बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

बैल-बछड़ा भिड़ंत और किंगफ़िशर की उड़ान

ललित डॉट कॉम की 401 वीं पोस्ट है, इसका सीधा अर्थ यह है कि मैने 401 दिन लगातार लिखा है इस ब्लॉग पर। भाग दौड़ भरी जिन्दगी में से 401 दिन पोस्ट लिखने के लिए समय चुरा लेना भी बड़ी बात है।

निरंतरता बनाए रखने की कोशिश करते रहे। पाठक एवं ब्लॉगर  साथियों का स्नेह मिलता रहा और आगे बढते गए। इन दो वर्षों में देखा कि बहुत से ब्लॉगर आए और चले गए। दो चार पोस्ट के बाद उनकी अगली पोस्ट नहीं आई।

अंतर जाल पर नित्य समय देना हमारे जैसे निठल्लों का ही काम हैं। निठल्लाई चलते रही और पोस्ट बढते रही। 10 दिनों तक चिट्ठा जगत के 1 नम्बर पर रहने का भी मजा लिया। ब्लॉग जगत से मैने बहुत कुछ पाया, लेकिन जीवन का महत्वपूर्ण समय भी यहाँ लगाया।

गत एक सप्ताह से ब्लॉगर और साहित्यकार की बहस हो रही है। इस मुद्दे को उछालने के पीछे क्या राज है? यह तो मुझे मालूम नहीं।

यदा-कदा देखा है स्वयंभू साहित्यकार कहते रहे हैं कि ब्लॉग पर साहित्य नहीं है। कचरा भरा है, कूड़ा करकट पड़ा है। जब कोई नवीन विधा आती है समाज में तो पुरानी विधा वालों को समझ में नहीं आती और अकारण ही उसका विरोध करने लगते हैं।

गुड़ खाने वालों को सर्व प्रथम मावे की मिठाई मिली होगी तो उन्होने मावे की मिठाई का जरुर विरोध किया होगा। क्योंकि गुड़ के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा था। इसी तरह ब्लॉगर और साहित्यकार का मसला है।

ब्लॉगर सीधी सच्ची बात सीधे ही कह डालता है। जैसे शब्द उसे मिलते हैं उनका प्रयोग अपने लेखन में कर लेता है। शब्दजाल का प्रयोग करके वह अपनी विद्वता सिद्ध नहीं करना चाहता।

उसका ध्येय तो सिर्फ़ यही है कि एक हिन्दी पोस्ट लिखो और 10-20 ब्लॉगों को पढो और टिप्पणी आदान-प्रदान करो और फ़िर अगले दिन की पोस्ट के लिए तैयार हो जाओ।

ब्लॉगर ऐसे अछूते विषय पर लिख जाता है जो किसी साहित्यकार की डायरी या उसके चिंतन में कभी भी न आया होगा। कुल मिला कर वर्तमान को ब्लॉग पर उतार कर इतिहास में दर्ज कर रहा है।

साहित्य की समझ अब हमें भी आने लगी है और साहित्यकारिक हथकंडे भी समझ आने लगे हैं। सबके अपने-अपने दल और दायरे हैं और उसी दल के लोगों को साहित्यकार कहके प्रसारित प्रचारित किया जाता है।

10-20 कविताएं या गद्य प्रकाशित होते ही साहित्यकार का ठप्पा लग जाता है।  चम्पी चापलुसी करके अनुदान से एक दो किताब प्रकाशित हो जाती हैं और वे सरकारी आलमारियों में बंद हो जाती है या घर पर रखे-रखे दीमक चाट जाती है।

आम आदमी तक पुस्तकें नहीं पहुंच पाती। बस दल के लोग ही जानते हैं किसने क्या लिखा है। आपस में ही समीक्षा करके इति श्री कर लेते हैं।

वह समय निकल चुका है जब आम पाठक पुस्तक खरीद कर पढता था। कौन दो ढाई सौ में तथाकथित साहित्य खरीद कर पढे। साहित्य तो मुफ़्त में ही मिल जाता है। जब कचरा पढना ही है (जैसा कहा जाता है) तो मुफ़्त में ब्लॉग में पढना कौन सा घाटे का सौदा है।

