रविवार है छुट्टी का दिन और गणेश पूजा का पर्व प्रारंभ हो चुका है। इसके बाद पितृ पक्ष और नवरात्रि। फ़िर बीस दिनों के बाद दिवाली। गणेश पूजा के बाद हम इतने व्यस्त हो जाते हैं त्योहारों में की पता ही नहीं चलता कब दीवाली आ गयी। आज रविवार को संडे का फ़ंडा में चित्र प्रस्तूत हैं आप बताएं कि ये क्या है?
मिलते हैं एक ब्रेक के बाद
मिलते हैं एक ब्रेक के बाद
बने जतन के राखे हस ग, का ए अंटर्रा बरोबर दिखत हे, अंडा के भोरहा म आमलेट झन फोर पारबे.
जवाब देंहटाएंपहले आप बताइये कि ये तीन क्यों है ? :)
जवाब देंहटाएंअंडे का फंडा...
जवाब देंहटाएंपर ये क्या है?...ये तो आज की पहेली बन गई...
आप ही बता दे कि ये है क्या!
ये निम्बू है....
जवाब देंहटाएंभैया हमें भी नींबू ही लग रहे है। अण्डे पीले होते हैं क्या?
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! हमें तो ये शतुरमुर्ग के अंडे लगते हैं :)।
जवाब देंहटाएं@ajit gupta
जवाब देंहटाएंइसे हिंट समझिए
आप राजस्थान में रह के भी नहीं पहचान पाईं।
मुझे ताज्जुब हुआ।
कागजी नीबू हैं ये।
जवाब देंहटाएंराजस्थान हिंट है तो यह जरुर ऊठ के अन्डे होंगे ;) . वैसे है यह निम्बुडा का ही खानदानी
जवाब देंहटाएंGhareloo murgee ke hai ji.
जवाब देंहटाएंओह ललित जी काचरे हैं। राजस्थान की बात पर समझ आया।
जवाब देंहटाएं... chhaa gaye ... laajavaab post, badhaai !!!
जवाब देंहटाएंवैसे तो नासपती टाइप कुछ लग रहा है लेकिन आप जो बोल दोगे मान लिया जाएगा
जवाब देंहटाएंगेद भी हो सकती है
कल ताऊ पहेली के बात दिमाग में कुछ बचा ही नही है ....ऊपर से अपने title अंडा देकर और भरमा दिया है....ये तो टमाटर लग रहा है....
जवाब देंहटाएंहर गोल गोल चीज़ अण्डा नहीं होती
जवाब देंहटाएंप्लास्टिक की बाल का फ़ोटू चिपका दिये
चीज़ें तो आखिर वहीँ होतीं है जो आदमी की खुराफात भरी खोपड़ी समझ ले .. !
जवाब देंहटाएंबट्टी
जवाब देंहटाएंअजीत जी ने सही पहचान बता ही दी है ...ऐसा लगता है ..
जवाब देंहटाएंये शायद बिजोरा नींबू हैं। आप भी पहेली बूझने लगे हमे मालूम नही था। अच्छा है माईड फ़्रेश करने का अतिउत्तम तरीका।
जवाब देंहटाएं@सुनीता शानू
जवाब देंहटाएंye to Sundey time pass hai.
मन्नै तो ये ऊंटडी के अंडे लागरे सैं.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
मेरे को तो यह पीले वाले खरबुजे लगते है, अब इसे कचरी कहे या कुछ ओर यह हमे नही मालुम लेकिन इन्का स्वाद खरबुजो जेसा नही होता,अजित जी की हां मे हां मिलाते है कि यह काचरे है,
जवाब देंहटाएंअण्डा देने वाली मुर्गी को ज़रूर पीलिया हुआ रहा होगा :-)
जवाब देंहटाएं:) जो भी हो हमें कौन से खाने हैं :)
जवाब देंहटाएंजबर बुझौला पूछे हवस भईया. कभू आमा कस दिखथे त कभू अटर्रा कस, कोनो दारी मोसंबी असन घलोक दिखथे. फेर कहूँ ए हर "जेट्रोफा" के फल तो नोहे? "डीजल मिलेगा बाडी से" वाला...
जवाब देंहटाएंजिधर भी मैं देखूं तू ही तू है।
जवाब देंहटाएंत्यौहारों का मौसम है मुझे तो यह बंगाल के "सोंदेस" लग रहे हैं।
मिष्टी मिष्टान मय सब जग जानी........ :-)
हल्दीपुता शाकाहारी व्यंजन।
जवाब देंहटाएंभाई इतने लोग कह रहे हैं तो निम्बू ही होंगे..... :-)
जवाब देंहटाएंआपकी आँखों से आंसू बह गए
इसका सही उत्तर अजीत गुप्ता जी ने दिया।
जवाब देंहटाएंजिसका अनुशरण राज भाटिया जी ने किया।
इन्हे काचरी,कचरी कहा जाता है। राजस्थान,हरियाणा,गुजरात में इसका उपयोग सब्जी के लिए किया जाता है। राजस्थान की प्रसिद्ध सब्जी सांगरी और केर में इनका उपयोग होता है। लहसुन डालकर इनकी चटनी बनाई जाती है तथा बाजरे की रोटी और छाछ के साथ खाने का आनंद ही कु्छ और है।
हमारे छत्तीसगढ में इसे बुन्देला कहा जाता है। यह प्रचलित नाम है। कच्चा रहने पर यह कड़ुआ होता है तथा पक कर पीला हो जाने पर खट्टा मीठा स्वादिष्ट हो जाता है।
सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद,
जो आपने संडे का फ़ंडा का आनंद लिया।
आभार
संडे के दिन कचरी/काचरी का खूब आनंद आया होगा .
जवाब देंहटाएंललित भाई,
जवाब देंहटाएंये खाने के बाद जलजीरा वाली जूसी से हज़म ज़रूर कर लेना...
जय हिंद...
लेकिन क्यों बताएं???ये वही है जो हमारे यहाँ भी ठेले पर मिलता है...
जवाब देंहटाएंइसका उपयोग आप सुखा कर भी कर सकते है | इसक छिलके उतार दीजिए और सुखाकर कर मिक्सी में पीस लीजिए उसे आप साल भर तक काम में लीजिए | खटाई की जगह भी प्रयोग कर सकते है और चटनी भी लाजवाब बनती है | राजस्थान में पंसारी (किराने वाले के यंहा ) यह दो सौ या तीन सौ रूपये किलो मिल जाती है |
जवाब देंहटाएंललित जी, यह काचरे इतने प्रकार के और इतने स्वाद के होते हैं कि इनके स्वाद का कोई भी फल मुकाबला नहीं कर सकता। लेकिन हम इन से दूर हैं। उदयपुर में काचरे नहीं होते, यह अधिकतर रेगिस्तानी इलाकों में होते हैं और उदयपुर राजस्थान का हिस्सा होते हुए भी पहाडी क्षेत्र है। आपने काचरे दिखाकर मन ललचा दिया, मैं तो इनके स्वाद पर फिदा हूँ और जब भी जयपुर जाती हूँ इनकी ही फरमाइश करती हूँ।
जवाब देंहटाएंSuch a wonderful articles you have written. Thanks.
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