राहुल शर्मा की आत्महत्या समाचार मुझे फ़ेसबुक पर किसी की वाल पोस्ट पर देखने मिला। एक बारगी तो मेरे दिमाग में सन्नाटा छा गया। इस खबर ने हिला कर रख दिया मन मस्तिष्क को, मुझे विश्वास नहीं हुआ कि इतने बड़े पद पर बैठा प्रशासनिक सेवा का अधिकारी आत्महत्या कर सकता है। बिलासपुर में पत्रकार मित्र को फ़ोन लगाकर समाचार की सत्यता जाँची तो आत्महत्या का समाचार सत्य निकला। तब से सोच में पड़ा हूँ कि लोग आत्महत्या कैसे कर लेते हैं? आत्महत्याओं के समाचार सुनना तो दिनचर्या में शामिल हो चुका है। पहले प्रेमी-प्रेमिकाओं का मिलन न होने पर आत्मौत्सर्ग के समाचार सुनने में आते थे। लेकिन अब मानसिक दबाव में, अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी, व्यवसायी द्वारा आत्महत्या करना आम हो गया है।
विद्यार्थियों के उपर अच्छे नम्बर लाने एवं प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने का दवाब होता है तो अधिकारी, कर्मचारियों पर नेताओं एवं उच्चाधिकारियों का दबाव, व्यवसायी अपने धंधे में घाटा होने पर या असफ़ल होने पर निराश होकर आत्महत्या करने का कठोर फ़ैसला लेता है। किसी के सामने नौकरी छूट जाने पर जीवन यापन की समस्या खड़ी हो जाती है और वह उहापोह की स्थिति में निर्णय नहीं ले पाता, दिशाहीन होकर आत्महत्या जैसा कृत्य कर डालता है। बदनामी होने एवं प्रतिष्ठा पर आंच आने पर भी कुछ भीरु किस्म के संवेदनशील लोग आत्महत्या कर लेते हैं। भौतिक युग में जीना बहुत कठिन हो गया है, पहले व्यक्ति दो वक्त की रोटियों के लिए जद्दोजहद करता था, अब भौतिक विलासिता की वस्तुएं प्राप्त करने में नैतिक अनैतिक सभी कार्य करता है। जिसके परिणाम स्वरुप मानसिक शांति खो बैठा है।
कुछ वर्षों पूर्व एक घटी एक घटना का जिक्र करना आवश्यक समझता हूँ। हमारे पास के एक गाँव में एक शिक्षक ने अपनी पत्नी, तीन पुत्रियों समेत आत्महत्या कर ली। कारण था सामाजिक प्रतिष्ठा का। उसकी बड़ी लड़की ने एक हरिजन से भाग कर शादी कर ली, यह समाचार सुनकर उसने सामाजिक प्रतिष्ठा जाने एवं कुल खानदान कलंकित होने के कारण सामुहिक आत्महत्या को अंजाम दिया। बड़ी लोमहर्षक घटना थी, जिसने आमजन के मनोमस्तिष्क को हिला कर रख दिया। इस सामुहिक आत्महत्या कांड के दो साल बाद उस लड़की ने भी आत्महत्या करली, जिसके कृत्य के कारण उसके सारे परिवार को जान देनी पड़ी। सामाजिक प्रतिष्ठा व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होती है।कहते हैं "रांड तो रंडापा काट ले, पर रंडूए काटने दें तब ना"