अंतरजाल में लिखा हुआ वैश्विकस्तर पर उपलब्ध है। एक क्लिक पर कहीं भी पढा जा सकता है। बोझा उठाकर चलने की आवश्यकता नहीं रही। बैल सींग कटाकर बछड़ा नहीं बन सकता, लेकिन बछड़े में बैल बनने की अपार संभावनाएं हैं।

अंतरजाल ने वैश्विकस्तर हमें पाठक उपलब्ध कराए हैं। मैने देखा है कि मेरे ब्लॉग पर भारत के बाद सबसे अधिक पढने वाले युक्रेन से आते हैं। फ़िर अमेरिका और इंग्लैंड का नम्बर आता है।

अगर मैं एक किताब लिखता हूँ तो क्या वह इनके पास सहज उपलब्ध हो सकती है? इसलिए ब्लॉग पर जो भी लिखा जा रहा है। उसकी महत्ता भविष्य के गर्भ में है। कौन साहित्य रच रहा और कौन कचरा ठेल रहा है। यह तो समय ही बताएगा।

रात एक होटल में बैठा था, मेरी सामने टेबल पर एक लड़का आया और उसके बाद एक लड़की पहुंची। आमने-सामने टेबल पर बैठते ही हाथ मिलाया। किस किया और बैरे को कुछ आर्डर दिया। तभी लड़के की नजर मेरी तरफ़ पड़ी।

उसने तुरंत लड़की तरफ़ इशारा किया और धीरे से खिसक लिए। पता नहीं क्या समझे और क्या जाने? हो सकता है वे पहचानते हों और मैं नही। शादी  का न्योता आएगा तभी पता चलेगा।

थोड़ी देर में मोहल्ले के पिद्दे भी दिखाई पड़े और मेरी नजर उन पड़ गयी। नौनिहाल किंगफ़िशर की उड़ान पर थे। मैं उनके पास गया तो हवाईयाँ उड़ने लगी। सोचा कि आज तो गए,  पिटाई पक्की है।

सब उठ कर खिसकने की तैयारी में थे। मैने उन्हे कहा कि- “लगे रहो बेटे, किंगफ़िशर से सुपरसोनिक तक की उड़ान भरो। आसमान तुम्हारा इंतजार कर रहा है। लेकिन सड़क पर मत चलना। एक्सीडेंट होने का खतरा है। तुम्हारे लिए हवाई सफ़र ही ठीक है।“ हैप्पी ब्लॉगिंग, वेरी हैप्पी ब्लॉगिंग।

36 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बधाई इस ४ शतकों के सफर के लिए...आगे अनेक शतक मारना है भाई..अनेक शुभकामनाएँ...

    बाकी साहित्य/ब्लॉग- यह तो समय छांट बीन कर लेगा. हम आप तो बस लगे रहिये.

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  2. बधाई.
    ''भाग दौड़ भरी जिन्दगी में से 401 दिन पोस्ट लिखने के लिए चुरा लेना भी बड़ी बात है।'' पंक्ति में किसी ने ''समय'' शब्‍द चुरा लिया लगता है.

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  3. LALIT JI , SABSE PAHLE TO MERA SALAAM KABUL KARE.. AAPNE BAHUT HI SAARGARBHIT BAAT KAHI. ,MUJHE BAHUT HI ACCHI LAGI .

    AAPKA BAHUT BAHUT AABHAR.. YUN HI SAATH DETE RAHIYE..
    A
    AAPKA

    VIJAY

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  4. अरे आपने चार सेंचुरी लगा दी है ... कोई तेंदुलकर से कम हैं क्या ?
    बहुत बहुत बधाई !
    और साहित्य और साहित्यकारों के बारे में आपकी बात से सहमत हूँ ... खैर चिंता मत करिये ... एक न एक दिन आना ही है ऊंट को पहाड के नीचे ... जायेंगे कहाँ ... जो लोग आज ब्लॉग्गिंग को कूड़ा करकट कह रहे हैं ... वो खुद नाक घसीटते हुए आएंगे इन्टरनेट पर ... और जो नहीं आएंगे उनकी वही हालत होने वाली है जो डाईनोसर की हुई थी ...

