़टाफ़ट तैयार होना पड़ा। तब तक अशोक बजाज जी पहुंच चुके थे। हम सब आयोजन स्थल की ओर चल पड़े। वहां सभी तैयारी में थे। हमारे जाते ही औपचारिक शुभारंभ हुआ और भाई अशोक बजाज ने हरी झंडी दि्खा कर मैराथन दौड़ का शुभारंभ किया। छोटे छोटे बच्चों में अपार उत्साह था। स्थानीय थानेदार ओटी और तहसीलदार देवांगन की भूमिका भी सराहनीय रही। हम भी खिलाड़ियों के साथ समापन स्थल तक गए।
हमारा यात्रा पर निकलने का मुहुर्त बन रहा था, इसी बीच राजभाटिया जी और समीर लाल जी के आने का समाचार मिला। राज भाटिया जी ने तो रोहतक में ब्लागर मिलन का आयोजन ही कर डाला। मैने और पाबला जी ने रुट तय कर लिया और टिकटें बुक कर ली। अब यात्रा का दिन नजदीक आते जा रहा था। तभी पाबला जी को अपनी यात्रा स्थगित करनी पड़ी और मुझे ही अकेले निकलना पड़ा।15 नवम्बर को प्रारंभ इस यात्रा में मेरा पहला पड़ाव धोरां री धरती याने कोटा राजस्थान है, द्विवेदी जी से राम राम के बाद निकल पड़ेगें महाराणा प्रताप और इंदुपुरी की नगरी चित्तौड़ की ओर यहां दो दिनों तक रुकने का कार्यक्रम है। रोहतक ताऊ जी के भी पहुंचने की संभावना है।
सुबह भाई अशोक बजाज जी का फ़ोन आया कि छत्तीसगढ सरकार द्वारा खेलों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें मैराथन दौड़ का शुभारंभ किया जाना है। उन्होने के कहा कि मैं 20 मिनट में पहुंच रहा हूँ। बस फ़िर मुझे फ़टाफ़ट तैयार होना पड़ा। तब तक अशोक बजाज जी पहुंच चुके थे। हम सब आयोजन स्थल की ओर चल पड़े। वहां सभी तैयारी में थे। हमारे जाते ही औपचारिक शुभारंभ हुआ और भाई अशोक बजाज ने हरी झंडी दि्खा कर मैराथन दौड़ का शुभारंभ किया। छोटे छोटे बच्चों में अपार उत्साह था। स्थानीय थानेदार ओटी और तहसीलदार देवांगन की भूमिका भी सराहनीय रही। हम भी खिलाड़ियों के साथ समापन स्थल तक गए।
हमारा यात्रा पर निकलने का मुहुर्त बन रहा था, इसी बीच राजभाटिया जी और समीर लाल जी के आने का समाचार मिला। राज भाटिया जी ने तो रोहतक में ब्लागर मिलन का आयोजन ही कर डाला। मैने और पाबला जी ने रुट तय कर लिया और टिकटें बुक कर ली। अब यात्रा का दिन नजदीक आते जा रहा था। तभी पाबला जी को अपनी यात्रा स्थगित करनी पड़ी और मुझे ही अकेले निकलना पड़ा।15 नवम्बर को प्रारंभ इस यात्रा में मेरा पहला पड़ाव धोरां री धरती याने कोटा राजस्थान है, द्विवेदी जी से राम राम के बाद निकल पड़ेगें महाराणा प्रताप और इंदुपुरी की नगरी चित्तौड़ की ओर यहां दो दिनों तक रुकने का कार्यक्रम है। रोहतक ताऊ जी के भी पहुंचने की संभावना है।