कठिन समय में मनुष्य प्राणोत्सर्ग जैसा कार्य हार कर करने पर मजबूर हो जाता है, वह सोचता है समस्त समस्याओं का समाधान अब मृत्यु ही है। उसके मन में अनायास ही आत्महत्या के विचार नहीं उठते होगें। विचार आने पर वह विचार भी करता होगा क्योंकि जान देना इतना आसान नहीं है। आत्महत्या के विचार आने पर अगर वह किसी से अपने मन की बात कहता है तो उसके मन में उमड़ घुमड़ रहे आत्महत्या के विचारों के टलने की संभावना बन जाती है, अगर वह घड़ी टल जाए तो शायद सकारात्मक विचार मन आएं और वह आत्महत्या करने जैसा इरादा टाल दे। समय बड़ा बलवान है, बड़े-बड़े घाव भर देता है, समय के दिए नासूर भर जाते हैं। सकारात्मक विचारों से जीवन की गाड़ी पटरी पर आ जाती है। फ़िर वह अपने लिए निर्णय को गलत ठहरा देता है।
एक सत्य घटना का उल्लेख करना चाहुंगा…एक दिन मेरे चैट पर एक दो साल पुराने युवा मित्र (जिसे मैने आज तक देखा नहीं और मिला भी नहीं हूं) ने लिखा… i want suicide now मेरी नौकरी आज चली गयी। यह संदेश देखते ही मेरी हवा निकल गयी। क्योंकि अगर वह मेरे पास होता तो उसे समझाता, दिलासा देता, नहीं मानता तो दो चार थप्पड़ भी मारता। पर अंतरजाल की आभासी दुनिया है, चैट या फ़ोन पर ही कुछ किया जा सकता है क्योंकि वह हजारों किलोमीटर दूर बैठा है और हम कुछ नहीं कर सकते। हड़बड़ाकर मैने उसके मोबाईल पर कॉल किया तो बंद मिला। मुझे निराशा हाथ लगी और लगा कि आज एक दोस्त चला जाएगा। वह निराशा के गहरे गर्त में डूबा हुआ है और मैं उसे बचाने का प्रयास भी नहीं कर सकता। वह कहाँ रहता है, उसके अड़ोसी-पड़ोसी कौन हैं? इसका भी पता नहीं। पता होता तो किसी को उसके पास भेजा जा सकता था।
उस वक्त वह चैट पर ही था, मेरे समझाने पर मानने को तैयार नहीं। मेरे साथ उस वक्त ऑन लाईन प्रसिद्ध ज्योतिषी संगीता पुरी एवं ब्लॉगर कवियत्री संध्या शर्मा थी। वह बात मैने इन्हे बताई तो ये भी चिंतित हुई। वह मित्र संगीता पुरी का भी चैट फ़्रेंड था। उन्हे वह ऑनलाईन दिख रहा था। एक ज्योतिषी अच्छा मनोवैज्ञानिक भी होता है और उसकी बातों का लोगों के मनोमस्तिष्क पर प्रभाव भी पड़ता है। मैने संगीता जी से उस मित्र की कौंसलिग करने कहा और संध्या शर्मा को फ़ोन नम्बर देकर उस पर लगातार कॉल करने कहा। अब मैं और संगीता पुरी उससे चर्चा करने लगे। वह जवाब देता गया…… संगीता जी ने उसे बताया कि आत्महत्या जैसा गलत इरादा छोड़ दे क्योंकि अगले माह उसे इससे भी अच्छी नौकरी मिलने वाली है। हम चारों चैट पर जुड़े हुए उससे बात करते रहे। एक घंटे बाद वह ऑफ़ लाईन हो गया और हम चिंतित आपस में चर्चा करते रहे कि वह अब क्या करेगा?
हार कर मैने मन ही मन एक गाली दी और नेट बंद करके सोने चला गया… सोचा कि हमारी बात अगर उस समझ आई होगी तो वह आत्महत्या नहीं करेगा और सुबह उठने पर उसके चैत की बत्ती जलती दिखाई देगी। जब सुबह उठा तो चैट पर उसकी हरी बत्ती जल रही थी। संतोष हुआ कि हमारी सबकी रात की मेहनत बेकार नहीं गयी। उसने मुझे अपनी इच्छा जाहिर कर दी तो जान भी बच गयी और हमें भी संतोष मिला के नकारात्मकता से भरे एक व्यक्ति के विचारों को हम सकारात्मकता की ओर मोड़ने में सफ़ल हुए। मैने सुबह संगीता पुरी एवं संध्या शर्मा को शुभकामनाएं दी। क्योंकि हम सब डरे हुए थे कि वह रात को आत्महत्या न कर ले। बैठे बिठाए मुसीबत गले पड़ गयी थी और उसे बचाने में मातृ शक्ति का बड़ा हाथ था।
