अच्छे स्वास्थ्य के लिए चलिए कुछ हँस लिया जाए और हो सके तो ठहाके ही लगाए जाएं जिससे सप्ताह भर की थकान मिट जाए। हँसना भी जरुरी है। घर में हँस नही सकते तो लोगो ने लाफ़्टर क्लब ज्वाईन कर लिए हैं। हँसी ना आए तो जबरदस्ती हँसो।
एक बार हम भी गए थे लेकिन जबरिया हँसने की कोशिश की, लेकिन हँसी नही आई तभी हमने एक मित्र का चेहरा देखा वो मुँह बना के बड़ा जोर लगा के हँस रहे थे। उनकी इस हरकत से जो हँसी आई आज तक रुकी ही नही। जब भी वो वाकया याद आता है जी भर के हँस लेता हुँ।
एक बार हम भी गए थे लेकिन जबरिया हँसने की कोशिश की, लेकिन हँसी नही आई तभी हमने एक मित्र का चेहरा देखा वो मुँह बना के बड़ा जोर लगा के हँस रहे थे। उनकी इस हरकत से जो हँसी आई आज तक रुकी ही नही। जब भी वो वाकया याद आता है जी भर के हँस लेता हुँ।
एक बार का किस्सा आपको सुनाता हूँ। हमारे घर के पीछे एक मोहल्ला है। उसमे कुछ शिक्षक लोग रहते हैं। हम सब मिल कर सुबह 4 बजे उठ कर सैर मे जाते हैं।
उनमे एक गुरुजी को बहुत कम सुनाई देता था और वे मजाकिया किस्म के इंसान है उन्हे श्रवण दोष था। तो जब हम बोलते थे तो वे हमारी तरफ़ देखते रहते थे लिप्स रिडिंग कर समझने की कोशिश करते थे।
अब उनकी सुनने की समस्या के कारण उन्हे सुनाने के लिए हमे जोर से बोलना पड़ता था। नही तो बार-बार पुछ्ते थे कि क्या बोला? अब यह जोर से बोलना हमारी आदत में शुमार होने लगा था।
सैर से आने के बाद भी हम जिस किसी से बात करते तो जोर से बोल कर बात करते। सामने वाला सोचता कि हम डांट रहे हैं या गुस्से में हैं वह सटक लेता।
एक दिन हम चाचाजी से बात कर रहे थे। तो उन्होने कहा कि तुम इतनी जोर से क्यों बो्ल रहे हो क्या मै बहरा हूं?
तब हमारी समझ मे आया कि कुछ तो कहीं समस्या हैं, मास्टर जी के कारण हम भी बहरे होते जा रहे हैं। हम हर आदमी को ही बहरा मान कर बात कर रहे हैं, अब तो सामने वाला हमे बहरा समझने लगेगा। क्योंकि बहरे लोग जोर से बोलते हैं या एक दम धीमा बोलते हैं बीच का स्वर तो उनसे निकल ही नही पाता।
अब इससे बचने के लिए हमने अपनी सैर का रास्ता बदल लिया। एक दिन सभी पुराने साथी चार बजे ही गेट पर पहुँच गए और हमे जगाने के लिए चिल्लाने लगे। हम ने उठकर फ़िर उनका संग धर लिया।
एक मजेदार घटना घट गयी। यह किसी चुटकुले से कम नही है तथा बहरे आदमी से बात करने में क्या समस्या आती है इसका प्रमाण है। यह भी देखने में आता है कि बहरे को भले और कोई बात समझ में नही आए वह गाली तुरंत समझ लेता है। आप उसे जोर से काम की बात कहोगे तो नही सुनेगा लेकिन सिर्फ़ होठ हिला कर गाली दे दो तुरंत समझ जाएगा और उसका जवाब भी दे देगा।
हम पैदल चले जा रहे थे तो बहरा मास्टर जी बोले-" महाराज काली मैं अपन भैंसी ला चराए बर लेगे रहेवं।" (महाराज! मै अपनी भैंस को कल चराने के लिए ले गया था)
हमारे साथ एक गुरुजी और थे तो मैने कहा " काली इहु हां अपन पड़िया ला पानी देखाए बर लेगे रिहिस" (कल ये भी अपनी पड़िया को पानी पिलाने ले गए थे)"
फ़िर बहरा गुरुजी ने जवब दिया " लेकिन एवरेज कम देवत हे" (लेकिन एवरेज कम दे रही है) अब जवाब सुन कर हम सोचने लग गए की यह क्या बला है? भैंस के साथ तो एवरेज का संबंध कहीं से बैठता नही है।
दोनो गुरुजी मे किसी के पास भैंस और पड़िया नही है, मैने तो सोचा था कि मजाकिया इंसान है जरुर यह अपनी बीवी को भैंस कह रहा है। लेकिन उसका भी एवरेज से क्या संबंध है?