यहां से चलकर पहुंचेगे 20 नवम्बर को दिल्ली और वहां से रोहतक की तरफ़ प्रस्थान करेंगे। रोहतक गए कई साल हो गए। एक बार मैं भिवानी से रोहतक स्कुटर से भी गया था। जब काठ मंडी की तरफ़ जा रहा था तो कोतवाली के सामने पुलिस वालों ने रोक लिया और कहा कि आपका हेल्मेट कहां है? चालान काटना पड़ेगा। मैने कहा कि मुर्खों महकमे के आदमी को भी नहीं पहचानते। सुनते ही उन्होने झट बैरियर खोल दिया। उस दिन से मैने सोच लिया कि रोहतक में स्कुटर तो चलाना ही नहीं है। चार चक्के की गाडी से ही जाना है देखना है फ़ेर सुसरे किसका चालान काटते हैं :) अब विचार किया कि जब चक्कों पर ही जाना है कम पर क्यो जाएं। इसलिए हो सके तो सैकड़ों चक्कों वाली गाड़ी पर जाने का मन बनाया है।
एक बार लौहपथ गामिनी से रोहतक जाने का कार्यक्रम बनाया था। सदरबाजार से लोकल पकड़ी, उस दिन रविवार होने के और ट्रेड फ़ेयर लगने के कारण गाड़ी ओवरलोड थी। धक्कम धक्का करके बोगी के भीतर घुसे, पैर रखने की जगह नहीं थी। उपर वाली सीट पर एक बंदा अकेला सो रहा था। मैने उसे उठाया तो उसने एक बार मेरी तरफ़ दे्खा तो मैने कहा -" सरक ले परेनै"। वो बिना कुछ बोले सीट के एक कोने में सरक लिया। मैं और राजेश जी आराम से सीट पर बैठ लिए। तभी सामने बैठा एक छोरा बोल्या-" क्युं उठ लिया, आ ग्या ना तेरा फ़ूफ़ा"। यह सुनकर भी वो छोरा चुपचाप बैठा रहा।
रोहतक आने वाला था, तब वो बड़ी हिम्मत करके हिकमत से बोला-" सर आप कौण से थाणे में हैं?" ओ ह्हो सारा किस्सा मेरी समझ में आ गया। कि वो पूरी सीट छोड़ कर क्यों उठा था। मैने कहा - " आन मिलो सजना"। इतना सुन के उसको भी सारी बात समझ में आ गयी। वो और भी ज्यादा अटेंशन हो गया। अब "आन मिलो सजना का राज बहुत ही मजेदार है। क्योंकि वहाँ सजन मिलने को तैयार खड़े हैं। अगर कोई एक बार मिल ले तो उसके पुरखे भी आन मिलो सजना की तरफ़ मुंह करके नहीं देखे। दिन में भी सोच ले तो रोंगटे खड़े हो जाएं और अगर सजना सपने में दिख जाएं तो चिल्ली मार कर उसका मूत निकल जाए। इसलिए आन मिलो सजना कहना और सुनना भी ठीक नहीं है। भई हम तो रोहतक पहुंच गए पर सजना से मिलना किसी को गवारा नहीं था।
भले ही सजना ना मिले कोई बात नहीं लेकिन हम ब्लागरो से तो जरुर मिलेंगे। वहां से 22 अंतर सोहिल जी के साथ पहुंचेगे रिवाड़ी जहां मुझे एक विवाह समारोह में शामिल होना है। 23 को गुड़गांव में कुछ चिरपरिचित मित्रों से मुलाकात है। इसके बाद मुझे नारनौल जाना है वहां से वापसी पर दिल्ली के मित्रों से मिलते हुए वापसी है। लागी छूटे ना अब तो बलम।