20 दिनों बाद वह फ़िर चैट पर आया और बोला कि "भैया संगीता जी की भविष्यवाणी सच हुई, मुझे उससे भी अच्छी नौकरी मिल गयी। मैं अब खुश हूं और आज ही ज्वाईन करने दूसरे शहर जा रहा हूँ।" सुन कर बहुत खुशी हुई, और इस बात की भी खुशी हुई कि ज्योतिष ने एक की जान बचाई। मैने संगीता पुरी तुरंत यह खबर बताई। संध्या शर्मा को बधाई दी। हमारी समवेत मेहनत रंग लाई और एक जान बच गयी, एक परिवार बिखरने बरबाद होने से बच गया, वरना आज उसके परिवार और बाल बच्चों पर क्या गुजर रही होती? आज अवश्य ही वह व्यक्ति अपने आत्महत्या के फ़ैसले पर शर्मिन्दा हो रहा होगा। लेकिन उसने एक अच्छा काम किया जो हमें बता दिया हमारी बात चीत से उसका मन हल्का हो गया और जीवन के प्रति मोह बढा।
मनुष्य के जीवन में आध्यात्म बहुत काम आता है। जो व्यक्ति पुस्तके पढता है और अच्छे लोगों की सम्पर्क में रहता है उसके भीतर नकारात्मक उर्जा प्रवेश कर ही नहीं सकती क्योंकि पुस्तकों एवं मित्रों से सम्पर्क में पाया हुआ सद्ज्ञान उसे गलत कार्य करने से रोकता है। व्यक्ति को अपने भीतर बैठे देव से पहले सम्पर्क करना चाहिए वह कभी भी गलत कार्य नहीं करने देता। हमेशा गलत कार्यों से रोकता है। आत्मा की आवाज सुनना चाहिए और ऐसे वक्त में मन को धकिया देना चाहिए क्योंकि मन लिप्सा में लिप्त है माया के, उड़ा ले जाता है व्यक्ति को। आत्मा पवित्र है वह हमेशा गलत कार्यों से व्यक्ति को रोकती है। राहुल अगर एक बार भी किसी मित्र से सम्पर्क कर लेते तो शायद मौत की घड़ी टल जाती……… पर अफ़सोस और अफ़सोस के अलावा कुछ नही…………
मनुष्य के जीवन में अध्यात्म बहुत काम आता है ....सही है , मगर इधर तिब्बत में लामाओं सहित कुछ धार्मिक मतावलंबियों की आत्महत्या के समाचार भी खूब मिले हैं !
जवाब देंहटाएंआप चारों ने मिलकर उस व्यक्ति की सोच को सकारात्मक दिशा देते हुए बहुत ही नेक कार्य किया !
राहुल शर्मा जी को विनम्र श्रद्धांजलि.
जवाब देंहटाएंपरेशानियां तो सबके जीवन में हैं, लेकिन व्यक्ति कोई न कोई रास्ता निकाल लेता है. आत्महत्या की मनःस्थिति शायद कई बार क्षणिक होती है और इस समय तटस्थ सा व्यक्ति आशाजनक बातें करें तो वही जीवनदायी हो सकता है.
जवाब देंहटाएंबहुत नेक काम को अंजाम दिया आप लोगों ने .जब कोई डूबता है तो उसकी समझ में कुछ नहीं आता और तब तिनके का सहारा भी बहुत लगता है.
जवाब देंहटाएंकाश ,राहुल सर्मा को भी किसी का आसरा मिल गया होता !
बिलकुल सच कहा ललित जी
जवाब देंहटाएंआपने वाकई बहुत अच्छा कार्य किया है .
दिल से धन्यवाद.
आत्महत्या किन्ही भी कारण से क्यों न हो उस व्यक्ति के परिवार के लिए अभिशाप की तरह होती है, उसके साथ-साथ कई जीवन जीते जी मर जाते हैं... एक जीवन बच गया एक परिवार नहीं बिखरा इससे बड़ा कोई सुख नहीं...
