अखबार में जब से समाचार पढा, तब से स्वयं को शर्मिन्दा महसूस कर रहा हूँ। शर्मिन्दगी भी जायज है, गैरतमंद व्यक्ति को शर्मिन्दा होना पड़ता है। जिसकी कोई गैरत नहीं वह क्या शर्मिन्दा होगा? कहावत है नकटा बूचा, सबसे ऊंचा। नकटा की नाक कटे, एक हाथ और बढ़े। शर्मिन्दगी इतनी है कि शर्म से धरती में गड़ना चाहता हूँ पर धरती में शर्म के मारे गड़ा भी नहीं जाता। अजीब विडम्बना है, जो धरती में गड़ना चाहता है उसे लोग गाड़ना नहीं चाहते। जो गड़ना नहीं चाहता उसे पकड़ धकड़ कर रस्सों से बाँध कर आयोजन सहित गाड़ दिया जाता है।
शर्म से धरती में गड़ने की ही बात है। पड़ोस के राज्य में प्रधानाध्यापक के घर पर आर्थिक अपराध शाखा का छापा पड़ा। उसके घर से 4 करोड़ की सम्पत्ति मिली। चपरासी के घर छापा पड़ा उसकी 8 करोड़ की सम्पत्ति मिली। क्लर्क के यहाँ से 40 करोड़ की सम्पत्ति मिली। कितने धनाढ्य लोग रह्ते हैं उस प्रदेश में। कहीं हाथ डालो वहीं रुपया ही रुपया। हमारे यहाँ उस धनाढ्य प्रदेश में सेवा कर चुके एक आई ए एस के यहाँ छापा पड़ा तो 400 करोड़ का मामला सामने आया। कमाल उस प्रदेश के पूण्य जल का है। जहाँ की एक-एक सांस भी धन उगलती है।
शर्म से डूब मरने की बात है कि मेरे जैसे गैरतमंद इंसान के लिए। हमारे यहाँ छापे में लोकनिर्माण विभाग के बड़े अधिकारी के यहाँ से भी करोड़ दो करोड़ मिलते हैं। इन लोगों ने नाक कटवा कर धर दी है। जब कभी धनाढ्य प्रदेश में चले जाते हैं तो लगता है कि उन्हे मुंह दिखाने के लायक भी नहीं रहे। वे बड़े चटखारे लगा कर शादियों की महफ़िलों में अपने प्रदेश के गुणगान करते हैं और मैं इसका उसका मुंह ताकते रहता हूँ, झेंप मिटाने के लिए। आखिर अपनी नाक कब तक कटते देख सकता हूँ इसलिए महफ़िल से रफ़ुचक्कर होने में ही भलाई समझता हूँ।
हमारा प्रदेश भारत का सिरमौर प्रदेश बन रहा है। बटवारे में मिले भीषण झंझावातों के बावजूद भी विकास की गंगा बह रही है। सड़कें, शिक्षा, उद्योग, पर्यटन, कृषि के क्षेत्र में नए आयाम गढ़ रहा है। पाँच रुपए में पेट भर खाना, एक रुपए दो रुपए किलो चावल, चना के साथ अमृत रुपी नमक दिया जा रहा है और तो और सरकार ने भोजन के अधिकार को कानूनी जामा पहना दिया है। अगर कोई भूखा है तो अब हक से भोजन मांग सकता है। इसका असर यह हुआ कि एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त आई ए एस अधिकारी ने शादी के वक्त दहेज में मिले 50 हजार रुपए भी अपने श्वसुर को लौटा कर ईमानदारी मिसाल कायम कर दी। दिए। ऐसा उदाहरण तो सारे संसार में कहीं नहीं मिलेगा।
लगता है कि हमारे यहाँ किसी को मेरी नाक की चिंता ही नहीं है। चिंता हो भी कैसे? मेरे जैसे न जाने कितने नासमझ हैं यहाँ। एक घर खुसरा लेखक होने नाते सरकारी कामों से मेरा कभी वास्ता ही नहीं रहा। पहले जब पत्रकारी करते थे तो तहसील, थाना और अस्पताल का चक्कर लग जाता है। कभी कोई छोटा-मोटा काम पड़ा किसी अधिकारी से तो वे लेखकीय वरियता को ध्यान में रखकर कर देते थे। उनके बाबुओं ने मुझे शर्मिन्दगी से बचाने के लिए प्रयास करते हुए कूट संकेत दिए थे।
हम ठहरे विशुद्धमूढ़मतिमहाभट्टारकपाषाणमस्तिष्कखल्वाटखोपड़ीलौहशिरस्त्राणधारी। उनका संकेत हमारी समझ में तत्काल नहीं आया। पुराना रिसीवर होने के कारण कूट संकेत शीघ्र पकड़ में नहीं आते। एक हफ़्ते बाद जब वे टाल-मटोल करने लगे और फ़ाईल-फ़ाईल खेलने लगे तब थोड़ा समझ आया। अभी तक हम पूरे संकेत नहीं पकड़ पाए हैं। मुझे लगता है ये मुझे शर्मिन्दगी से बचाने का उद्यम करेगें लेकिन बचा नहीं पाएगें।हमारे जैसे फ़ालतु आदमी को संकेतों से समझाने की कौन मगजमारी करेगा? खुल के बोल नहीं सक्ते। लेखक का क्या भरोसा? कौन सी व्यंग्य, कहानी या कविता में रगड़ के धर दे।