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  5. जिस रचना को समाज श्रेष्‍ठ मान लेता है वह रचना कालजयी बन जाती है्, फिर वह कहीं भी लिखी क्‍यों ना हो। जिस प्रकार आज ब्‍लाग पर प्रयोग हो रहे हैं वैसे ही साहित्‍य में भी प्रयोग हो रहे हैं। लेकिन सार्थक रचना ही कालजयी बनती है। आलोचनाएं तो दोनों तरफ से होती ही रहेंगी बस हमें तो लेखन करना है। आपको बधाई, सुपरसोनिक उड़ान के लिए।

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  6. बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनायें ललित भाई!

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  7. बहुत-बहुत बधाई इस नये कीर्तिमान के लिए .साथ ही इस सार्थक और चिंतन-परक आलेख के लिए आभार .

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  8. ललित जी चार सौ पोस्ट पूरी होने के ...... कीर्तिमान हेतु बधाई
    शुभकामनाये स्वीकारें.....

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  9. बधाई चार सेंचुरी के लिए और शुभकामनाएं आगे भी लिखते रहने के लिए।

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  10. वेरी हैप्पी ब्लॉगिंग
    बधाईयां
    शुभकामनाएं

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  11. हार्दिक शुभकामनायें
    और आप साहित्य के बछ्डे नहीं बैल ही हो :)
    आपका लिखा हमें आसानी से उपलब्ध भी है और समझ भी आता है, मगर गंभीर साहित्य को समझने के लिये तो डिक्शनरी भी नहीं है मेरे पास।

    उस जोडे ने आपको देखकर वही समझा होगा, जो देखकर सब समझ लेते हैं।:)
    ज्यादा ही डरने लगे हैं बच्चे आजकल आपकी उपस्थिति से:)

    प्रणाम

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  12. वाकई में वर्तमान को इतना कभी नहीं लिखा गया होगा जो काम आज ब्लोगर कर रहे हैं ! अपने आप में एक इतिहास रचना जो आने वाले समय में हमारी हकीकत बताने में सक्षम होगी !
    बहुत बढ़िया लिखा ललित भाई!

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  13. बधाईयाँ और शुभकामनाएं…
    ===
    टीप:- साहित्यकार(?) जल्दी ही इतिहास (म्यूजियम) की चीज़ बनने वाले हैं…

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  14. सुरेश चिपलूनकर के बेहद आत्‍मीय आकलन से सहमत। पर थोड़ा सा संशोधन चाहता हूं कि जो जुड़ जाएंगे इंटरनेट से, वे अपना ब्‍लॉग/वेबसाइट रूपी म्‍यूजियम बना पायेंगे और उसमें पाठकों को पायेंगे। और जो अकड़ में अपने को हवाई जहाज में सवार समझ रहे हैं, चाहे वे कितने ही सुशील हों, ऐसे म्‍यूजियम बनेंगे जहां पर धूल धक्‍कड़, कूड़ा करकट के सिवाय और कुछ नहीं मिलेगा।
    जय हिन्‍दी ब्‍लॉंगिंग

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  15. बहुत बधाई, दसवां शतक लगने की अग्रिम शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  16. बहुत-बहुत बधाई इस नये कीर्तिमान के लिए....
    लाजवाब लेख...

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  17. ललित भाई,
    ब्रायन लारा से आगे बढ़ने की बधाई...

    सींग नुकीले करने का कोई तरीका बताएं...

    जय हिंद...

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  18. अरे 400 पोस्ट ...आपको बहुत बहुत बधाई

    ------------

    मेरे ब्लॉग पर सफ़ेद चमकते पेड़.....

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  19. "मैने उन्हे कहा कि- “लगे रहो बेटे, किंगफ़िशर से सुपरसोनिक तक की उड़ान भरो। आसमान तुम्हारा इंतजार कर रहा है। लेकिन सड़क पर मत चलना। एक्सीडेंट होने का खतरा है। तुम्हारे लिए हवाई सफ़र ही ठीक है।"
    :) :)
    बहुत बहुत बधाई !

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  20. सबसे पहले तो आपको चार सौ पोस्ट पूरी करने पर मैं आपको हार्दिक बधाई और धन्यवाद देना चाहूँगा. आपने ब्लोगिंग जगत को अपना ढेर सारा समय देकर अनुभव समृद्ध किया है.