जवाब देंहटाएंसमाज का सहारा ही ऐसे कृत्यों से बचा सकता है, व्यक्ति का कष्ट परिवार को और परिवार को कष्ट समाज को बाटना पड़ेगा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया सामयिक लेख लिखा आपने .. वास्तव में अपने जन्म कालीन ग्रहों के हिसाब से व्यक्ति को जो भी अच्छी या बुरी परिस्थिति मिलती है .. प्रकृति के नियम के हिसाब से वह उसके अनुकूल होता है .. इसलिए उसमें जीने में उसे कोई दिक्कत नहीं होती .. यही कारण है कि एक भिखारी , एक श्रमिक भी एक बडे अफसर या बडे व्यवसायी से कम खुश नहीं दिखता .. पर मैने अपने अनुभव में पाया है कि जब गोचर के ग्रह खास ढंग से दो चार दिन , महीने दो महीने या एक दो वर्षों के लिए उसपर बुरा प्रभाव डालने लगते हैं .. तो वह खुद को किसी समस्या से घिरा पाता है .. इसे झेल नहीं पाता .. जबकि गोचर में जैसे ही ग्रह स्थिति अच्छी होती है .. सारी समस्याएं एक साथ समाप्त हो जाती हैं .. ऐसे बुरे समय में आत्म हत्या की ओर लोगों की प्रवृत्ति देखने को मिलती है .. मैने बहुतों को ऐसे समय में सकारात्मक विचारों से युक्त सलाह दी है .. जो उन्हें बुरे समय को व्यतीत करने में मदद की .. और बाद में तो सब ठीक हो गया .. सबके सामने बिल्कुल सामान्य परिस्थिति नजर आयी .. आज वे खुशी खुशी जी रहे हैं !!
जवाब देंहटाएंक्या पता क्या मनोभाव रहे हों?
जवाब देंहटाएंसबसे पहले राहुल शर्मा को विनम्र श्रद्धांजलि.
जवाब देंहटाएंजीवन में कई बार ऐसे क्षण आते हें जहाँ इंसान हर जाता है वह कुछ भी स्थितियां हो सकती हें लेकिन ऐसे समय में अगर उसे कोई समझाने वाला मिल जाए या फिर उसकी काउंसलिंग हो जाए और वह उस नैराश्य से उबर जाए तो फिर उसके निर्णय स्वयं बदल जाते हें. कई बार तो ऐसे व्यक्ति इस निर्णय को लेकर कई दिन तक जीते रहते हें और फिर अंजाम देते हें ऐसे समय में अगर कोई उसका आत्मीय हो या फिर मित्र तो उसको ऐसी स्थिति से उबर सकता है. एक मित्र का जीवन बचा कर आप लोगों ने बहुत अच्छा कार्य किया. इस के लीये आप लोग बधाई के पात्र हें.
सार्थक प्रयास रहा ।
जवाब देंहटाएंचैट से भी कोई फायदा तो हुआ ।
ऐसे केस में यदि सही समय पर मानसिक और भावनात्मक सहारा मिल जाए तो आत्महत्या करने वाला उस चक्रव्यूह से बाहर निकल आता है और जान बच जाती है ।
हालाँकि उसे आगे भी ध्यान रखना पड़ेगा ।
बहुत सारे सवाल हैं.ये प्रेम व्रेम जैसे संवेदनशील मामले में आत्महत्या समझ आती है पर पुलिस या प्रशासनिक जैसे ओहदे पर जीवट वाले लोग ऐसा करें तो ताज्जुब होता है.वैसे यह आपने सच कहा कि इस तरह की भावनाएं क्षणिक आवेश में होती हैं.अत: लोगों से संपर्क में रहने वाला व्यक्ति इनसे उबर सकता है.
जवाब देंहटाएंआप लोगों ने बढिया काम किया पर अफसोस कि राहुल जी के पास ऐसा कोई मित्र नहीं रहा.....
जवाब देंहटाएंअफसोस......
यही परिस्थितियां होती हैं जब किसी से विचार साझा करना ज़रूरी है ....हमारी पूरी सामाजिक पारिवारिक व्यवस्था की विफलता है की यूँ लोग ज़िन्दगी से हार रहे हैं
जवाब देंहटाएंजो व्यक्ति पुस्तके पढता है और अच्छे लोगों की सम्पर्क में रहता है उसके भीतर नकारात्मक उर्जा प्रवेश कर ही नहीं सकती क्योंकि पुस्तकों एवं मित्रों से सम्पर्क में पाया हुआ सद्ज्ञान उसे गलत कार्य करने से रोकता है।
जवाब देंहटाएंसहमत
शत प्रतिशत सहमत
हमने भी तीन दिन पहले एक को बचाया है
आत्महत्या...एक चरम निराशाजनक क्षण की उपज होती है..अगर वह क्षण टल जाता है..तो फिर यह ख्याल भी दिल से निकल जाता है..वह सौभाग्यशाली था कि आप उसे ऑनलाइन मिल गए...और संगीता जी..संध्या जी से भी उसकी बातचीत चलती रही...आपलोगों का सम्मिलित प्रयास सफल हुआ और एक युवा का जीवन बच गया...