हमारा प्रदेश प्रगति के नए आयाम गढ़ रहा है। प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लोहा पूरा भारत देश मान रहा है। केन्द्र सरकार भी इनाम इकराम से नवाज रही है। अन्य प्रदेशों के मंत्री और मुख्यमंत्री सार्वजनिक वितरण प्रणाली सीखने के लिए छत्तीसगढ़ आते हैं। कुछ लोग हल्ला मचाते है कि भ्रष्टाचार हो रहा है। लगता है निठल्लों को कोई काम ही नहीं है। देखो भ्रष्टाचार ने अन्य प्रदेशों में कितनी अधिक प्रगति की है। कितने सोपान गढ़े हैं। कुछ महीने के लिए एक बार सत्ता हाथ लगते ही झारखंड जैसे प्रदेश में चरदिनिया मुख्यमंत्री ने 4 हजार करोड़ कमा लिए। बताईए हम कितने पीछे रह गए हैं। है कि नहीं शर्म की बात। अगर यही रफ़्तार रही तो अगले 20 सालों में भी इनकी बराबरी नहीं कर सकते।
मेरी नाक बचाने का प्रयास कुछ पटवारी सरीखे लोग अवश्य कर रहे हैं। इनसे आम जनता का पाला हमेशा पड़ता रहता है। खाता-खतौनी की नकल, फ़ौती चढाने एवं नामांतरण इत्यादि में 5-10 हजार मांग लेते हैं। कुछ दिन पहले ही एक मास्टर जी कह रहे थे कि उनकी पुस्तैनी जमीन नाम चढाने के नाम से पटवारी ने 5 हजार लूट लिए। हमने कहा कि- मास्टर जी शर्म कीजिए, 5 हजार देकर इतना हल्ला मचा रहे हैं। नाहक बदनाम कर रहे हैं, शर्म की बात है। अगर वह पटवारी 20-25 हजार आपसे लेता तो कुछ रुतबे की बात बनती। अपने पड़ोसी राज्यों के समकक्ष खड़ा करने में इनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। ये हमे सम्मान के रास्ते पर ले जा रहे हैं।
एक बाबु ने काम के एवज में मुझसे कहा कि "आप हमारे लिए क्या करेगें? मैने कहा कि - आपको बढिया बढिया श्रृंगार रस की कविता सुनाएगें और होली का मौसम आ रहा है, फ़ाग सुनाएगें अगर इससे भी पेट नहीं भरा तो होले भी पढ सकते हैं। इसके अतिरिक्त हमारे पास क्या मिलेगा करने को। बिजली का बिल तो भरने की क्षमता नहीं है, जब देखो तब बिजली वाले नसैनी लिए आ जाते हैं और हमें पसीना आ जाता है। कब इनकी कैंची चले और कब हमारे घर अंधेरा हो जाए पता नहीं। इतना होने पर भी शर्मिदा हूँ। न जाने इस प्रदेश में मेरे शर्मिन्दगी दूर करने का उद्यम कब होगा? कब मेरा प्रदेश इस लायक होगा जिससे मैं मूंछों में ताव देकर अपने पड़ोसियों को गर्व से कह पाऊंगा कि हम तुम्हारे से कम नहीं है।
:-) ;-) :-)
जवाब देंहटाएंयह तो वाकई चिंता की बात है!
छत्तीसगढ़ ज़िंदाबाद
जवाब देंहटाएंबहुंत निंदा करने वाली जानकारी है
जवाब देंहटाएंविशुद्धमूढ़मतिमहाभट्टारकपाषाणमस्तिष्कखल्वाटखोपड़ीलौहशिरस्त्राणधारी
जवाब देंहटाएंitana बड़का विशेषण ?
aapke koda ne to pure india ke neta ko sikha diya hai paise kamana. agar sharminda ho to neta bano. he he
जवाब देंहटाएंविशुद्धमूढ़मतिमहाभट्टारकपाषाणमस्तिष्कखल्वाटखोपड़ीलौहशिरस्त्राणधारी
जवाब देंहटाएंइसे कैसे पढूँ ? शर्मिन्दा हूँ :)
सही कह रहे हैं आप इन हालातों को देखते हुये तो शर्मिन्दा होना लाज़िमी है :(
तभी कहूँ उस प्रदेश में पाप क्यों बड रहे हैं, सारा पुण्ये तो ३६गढ़ वाले ले उड़े... :)
जवाब देंहटाएंdhani maani pradesho ki list bana kar vaha se inspector matadin ko apne yaha bulava leejiye...sach me sochana to hame bhi pad raha hai bataiye hamare padosi hokar ab tak kuchh nahi seekh paye..lekin himmat mat hariye log lage hue hai..aapka sir jaroor uncha hoga..shubhkamnaye,,
जवाब देंहटाएंसटीक लिखा है ... आज ऐसे ही हालात हैं दुनिया के ..