कल शाम को एक गुरुजी को बीवी बच्चों के साथ जाते देखा था इसलिए मैने सोचा कि यह भी अपनी बीवी को कहीं घुमाने ले गया होगा तो मैने भी कह दिया कि यह भी पड़िया को पानी देखाने ले गया था।
तभी भैरा गुरुजी ने खुलासा किया--कि वे भैंस अपने स्कुटर को कह रहे हैं। अब ना सुनने के कारण अर्थ का अनर्थ हो गया।
हमारे यहां कहावत है कि "कनवा पादे भैरा जोहारे' (याने कि काना पाद रहा है तो बहरा समझता है कि वह उसे नमस्कार कर रहा है, इसलिए वह नमस्कार मे जवाब देता है) इसमें गलती दोनो की नही है लेकिन श्रवण दोष के कारण हास्यास्पद स्थिति का निर्माण हो जाता है।
इस घटना के बाद तो हमारी जो हँसी छुटी की घर पहुँचते तक सभी पेट पकड़ कर हँसते ही रहे।आज भी उस वाकये को याद कर जी भर हँस लेते हैं। इसलिए मित्रों जीवन मे हँसना भी बहुत जरुरी है।
हंसने का मौका दिया..बहुत आभार....:)
जवाब देंहटाएंललित भाई,
जवाब देंहटाएंलेकिन इस सरकार का क्या करें जो बहरी न होने के बावजूद लोगों की कुछ नहीं सुनती...
जय हिंद...
...हा...हा...हा..हा...बहुत खूब ललित भाई!!!
जवाब देंहटाएंha haa haaa haaaa
जवाब देंहटाएंkhoob jam ke hasate hai ham to
par jindagee hasane de tab naa
ये बहुत ही लाजवाब पोस्ट है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
"बहरे लोग जोर से बोलते हैं"
जवाब देंहटाएंआजकल दोनों कान में हेडफोन लगाये हुए लोग भी जोर से बोलते हैं।
sharma ji namaste aapka hasya vyangay bahaut hi majedar hai
जवाब देंहटाएंचलिए अब हँस ही लेते हैं।
जवाब देंहटाएंवाह रे कनवा।अब हम भी पेट पकड़ कर हंस रहे हैं।
जवाब देंहटाएंha ha ha aaz ka hasne ka quota to ho gaya poora.
जवाब देंहटाएंही ही ही ही हा हा हा हा हा हा अब तो पेट दुखने लगा जी हंस हंस के, फ़िर कभी बताऊंगा एक किस्सा, अपने ही घर का जिस मै मेरे पिता जी, उन के दोस्त शर्मा जी, ओर मेरे मोसा जी, ओर तीनो ही बहरे थे.
जवाब देंहटाएंमजा तो तभी है जब जो कहा जाये उससे कुछ अलग सुना जाये
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
बहुत बढ़िया लिखा ललित जी । और हंसा भी दिया ।
जवाब देंहटाएंइत्तेफाक देखिये , आज कई दिनों बाद हमने भी लिखा तो बिलकुल यही बात।
एक समय था कि जब हंसने के लिए बडे बुजुर्गों द्वारा डांट खाया करते थे .. और आज न तो हंसने की फुर्सत है और न ही वातावरण .. चलिए आज आपके बहाने हंस लिया !!
जवाब देंहटाएंलगता है कि आप पर "गुरूओं" की कुछ खास ही कृ्पा है :-)
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की शुभकामनायें!!!आपका यश और कीर्ति चारों तरफ फैले!बधाई!!!
जवाब देंहटाएं**आपको जन्मदिन की शुभकामनायें**:):)
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की शुभकामनायें
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