जवाब देंहटाएंकाश! हर ऐसे अवसाद के क्षणों से गुजारने वालों को किसी हमदर्द का साथ मिल जाए.
बहुत ही अच्छा आर्टिकल... वैरी टचिंग...
जवाब देंहटाएंरंडुए का मतलब क्या होता है?
आत्महत्या...एक चरम निराशाजनक क्षण की उपज होती है..अगर वह क्षण टल जाता है..तो फिर यह ख्याल भी दिल से निकल जाता है..वह सौभाग्यशाली था कि आप उसे ऑनलाइन मिल गए...और संगीता जी..संध्या जी से भी उसकी बातचीत चलती रही...आपलोगों का सम्मिलित प्रयास सफल हुआ और एक युवा का जीवन बच गया...
जवाब देंहटाएंकाश! हर ऐसे अवसाद के क्षणों से गुजारने वालों को किसी हमदर्द का साथ मिल जाए.
जिस के सिर तू सवार, वह दुख कैसे पाए
जवाब देंहटाएंबीएम पाबला, संगीत जी, संध्या जी, ललित जी आपका सब का शुक्र गुजार हूं कि आपने एक बेहतरीन कार्य किया,
जवाब देंहटाएंआपने वाकई बहुत अच्छा कार्य किया है ...
जवाब देंहटाएंसाधुवाद है आपको.
राहुल शर्मा जी को विनम्र श्रद्धांजलि .... आपने जिसे बचाया .... उसके ग्रह अच्छे ही रहे होंगे ... ग्रह की ही चाल थी जो आप सबके प्रयास से वो निराशा की स्थिति से निकाल पाया ... आप सभी को साधुवाद
जवाब देंहटाएंमनुष्य के जीवन में आध्यात्म बहुत काम आता है। जो व्यक्ति पुस्तके पढता है और अच्छे लोगों की सम्पर्क में रहता है उसके भीतर नकारात्मक उर्जा प्रवेश कर ही नहीं सकती क्योंकि पुस्तकों एवं मित्रों से सम्पर्क में पाया हुआ सद्ज्ञान उसे गलत कार्य करने से रोकता है।
जवाब देंहटाएंशत प्रतिशत सहमत...
आप लोगों ने बढिया काम किया ...साधुवाद!!
राहुल शर्मा जी को विनम्र श्रद्धांजलि.
अधिकतर मामलों में लोग दो तरह के लोग आत्महत्या करते हैं , एक वो लोग जो अचानक यकदम उठाते हैं और दुसरे वो जो काफी दिनों से इसकी प्लानिंग करते हैं . हम दूसरी तरह के लोगों को
जवाब देंहटाएंइस तरह से बच्चा सकते हैं जैसे ललित जी और उनके साथियों ने किया . इस तरह के लोग हमारे आस पास हो रहते हैं हमें चाहिए उनको जीवन के उतार चढ़ाव के बारे में समझाते रहें.
खुबसूरत पोस्ट .आप इसी तरह से ही , लोगो को जिन्दगी में मोह करवाते रहें .
आप तीनों ने बहुत ही भला काम किया। नेट, चेट, ज्योतिष का सकारात्मक पक्ष कहें या आप लोगों द्वारा सकारात्मक उपयोग। यूं ही आरोप लगाया जाता है कि संवेदनाएं खतम हो रही हैं। आभासी दुनिया भी संवेदनाओं से लबरेज है। अनजान व्यक्ति के लिये आप तीनों रात भर चिंतित रहे। उनका बुरा समय सफलता से टाल दिया। सच में राहुल शर्मा को भी एसा कोई मददगार मिल जाता तो क्या बात थी। खैर। उन्हें श्रद्धांजली।
जवाब देंहटाएंललित भाई ने इसकी पोस्ट लगाई, बहुत ही अच्छा किया। कोई निराशा जनक मनःस्थिति में फेस बुक के मित्रों से मदद ले सकता है।