जवाब देंहटाएंपैसे वाला तनकर चलता है समाज में .. उसकी सारी गल्तियां माफ ...
शरीफ व्यक्ति ईमानदार होने की वजह से गर्दन नीची किए शर्मिंदा होकर चलता है ...
पैसे जो नहीं हों जिसके पास .. उसकी ईमानदारी को कौन प्रशंसा करने वाला ??
पर ये हालत हम सब मिलकर ही बनाते हैं .. दूसरे ग्रह से आकर नहीं करता कोई ....
:) :) रोचक प्रस्तुतीकरण ....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है आदरणीय -
जवाब देंहटाएंसटीक
आभार
यह कुंडली सचित्र है
लिंक-लिक्खाड़ पर -
आइन्दा से रखूंगा, क्लीन शेव ही मित्र ।
जीवन में कुछ ना किया, केवल मूंछ विचित्र ।
केवल मूंछ विचित्र, मुलाजिम इक सरकारी ।
दो बंगले हैं पाश, पास में कार सफारी ।
रक्खे कई करोड़, आज हूँ मैं शर्मिन्दा ।
दाढ़ी मूंछ मुड़ाय, रखूं ना अब आइन्दा ॥
आपकी चिंता का शीघ्रातिशीघ्र निराकरण हो.... शुभकामनायें...लेकिन बात काफी चिंताजनक है...
जवाब देंहटाएंमेरे समक्ष भी एकबार उस प्रदेश की एक मंत्री-पत्नी बैठी थी, मैंने भी उनसे कहा कि आपके प्रदेश में तो बडा पेसा है, चालीस करोड का तो बाबू ही है। सच है प्रदेश हो तो ऐसा।
जवाब देंहटाएंजय हो .... बहुत सुन्दर ..गौटिया जी
जवाब देंहटाएंभैय्या ऐसे लोग सभी जगह हैं आयेदिन इनके मुखड़े मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ टी.वी चैनलों में देखते रहते हैं . इनके काले कारनामों के कारन लोगों की नाक कटती रहती है . प्रदेश की छोडिये भ्रष्टाचार के मामले में हमारा देश पूरे विश्व में नाम कमा रहा है और कुछ साल बाद अपना नाम गिनीज बुक में लिखा लेगा . ऐसे भ्रष्ट लोगों को लेकर आप शर्मिंदा न हो और परेशान मत हों न जाने कब कौन भ्रष्टाचारी अडोस पड़ोस में ही मिल जाए .. जब तक इन हरामी भ्रष्टाचारियों की संपत्ति राजसात नहीं होगी तब तक आप और हम शर्मिंदा होते रहेंगें ...
जवाब देंहटाएंअब चारोँ तरफ घोटाले की मार है। नैतिकता तो जैसे गायब हो गई।
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है।
....
http://yuvaam.blogspot.com/2013_01_01_archive.html?m=0
पता नहीं लोग कितनों का हक मार कर अपनी साँसों को संयत रख पाते हैं।
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंप्रदेश प्रगति की राह पर है , यह तो अच्छी बात है. लेकिन पडोसी से ज्यादा न सीखे तो और भी अच्छी बात है.
जवाब देंहटाएंवाह ! आज तो बहुत घुमाकर मारा है :)
जवाब देंहटाएंबना रहे मूछों पर ताव.
जवाब देंहटाएंभगवान करे आपकी शान बनी रहे
जवाब देंहटाएंदेश कितनी प्रगति कर रहा है , शिक्षक और बाबू , प्रशासनिक अधिकारियों के बराबर हो गए हैं और आप शर्मिंदा हैं ....हद है :)
जवाब देंहटाएंआज 21/02/2013 को आपकी यह पोस्ट (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल चिंता का विषय है .......
जवाब देंहटाएंआप भी पधारो आपका स्वागत है ....
pankajkrsah.blogspot.com
बहुत बेइंसाफी है
जवाब देंहटाएंअभी कौन कंपटीशन खतम हो गया ,आगे-आगे देखिये ,एक से एक बढ़ कर हैं सब !
जवाब देंहटाएंकमाल है :)))
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