    अपने-अपने क्षेत्र में आगे वही बढ़ पाते हैं, जिन्हें कुछ खास करने का जूनून होता है. इसे निठल्लापन हरगिज नहीं कहा जा सकता. यह आपका बड़प्पन है जो इस विशेषण का प्रयोग अपने लिए किया है.

    बहरहाल आपने ब्लोगर और साहित्यकार की जो बहस छेड़ी है, दोनों की अपनी-अपनी भूमिका है.

    अपने क्षेत्र में जो अच्छा करेगा, उसे सराहना मिलेगी.

    हाल के दिनों में कुछ ब्लागर्स काफी चर्चित हुए हैं और ब्लोगिंग के उनके पोस्ट एवं प्रतिक्रियाओं पर आधारित संग्रह को पुस्तक रूप में भी निकाले जाने की खबरे आई है. ब्लोगिंग का भविष्य निःसंदेह उज्जवल है.

    जरूरी नहीं की एक सफल साहित्यकार एक सफल ब्लोगर भी बन जाये. वह यंहा हासिये पर खड़ा नौसिखिया भी साबित हो सकता है.

    वहीँ एक 'निठल्ला, ब्लोगर अपनी सफलता के झंडे गाड़ सकता है. जिसे देखकर साहित्यकारों को भी जलन हो.

    आपने नए और सामयिक विषय पर कलम चलाई.

    अच्छा लगा.

    बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  21. सबसे पहले चार शतक की बधाई ..
    बाकी अच्छा बुरा हर जगह होता है.क्या साहित्य के नाम पर सिर्फ अच्छा ही है?हम तो बस अपना काम करेंगे.कूड़ा क्या है और रत्न क्या ये पढ़ने वाले अपने आप देख लेंगे..

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  22. बच्चे आपकी मूछों से डर रहे हैं -यह तो सरासर ज्यादती है ?
    वैसे यह मेरा निजी मत है की बिना मूछ के आप और शानदार जानदार दिखेगें -
    रैम्प पर खुशदीप भाई को भी पीछे छोड़ देगें -
    ब्लागजगत के दो ही तो गबरू जवान है -एक खुशदीप भाई और एक आप -
    एक मूछ वाले दूसरे बिन मूछ -मगर पूछ दोनों की क्या खूब है !
    अरे हाँ बधाई !

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  23. वाह क्या बात है... 400 पोस्ट !!
    बधाई बहुत सारी बधाई और शुभकामनायें स्वीकार करें !!
    प्रणाम !!

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  24. ललित जी चार सौ पोस्ट पूरी होने के ...... कीर्तिमान हेतु बधाई
    शुभकामनाये स्वीकारें.!

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  25. बधाई ललित भाई! आपकी व्यस्त ज़िंदगी ही तो इस लगातार चलती हुई ब्लॉग यात्रा का राज़ है! अल्लाह आपकी मूँछे सलामत रखें!!

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  26. जल्द ही ४२० भी लगाओगे, ललित जी जो कहते हे कि ब्लग पर कचरा भरा हे,शायद उन्हे मालूम नही आज कल कबाडी सब से ज्यादा धंधा करते हे, ओर शहर के अमीरो मे गिने जाते हे, राम राम

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  27. वाह 400 पोस्ट !
    बधाई बहुत सारी बधाई और शुभकामनायें स्वीकार करें

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  28. आपको बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बधाई

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  29. जो कहते हे कि ब्लग पर कचरा भरा हे,शायद उन्हे मालूम नही आज कल कबाडी सब से ज्यादा धंधा करते हे, ओर शहर के अमीरो मे गिने जाते हे
    राज भाटिया जी ने क्या खूब कहा! वाह-वाह! सटीक. इसे कहते हैं गेंदबाज के सर के ऊपर छक्का!

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  30. भाई साहब को बधाईयां
    और पाओ ऊंचाईयां

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  31. चार सौ पोस्ट पूरी करने पर हार्दिक बधाई

    किंगफ़िशर की उड़ान पर तो हम भी तब रहते है, जब हो 5000 गायब :-)
    आते हैं एक दिन उडान भरने

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  32. ४०० पोस्ट अनवरत लिखने की बहुत बढ़ायी और आगामी कई शतकों की अग्रिम शुभकामनायें ...
    साहित्य और ब्लौगिंग के फर्क को बिना किसी लागलपेट, आडम्बर के अच्छी तरह समझाया !

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