एक बार लौहपथ गामिनी से रोहतक जाने का कार्यक्रम बनाया था। सदरबाजार से लोकल पकड़ी, उस दिन रविवार होने के और ट्रेड फ़ेयर लगने के कारण गाड़ी ओवरलोड थी। धक्कम धक्का करके बोगी के भीतर घुसे, पैर रखने की जगह नहीं थी। उपर वाली सीट पर एक बंदा अकेला सो रहा था। मैने उसे उठाया तो उसने एक बार मेरी तरफ़ दे्खा तो मैने कहा -" सरक ले परेनै"। वो बिना कुछ बोले सीट के एक कोने में सरक लिया। मैं और राजेश जी आराम से सीट पर बैठ लिए। तभी सामने बैठा एक छोरा बोल्या-" क्युं उठ लिया, आ ग्या ना तेरा फ़ूफ़ा"। यह सुनकर भी वो छोरा चुपचाप बैठा रहा।
रोहतक आने वाला था, तब वो बड़ी हिम्मत करके हिकमत से बोला-" सर आप कौण से थाणे में हैं?" ओ ह्हो सारा किस्सा मेरी समझ में आ गया। कि वो पूरी सीट छोड़ कर क्यों उठा था। मैने कहा - " आन मिलो सजना"। इतना सुन के उसको भी सारी बात समझ में आ गयी। वो और भी ज्यादा अटेंशन हो गया। अब "आन मिलो सजना का राज बहुत ही मजेदार है। क्योंकि वहाँ सजन मिलने को तैयार खड़े हैं। अगर कोई एक बार मिल ले तो उसके पुरखे भी आन मिलो सजना की तरफ़ मुंह करके नहीं देखे। दिन में भी सोच ले तो रोंगटे खड़े हो जाएं और अगर सजना सपने में दिख जाएं तो चिल्ली मार कर उसका मूत निकल जाए। इसलिए आन मिलो सजना कहना और सुनना भी ठीक नहीं है। भई हम तो रोहतक पहुंच गए पर सजना से मिलना किसी को गवारा नहीं था।
भले ही सजना ना मिले कोई बात नहीं लेकिन हम ब्लागरो से तो जरुर मिलेंगे। वहां से 22 अंतर सोहिल जी के साथ पहुंचेगे रिवाड़ी जहां मुझे एक विवाह समारोह में शामिल होना है। 23 को गुड़गांव में कुछ चिरपरिचित मित्रों से मुलाकात है। इसके बाद मुझे नारनौल जाना है वहां से वापसी पर दिल्ली के मित्रों से मिलते हुए वापसी है। लागी छूटे ना अब तो बलम।
आपकी यात्रा सुखद और मंगलमय हो.
जवाब देंहटाएंयात्रा की अग्रिम शुभकामनायें ..
जवाब देंहटाएंआपकी यात्रा सुखद और मंगलमय हो.
जवाब देंहटाएंstation me milte hai
ललित भाई आपकी यात्रा सुखद, व सार्थक हो. आपकी यात्रा प्रेरणास्प्रद हो.
जवाब देंहटाएंbadhiya, chalti rahe yatra, shubhkamnayein
जवाब देंहटाएंआपकी यात्रा सुखद हो .
जवाब देंहटाएंजा रहे हैं तो भाटिया जी को हमारी भी राम राम कह दीजिएगा :)
जवाब देंहटाएंमैं भी शुरु-शुरु में आपके बारे में कुछ ऐसा ही समझता था :)
जवाब देंहटाएंडर भी लगता था, आपसे
लिप्टन चाय वाले श्रीमान जी
प्रणाम
आपके सफर की खबरों और नजारों का इंतजार रहेगा.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं भईया...
जवाब देंहटाएंप्रणाम,
जवाब देंहटाएंआपकी यात्रा सफल एवं सार्थक हो यही हमारी कामना है...
{और हाँ आने के बाद हमें संस्मरण सुनना मत भूलियेगा}
शुभ यात्रा
जवाब देंहटाएंआपका तो ओबामा की तरह विस्त्रत कार्यक्रम है
जवाब देंहटाएंghoomo pooraa desh tumhari jai-jai ho
जवाब देंहटाएंkhushiyon se ho lais tumhari jai-jai ho...
लास्ट वाली लाइने मजेदार लगीं "आन मिलो सजना"😂😂😂
जवाब देंहटाएं